असत्याभास -Paradox-William Branham Sermon in Hindi
असत्याभास
जैफरसनविले, इन्डियाना, यू. एस. ए.
61-1210
1मित्रों सुप्रभात! इस सुबह यहाँ पर फिर से होना एक बड़े ही सौभाग्य की बात है। और अब, उन्होंने मुझे बताया था, कि उनकी एक विशेष सभा होनी है, और उन्होंने इसके लिए कुछ मिनट रखे हैं। और वे चाहते थे, कि मैं उन मिनटों में आकर सुनँ, कि वे किस बाबत हैं; क्या मुझे इसके पक्ष में या इसके विरोध में कुछ कहना है। कहा गया था, कि उनकी साक्षात्कार सम्बंधी कुछ बातें हैं-उनकी इस मामले में कोई दिक्कत है।… मैं सोचता हूँ, कि ऐसा होना एक बहुत बड़ी बात है। मैं यह स्वीकार करता हूँ। इससे मुझे एक मौका मिल जाता है, कि मैं तब इसे कर सकूँ ।2मेरा अनुमान है, कि ठीक इस समय विशेष साक्षात्कार के लिए बहुतेरे लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं, अर्थात् छः सौ लोग हैं जो सूची पर प्रतीक्षा कर रहे हैं। और देखिए, मैंनै तिक रूप से अपनी बात के प्रति वचन बद्ध हैं, कि मैं अपने हर एक शब्द पर टिका रहूँ जब तक कि हम परमेश्वर की ओर से उस व्यक्ति के लिए कुछ सुन नहीं लेते हैं। और फिर जब आप वह करते हैं, तो हो सकता है, कि कोई एक व्यक्ति साक्षात्कार के लिए प्रतीक्षा-सूचीपर हो;या हो सकता है, कि उस व्यक्ति के साथ कोई एक या दो या तीन हफ्तों सेइन्तज़ार कर रहा हो; देखिए, जब तक कि हम सचमुच में परमेश्वर की ओर से कोई बात सुन नहीं लेते हैं; हम इंतज़ार करते हैं—हम एक साथ आ रहे होते हैं, एक साथ मिलकर प्रार्थना कर रहे होते हैं, वापस जा रहे होते हैं, एक दूसरे से जुदा हो रहे होते हैं; वापस आकर एक साथ जमा हो रहे होते हैं, एक साथ मिलकर प्रार्थना कर रहे होते हैं, जब तक कि हमें उस व्यक्ति के लिए “यहोवा यूँ फरमाता है” वाला वचन नहीं मिल जाता है। खैर, देखिए, उस समय के दौरान और दूसरी बातें होती हैं।3अब, इसे करने का तरीका यह है- इसे करने का जो मैं सही तरीका समझता हूँ, वह यह है, कि हर कोई अपने अपने निवेदन लिख दे; वे चाहे जो कुछ भी हैं, वे उन्हें लिख दें, और बस उसे मुझे थमा दें। और मैं उसे ले लूं, और उसके बाद मैं उस निवेदन के लिए प्रार्थना करूं।इसके बाद मैं इन लोगों को बुला सकता हूँ जहाँ..क्या ऐसा ही है; क्या यह इसी तरीके से है? (भाई नेविल कहते हैं, “आमीन”) अब, यह बहुत ही अच्छा तरीका है। देखिए, और फिर ऐसा हो सकता है, कि जब कि मैं किसी एक के साथ प्रतीक्षा कर रहा होता हैं, तो मुझे इस झंड़ में से सौ, दो सौ लोग मिल सकते हैं, जब कि मैं एक पर ही प्रतीक्षा कर रहा होता हूँ। चूँकि यह मुझे एक मौका दे देता है, बजाये, इसके कि मैं बहुत से लोगों से भेंट करूं। अतः यहवास्तव में मुझे अच्छा लगता है। खैर, आप जोकोई भी ऐसे हों, जो इसविचार पर असहमत हों; परमेरा मानना है, कि यहबहुत अच्छा है। यह बहुत बढ़िया है।और अब देखिएगा, यह सप्ताह मेरे लिए एक प्रकार से बहुत बढ़िया रहा है; ये कुछ पिछले हफ्ते मेरे लिए बहुत ही शानदार रहे हैं।जैसाकि आप समझते हैं, मैं बाहर परमेश्वर के सम्मुख रहा हूँ।4परन्तु, मैं सोचता हूँ, इस से पहले कि हम सभा शुरू करें, मैं सोचता हूँ….और एक बात मैं जानता हूँ, कि यहाँ इस इमारत में कहीं पर मेरा पौत्र (पोता) है, और शायद…यदि वह एक ब्रन्हम है तो वह यहाँ पर हुल्लड़पने से कहीं पर चारों ओर भागता फिर रहा है; अतः हो सकता है, कि वही एक ऐसा हो जिसे इन हिदायतों को मानना है; अतः वह यहाँ पर कहीं पर इधर-उधर है। मैं सोचता हूँ, कि वेदूसरी माँएँ जिनके पास उनके नन्हें नन्हें बच्चे हैं, उनके लिए एक सर्मपण सभा होनी है, क्योंकि …..ठीक है, क्या भाई टैड्डी, मैं सोचता हूँ, कि वे यहाँ पर हैं; क्या वे पियानो पर आ जायेंगे; और हम बच्चों की समर्पण सभा वाला अपना चिर-परिचित पुराना गीत “उन्हें अंदर ले आओ”, गानेजा रहे हैं।5अब बहुत सी कलीसियाओं में बहुत से लोग बच्चों पर जल का छिड़काव करते हैं। और हम तो सिर्फ बाइबिल के चलन का ही अनुकरण करने का यत्न करते हैं हम तो बस बाइबिल के चलन का उतनी बारीकी से अनुकरण करने का यत्न करते हैं जितना कि मैं जानता हूँ, कि उसका अनुकरण कैसे किया जाता है। अब देखिए, बच्चों की तो बात ही छोड़िये, बाइबिल में कहीं पर भी ऐसा नहीं पाया जाता है, कि कभी किसी वयस्क पर जल का छिड़काव किया गया हो। बच्चे या बड़े को परमेश्वर को मखसूस करने के लिए कभी भी कहीं पर भी जल का छिड़काव नहीं किया गया।परन्तु बाइबिल में तो यही बात है, कि लोग अपने अपने छोटे छोटे बच्चों को यीशु के पास लेकर आये, और उसने अपने हाथ ऊपर उठा कर उन छोटे छोटे बच्चों के ऊपर रखे, और उन्हें आशीर्वाद दिया, और कहा,“बच्चों को मेरे पास आने से मत रोको।”अब यहाँ पर हमारा इसे करने का यही तरीका है। और अब, हम उसके सेवक होने के नाते उन छोटे छोटे बच्चों प्रार्थना में परमेश्वर के सम्मुख लेकर जाते हैं; और यदि यहाँ पर कोई ऐसा है, जिसके पास उसका अपना छोटा बच्चा है जिसे परमेश्वर को समर्पित नहीं किया गया है।6हम उन छोटे छोटे बच्चों को किसी भी तरह से किसी भी प्रकार से बपतिस्मा देने में विश्वास नहीं करते हैं, क्योंकि उन्होंने कोई पाप नहीं किया है। वे पाप में उत्पन्न हुए, अधर्म में उनका आकार ढ़ला, और झूठ बोलते हुए संसार में आये”; परन्तु उनके पास कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके लिए वे पश्चाताप करें। और बपतिस्मा प्रायश्चित और पापों के मोचन के लिए ही होता है। अतःउनके बच्चों के लिए ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिए वे प्रायश्चित करें; और जब यीशु सलीब पर मरा, तो उसने सारे पापों को शुद्ध कर दिया। और जब हम यह जान ने के लिए पर्याप्त सयाने हो जाते हैं, कि हम उसके लिए पश्चाताप करें जो हम ने किया है, तो फिर हम यह करते हैं, और यह पहचान ते हैं, कि मसीह हमारे लिए मरा था।
वह छोटा बच्चा यह नहीं पहचान सकता है, कि मसीह उसके लिए मरा था, परन्तु जब हम यह जानने के लिए पर्याप्त सयाने हो जाते हैं, कि मसीह हमारे लिए मरा था, तो हम उसकी मौत में उसके साथ गाड़े जाते हैं और उसके पुनरूत्थान में उसके साथ जी उठने के लिए बपतिस्मा लेते हैं। प्रभु की इच्छा हुई, तो अगले रविवार को मैं इस पर आऊँगा, प्रभु…. यदि प्रभु की इच्छा हुई….7अब, यही कारण है, कि हम उन्हें लेकर आते हैं और उन्हें समर्पित करते हैं। चाहे वह बच्चा किसी भी माँ, किसी भी कलीसिया, किसी भी धार्मिक मत या किसी भी रंग या अन्य किसी का भी हो, हम तो सारे छोटे छोटे बच्चों को प्रभु यीशु मसीह को समर्पित करते हैं।अब, भाई टेड्डी, क्या आप हम से “उन्हें अन्दर ले आओ”, नामक गीत गवायेंगे; क्या आप ऐसा करेंगे? बिलकुल ठीक है, अब आइये, हम सब मिलकर इसे गायें :उन्हें अंदर ले आओ, उन्हें अन्दर ले आओ;उन्हेंपाप की जगहों से अंदर ले आओउन्हें अंदर ले आओ, उन्हेंअंदर ले आओ;भटकेहुओं को यीशु के पास ले आओ!जब मेरी माँ गुज़र गई थी, तो उसके बाद जो मैंने दर्शन पाया था; उसमें मैंने देखा था, कि जिस गीत की मैं तब अगुवाई कर रहा था, वह गीत यही था; जिसे तब गाया जाता है, जब इन छोटे छोटे बच्चों को अंदर लाया जाता है, “उन्हें अंदर ले आओ,” भाई नेविल, क्या आप आ जायेंगे?8मैं इस बच्चे को जानता हूँ। बिली कहता है, “उसे नीचे ना गिरा देना। उसे नीचे ना गिरा देना।” जी हाँ, यह विलियम ब्रन्हम है, यहाँ पर एक साथ मिलकर तीन खड़े हुए हैं, यहाँ पर विलियम ब्रन्हम की तीन पीढ़ियाँ और तीन नाम हैं। वह इस सुबह भी मेरे ऊपर दृष्टि डाल रहा है। आप जानते हैं, कि उनके विषय में कोई बात होती है, उसमासूम-निगाहके विषय में कोई बात होती है। और यह विलियम पॉल, जूनियर है। और अतः इस सुबह मैं उसे (अपने पाते को) उसके पिता (अपने बेटे) की बाहों में से लेकर उसे प्रभु यीशु को जीवन की सेवा के लिए समर्पित करने के लिए, और उसके माता-पिता पर परमेश्वर की आशीषों को माँगने के लिए अति आभारी हूँ।आइये हम अपने सिरों को झुकाएँ।9हमारे अनुग्रहकारी स्वर्गीय पिता, जब मैं अपने हाथों में अपने पोते को उठाए हुए हूँ, तो मैं जानता हूँ, कि मैं मार्ग में छोर पर आता चला जा रहा हूँ।लेकिन मैं याकूब के बारे में सोचता हूँ, जब वह अपने पोतों को अपने घुटनों के बीच लेकर आया था-जब वह एक बूढ़ा इंसान था, तो वह ए प्रैम और मनैश्ये को अपने घुटनों के बीच लेकर आया, और उसने उन बच्चों को आशीष दी; और उन्हें आत्मिक आशीषं दीं जो इस दिन तक भी विद्यमान हैं। कैसे उसने अपने हाथों कोएक दूसरे के सापेक्ष आड़ा किया..( हाथों को क्रॉस किया). और अपने हाथ एक दूसरे पर रखे, और क्रॉस अर्थात् सलीब से ही आशीषं यहूदियों से अन्यजातियों पर हस्तान्तरत हो गई। अब यह होने पाये, कि स्वर्ग का परमेश्वर निकट आ जाये।प्रभु, यह वह पौत है जिसे आपने मुझे मेरे पुत्र और मेरी पुत्र-वधु केज़रिये दिया है! मैं उसके बारे में सोच रहा हूँ, कि वहसंतान उत्पन्न करने के लिए बांझ थी, और उस दिन जब वह याकिमा, वॉशिंगटनसे नीचे आते हुए रो रही थी, तो वह कह रही थी, “मैं चाहती हूँ, कि मेरे बालक हो सके।”आप का आत्मा कार के अंदर आया, और मैंने वहीं पर ही यह कहा था, “तुम्हारे यह होगा।” और आज मैं इस प्यारे से लड़के को; आपके बोले हुए वचन को, आपकी प्रतिज्ञा को अपने हाथों में पकड़े हुए हूँ।10अब, प्रभु, हम अपने कार्यकलापों की सादगी में विश्वास के द्वारा इस बच्चे को प्रभु यीशु के हाथों में सौंपते हैं; वह जो यहाँ पर पवित्र आत्मा के रूप में है इस बच्चे को अपनी बांहों में ले और उसका ख्यालरखे, और उसका जीवन भर मार्ग दर्शन करे। इसे सेहत-तन्दुरूस्ती और ताकत प्रदान करें, यदि आपकी आने में देरी है, तो आप इसे लम्बी उम्र प्रदान करें। और होने पाये, कि यह बच्चा आपकी महिमा के लिए इस्तेमाल किया जाये। होने पाये, जीवते परमेश्वर की सामर्थ इस बच्चे पर आकर ठहरे। यदि यह एक पुरुष होने के लिए जीवित रहता है, और यीशु के आने में समय बाकी रहता है, तो यह होने पाये, कि यह सुसमाचार का प्रचार करे।
परमेश्वर की वह सामर्थ जिसने इसे इसके माता-पिताको दिया है, उससे कदाचित अलग न होने पाये।उसके डैडी और उसकी माँ को आशीष प्रदान कीजिए। होने पाये, कि वे बढ़े, और होने पाये वह इस बच्चे का मसीही वातावरण में पालन-पोषण करे। वे सभी सम्भव मानव प्रशिक्षण जो वे इसे दे सकते हैं, इसे देने पायें।अब, नन्हें बिली पॉल ब्रन्हम, जूनियम, मैं तुम्हें इस समर्पण में यीशु मसीह के नाम में सर्वशक्तिमान परमेश्वर को देता हूँ। आमीन!11नन्हें-नन्हें बच्चों के बारे में कोई बात होती है, कि मैं सोचता हूँ, कि यह एक बहुत ही प्यारी बात है।मैं लोयस को याद करता हूँ; वह रोती थी और अपने हाथों की मुट्ठी बांध लेती थी। वह सच मुच में बहुत ही अधीर है।लोयस एक बहुत बड़ी परेशानियों से बाहर निकलकर आयी है; वह बस एक कम उम्र की कन्टेकी की रहने वाली लड़की है।जिसका जीवन कठिन था। और वह..एक रात उसको यीशु ठंड़ में खड़ा दिखाई दिया। और वहलगभग आधी रात को दौड़ती हुई घर आयी, ऐसा तब हुआ था जब वह और बिली विवाह कर चुके थे। और वे….वहाँ नीचे दोहरे पलंग (डबलबेड़) के पास मैंने उसके चारों ओर बांहें डालीं, और उसकी प्रभु यीशु की ओर अगुवाई की।उसको बहुत ही बुरी तरह एक बालक की आवश्यकता थी। उनका विवाह हुए कई साल हो गये थे। और एक दिन जब हम याकिमा से वापस आ रहे थे, तो वह रो रही थी। ऐसा हुआ….पवित्र आत्मा उतर कर अंदर आया, और उसे उसके उस स्त्री रोग के बारे में बताया जो उसे था; उसने उस कारण को भी बताया जिसकी वज़ह से उसके कोई बालक नहीं हो सकता था। इसके बाद पवित्र आत्मा फिर से आया, और उसने उसके स्त्री रोग को चकना चूर कर डाला, और उसे आशीष दी। मैंने उसे (उस बालक को) ठीक अभी अभी प्रभु को समर्पित किया है।वहाँ है एक…..12इस से पहले कि हम अपना मूल पाठ पढ़ें, मैंने कुछ बातों को यहाँ नीचे लिखकर रखा हुआ है जिन्हें मैं आपको पहले बताना चाहता हूँ।सबसे पहले तो मैंने भविष्य में होने वाली सभाओं के विषय में लिखा हुआ है। यदि प्रभु ने चाहा, तो वह अगले रविवार को होगी। मैं जानता हूँ कि बर्फीला मौसम हो रहा है और सड़कों की हालत खस्ता हो रही है।और हमारे पास वे लोग हैं जो जोर्जिया से, और अलाबामा, और फ्लोरिड़ा, और ओहियो, और एलिनोइस से आते हैं। और…और यह लोगों का एक छोटा सा झुंड है जो सभी जगह से आये हुए लोगों से बना है।कुछ लोग मुझे बताते हैं कुछ लोग मुझ से कहते हैं, “बिली, इस सुबह मैं तुम्हारे गिरजे के पास से होकर गुज़रा, और वहाँ पर सारे देश भर से आयी हुईं मोटर गाड़ियाँ थीं।”मैं कहता हूँ, “जी हाँ!”एक यहाँ से है, तो एक वहाँ से है; मैं सोचता हूँ, कि ऐ सीही दुल्हन होगी।“ दो जन खेत में होंगे, एक लेलिया जाएगा, और दूसरा छोड़ दिया जाएगा l” और इसके विषय में ऐसी ही और दूसरी बातें हैं।और मैं नहीं चाहता हूँ, कि लोग उन बर्फीली सड़कों पर अपनी मोटर गाड़ियाँ चलायें।और मैं यह भी जान रहा हूँ, कि यदि प्रभु की इच्छा हुई, तो मैं इस समय क्रिसमस के ठीक बाद यहाँ से बाहर क्षेत्रों में जा रहा होऊँगा। इस समय मेरे पास पन्द्रह विभिन्न स्थानों के कार्यक्रम हैं।13और मैं यह उद्घोषित करना चाहता हूँ, कि यदि प्रभु ने चाहा, तो मैं अगले रविवार को एक बहुत ही असाधारण सन्देश प्रचारना चाहता हूँ। मैं इस सप्ताह और पिछले सप्ताह बाइबिल के इतिहास पर अध्ययन कर रहा था। और मैं अगले रविवार को “मसीहि यतबनाम पागानवाद या मूर्तिपूजा” (मसीहि यतबनाम मूर्तिपूजा) नामक विषय पर बोलना चाहताहूँ।और उसके बाद अगले रविवार को क्रिसमस से पहले का दिन है। अगले रविवार को, और रविवार को, एक सप्ताह….मुझे क्षमा करना;मेरा अभिप्राय है, कि रविवार को अर्थात् अगले सप्ताह क्रिसमस से पहले का दिन है। अब यदि मैं सन्देश के लिए उद्घोषणा कर देता हूँ, तो मेरे कुछ परम मित्र जो अलाबामा और मिसीसिपी, और जोर्जिया, तथा ऐसी ही जगहों से चारों ओर से आते हैं, उन्हें और छोटे छोटे बच्चों को निश्चय ही, क्रिसमस रात्रि को निराशा होगी। और यदि प्रभु मेरे हृदय में कलीसिया को देने के लिए क्रिसमस का सन्देश रखता है, तो फिर मैं उसे बताऊँगा; यदि यह प्रभु की इच्छा हुई। देखिएगा, आप जो इस शहर से बाहर के हैं, मैं आप में से हर एक से यह वायदा करता हूँ, कि मैं खुद आपको टेप भेज दूंगा। अतः आपको क्रिसमस रात्रि के मौके पर अपने बच्चों को क्रिसमस की पूर्वसंध्या के लिए छोड़ना नहीं पड़ेगा। और तब मैं सभा की शुभ-कामनाओं सहित आपको टेप भेज दूंगा। और आप बस यह याद रखें।14आप जानते हैं, कि एक और बात है, कि आप हर एक से यह आशा नहीं कर सकते हैं, कि वह उस सारी बात का विश्वास करे जो आप कहते हैं। यह बस उस प्रकार काम नहीं करता है।मैं इस सुबह भूल गया था, क्योंकि मैं यहाँ पर पहुँचने की खातिर बड़ी ही तेज़ीसे चलकर आया। और ऐसा हुआ, कि मैंने दृष्टि डाली…भाई वुड़ मेरी पत्नी को तथा उनको यहाँ पर लेकर आये थे।
मैंने दृष्टि डाली— और यहाँ पर सभा आरम्भ करने का लग भग समय शुरू हो गया था; कि मैं अंदर आ जाऊँ। और उन्होंने मुझे बताया था; और बिली ने मुझे पिछली रात को फोन किया था, और कहा था, कि वे चाहते हैं, कि मैं इस सुबह यहाँ पर होऊँ, कि इन मिनटों के लिए उन बातों पर कान लगा सकें जिन्हें वे पिछली सभा से पढ़ते हैं।15मैं इतिहास में से कुछ बातें बताने जा रहा था; मैं उस बात का, जोमैंने कही थी, सुधार करने का प्रयास करने के लिए इतिहास में से कुछ बातें बताने जा रहा था। इससे कोई मतलब नहीं है, कि आप इसे इतिहास से कितना अधिक स्पष्ट करने का यत्न करते हैं, फिर भी कोई न कोई ऐसा होता है जो इसे समझ नहीं पाता है। यह बात गिरजे में ऑल्टर-कॉल या वेदी के विषय में थी। समझे? किसीने कहा था, “भाई ब्रन्हम गिरजे में वेदी होने या ऑल्टर कॉल होने के विषय में विश्वास नहीं करते हैं।” मैं गिरजे में वेदी या ऑल्टर कॉल होने के विषय में विश्वास करता हूँ। समझे? लेकिन वेदी या ऑल्टर ऐसा स्थान नहीं रही थीं जहाँ लोग आकर प्रार्थना किया करते थे। बाइबिल में कभी भी कोई ऑल्टर कॉल नहीं की गई थी। ऐसी कोई बात नहीं है।मैं आपको बताना चाहता हूँ मैं आपको अगले रविवार को कलीसिया के आरम्भिक इतिहास में से वह कारण बताना चाहूँगा, कि वहाँ गिरजों में कोई वेदियाँ नहीं थीं; …..क्योंकि वेदी के आगे गिर कर साष्टांग दण्डवत् करना पागाने वाली पूजा उपासना का ही एक रूप है, और यह मसीही विचार बिलकुल भी नहीं है। अब, मैं अगले रविवार को भी इस पर बोलूंगा। परन्तु आल्टर कॉल करने के लिए आरम्भिक कलीसिया में कोई वेदी नहीं थीं। वहाँ और कुछ नहीं, वरन खाली कमरा ही होता था। बस यही सब होता था। ना तो कोई सलीब की प्रतिमा, ना ही और कुछ होता था, कमरे में कुछ भी नहीं होता था, वरनसपाट फर्श ही होता था। यदि प्रभु ने चाहा, तो अगले रविवार को जैसा कि मैं यह बात विभिन्न इतिहासकारों के कथनों से आपको बताऊँगा; कि ये लोग ही थे—आरम्भिक दिनों में पिन्तेकोस्तल कलीसिया ने ही ऐसा किया था। और मैं आपके लिए यह बात “आयरनसाइड़ की अरली पिलग्रीम चर्च’ से और हिस्लोप की ”टू बेबीलोन“ से, ”प्री नीसियन फादर्स”से, “दी नीसीयन कान्सिल”, ओह, उन में से बहुतेरों में से, हेज़लटाइन के ”आरम्भिक कलीसिया के लेखों में“ से, उनविभिन्न इतिहासकारों में से लेकर बताना चाहता हूँ, ताकि आप इसे समझ सकें। आपको यह दिखाने के लिए, कि ऐसा कहीं भी नहीं था…16यहाँ तक कि आयरलैंड़ में जहाँ पर मैं उस एक कलीसिया में गया हूँ जो कैथोलिक—एक कैथोलिक संत, अर्थात्संत पैट्रिक के बारे में बताती है, परन्तु इतिहास में ऐसा लेशमात्र भी नहीं कहा जाता है। वह संत पैट्रिक और कुछ नहीं, वरन रोमन कैथोलिक कलीसिया का विरोधी था। कहीं पर भी ऐसा नहीं पाया जाता है, कि वह एक कैथोलिक संत था। कोई भी इतिहास यह नहीं दिखा सकता है….कोई भी इतिहास यह नहीं दिखायेगा, कि वह कैथोलिक था। उसके सारे शिक्षण संस्थान उत्तरी आयरलैंड में ही थे। फिर जब यह कैथोलिक सम्राट इग्लैंड़ में आया, तो उसने संत पैट्रिक के दस हजार लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। और वह गिरजाघर आज भी वहाँ पर खड़ा हुआ है; उसके सारे शिक्षण संस्थान उत्तरी इंग्लैंड में हैं।और जहाँ आप उन्हें यह कहते हुए सुनते हैं, “संत पैट्रिक ने आयरलैंड़ में से सारे सांपों को भगादिया था।” आप जानते हैं, कि यह क्या था; इसी इतिहास की सच्चाइयाँ क्या थीं? वह पिन्तेकुस्त पर विश्वास करता था। उसके पास सांपोंको उठा लेने की सामर्थ थी, उसनेसांपों को उठा लिया था। और यही कारण है, कि वहबात कही गई, और यही कारण है, कि वह किं वदन्ती प्रचलित हो गई।औ रपतरस का सिर उलटा करके रोम में क्रूस पर मारा गया था, ऐसा शहादत वाली पुस्तक ( Martyrology ) में कहीं भी नहीं पाया जाता है। मैंने हर एक पुस्तक में सब जगह इसे खोजा है, और मैंने इतिहास कारों की पुस्त कें पढ़ीं हैं, और इसके विषय में जो कुछ भी मैं जानता हूँ, मैंने वह पढ़ा है; और वचन का एक भी ऐसा लेख नहीं है। जो यह कहता हो, कि पतरस या पौलुस को कभी रोम में मारा गया था। यह तो सिर्फ एक मत ही है। यह बात तो बस पहली रोमन कलीसिया के द्वारा ही शुरू कर दी गई थी, और यह सच्चाई नहीं है। ऐसी ही बहुत सी बातें हैं। मैं इसे अगले रविवार कोलँगा।17फिर एक और बात है; मैं जिसके विषय में बहुत अधिक सुनता हूँ। किसी ने मुझे बताया था, एक महान व असाधारण प्रचारक ने मुझ से कहा था, “भाई ब्रन्हम, क्यों नहीं आप उन स्त्रियों को बक्श देते हैं?”उसने कहा, ”आप जानते हैं, कि लोग आपको भविष्यद्वक्ता के रूप में आदर-सम्मान देते हैं। क्यों नहीं, आ पउन्हें ऊँची ऊँची आत्मिक बातों के बारे में सिखाते?”हो सकता है, कि वह व्यक्ति यहाँ पर मौजूद हो। यदि वह यहाँ पर मौजूद है, तो भाई, मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ, कि आप इसे समझें। उसने कहा था, “क्यों नहीं आप उन्हें ऊँची ऊँची आत्मिक बातों के बारे में सिखाते; जहाँ आप चढ़े हैं आप उन्हें वहाँ ऊपर चढ़ने दें, बजाये इसके कि आप उन्हें उनके बाल न कटवाने और उस प्रकार की पोशाक पहन ने के विषय में बतायें?’भाई यदि आप यहाँ पर हैं, या आप टेप सुनते हैं, तो मैं आप से यही कहूँगा, कि यदि मैं उन्हें बाल-विहार (Kindergarten) से बाहर नहीं निकाल सकता हूँ, तो फिर भला कैसे मैं उन्हें बीजगणित पढ़ाने जा रहा हूँ? उनके पास तो अपने ही बारे में शिष्टाचार और नै तिकमौ लिकता ऐं भी नहीं हैं, कि वे अपने बालों को बढ़ने दें, और शिष्ट महिलाओं की तरह कपड़े पहनें; तो फिरभला कैसे आप उन्हें आत्मिक बातों के विषय में शिक्षा देने जा रहे हैं? समझे? यह सहीबात है। वे तो आरम्भिक बातों को भी नहीं जानते हैं, वे तोक खग भी नहीं जानते हैं, और आप उन्हें ऊँची-ऊँची बातों के विषय में बताने का, उन्हें कॉलिज की शिक्षा देने का यत्न करते हैं, जब कि उन्हें तो ABC भी नहीं आती है? आप पहले उन्हें ABC तो सीखने दें, और उसके बाद ही हम उन्हें ऊँची ऊँची बातों के बारे में बतायेंगे।18अब देखिए, गतसप्ताह यहाँ प्रचार मंच पर मेरा स्थान लेने के लिए आपके पास एक महान व्यक्ति था।वह भाई विलियम बूथ-क्लिबबोर्न था, जो किसारे प्रचारकों के बीच प्रचारकों का राजकुमार जाना जाता है; वह एक महान व्यक्ति है, वह एक महान प्रचारक है। स्पष्ट रूप से कहूँ, तो वह देश में कहीं भी पाये जाने वाले प्रचार कों में से सर्व श्रेष्ठों में से एक है। वह व्यक्ति सात विभिन्न भाषाओं में सुसमाचार का प्रचार कर सकता है, अतः आप कल्पना कर सकते हैं, कि वह क्या है। और वह एक फुल गोस्पल प्रचारक है।वही एक ऐसा था जो मेरे साथ तब था, जब मेरा चर्च ऑफ क्राइस्ट के उन सात प्रचारकों के साथ वाद-विवाद हुआ था। वह उस में मेरे साथ था। और यदि कभी वहाँ पर लोग थे, तो मुझे उनके लिए अफसोस हुआ; यही वह पुरूष था जो उनके साथ वाद विवाद करने पर विजयी हुआ था। मैंने अपने जीवन में पहले कभी ऐसा वाद विवाद नहीं सुना। यहाँ तक हुआ, कि वे उठे और बाहर जाने लगे। उसने उन से द्वार पर मुलाकात की, और बोला, “मैंने सोचा था, कि तुम दिव्य चंगाई के बारे में बातें करना चाहते थे?”19और वह बहुत ही ज्यादा स्पष्ट बात करने वाला इंसान है; हालांकि वह तो बहुत ही ज्यादा स्पष्ट बात करने वाला इंसान है। आप जानते हैं, उसने उन्हें वह सब कुछ कहा, जो वह उन्हें कह सकता था; उसने उन्हें अज्ञानी तथा ऐसा ही सब कुछ कहा। अतः वह बहुत ही स्पष्ट बात करने वाला इंसान है, और उसके बारे में केवल यही एक बात है। आप देखिए, अगर वह उस ज्ञानको थोड़े प्यार से बिखेरे, तो यह एक अलग ही बात होगी। अतः हो सकता है, कि वह यहाँ पर हो।जी हाँ, मगर आप जानते हैं, कि मेरा…मेरा तात्पर्य वैसा ही है; काश वह इसके विषय में असल मधुर हो जाए! परन्तु ओह, मेरे खुदा; वह तो अंग्रेज है, और वह सचमुच में उतना भड़क सकता है।परन्तु वह उनसे द्वार पर मिला, और अपनी ऊँगली को उनकी ओर साध कर बोला, “यदि फिर कभी तुम उस पर कूदे,” तो “मैं तुम्हें जनता के सामने बेनकाब कर दूंगा; और मैं सचमुच में तुम में से गदहों का झंड़ बना डालूंगा”; और उसने ऐसा मेरे पक्ष में कहा था। और मैंने तब से उन से कभी कोई बात नहीं सुनी है। जी हाँ! मैं उन्हें दोष नहीं देता हूँ। मैं भी उन से दूर ही रहा हूँ। जी हाँ, क्योंकि… वाद विवाद करने के मामले में भाई बूथ की बातों के आगे कोई भी उनके आस पास फटक नहीं सकता है।20वह एक शानदार प्रचारक, भला सज्जन, अच्छा मसीही; साफ-सुथरा, नैतिक इंसान है, जहाँ तक मैं उसके विषय में कुछ जानता हूँ, और मैं उसे कई वर्षों सेजानता हूँ। ऐसा हुआ, कि मैंने उसका वह टेप सुना जो उसने यहाँ पर प्रचारा था-जो उसने इस के विषय में प्रचारा था, किः ”कैसा पवित्र और कैसा ऊँचा परमेश्वर है, और कैसे हम पाप में उत्पन्न हुए, और कैसे कभी इंसान क्या कर सकता था, कि वह यह लेकर आता, कि परमेश्वर उसको बताये कि क्या करना है। समझे ? और वह सच मुच में बहुत ही जबरदस्त था।अब, आप वह कारण देखें, जिसकी वज़ह से मैं इस समय गया हुआ था। मैंने एक सप्ताह भर उपवास और प्रार्थना की जिसने मेरी एक निर्णय लेने में अगुवाई की।21और मेरे पास यहाँ पर एक स्विच हैं; मैं सोचता हूँ, कि मेरे पास यहाँ पर कहीं पर एक स्विच है; कि मैं उन बातों को सैन्सर कर दें जिन्हें मैं और कहीं नहीं बताना चाहता हूँ। ओह, वह स्विंच यहाँ पर है। वह ये रहा! यह उसके लिए है जो मैं चाहता हूँ, कि टेप हो, और जो आप नहीं चाहते हैं, कि टेप हो। अतः भाइयों, यदि आपका टेप थोड़ा सा गड़बड़ हो, तो ठीक है, आप न करें….आप उस भाग को काट कर बाहर निकाल सकते हैं। अब, परन्तु ऐसा है, कि बहुत से लोग संदेश को टेप पर उतार रहे हैं; जबकि भाई मरसियर तथा वेही एक ऐसे हैं, जो संदेश को टेपों पर उतार सकते हैं। अतः यही कारण है, कि मुझे उन्हें सैन्सर करना पड़ता है, इससे पहले कि मैं उन्हें बाहर भेजें। परन्तु इस प्रक्रिया में ऐसा है, कि अब उन्हें कोई भी ले सकता है। आप देखिए, कि जो कोई भी उन्हें लेना चाहता है, वह उन्हें ले सकता है। और इसलिए खुद मुझे..मुझे ही उन्हें इस स्विच के द्वारा जो यहाँ पर है, सैन्सर करना पड़ता है, कि जो मैं कहना नहीं चाहता हूँ, उसे सैन्सर कर दिया जाए;
और उसके बाद ही यहटेप पर उतरे।क्योंकि कुछ ऐसी बातें हैं, जिन्हें मैं आपको यहाँ पर सारी की सारी बता सकता हूँ; परन्तु मैं निश्चित रूप से यह नहीं चाहता हूँ, कि वे बातें यहाँ से लोगों के साथ बाहर निकल कर जायें। क्योंकि हमें उन्हें अकेला यूँही छोड़ देना है। आप जानते हैं, कि कुछ भी हो, यदि अंधा अंधे को राह दिखाता है, तो वे दोनों हीगड़ढे में गिर जायेंगे। अतः आप बस उनका बुरा न मानें उन से रुष्ट न हों। जैसा कि यीशु ने कहा था, “उन फरीसियों का बुरा न मानो।” यदि वे कुछ कर (Tax) माँगते हैं-मन्दिर का कर माँगते हैं, तो तू नीचे जा और झील में कांटा डाल, और जो पहली मछली आये उसके मुँह से सिक्का बाहर निकालना, और जाकर उसे उन्हें देकर मन्दिर का कर अदा करना ।“ बोला, ”उनका बुरा न मानना, उन्हें बस अकेला छोड़ देना।“22परन्तु मेरे सारे जीवन में ऐसा हुआ है, कि जब से मैं एक छोटा सा लड़का था…..परमेश्वर ने सदा ही मुझे दर्शन दिखाये हैं, जिनसे हम जो यहाँ गिरजे में हैं, भली भाँति परिचित हैं, और मैं सुनिश्चित हूँ, कि पृथ्वी भर में जहाँ कहीं पर ये टेप जायेंगे, वे लोग भी इन दर्शनों से परिचित हैं। और यह बाइबिल जो मेरे सम्मुख खुली रखी हुई है। और जिस परमेश्वर के सम्मुख मैं खड़ा हूँ; कहता हूँ, कि मैंने कभी यह नहीं जाना है, कि उन में से कभी कोई विफल हुआ है। वे तो हमेशा ही बिलकुल ठीक ठीक पूरे हुए हैं।और इस आनेवाले मंगलवार से कुछ सप्ताह पहले-लगभग तीन सप्ताह पहले मैंने एक दर्शन देखा था; जिसने मुझे मेरे घुटनों पर ला दिया था, और मुझे जंगलों में जाने और उपवास और प्रार्थना करने के लिए विवश कर दिया था। और चूँकि सर्दी थी, अतः मैंने वे भारी ऊष्मारोधक कपड़े पहने हुए थे जिन्हें मैं अपने शिकार के दौरे पर पहना करता हूँ; जिससे कि मैं वहाँ इधर-उधर अपनी गुफा और जंगल में जम न जाऊँ। और मैं ऊपर गया, नहीं…..23किसी ने कहा था, “अच्छा, भाई ब्रन्हम, क्या आप ऊपर खोजबीन करने के लिए जाते हैं? आप अवश्य ही प्रभु से दर्शन माँगने के लिए ऊपर जाते हैं।”मैंने कहा, “नहीं, आप नहीं जाते हैं…..आप इसे उस प्रकार नहीं करते हैं। आप परमेश्वर से कुछ भी बाहर नहीं खींच सकते हैं।”देखिए, यही कारण है, कि लोग साक्षात्कार पर यही कहते रहते हैं, “प्रभु से पूछिए! बस इसी पर ही अटल बने रहो! इसी पर ही टिके रहो!”मेरे पास प्रभु की ओर सेबात थी जिसे मैं भाई नेविल को बताता; यह भविष्यवाणी के बारे में थी ; यह उन में से हर एक पर की गई भविष्यवाणी के बारे में थी, जो यहाँ इस वेदी पर आते हैं। परमेश्वर ने उन्हें बताया था; वास्तव में परमेश्वर ने उन्हें इसके विषय में नीचे बुलाया था। आप ऐसा ना करें; आप ऐसा ना करें, कि उनसे उनकी शारीरि कहालत में नबूवत करवायें; और ऐसा करके तो आपके पास एक झूठा नबी हो जाएगा। समझे? देखिए, आप उसे वैसा ही करने दें जैसा करने के लिए पवित्र आत्मा उनकी अगुवाई करता है। समझे?आप परमेश्वर मेंसे कुछ भी बाहर खींचने का यत्न न करें, क्योंकि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। वह तो केवल बोलेगा….जैसे बालाम ने-उस वेतनभोगी भविष्यद्वक्ता ने कहा था, “मैं तो केवल वही कह सकता हूँ जो परमेश्वर मेरे मुँह में डालता है। उसके अलावा मैं कुछ नहीं कह सकता हूँ।”और वह बिलकुल ठीक वैसी ही बात है; मुझे यह प्रबन्ध अच्छा लगता है, जो इस समय उनके पास है; ताकि मैं यह ज्ञातकर सकें, कि प्रभु को क्या करना होगा। यह बहुत ही अच्छा है।24परन्तु जब पवित्र आत्मा यीशु के ऊपर आ चुका था, तो उसके बाद वह उपवास रखने के लिए जंगल में चला गया था। यूहन्ना ने यह गवाही दी,कि मैंने परमेश्वर का आत्मा उसके ऊपर उतरते हुए देखा।” और यीशु परमेश्वर की सामर्थ से भर गया था; परमेश्वर उसके अंदर था,और इसके बाद वह उपवास रखने के लिए जंगल में चला गया था। वह उससे पहले उपवास में नहीं गया था, कि पवित्र आत्मा उस पर आ जाए; वरन उसके बाद ही क्योंकि पवित्र आत्मा उस पर आया,और वह अंदर चला गया, और उसने उसके बाद उपवास रखे जब पवित्र आत्मा उसके ऊपर आ चुका था। समझे?25और अब, मैं इस दर्शन के विषय में यह कहता हूँ, कि मैंने एक बार इसका उल्लेख किया है। मैं इसे टेप से काटने जा रहा था; परन्तु मैं सोचता हूँ, कि मैं बस इसे यूँ ही छोड़ दूंगा।मैं सोचता हूँ, कि यह सुबह का लगभग तीन बजे का समय था। मैं जग चुका था, और मैंने अपने आगे दृष्टि डाली, और मैं यरदन की तरफ जा रहा था। ऐसा दिखाई पड़ता था,कि मानो मैं फ्लीश्तीन के मानचित्र पर खड़ा हूँ, और मैं यरदन की तरफ आ रहा था। और ऐसा प्रतीत होता था, कि मानो मैं इस गीत को सुन सकता था, कि “मैं यरदन की ओर जा रहा हूँ”, कोई इसे गा रहा था। और जैसे जैसे मैं नदी केपास आया,मैंने पीछे दृष्टि डाली,और मैंने उसराह को देखा जिससे मैं आया था; और मैं वहाँ पर यरदन से दो-तिहाई दूरी पर था। और मैंने यरदन के पार दृष्टि डाली,और मैंने कहा, “ओ-हो, परमेश्वर की स्तुति होवे! दूसरे छोर पर ही वह है। जहाँ सारी प्रतिज्ञाएँ रखी हैं! हर एक वायदा प्रतिज्ञा किये देश के अंदर ही पाया जाता है।”26और इसके बाद मैं अपने आपे में आ गया, और मैंने सोचा, “क्या यह सम्भव हो सकता है, कि मैं….क्या ऐसा हो सकता है, कि मैं स्वप्न देख रहा था, क्योंकि अभी तो रात का ही समय है?” देखिए, दर्शन कोई ऐसी चीज है जिसे आप अपनी खुली आँख से देख रहे होते हैं; ठीक जैसे कि एक स्वप्न होता है, आप उसे देख रहे होते हैं। और आप होश में वैसेही होते हैं जैसे आप यहाँ मंच पर होते हैं; और आप यहाँ पर खड़े हुए होते हैं, मगर फिर भी आपको लगता है, कि आप सपने में हैं। आप इसे समझा नहीं सकते हैं, इसे समझाने का कोई तरीका नहीं है। देखिए, यह तो परमेश्वर का ही काम है। और परमेश्वर के काम तो हमेशा ही ऐसे होते हैं, जो समझाये नहीं जा सकते हैं, उन्हें तो विश्वास से ही ग्रहण करना होता है।27और फिर जैसे ही मैं वहाँ पर इस कुर्सी के बराबर में थोड़ी देर के लिए बैठा, त्यों ही एका-एक वही दर्शन फिर से उभर कर आया। तब मैंने जाना,कि यह एक दर्शन था। और जब मैं फिर से दर्शन में आया, तो ऐसा प्रतीत हुआ,कि मानो मुझे ऊपर उठा लिया गया,और मैं एक राज मार्ग पर बैठा हुआ हूँ ,मैं एक सकरे सेराज मार्ग पर अपने किसी भाई के साथ बैठा हुआ हूँ। मैं कभी नहीं जानता था, कि वह कौन भाई था। मैंने चारों और दृष्टि डाली और बोला,“अब मैं सुनिश्चित हूँ,और मैं जानता हूँ,कि यह एक दर्शन है;प्रभु परमेश्वर यहाँ पर है।”और ऐसा प्रतीत होता था, कि मानो सब डरे हुए थे। मैंने कहा, ”तुम सब क्यों इतना डरे हुए हो?’और एक आवाज़ आयी, और उसने कहा, इन दिनों में बहुत ही ज्यादा खतरा है। एक ऐसी रहस्योमयी चीज है, कि जब वह आप पर वार करती है, तो वह मृत्यु होती है।28और मैंने खरपतवार में से-घासफूस में सेफुसफुसाहट आती हुई सुनी;और मैंने दृष्टिडाली,और एक बहुत विशालकाय-अति विकराल सांप घास फूस में से रेंगता हुआ आता है। मैंने सोचा, “अब मैं यह जानता हूँ, कि यह एक दर्शन है; तब तो मैं यह देख लूंगा, कि यह पशु या यह जानवर क्या है।” और वह रेंगताहुआ ऊपर राजमार्ग पर आया। और ज्यों ही मैंने उसे देखा, त्यों ही मैं जान गया, कि वह सांप माम्बा सांप (Mamba) है। अब देखिए, माम्बा अफ्रिका में पाया जाने वाला एक सांप है जिसका काटा हुआ सब सांप के काटे हुए से प्राणघातक होता है। कोई भी मम्बा जैसा जहरीला नहीं होता है। और साँप सचमुच में पाप को..मौत को दर्शाता है। समझे? और वहाँ पर……हमारे इस देश में रेटल सांप, और कॉपर हेड़ सांप और कोटनमाऊथ सांप, मोकसेन तथा बहुत से सांप होते हैं; यदि आपकी सेहत बढ़िया न हो, तो इनमें से किसी का भी काटा हुआ आपको शायद मार ही डालेगा, परन्तु यदि आपको जल्दी ही दवा-चिकित्सा नहीं मिलती है।29और फिर..फिर जब हम अफ्रिका और भारत में जाते हैं, तो हमें वहाँ पर कोबरा साँप मिलता है। वहाँ पर ब्लैक कोबरा होता है, वह एक बुरा सांप है, उसका काटा भी मर जाता है। और वहाँ पर पीलाकोबरा होता है,जो उससे भीकहीं अधिक प्राणघातक होता है। और पीले कोबरे का काटा मरीज तो बड़ी ही भंयकर मौतमरता है;वह दम घुटने सेमर जाता है। वह श्वास तंत्र को ही अपंग कर डालता है। और वे ..वे बस सांस नहीं लेसकते हैं;और वे बस अपनामुँह खोलते हैं,और हांफते हैं; और हांफ-हांफ कर सांस लेने की कोशिश करते हैं, और वे इस तरह मर जाते हैं। और जब हमअफ्रिका गये थे,तो इसी प्रकारका वह सांप था,जो बिली पॉल सेरत्ती भर की दूरी पर था।और इसके बाद माम्बा आता है;वह तो मृत्यु है। बस जब वह….वह इतना ज्यादा तेज़ होता है, कि आप उसे देख नहीं सकते हैं। वह घास फूस के ऊपर चढ़ जाता है, और और अपने आप को अपनी पूछ के सहारे आगे को बड़ी तेज़ी से बढ़ाता जाता है। वह बस आता है, और चला जाता है। वह आम तौर से मुंह पर वार करता है। वह ऊपर को खड़ा हो जाता है, और बड़ी ज़ोर से वार करता है। और जब वह आप परवार करता है,तो फिर आप मात्र कुछ ही सांस लेते हैं, जब तक कि आप मर ना जाएं। वह तेज़ी से मुड़ता है…..वह ना केवल आपको अपंग हीकरता है,अपितु उसकाज़हर आपकी रूधिर धारा में भी घुस जाता है, उसका असर सब जगह आ जाता है, और आप कुछ ही सैंकड़ों में मर जाते हैं। अगर आप यह कह सकते हैं, मम्बा’,तो वे आदिवासी लड़के और राहगीर लड़के अपने अपने सिरों को आपस में ज़ोर-ज़ोर सेमारते हैं और चीख-पुकार करते हैं; क्योंकि यह मौत होता है…देखिए, उसका काटा हुआ,कुछ ही सेंकड़में मर जाता है,
अगर वह साँपकाट लेता है।30और वह यहाँ पर राजमार्ग पर था। मैंने सोचा, “अच्छा,यह वह है।” अतः मैंने उसे देखा। और उसने गुस्से से मुझे देखा, और उसने अपनी जीभ चाटी,और वह आगे बढ़ता है। परन्तु जब वह मेरे बिलकुल नज़दीक आ पहुँचता है, तो ….वह तेज़ी से दौड़ता है, और उसके बाद वह धीमा और धीमा होता चला जाता है;और वह बस घसीतासा है,और रुक जाता है, और तब कोई चीज ही उसे मुझ से दूर रखे हुए थी।वह मुझे काट नहीं सकता था। और वह घूमकर दूसरी तरफ चला गया, और फिर उस तरफ से मेरे पास पहुँचने का यत्न करता। और वह पीछे जाता,और आगे बढ़ना शुरू करता,और मेरी ओर सरसराहट करता;और धीमा और धीमा और धीमा,और धीमा होता चला जाता;और फिर रुक जाता; और इसके बाद वह फिर से उस प्रकार सेहिलता-डुलता, और वापस लौट जाता। वह मुझ पर वार नहीं कर सकता था।31इसके बाद वह मुड़ा,और उसने मे रेमित्र पर निगाह डाली,और वह मेरे मित्र के पीछे दौड़ गया। और मैं अपने मित्र को बस हवा में उछलते हुए, और सांप को उसके पीछे भागते हुए और उस पर वार करने की कोशिश करते हुए देखता हूँ। मैंने सोचा, “ओह, यदि वह कभी उस पर वार कर देता है, तो यह एक तुरंत ही होने वाली मौत होगी। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, कि हर कोई बहुत डरा हुआ है, क्योंकि जब यह चीज आप पर वार करती है, तो यह तत्काल मौत होती है। और वह बस उस पर ऐसे वार कर रहा था,और मैंने अपने हाथ ऊपर उठायें,और कहा, ”हे परमेश्वर, मेरे भाई पर दया कीजिए।” मैंने कहा,“यदि वह सांप उसपर वार कर देता है,तो इससे वह मर जाएगा।”और जब मैंने वह कहा, तो तभी वह सांप मेरी ओर मुड़ गया, और उसने फिर सेमुझ पर दृष्टि डाली। और ऊपर से एक आवाज़ आयी, और उसने बोला,“तुझे उसे बांधने का अधिकार दिया गया है; तुझे उसे या उससे भंयकर किसी भी जीव को, या किसी को भी बांधने का अधिकार दिया गया है।”और मैंने कहा, “अच्छा, परमेश्वर,मुझे क्या करना चाहिए?”उसने कहा, “एक ही काम है जो तुझे करना चाहिए, तुझे और अधिक सत्यनिष्ठ बने रहना चाहिए। देख, तुझे अवश्य ही और अधिक सत्यनिष्ठ रहना चाहिए।”मैंने कहा, “ठीक है, परमेश्वर, आप मुझे मेरी असत्यनिष्ठा के लिए क्षमा कर दें, और मैं और भी ज्यादा सत्यनिष्ठ होने पाऊँ।” और उसके बाद जब मैंने फिर से अपने हाथों को उसकी ओर उठाया, तो कोई एक महान चीज मेरे ऊपर आयी;और बस मुझे ऊपर उठा लिया गया; और ऐसा प्रतीत हुआ,कि किसी चीज से मेरा सारा शरीर सामर्थ से भर गया है।32और मैंने उस सांप को देखा। और फिर वह मेरी ओर चलने लगा था; और वह मुझे अभी भी काट नहीं सकता था। और मैंने कहा,“शैतान, मैं तुझे यीशु मसीह के नाम में बांध देता हूँ। और सांप में से उस में से नीला-नीला धुंआ बाहर निकलकर उड़ गया, और वह मुड़-तुड़ गया और उसने अग्रेजी का ”एस“ अक्षर जैसा चिन्ह बनाया। और इसका अर्थ था, ”इसे बांध,या इससे नी चेजो कुछ भी है उसे बांध’;क्योंकि वह बहुत भंयकार था। नीला-नीला धुंआ उसमें से बाहर निकल गया था, और खुद उसकी गर्दन ने उसके सिर के चारों ओर अलबेटा डालकर उसका दम घोंठ दिया; जब उसने पीछे को यह अंग्रेजी का (S)और (&) का चिन्ह बनाया…….(आप देखते हैं जैसा कियह शब्द-संयोजक होता है),तो इसने उसका दम घोंठकर मार डाला। और वह भाई आज़ाद था।और मैं वहाँ पहुँचा,और उसे पीट-पीट कर पतला कर दिया। मैंने कहा, “अब मुझे इसके बारे में पता लगाना है, क्योंकि यह एक दर्शन है।” और मैंने उस पर प्रहार किया; और वह ऐसा बदल गया, जैसे हैन्डल होता है- जैसे घड़े पर काँच का हत्था होता है, और वह बस एक ठोस क्रिस्टल बन गया। और मैंने कहा, ज़रा सोचिए, यह कितनी जल्दी हुआ है! वह नीला धुंआ जीवन था। और इसमें से सब कुछ…सारे के सारे तत्व बाहर निकल गए हैं; और यह काँच बन गया है।”और उसके तुरन्त बाद ही एक आवाज फिर से आयी और उसने कहा,“तू उसे खोल भी सकता है।”अतः मैं बोला, “तब तो शैतान, जिससे मैं यह जान जाऊँ, मैं तुझे खोलता हूँ।” और जब मैंने ऐसा किया,तो वह फिर से जिन्दा होने लगा,वह फिर से रेंगने लगा। और मैं बोला,“मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से फिर से बाँधता हूँ।” और जब मैंने ऐसा किया,तो उसमें से वहधुंआ फिर से बाहर निकलकर उड़ गया, और उसने अपने आप में फिर से अलबेटा मारा और एक क्रिस्टल सा बन गया।33और तब जब उसने ऐसा किया, तो उसी आवाज ने कहा,“अब तुझे इसे करने के लिए अवश्य ही उस से भी ज्यादा सत्यनिष्ठ रहना है,जितना सत्यनिष्ठ तू है।” इसके बाद वह दर्शन मुझे छोड़ कर चला गया, और मैं कमरे में खड़ा हुआ था।इसके कुछ क्षण बाद ही मैंने घड़ी की टक-टक सुनी और मेरी पत्नी जागने लगी थी। मेरे अंदाज़ा है, कि आप जानते हैं,कि बच्चे आपके घर में कैसे कर रहे होते हैं, उन में कोई कह रहा होता है, “मामा, आज मैं क्या पहनूंगा? मेरी किताबे कहाँ हैं? और मैंने क्या किया था?”आप जानते हैं।ऐसा किसी भी घर में होता है; और ऐसे में जो आप खुद सोच रहे होते हैं, आप उसे मुश्किल से भी नहीं सुन सकते हैं, क्योंकि उन में से हर कोई एक ही समय पर तैयार होने की कोशिश कर रहा होता है।34और इसलिए मैं अपने डेन रूम में खिसक गया, और मैं अपने घुटनों पर आ गया, और मैं बोला, “प्रभु यीशु, मैं इन बातों को नहीं जानता हूँ। और मुझे क्या करना चाहिए? और कुछ ही क्षणों में बच्चे मुझे बुला रहे होंगे, कि मैं उन्हें स्कूल छोड़ हूँ। मुझे क्या करना चाहिए?” और मैंने चारों ओर दृष्टि डाली, और मेरी बाइबल वहीं पर रखी हुई थी। और मैं बोला, ”प्रभु, अगर आप मुझे क्षमा कर दे…”मैं बस पवित्रशास्त्र खोलकर बाइबिल में से किसी बात को निकालकर लेने और उसे कहने में यकीन नहीं करता हूँ, परन्तु बहुत सी बार ऐसा होता है, जब परमेश्वर ही आपको ऐसी बात के द्वारा तसल्ली दे सकता है। और मैं बोला, प्रभु, इस आपातकाल स्थिति में,इससे पहले कि आत्मा मुझे छोड़कर जाये,ठीक इस समय आप मुझे दिखा दें। और मैं…मैं नहीं जानता हूँ, कि क्या करना है। बच्चों के जाने में अभी एक घंटा बाकी है, और फिर वे चले जायेंगे। क्या आप मुझे बस दिखादेंगे। हे स्वर्गीय पिता, अगर ये आप ही थे, जो मुझे कोई बात समझाने की कोशिश कर रहे थे, तो होने पाये, कि मैं इसे जान जाऊँ।“35और मैंने इस बाइबिल को उठाया और बस उसे इस तरह से खोला, और मेरा अंगूठा पहले कुरिन्थियों के पाँचवें अध्याय के आठवें वाक्यांश पर रखा हुआ था, जहाँ इस प्रकार से कुछ ऐसा पढ़ा जाता है,“जब तुम आते हो..”मैं प्रभु के लिए उपवास रखने की योजना बना रहा था। मैंने उसे बताया था, कि मैं बाहर जाऊँगा और उपवास रचूँगा।” कहा जाता है,”जब तुम इस उत्सव में आते हो…’जब देह में उपवास रखा जाता है,तो यह प्रभु के संग एक उत्सव मनाना होता है। हम यह जानते हैं। कहा जाता है, “सो आओ, हम उत्सव में आनन्द मनायें, न तो पुराने खमीर से और न बुराई और दुष्टता के खमीर से; परन्तु सीधाई और सच्चाई की अखमीरी रोटी से।”और बिलकुल ठीक यही बात तो उसने मुझे दर्शन में बतायी थी। ”आओ…”परमेश्वर ही मेरा एक मात्र न्यायी हैं। “सीधाई और सच्चाई की अखमीरी रोटी के साथ आओ; जो कि वचन है।” इसके बाद मैं वह समझ गया जो उसका मतलब था। जैसाकि वह…36वर्षों पहले जब मैंने बाइबिल को नीचे आते हुए देखा था, तो मैंने एक हाथ को स्वर्ग से नीचे आते हुए और यहोशू की पुस्तक की ओर इशारा करते हुए और उसके पहले नौ पदों को पढ़ने के लिए इशारा करते हुए देखा था, और इसके बाद वह रुक गया था। मैं ने इसे यहाँ पर लिख लिया था। यह यहोशू था जो निर्जन प्रदेश में आता है, लेकिन कदापि नहीं…वह …के लिए तैयार था…जब वह यरदन के निकट पहुँचा, तो परमेश्वर ने ही उसे बाहर बुलाया, और कहा,“इस दिन मैं तुझे लोगों के सामने बड़ा बनाने लँगा।” और इसके बाद ही यहोशू इस्राएल की सन्तानों को यरदन पार करके उस देश में लेगया…उसने उन्हें प्रतिज्ञा किया देश दिया, उसने उसके बीच प्रतिज्ञा किया देश बाँटा।37अतः मैं जंगल में गया, और मैंने प्रार्थना की, मैं और भी प्रार्थना की, और उपवास रखा।और अब, मैं वापस उसी पेड़ के निकट चला गया जहाँ मैंने मुलाकात की थी; देखिए,जहाँ पर वे गिलहरियाँ थीं,आप इसके बारे में दूसरे संदेशों में सुन चुके हैं। देखिए, मैं वहाँ चला गया जहाँ वे गिलहरियाँ थीं। और मैं वहाँ पर अकेले ही सवेरे सवेरे लगभग तीन या चार बजे खड़ा हुआ था, जबकि मैं उस घनी झाड़ी में से होकर भटक चुका था-जहाँ पर इतनी ही रोशनी थी, कि मैं उतना ही देख सकता था, कि उस पेड़ तक पहुँच सकें; मैं वहाँ पर बहुत ही सवेरे सवेरे आ रहा था, क्योंकि मेरी वहाँ आने के लिए अगुवाई हुई थी। और उसके बाद मैंने उससे भेंट की। परमेश्वर, मेरी सहायता की जिए, कि मैं हमेशा सच्चा रहूँ।38अब मैं अपना मूल पाठ पढ़ने जा रहा हूँ। इस सुबह मैं अपने मूल पाठ को लेने जा रहा हूँ, जो मैंने यहीं पर कहीं पर लिखा हुआ है…(ओह, ये रहा वह!)…यह यहोशू की पुस्तक में 10 वें अध्याय में हैं। आप जो इसे मेरे पीछे पीछे पढ़ने जा रहे हैं, यह यहोशू का 10 वाँ अध्याय और 12वाँ पद है। और मेरे पास सिर्फ एक घंटा ही है।और फिर मैं सोचता हूँ, कि मैं सुनिश्चित नहीं हैं, लेकिन मेरा यकीन है, कि बिली ने कहा था,कि उसने इस सुबह वह प्रार्थना कार्ड बांट दिये हैं, उसने कहा था, वहाँ पर बहुत ज्यादा लोग नहीं हैं,पर कुछ ही लोगहैं जो प्रार्थना करवाना चाहते हैं।” और जिस किसी के पास प्रार्थना कार्ड है, अब वह अपना हाथ ऊपर उठाए। अतः ऐसा ही है। ठीक है, ओ-के! यह अच्छी बात है। बिलकुल ठीक है।अब, यहोशू का दस वाँ अध्याय और बारह वाँ पद!39और अब आप को स्मरण रखना चाहिए, कि निकट भविष्य में अर्थात् अगले रविवार को मैं “मसीहियत बनाम मूर्तिपूजा” पर बोलना चाहता हूँ। और तब मैं आपको बताऊँगा—तब मैं आपको इसके विषय में बताऊँगा,कि प्रभु मेरी क्रिसमस का संदेश बोलने के लिए अगुवाई करता है, या नहीं। ऐसा प्रतीत होता है, कि क्रिसमस पर लोगों के लिए मेरे हृदय पर एक संदेश है। और तभी मैं आपको बताऊँगा।40अब हम यहोशू के 10 वें अध्याय के 12वें पद से पढ़ना आरम्भ करने जा रहे हैं।और उस समय, अर्थात् जिस दिन यहोवा ने एमोरियों को इस्राएल के वश में कर दिया,उस दिन यहोशू ने यहोवा से इस्राएलियों के देखते इस प्रकार कहा, हे सूर्य,तू गिबोन पर; और हे चन्द्रमा, तू अय्यालोन की तराई के ऊपर थमा रह।और सूर्य उस समय तक थमा रहा, और चन्द्रमा उस समय तक ठहरा रहा,जब तक उस जातिके लोगों ने अपने शत्रुओं से पलटा न ले लिया। क्या यह बात याशार नाम पुस्तक में नहीं लिखी है,कि सूर्य आकाश मंड़ल के बीचो बीच ठहरा रहा;और लगभग चार पहर तक न डूबा?.. (अब सुनिए!)नतो उससे पहले कोई दिन ऐसा हुआ, और न उसके बाद,जिसमें यहोवा ने किसी पुरुष की सुनी हो;क्योंकि यहोवा तो इस्राएल की ओर से लड़ता था।तब यहोशू सारे इस्रालियों समेत गिलगाल की छावनी को लौट गया।41यह होने पाये,कि परमेश्वर अपने वचन पर अपनी आशीष प्रदान करे। अब मैं यह कामना करता हूँ, कि यदि यह प्रभु की इच्छा है, तो आप मेरे साथ कुछ मिनट ठहरें रहें। मैं पढ़े गये वचन के इस लेख पर एक विचित्र सा, अज़ीबो-गरीब सा विषय लेना चाहता हूँ। मैं इस समय के दौरान आपका ध्यान और आपकी प्रार्थना चाहता हूँ। मैं एक शब्द को लेना चाहता हूँ “असत्याभास (Paradox)”और सबसे पहले मैं यह समझाना चाहता हूँ, कि यह असत्याभास क्या होता है। वेबस्टर शब्दकोश में-वेबस्टर शब्दकोष कहता है, कि असत्याभास (Paradox) का अर्थ यह होता है,“कोई ऐसी बात जो विश्वास से परे (अविश्वसनीय) हो, लेकिन वह सत्य हो।”यही एक असत्याभास होता है। ”कोई ऐसी बात जो तर्कवितर्क से लगभग पूर्णतः बाहर हो, ऐसी बात हो, कि ऐसा नहीं हो सकता है, लेकिन फिर भी वह हो”;और यही असत्याभास होता है। अब,मैं बाकी कुछ मिनटों के लिए इन्हीं शब्दों पर अर्थात् असत्याभास पर ही रुका रहना चाहता हूँ।अब हमारे पास ऐसी बहु तेरी बातें हैं जिनका हम असत्याभास के रूप में हवाला दे सकते हैं। एक बात जिसका मैं हवाला देना चाहता हूँ, और वह यह खुद पृथ्वी ही है; खुद पृथ्वी भी एक असत्याभास ही है। इसका टिका रहना भी तो एक असत्याभास ही है।42गत रात्रि मैं अपनी पुत्री रिबेका से जो कि हाई स्कूल में है, वार्तालाप कर रहा था। और मैं यहाँ पर वचन में अध्ययन कर रहा था;और मैं उसे इसके पढ़े जाने के विषय में इस पद के विषय में बता रहा था। और उसने कहा था, “डैडी, यहोशूने तो सचमुच में पृथ्वी को ही रोक दिया था; क्या उसने नहीं रोक दिया था?”मैं बोला, “मैं नहीं जानता हूँ, कि उसने क्या रोक दिया था। उसने तो सूर्य कोरोक दिया था।वह बोली, “वह सूर्य को नहीं रोक सकता था; क्योंकि सूर्य तो गति ही नहीं करता है।मैंने कहा, “यद्यपि उसका परावर्तन ही पृथ्वी के चारों ओर गति करता है, और उसने उसी कोही रोक दिया था।”वह बोली, “ठीक है, फिर तो परमेश्वर ने पृथ्वी को ही रोक दिया था।मैंने कहा, “तब तो अज्ञेयवादी (Agnostic) के लिए क्या होता है; क्या होता है, जब पृथ्वी रुक जाती है और वह अपना गुरूत्वाकर्षण खो देती है? वह निर्वात में से होकर तारे के जैसे गिरने लगेगी;और उसके प्रक्षेपात्र आन्तरिक्ष में सैकड़ों लाखों वर्ष के लिए गिरते रहेंगे।”परन्तु बाइबिल कहती है, “सूर्य रुक गया था; और अपने ही स्थान पर सारे दिन भर टिका रहाथा।”मैं इसका विश्वास करता हूँ। मैं इसकी प्रतीति करता हूँ। यह बात तर्क वितर्क से परे और अविश्वसनीय हैं, लेकिन यह सत्य है।43श्रीमान प्रे; फिर आप ही मुझे बतायें, कि पृथ्वी का ऊपरी भाग कौन सा हैं; उत्तरी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव? यदि आप आन्तरिक्ष में हैं, तो आप यह कैसे जानते हैं? आप कहते हैं, “दक्षिणी ध्रुव नीचे की ओर है;वह हमारे नीचे हैं।” वे सोचते हैं, कि उत्तरी ध्रुव नीचे की ओर है; वह उनके नीचे है। समझे?यह तो अन्तरिक्ष में; हवा के एक छोटे से घेरे में खड़ी हुई है,जैसाकि है, यह कुछ हजार—कुछ मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूम रही है। क्योंकि इसकी परिधि चौबीस या पच्चीस हजार मील है; और यह चौबीस घंटे में एक ही चक्रण करती है चौबीस घन्टे में एक ही चक्कर लगाती है, अतः यह अपना चक्रण करते हुए एक हजार मील से अधिक प्रति घंटे की रफ्तार से गति करती है। और यह इसमें कभी कोई चूक नहीं करती है। यह बिलकुल ठीक-ठीक ऐसे ही चक्रण करती है। जहाँ भूमध्य रेखा होती है जहाँ यह घूमती है, यह एक मिनट की भी कदाचित चूक नहीं करती है; यह अपना चक्रण बिलकुल ठीक ठीक समय पर करती है, जबकि यह वायु में लटकी रहती है। क्या यह एक असत्याभास नहीं है; मैं नहीं जानता हूँ,कि कौन सा वाला असत्याभास है। यह कैसे है,कि सारे आकाशी यतंत्र; कैसे उनका समय इतनी अच्छी तरह से सुव्यवस्थित है, कि विज्ञान आपको अब से आगे आने वाले बीस और तीस वर्ष में होने वाले सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण के विषय में; उसके एक दूसरे के सापेक्ष गति करने के विषय में बता सकती है। और वह आपको वहक्षण भी बता सकती है जब वे एक दूसरे के सापेक्ष गुज़रेंगे, और कब ग्रहण पड़ना शुरू होगा।44इससे कोई मतलब नहीं है, कि हमारे पास कितनी बढ़िया घड़ी है; यर्थाथता में से भी एक हो… यहाँ तक कि मेरे पास एक ऐसी घड़ी है,जो मुझे स्विट्ज़रलैंड़ में तब भेंट स्वरूप दी गई थी जब मैं वहाँ पर था। अमेरिकी मुद्रा में उस घड़ी की कीमत लगभग तीन सौ डॉलर है। वह मुझे दी गई थी। एक भी सप्ताह ऐसा नहीं होता है जब, मुझे फिर से उसका समय ठीक ना करना पड़ता हो। सारी घड़ियों के साथ ऐसा ही करना पड़ता है।कुछ भी ऐसा नहीं है जिसे इंसान इतना ज्यादा सिद्ध बना सके; वह कुछ ही वर्षों में खराब हो जाएगी और बेकार हो जाएगी। जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ती चली जाती है वैसे वैसे वह सभी समय खराब होती चली जाती है। उसके रतन खत्म होने लगेंगे। उसकी यर्थाथता मिटने लगेगी। कुछ भी ऐसा नहीं है जो इंसान के द्वारा ठहराया जा सके, या सुव्यवस्थित किया जा सके, या सान पर चढ़ाया जा सके जो कि सिद्ध रूप में टिका रह सकता हो।परन्तु यह पृथ्वी सिद्ध रूप में टिकी रहती है! इसे कौन नियन्त्रित करता है? ठीक है,आप कहते होंगे, मैं नहीं जानता हूँ, कि कौन इसे नियन्त्रित करता है, कौन इसे इसकी जगह पर ही टिकाये रहता है।” यह सच में एक असत्याभास ही तो है। आप इसका वर्णन नहीं कर सकते हैं, कि परमेश्वर ऐसा कैसे करता है,मगर वह ऐसा ही करता है। अतः यही एक मुख्य बात है; कि वही ऐसा करता है। और हम जानते हैं, कि यह ऐसा ही है।यह अविश्वसनीय है,कि आप कैसे हवामें एक गेंद घुमा सकते हैं;वह तो किसी एक निश्चित जगह पर एक पूरा चक्कर नहीं लगायेगी।45ऐसा ही मैं तब सोच रहा था, जब मैं कुछ समय पहले यहाँ पर मरूभूमि में था। और इन छोटे छोटे कैक्टसों को देखिए जो हवा में हिलौरे खाते फिरते हैं; उनमें से कोई अगर आपके चुभ जाये, तो उनका तेज़ाब आप में से खून निकाल देगा, उनमें से कोई अगर मुझे चुभ जाये, तो आप उसे यूँ ही बाहर नहीं निकाल सकते हैं; आपको किसी चीज को लेना होता है, और उसकी सहायता से आपको उसे बाहर निकालना होता है। और उस पर बड़े ही पैने सेकांटे होते हैं। और इससे कोई मतलब नहीं है, कि आप एक सुई को कितना ज्यादा पैना करते हैं, सुई भी सिरे पर खुरदुरी सी (खुट्टल सी) होती है; एक सुई का पैनापन तो उतना ही होता है जितना पैना कि आप उसे बना सकते हैं; पर वह इन कैक्टसों के कांटों की तुलना मेंखुट्टल सी ही होती है। और तौभी वह अपने आप में एक ऐसा पत्ता ही होती है जो मुड़करतुड़कर ऐसा तना हुआ सा हो गया है। ऐसा कैसे हो सकता है, कि कुदरत ही एक पत्ते को कसकर मोड़-तोड़करऐसा पैना बना देती है,जैसाकि एकबढ़िया मशीन भी पैना नहीं बना सकती है। और फिर भी उसके पैने वाले छोर पर मछली केकांटे जैसे ऐसे कांटे होते हैं; उसके सिर पर तिकोना सा सिरा होता है जो उसे साधे रहता है, जबकि वह चुभता है। ओह, विज्ञान के लिए यह असत्याभास ही तो है। यह अविश्वसनीय है,परन्तु यह सत्यहै।46मैं इसे किसीके लिए समझाना चाहूंगा। मैं आपको बिलकुल ठीक ठीक मील नहीं बता सकता हूँ अथवा यहनहीं बता सकता हूँ,कि विज्ञान क्या बताती है कि चन्द्रमा पृथ्वी से कितनी दूर है। परन्तु मैं यह कहूँगा, कि कैसे वह चन्द्रमा ऐसा कर सकता है, कि वह लाखों लाख मील दूर पृथ्वी से रहता है, और फिर भी वह समुद्र में ज्वारभाटा को काबू में करता है। यह कौन करता है? ऐसा कैसे किया जा सकता है? यह एक असत्याभास है, लेकिन फिर भी हम दृष्टि डालते हैं और इसे होते हुए देखते हैं। ऐसा घटित होता है। चन्द्रमा ज्वारभाटा को नियन्त्रित करता है।जब चन्द्रमा पृथ्वी के सापेक्ष इस प्रकारहट जाता है, तो इससे ज्वार भाटा आ जाता है। और परमेश्वर ने ही चन्द्रमा को ज्वारभाटा पर ठहराया है, और उसी ने ही समुद्र के सिवानों को ठहराया है। और वे उन सिवानों को पार नहीं कर सकते हैं जहाँ परमेश्वर ने लकीर खींची है, और कहा था, “देख, तू इसके पास तक तो आ सकता है, मगर तू इसके बाकी को नहीं ले सकता है; क्योंकि मैंने तेरे ऊपर अपने एक सुरक्षा कर्मी को तैनात किया है।”47वह चन्द्रमा जो पृथ्वी से लाखों लाख मील दूर है;वह समुद्र पर अपना असर डालता है,और वह उसकी सीमाओं को तय करता है,और उसे नियन्त्रित करता है। यह अविश्वसनीय है। उस चन्द्रमा पर क्या है? जबकि पृथ्वी से कुछ ही मील ऊपर समस्तगुरूत्वाकर्षण,सारी वायु; अन्य सभी कुछ छूट जाता है; और ऊपर अन्तरिक्ष में चला जाता है जहाँ वायुतक नहीं होती है;क्योंकि वह दसयों लाखों और लाखों लाखों और दसयों लाखों लाख गुना मील दूरी पर है। और तौ भी वह उसे नियन्त्रित करता है। बोला, “तू उतनी दूर तो जा सकता है, लेकिन तू उससे और आगे नहीं जा सकता है, क्योंकि मैं परमेश्वर का पहरुवा हूँ। मैं वो सजग प्रहरी हैं जो यहाँ पर बैठा रहता है; और तू इन सिवानोंको पार नहीं कर सकता है। आप ज़रा इसे तो समझायें। यह एक असत्याभास ही तो है, कि परमेश्वर ऐसा कैसे करता है, परन्तु फिर भी वह ऐसा करता है। इसे समझाया नहीं जा सकता है।48हमारे पास एक शरद ऋतु होती है;बर्फ मैदानों पर जमी हुई होती है,ठंड़ से भूमि जम रही होती है। एक छोटे बीज को देखिएगा, उस छोटे से बीज के अंदर जीवन का एक अंकुर होता है, और वह छोटा बीज तो जम जाएगा और फटकर खुल जाएगा,और जीवन का वहरस उसमें से बाहर निकलकर बह जायेगा। और वह जीवन का अंकुर उसी मिट्टी में पड़ा रहता है,और बर्फ की उसपरत में जम जाता है। जो किसी भी जीवन को मार डालेगी। कैसे वह जीवन का अंकुर सुरक्षित रहता है,और वसंत ऋतु में फिर से बाहर आ जाता है। इसे समझाया नहीं जा सकता है। क्या हम इसे समझा सकते हैं? यह तो एक असत्याभास ही है।49हम इब्रानियों का 11वाँ अध्याय और तीसरा पद लें, हम यह समझते हैं, कि वहाँ पर बाइबिल कहती है, कि पौलुस यह कह रहा है, “सारी पृथ्वी की रचना परमेश्वर के ही वचन के द्वारा हुई; यह एक असत्याभास ही तो है, कि वचन बोला जासकता था; और उसी वचन के द्वारा वस्तु-पदार्थ का निर्माण होता है। ” अतः जो वस्तुएं दिखाई देती हैं, वे अनदेखी वस्तुओं से बनायी गयी हैं। वेवस्तुएँ जो हम देखते हैं,परमेश्वर का बोला हुआ वचन ही हैं। यह पृथ्वी परमेश्वर का बोला हुआ वचन ही तो है। पेड़ परमेश्वर का बोला हुआ वचन ही तो हैं। हम क्यों कर उस पर भरोसा करने से डरेंगे जिसने हमें इतने अधिकार और सामर्थ के साथ वचन दिया है? क्योंकर हम उस वचन को खुद अपने लिए लेने से और उसे खुद अपने ऊपर लागू करने से डरेंगे? ये तो यही दिखाता है,कि हम अविश्वासमें कहाँ गिरे हुए हैं ?वचन, परमेश्वर का वचन एक असत्याभास ही तो है! सचमें परमेश्वर का वचन एक असत्याभास ही तो है!50यह भी है,कि मैं जल्दी से एक असत्याभास दिखाना चाहूँगा;
और यह वह है। जब परमेश्वर ने अब्राहम को बुलाया था, और उसे बताया था; जब कि वह सौ वर्ष का था, और सारा नब्बे वर्ष की थी, और वह अपने मासिक-चक्र के काल को चालीस वर्ष पहले ही पार कर चुकी थी। और अब्राहम तो ऐसा था, कि उसका जीवन मरा हुआ सा था; और सारा जो कि आरम्भ से ही बांझ थी, और उसका गर्भ तो मरा हुआ सा ही था। और फिर भी परमेश्वर ने कहा था, कि वह उनके द्वारा एक बालक लेकर आएगा। यह एक असत्याभास ही तो था। आप ज़रा किसी डॉक्टर से यह पूछे, कि अगर एक स्त्री सौ साल की हो गई है, क्या वह किसी बालक का लालन-पालन कर सकती है; और क्या वह किसी बालक को जन्म दे सकती है। यह बिलकुल असम्भव है! यह तो अविश्वासनीय है, परन्तु उसने एक बालक उत्पन्न किया था, क्योंकि परमेश्वर ने कहा था, कि वह ऐसा ही करेगी।51यह सोचना एक अविश्वासनीय बात है,कि एक पुरूष अपनी पीठ तम्बू की ओर किये हुए बैठा हो; एक परदेशी जिसके कपड़ों पर धूल लगी हुई हो; तथा जिसने तम्बू की ओर पीठ की हुई हो, और वह एक स्त्री को,जो उसके पीछे एक तम्बू के अंदर थी; बता दे, कि वह क्या सोच रही थी। यह तो एक असत्याभास ही है,यह तो अविश्वासनीय बात ही है, मगर फिर भी यह एक सत्य ही है!यह एक अविश्वासनीय बात ही तो थी, जब अब्राहम अपने एक लौते पुत्र इसहाक को पहाड़ की चोटी पर ले गया था; वह उसे एक पहाड़ की चोटी पर एक बलि के रूप मेंचढ़ाने के लिए ले गया था। और जब वह पहाड़ के ऊपर पहुँचा, और इस हाक को लकड़ियों के ऊपर लेटाया, और उसका जीवन लेने को तैयार था; और जब वह अपना हाथ नीचे ला रहा था, तो किसी चीज ने उसका हाथ पकड़ लिया था। और वहाँ जंगल में पहाड़ की चोटी पर एक मेढ़ा अपने सींगों से झाड़ी में बंझा हुआ था।यह एक असत्याभास ही तो है। वह मेढ़ा वहाँ पर कैसे आया था? ऐसा कैसे हो सकता था, कि सभ्यता से सैकड़ों मील दूर वह बिना मरे रह जाये; जबकि शेर, भेड़िये, और जंगली कुत्ते तथा और जंगली जानवर तथा ऐसे ही और जानवर उसे जान से मार सकते थे?वह कहाँ से आया था?वह वहाँ पर कैसे पहुँचा था;और वह पहाड़ की चोटी पर वहाँ पर कैसे पहुँचा था जहाँ कोई पानी भी नहीं था? वह वहाँ पर तब क्यों नहीं था, जब अब्राहम ने पत्थर उठाकर रखे थे? उसने उस जगह का नाम “यहोवा-यिरे”रखा था,कि “स्वयंयहोवा ने ही एक बलिदान प्रदान किया।” यह बात अविश्वासनीय है,तौ भी यह अत्यंतसत्य है; क्योंकि वह यहोवा-यिरे है। हमारे ज्ञान और विज्ञान के लिए तो यह अविश्वासनीय बात है, लेकिन तौ भी यह सत्य ही है। यह एक बहुत बड़ा असत्याभास है।यह एक असत्याभास ही था, और यह एक असत्याभास ही रहेगा, जो यीशु ने मरकुस 11:22 और 23 में कहा है; जब उसने कहा था,“यदि तुम इस पहाड़ से कहो,कि उखड़ जा, और अपने मन में सन्देह न करो, वरन यह प्रतीति कर लो, कि जो तुम ने कहा है, वह हो जाएगा; तो तुम्हें वह मिल सकता है जो तुमने कहा है।” यह अविश्वसनीय तो है,परन्तु यह सत्यहै। यह एक असत्याभास ही तो है।52मैं यहाँ पर यह कहने के लिए रुकेंगा, कि उस सुबह जब मैं सुदूर उस जंगल में उस पेड़ के सहारे बैठा हुआ था, तो जंगल में कोई गिलहरी नहीं थीं, परन्तु जब उस शब्द ने बोला, और कहा, “जहाँ तू कहेगा, वे वहाँ हो जायेंगी।”और वहाँ पर इसने मेरी इतनी अधिक सहायता की, कि चाहे मैं इस संदेश के खत्म होने से पहले ही क्यों न मर जाऊँ, मगर यह सच है, कि जब मैंने अपनी ऊँगली से अखरोट के पेड़ की गंजी सी डाली की ओर इशारा करके कहा था,“वह ठीक वहाँ पर बैठी हुई हो;तो वह वहीं पर थी! यह अविश्वसनीय,परन्तु सत्य है।उसने कहा, “अगली वाली कहाँ पर हो?”मैंने कहा, “कूड़े के उस बडे से ढ़ेर के ऊपर;” और मैंने अपनी ऊँगली तब तक नीचे नहीं की, जब तक कि वह वहाँ पर नहीं थी।“उससे अगली वाली कहाँ पर हो?”“उस मैदान केबाहर पगड़ी पर” और वह वहीं पर थी। यह अविश्वसनीय53मैंने किसी सुबह अपनी पत्नी से पूछा था। मैंने उससे पूछा था, “प्रिय, क्या मैं अपनी चेतनाऐं खो चुका हूँ? क्या मैं पागल होता चला जा रहा हूँ? मेरे साथ क्या गड़बड़ है? क्यों मैं उन बातों को बोलता हूँ जिन्हें मैं बोलता हूँ? मैं उन कामों को क्यों करता हूँ जिन्हें मैंकरता हूँ?कौन मुझसेउन्हें करवाता है?”मैं लोगों सेप्रेम करता हूँ। और फिर भी मैं उन्हें बुरी तरह फटकारता हूँ। और मैंने इससे छुटकारा पाने के लिए उपवास और प्रार्थना की है। और मैं जितना ज्यादा उपवास और प्रार्थना करता हूँ, मेरी यह स्थिति उतनी ही ज्यादा खराब होती चली जाती है। यह अविश्वसनीय है, परन्तु यह सत्य है! यह सत्य है!54ठीक उसके बाद मैंने भवन में पीछे की तरफ एक स्त्री को हाथ उठाकर परमेश्वर की स्तुति करते हुए देखा। वह हैट्टी राइट थी, जो कि वहाँ पर नीचे बैठी हुई थी। तब उसके दो पुत्र थे; यदि वे मुझे इसे कहने के लिए क्षमा करें, वे लड़के संसार के सबसे ज्यादा अल्लहड़-आवरा किस्म के लड़के थे। वह बेचारी विधवा औरत उस दिन वहाँ पर बैठी हुई थी। और मैंने कहा, “हैट्टी, प्रभु परमेश्वर….तुम ने बिलकुल ठीक बात कही है। उसी ने ही वे गिहरियाँ प्रदान की थीं। वह यहोवा-यिरे हैं।”वह बोली,“यह और कुछ नहीं, वरन परमेश्वर की ही सच्चाई है।” ओह, उसने बिलकुल ठीक बात कही थी ! यह बात अविश्वासनीय प्रतीत होती है, कि इंसान कोई ऐसी बात बोल सकता है….55जैसाकि भाई बूथ ने आपको बताया, जैसाकि हम गंदे और भद्दे से हैं, वह कौन है जो चाँद और तारों और समस्त अन्तरिक्ष और समय और अनन्तता के पारविद्य मान रहता है? जैसाकि भाई बूथने इसे भी कहा;और जैसाकि मैं किसी दूसरे दिन ठीक इसी बात को पढ़ रहा था; मैं इरेनियस के विषय में पढ़ रहा था जिसमें यह था, कि यहाँ तक कि स्वर्गदूत भी उसकी दृष्टि मेंगंदे हैं। हम कौन हैं?परन्तु एक स्त्री जिसने सही बात कही थी, उससे यहोवा काह्रदय पुकार उठा था;बोला, उससे पूछ, कि “उसे क्या चाहिए और फिर उसे वह दे दे।” आमीन! यह बात अविश्वसनीय, परन्तु सत्य है! अब वह ठीक यहाँ पर है, और वह हमारी दृष्टि में एक साक्षात्-प्रमाणहै;उसने अपनेलड़कों के लिए यह माँगा,कि उनके प्राण मसीही बनजायें। परमेश्वर ने उसे उसकी अभिलाषा प्रदान की। अविश्वसनीय! यह किसी बीमारव्यक्ति की चंगाई से भी कहीं अधिक बढ़कर आश्र्चकर्म था। वह मनुष्य के जीवन का, उसके प्राण, और उसके शरीर और उस सब का जो वह है, बदला जाना था। इसने उसके सम्पूर्ण अस्तित्व को ही बदल डाला था। यह अविश्वसनीय, परन्तु सत्य है! यह एक असत्याभास था। हम इसे सभी जगह देखते हैं।56नूह के समय में एक असत्याभास था! नूह एक इंसान ही था, वह सिर्फ एक साधारण सा इंसान ही था, जो एक नबी बन जाता है,या वह प्रभु का एक नबी था,शायद वह खेती-बाड़ीकर रहा था। परमेश्वर ने उसे बताया था, “आसमान से आने वाली बारिश के लिए तैयारी कर”, जबकि कोई बारिश नहीं थी। वहाँ इससे पहले कभी कोई बारिश नहीं हुई थी। वहाँ पर बारिश होने का कोई तरीका था ही नहीं। पृथ्वी पर इससे पहले कभी वर्षा नहीं हुई थी। वहाँ पर कोई समुद्र नहीं थे, वहाँ पर कोई पानी नहीं था; लेकिन फिर भी परमेश्वर ने उसे उसके घराने के बचाव के लिए एक जहाज बनाने के लिए कहा था। और परमेश्वर ही वर्षा लेकर नीचे आया था; यह एक असत्याभास ही तो था। यह अवैज्ञानिक था, परन्तु..(यह क्या था?)..कुछ भी हो, यह एक असत्याभास ही था! जी हाँ !57यह एक असत्याभास ही तो था, जब उन इब्री बच्चों ने यह ठान लिया था, कि वे परमेश्वर के वचन के साथ ही अड़िग बने रहेंगे, चाहे कुछ भी क्यों न हो। राजा ने उस भट्ट को पहले से सात गुना धधकवा दिया था, और उन पुरुषों को उस के अंदर फिंकवा दिया था। जबकि उस धधकते भट्टे की गर्मी नेउन लोगों को,जो उन लड़कों के साथ भट्टे में जाने वाली सीढी तक…भट्टे के मुँह तक चलकर आये थे, मार डाला था-वे लोग मर गये थे। लेकिन फिर भीवे लड़के उस भट्टे में शायद तीन घन्टे के लिए चले-फिरे। वहाँ पर उनकी राख तक भी नबच पाती, क्योंकि जो मानवीय जीवन उनके अंदर था उसका तो सर्वनाश हो गया होता। अगर इसने ऐसा किया, कि इसके पास आने भर से ही…इसने किसी और इंसान की जान ले ली थी,तो किसी दूसरे इंसान के साथ यह क्या करता? परन्तु उन्होंने उन लड़कों को उसके अंदर फेंक दिया था; और आइये हम कहें,कि वे तीन घन्टे के लिए उसके अंदर रहे हों, हो सकता है,कि वे उसके अंदर पाँच घन्टे रहे हों।58हो सकता है, राजा गया हो और उसने भोजन किया हो, और फिर वापस आया हो, और बोला हो, “भट्टे का द्वार खोलो। उन लड़कों की तो वहाँ पर राख तक बाकी न रही होगी।” परन्तु जब उसने द्वार खोला, तो वे वहीं पर थे, उन्हें कोई हानि नहीं पहुँची थी; वे उसी आग में इधर-उधर चल-फिर रहे थे। यह अविश्वसीनस, परन्तु सत्य है! क्यों? उसने पूछा, “तुम ने भट्टे के अंदर कितनों को डाला था?”उन्होंने कहा, “हम ने तीन को अंदर डाला था।”उसने कहा, “मैं तो चार को देखता हूँ।” [यही है वह जिसने असत्याभास बनाया।] “और वह चौथा ईश्वरों के पुत्र सरीखा दिखाई देता है।” वह ईश्वरों का पुत्र नहीं था, वरन वह तो परमेश्वर का पुत्र ही था। वे लोग तो मूर्तिपूजक थे। ओह, परमेश्वर अपने वचन में महान है!59एक समय ऐसा आता है जब परमेश्वर की सेना डर पोकहो गई थी; और वह एक पुरुषसे डरी हुई थी; और एक पहाड़ के किनारे खड़ी हुई थी। जब उन्होंने उस पुरूष को, जो उनके किसी भी पुरुष से तीन गुने से भी ज्यादा विशालकाय था, यह करने दिया, कि वह पहाड़ पर एक ओर खड़ा हो कर बाहर यह कहे, “अब, तुम यह कहते हो,कि तुम तो सच्चे परमेश्वर पर विश्वास करते हो। तुम में से कोई एक आये और मुझ से युद्ध करे, और ह में कोई लोहू नहीं बहाना होगा।”परमेश्वर के बैरी ने परमेश्वर की कलीसिया को पहाड़ के छोर की ओर खदेड़ दिया था; और वे इस बात को स्वीकार कर रहे थे। वे डरे हुए थे। वे डर पोक थे।और इसी खेमे में एक छोटा सा, अल्हड़ सा लड़का आता है; जिसके चारों ओर भेड़ की छोटी सी खाल लिपटी हुई थी,जिसने वालोवाला अंगरखा पहना हुआ था;वह उस सेना में सबसे छोटा व्यक्ति था, और यहाँ तक कि वह एक सिपाही भी नहीं था। परन्तु यह एक असत्याभास ही था, जब परमेश्वर ने उस व्यक्ति को लिया-उस एक छोटे से व्यक्ति को लिया जिसके विषय में सोचा समझा भी नहीं गया था। बाइबिल बताती है,कि उसके चेहरे पर लाली झलकती थी। उस सारी सेना ने उस कम उम्र के पुरुष को तैनात किया, कि वही उस बैरी से लड़े। यह एक असत्याभास ही था! ऐसा दिखाई पड़ता है,कि परमेश्वर ने उस बड़ी सेना को,आगे बढ़ रहीसेना को लड़ाई पर जाने के लिए पर्याप्त हिम्मत दे दी होगी। वे तो परमेश्वर के सेवक थे;तो फिर क्यों नहीं वे परमेश्वर का युद्ध लड़ने के लिए गये? आप यह समझें,कि वह परमेश्वर की सेना थी! ऐसा प्रतीत होता है, कि मानो परमेश्वर उन्हें साहस दे देगा; मगर परमेश्वर ने तो उस छोटे से एक अकेले व्यक्ति को ही लिया !60और स्मरण रखिए, कि यह एक और असत्याभास ही था, कि उसने कदापि कोई तलवार नहीं ली थी। शाऊल ने उसे अपने अस्त्र-शस्त्र पहनानेकी चेष्टा की थी, उसने उसके हाथ में अपनी तलवार थमाने की चेष्टा की थी। लेकिन वह छोटा लड़का उसे ऊपर उठा कर भी नहीं रख सकता था। और उसने तोएक गोफन ही लिया जिसमें एक छोटी सी रबड़, या एक छोटा सा चमड़ा ही लगा हुआ होता है, और उस पर रस्सीया डोरी के दो टुकड़े लगे हुए थे। और उसने बैरी की सारी की सारी सेना को ही हरा डाला था, और उन्हें तितर-बितर कर दिया था। यह एक असत्याभास ही तो था, कि वह छोटा लड़का सेना को कैसे तितर-बितर कर सकता था।यह एक असत्याभास ही था! निश्चय ही, परमेश्वर ऐसा करता है! वह तो बस इससे भरा हुआ है। यकीनन, वह है! यही हैवह जो परमेश्वर करता है। परमेश्वर का तो यही काम करने का तरीका होता है। जी हाँ, श्रीमान!61यह एक असत्याभास ही था।जब मिस्र के पास वह महान सेना थी … उनके पास ऐसी सेना थी जिसने सम्पूर्ण विश्व को जीत लिया था। हर एक देश उसकी आधीनता मेंथा। और जब परमेश्वर ने उस सेना का, उस देश का सर्वनाश करने के लिए ठाना, तो ऐसा दिखाई पड़ता था,कि मानो वह अमोरियों की एक सेना को,या वह कहीं पर कोई महान सेना को उठा खड़ा करे, और उन्हें सर्वश्रेष्ठ अस्त्र-शस्त्र धारण कराके नीचे भेजे, या वह सारी नामधारी कलीसियाओं को एक साथ एक संयुक्त संघ में मिला लें,कि वे नीचेजायें और उससे लड़ाई करें ;जिससे उसे पूरापूरा सहयोग मिल जाये। लेकिन परमेश्वर ने तो एक असत्याभास का ही इस्तेमाल किया था!उसने तो एक अस्सी वर्षीय बूढ़े को लिया, और उसके हाथ में कभी कोई तलवार नहीं पकड़ायी, वरन उसके हाथ में एक पुरानी सी मुड़ी हुई सी लाठी पकड़ायी, जिसने मिस्र को समुद्र की तलहटी में डुबाडाला था। वह अविश्वनीय ही होता है जो परमेश्वर कर सकता है; लेकिन परमेश्वर का काम करने का यही तरीकाहोता है। वह इसे करने के लिए असत्याभास का ही उपयोग करता है। देखिए, वह इसे एक असत्याभास वाली स्थिति तक लेकर आताहै—उसने उस राष्ट्र को जो विश्व पर शासन करता था, पराजित करने के लिए आगे बढ़ रही सेना का उपयोग करने की बजाये गवाले की टेढ़ीसी लाठी का ही उपयोग किया।ओह, मेरा मानना है, कि अब परमेश्वर केवल एक ही बात की प्रतीक्षाकर रहा है। परमेश्वर के लिए रूस कुछ मायने नहीं रखता है। वह तो चाहता है, कि उसे कोई एक व्यक्ति मिल जाये। वह यह नहींचाहता है,कि उसके पासबड़ी बड़ी संस्थाएँ हों।
वह यह नहीं चाहता है, कि उसके पास बड़ी बड़ी नामधारी कलीसियाऐं हों। वह तो एक ऐसे ही व्यक्ति कोलेना चाहता है जिसके अंदर वह अपना आत्मा उडेल सके। वही इस बाकी बात को बताएगा; तथा एक और असत्याभास होगा…कि उसे कोई ऐसा मिल सके, जो पूरी तरह से अपने को उसे समर्पित करे; यही तो इसे करेगा। परमेश्वर इसी रीति से अपने काम कोकरता है, वह तो असत्याभासों का ही उपयोग करता है।62यह एक असत्याभास ही तो था; जब परमेश्वर का महान सैनिक यहोशापात अहाब नामक एक पिछड़े हुए विश्वासी के साथ फाटकों में खड़ा हुआ था, और उसने कहा था, “इससे पहले कि हम इस युद्धको करने के लिए जायें, क्या यह उचित नहीं होगा, कि हम यहोवा की सम्मति लें?” अब देखिएगा; यदि इंसान का ह्रदय परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए भूखा है, तो कहीं न कहीं परमेश्वर की इच्छा पायी ही जाती है।ऐसा नहीं है, कि बहुसंख्यकों की सभा में हमेशा ही सुरक्षा पायी जाती हो। अहाब कहता है, “मेरे पास मेरे सारे सेवक हैं। वे सारे के सारेभविष्यद्वक्ता हैं। मैं उन्हें यहाँ ऊपर बुलवाऊँगा। और तुम यह जान लो, यदि मैं उन चार सौ भविष्यद्वक्ताओं को यहाँ लेकर आजाता हैं, तो हम प्रभु का वचन जान जायेंगे।”हमेशा ही आप नहीं जान पाते हैं, सर्वदा आप नहीं जान पाते हैं। यदि वह वचन के साथ मेल नहीं खाता है,तो आप उससे अलगही रहें,उससे दूर हीरहें। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ, कि वहाँ पर कितने हैं। आप सिर्फ उस वचन के साथ ही अड़िग व स्थिर बने रहें ।परमेश्वर अपना वचन वापस नहीं ले सकता है।अब,वह उन सभों को वहाँ बाहर लेकर आया, और उन सभों ने एक मत होकर यह भविष्यवाणी की, “जा ऊपर जा! यहोवा तेरे साथ है।”परन्तु फिर भी कुछ था जो सही नहीं था। और परमेश्वर का वह जन जानता था, कि यह सही नहीं है। अतः उसने कहा, “क्या तेरे पास कोई और नहीं है? क्या कहीं पर कोई एक और नहीं है?”बोला, “ओह, हमारे पास एक और है,लेकिन मैं उससे नफ़रत करता हूँ।”बोला, “राजा ऐसा न कहे।”63परमेश्वर ने एक अशिक्षित लड़के को, उसको जो सारे देश मे फक्कड़-किस्म का था, जो तुच्छ और ठुकराया हुआ था, चुना, ताकि उस भूखे हृदय के लिए परमेश्वर का सन्देश लेकर आये। और जबकि सारी नामधारी कलीसियाऐं एक साथ मिलकर एक ईकाई के रूप में एक मत होकर बोल रही थीं, फिर भी इसके बदले परमेश्वर एक जनको लेकर आया। यह एक असत्याभास ही तो था; परन्तु उस पुरुष के पास सच्चाई थी। और उसकी बात सच्ची साबित हुई, क्योंकि वह पुरुष परमेश्वर के वचन पर अटल बना हुआ था। यह पूरी तरह से एक असत्याभास ही था।अब आप कहते होंगे,“क्या आप का येतात्पर्य है,कि आप इससे, और उससे, और उन सब से असहमत हैं?”यदि यह वचन केसाथ मेल नहीं खाता है,तो मैं इससे असहमत हूँ। यह सच है। परमेश्वर का वचन कभी भी विफल नहीं होगा।अधिक समय नहीं हुआ है, कि मैं एक पादरी के साथ वार्तालाप कर रहा था, उसने कहा था, “श्रीमान ब्रन्हम, आप इस बात पर बाइबिल से तर्क-वितर्क करने का प्रयास कर रहे हैं।”वह बोला, ”हम कलीसिया पर विश्वास करते हैं। हम किसी और पर नहीं, वरन कलीसिया पर ही विश्वास करते हैं, हम उस पर विश्वास करते हैं, जो कलीसिया कहती है। परमेश्वर अपनी कलीसिया में है।“मैंने कहा,“परमेश्वर अपने वचन में है। और वह वचन है।”यह सच है, वह वचन ही है!64यही कारण है, कि मीकायाह ने वचन लिया। और परमेश्वर ने उन हर एक नामधारी कलीसिया को लज्जित करने के लिए-और परमेश्वर के दास के वचन को पूरा करने के लिए एक असत्याभास का उपयोग किया;एक ऐसे मनुष्यका उपयोग किया जो तुच्छ,व ठुकराया हुआ था,वा उससे घृणा की गई थी। क्या? उसके अपने लोगों ने ही उससे नफरत की थी।अब, वह कोई साम्यवादी नहीं था, अथवा वह कोई और नहीं था। आइये हम कहें, कि वह तो एक पिन्तेकोस्तल था, और पिन्तेकोस्तल समूहों ने उससे घृणा की थी।वे उसे पसंद नहीं करते थे। उन्हें उससे कुछ भी लेना देना नहीं था। परन्तु उसके पासतो परमेश्वर का ही वचन था। परमेश्वर ने इस में से ही एक असत्याभास बनाया।क्यों, परमेश्वर ऐसा नहीं करेगा; अगर ये दूसरे सारे के सारे भविष्यद्वक्ता और प्रचारक, और वगैराह-वगैराह हैं, तो क्यों ऐसा नहीं हो सकता; कि वह किसी एक पुरुष की बजाये इस सारे बड़े झंड़ में से किसी बेहतर को लेने का निर्णय लें? यह तर्क वितर्क से परे बात लगती है, कि परमेश्वर सिर्फ किसी एक व्यक्ति के वचन को सत्य ठहरा ये, बजाये इसके कि वह उन बाकी सारों की बात सत्य ठहरा ये।65ऐसा इसलिए हीथा, क्योंकि उसव्यक्ति का वचन परमेश्वर का ही वचन था। यही कारण है, कि परमेश्वर ने उस बात को घटित किया; क्योंकि वह व्यक्ति परमेश्वर के वचन के साथसाथ बना हुआ था। वे दूसरे तो सिर्फ एक झूठ की ही भविष्यवाणी कर रहे थे। जी हाँ, यह एक असत्याभास ही था जब परमेश्वर ने उस छोटे से इंसान का वचन लिया और उसे सत्य ठहराया, क्योंकि वह उसका ही वचन था। परमेश्वर को तो अपने वचन के सर्मथन में खड़े रहना होता है,उसे सभा या मंड़ली के वचन के समर्थन में खड़े नहीं रहना होता है। लेकिन परमेश्वर को तो अपने ही वचन के समर्थन में खड़े रहना होता है, यही है वह जिसके समर्थन में वह खड़ा रहता है।परमेश्वर ने शिक्षण संस्थानों से सुप्रशिक्षित प्रचारकों तथा सुविख्यात इंसानों को लेने की बजाये मीकायाह को लिया। उनके विरोध में कोई बात नहीं थी, वे तो श्रेष्ठ लोग थे। वे वो लोग थे जो किसी और परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते थे, वे तो ठीक उसी परमेश्वर पर विश्वास करते थे जिस परमेश्वर पर मीकायाह विश्वासकरता था। परन्तु वे इस प्रकार आचार-व्यवहार करते तो थे, कि मानो वे परमेश्वर के वचन पर ही विश्वास करते हों, लेकिन वे वचनको ग्रहण नहीं करते थे। चूँकि वे बहुत ही ज्यादा विख्यात होना चाहते थे-चूंकि वे लोकप्रिय बनना चाहते थे,चूंकि वे राजासे कृपादृष्टि पाना चाहते थे, इसलिए उनके अंधेपन ने परमेश्वर के सच्चे वचन को अनदेखा कर दिया था। परमेश्वर उसे कैसे आशीष दे सकता था जिसे वह स्वयं स्राप दे चुका था ?66आप स्त्रियों और पुरुषों, दोनों, यह न सोचो, कि मैं ऐसाअ प्रिय बनने के लिए करता हूँ। मैं तो ऐसा सत्यनिष्ठ बने रहने के लिए ही करता हूँ।यही वह कारण है। मैं यह कैसे कह सकता हूँ, कि “स्त्रियों को चाहिए….यह बिलकुल ठीक है, कि वे अपने बाल कटवायें, और इसी प्रकार के कार्य-कलाप करें, उनके पहरावे पहनें, और इन सब बातोंका वचन से कोई लेना-देना नहीं है? परमेश्वर का वचन कहता है, कि उसका इससे लेना-देना है: और जब तक कोई ऐसा करती है, वह निन्दनीय और अशोभनीय है; और परमेश्वर उससे कदाचित व्यवहार नहीं करेगा।मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ, कि वह कितना ज्यादा अन्यान्य भाषाओं में बोलती है, या कितना ज्यादा कूदती-फाँदती है, या चीखती-चिल्लाती है, उसका परमेश्वर से अभी तक कहीं कोई सरोकार नहीं है। यही तो प्रभु का वचन है।पुरुषों,तुम जो अपने अपने घराने पर अधिकार नहीं रख सकते हो, और तुम फिर भी प्रचारक और डीकन बनने की कोशिश करते हो? तुम प्रचार मंच पर एक प्रचारक होने के कैसे योग्य हो सकते हो, कि तुम जीवते परमेश्वर की कलीसिया की अगुवाई करो और उनकी बपौती का उनके बीच बंट वारा करो? जबकि तुम परमेश्वर के वचन के विषय में सोचने की बजाये उससे अधिक अपने भोज-टिकट तथा उस चढ़ावे के विषय में सोचते हो जो गिरजे में आता है; और तुम तो औरतों के सामने परमेश्वर का वचन कहने से लजाते हो, और डरते हो, कि कहीं तुम अलोक प्रिय न हो जाओ। परमेश्वर तुम्हारे पाप मय प्राण पर दया करे।परमेश्वर के वचन को सच्चाई से बोलो!67यूहन्ना ने कहा था,“कुल्हाड़ा पेड़की जड़ पर रखा हुआ है।”और कुल्हाड़ा परमेश्वर का वचन है। ”हर एक वह पेड़ जो अच्छा फल नहीं लाता है, काटा और आग में झोंका जाता है। परमेश्वर एक और असत्याभास लेकर आता है।जैसाकि मैं अभी बोल रहा था, “क्यों परमेश्वर ने अपने उस दिन के बढ़िया प्रशिक्षित पुरोहितों को लेने की बजाये यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले को ही लिया?” उसने तो एक ऐसे ही पुरुष को लिया जो अपने जीवन में एक भी दिन कभी किसी शिक्षण संस्थान में नहीं गया था। अतः हम तो यह समझते हैं, कि यूहन्ना तो नौ वर्ष की उम्र में ही जंगल में चला गया था, और वहाँ पर वह परमेश्वर के साथ अकेला ही था।68कुछ दिन पहले मैं नीसियन कॉन्सिल के विषय में पढ़ रहा था। यह तो अन्तिम प्रेरित संत यूहन्ना की मृत्यु के कई वर्षों बाद हुई थी।जब वहाँ पर लोग उस नीसियन सभा में आये, तो उनमें से कुछ पुराने भाइयों ने उन बाकी लोगों को गले लगाकर प्रेम किया। वेवहाँ पर भेड़ों की खाल ओढ़े हुए आये थे, जबकि औरों ने राजसी वस्त्र पहने हुए थे; जैसे कॉन्सटेन्टाइन तथा रोम के बिशप! उनके चारों ओर भेड़ की खाल लिपटी हुई थी, और वे जंगलों में साग-पात पर ही अपनाजीवन-वयतीत करते थे,परन्तु वेपरमेश्वर के भविष्यद्वक्ता थे। वह छोटी कलीसिया, वह ग्रीक पक्ष आगे बढ़ गया; रोमन पक्ष पीछे लौट गया। परन्तु यह ये ही दिखाता है, कि जब आप समझौता करते हैं, तो आप मसीह के दास नहीं हो सकते हैं।69यूहन्ना को देखिए! उस दिन में कलीसिया बहुत अधिक रूढ़ीवादी हो गई थी,उनके पास पुरोहित थे,उनके पास सुप्रशिक्षित लोग थे। परन्तु परमेश्वर ने उस व्यक्ति को चुना जिसके पास बिलकुल भी शिक्षा नहीं थी; और परमेश्वर ही उसे जंगल में से बाहर निकाल कर लाया, उसके चारों ओर भेड़ की खाल लिपटी हुई थी, और उसके बड़े बड़े गलमुच्छे उगे हुए थे, उसके बाल उसकी गर्दन तक झूल रहे थे। उसके पास कोई प्रचार मंच नहीं था जहाँ सेवह प्रचार करता। उसके लिए कोई कलीसिया नहीं थी जहाँ उसे आमन्त्रित किया जाता।
मगर शायद वह कीचड़ में ही खड़ा हुआ था, उसका आधा घुटना कीचड़ में था, और उसने प्रचार करके कहा, “परमेश्वर का राज्य निकट आ पहुँचा है।” परमेश्वर ने उस पुरुष को चुना था।70जब यीशु ने कहा था,“तुम बाहर क्या देखने गये थे; क्या उस मनुष्यको जो सारे शिक्षण संस्थानों में बोलता है, क्या उस मनुष्य को जो बहुत बढ़िया वस्त्र पहनता है, और ऐसे ही दूसरे कामों को करता है?” इसके बाद यीशु ने कहा, “वे तो राज महलों में रहते हैं।” बोला, “तुम क्या देखने गये थे, क्या एक भविष्यद्वक्ता को?” उसने कहा, ”उसको जो एक भविष्यद्वक्ता से भी बढ़कर है! यही वह भविष्यद्वक्ता है। जिसके बारे में नबी ने यह कहा था, मैं अपने दूत को अपने आगे आगे भेजता हूँ। वह तो था…वह तो वाचा का ही दूत था। वह तो था…. एक महान अग्रदूत।71लेकिन यह एक असत्याभास ही था, कि यह कैसे हुआ था। क्यों नहीं वह उस बड़े शिक्षण संस्थान में आया जो यरूशलेम में था? क्यों नहीं वह महा याजक कैफा के पास आया? क्यों नहीं वह उन कुछ श्रेष्ठ, प्रशिक्षित पुरुषों के पास आया जिन्होंने अपने बाल्यकाल से ही शिक्षा-दीक्षापायी थी,और उनके बाप-दादे उनसे पहले प्रशिक्षित किये गये थे, और उनके पुरखे उन से पहले पीढ़ी दर पीढ़ी, पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए प्रशिक्षित और शिक्षण संस्थानों से शिक्षा पाये हुए, और बहुत ही बढ़िया व उच्च कोटि के सुसंस्कृत, शिक्षित लोग थे? और फिर भी उस एक बूढ़े से व्यक्ति को जिसने अपने जीवन में किसी भी विद्यालय से कभी भी कोई शिक्षा नहीं पायी थी बाहर लिया, और उसे यरदन पर बैठाया, और उसने उसके विषय में कहा था, “यही है। वह!” यह पूर्णतः एक असत्याभास ही था। यद्यपि यह विश्वास से परे था, मगर यह एक सत्य था। परमेश्वर ने ऐसा ही किया था।72हमारे प्रभु का एक कुंवारी के द्वारा जन्म लेना एक अविश्वसनीय बात ही तो थी; कि कोई स्त्री बिना किसी पुरुष को जाने एकबालक उत्पन्न करे। परमेश्वर ने ऐसा ही किया था। परमेश्वर ने ऐसा ही किया था। देखिए, यह एक असत्याभास ही तो है। एक कम उम्र कीस्त्री को जो वहाँ पर थी,एक कम उम्र की लड़की को जो वहाँ पर थी लिया, और उस युवती की सगाई एक ऐसे पुरुष से करायी जो लगभग पैंतालीस वर्ष का था; वह लड़की खुद सो लह या अठ्ठारह वर्ष की थी, और उसकी मंगनी उस विदुर पुरुष से हुई जिसके चार बच्चे थे। और फिर इस स्त्री को लिया, और उस पर पवित्र आत्मा के द्वारा छाया की गई, और उसने अपने गर्भ में उस देह को ग्रहण किया जिसके अंदर सर्वशक्तिमान परमेश्वरने डेरा किया। यह एक असत्याभास ही तो था!73कैसे वह स्वर्ग उसे थाम कर नहीं रख सकता है! पृथ्वी उसकी चौकी है, स्वर्ग उसका सिंहासन है, और फिर भी वह अपने परमेश्वरत्व की परिपूर्णताको सदेह लेकर आ सकता था,और उसने एक मनुष्य (MAN)के अंदर सदेहवास किया। ओह! आप समय केयुगों में सैकड़ों करोड़ों मीलों को नाप सकते हैं, मगर आप परमेश्वर को कदापि नाप नहीं सकते हैं। और यद्यपि एक छोटा बालक चरनी में लेटा हुआ था,फिर भी उसके परमेश्वरत्व की परिपूर्णता उसमें सदेह वास कर रही थी। यहोवा! एक असत्याभास! वह महान परमेश्वर जो सुदूर अनन्तता में बैठता है, कि करोड़ों सूरजों को जो ग्रहों पर चमकते हैं, काबू में करके रखे,और वहीं परमेश्वर जिसका न तो कभी कोई आरम्भ है, और न ही कभी कोई अंत है, वह स्वयं एक गंदैले घुड़साल में एक बालक के रूप में जन्म लेता है।और फिर भी हम बाहर आते हैं और नाँचते हैं, और शराब पीते हैं, और आनन्द मनाने के लिए ऐसे ही कामों को करते हैं। यह तो कोई मौज-मस्ती करना, आनन्द-उत्सव मनाना नहीं है, यह तो एक आराधना है। हम क्रिसमस मनाते हैं। कैसे परमेश्वर ने वह किया था, कि उसने पापी की जगह लेने के लिए मौत सही।74यह एक असत्याभास ही तो था, जब एक छोटा, सुंघराले बालों वाला लड़का, झुके हुए कंधों वाला एक छोटा लड़का था, जो शायद पाँच फुट लम्बा भी नहीं था, और उसकी सात लटें उसके सिर के इधर-उधर लटकी रहती थीं, वह एक छोटा सा शर्मीला सा लड़का था। और एक दिन जब वह अपनी लड़की-मित्र से मिलने के लिए अपने मार्ग पर चला आता था, तो एक सिंह उस पर गुर्राया।क्या कभी किसी ने एक असली सिंह का गुर्राना सुना है?आपने शायद इन पिंजरों में और इसी प्रकार के स्थानों में जो यहाँ चारों ओर हैं इसे सुना होगा।परन्तु मैं आपको बताना चाहता हूँ, कि वे तो बस म्याऊँ- म्याऊँ ही कर रहे हैं । आपको किसी असली सिंह की असली गुर्राहट सुननी चाहिए। चट्टानें पहाड़ों से आधा मील तक लुढ़क जाती हैं, चिकने कंकड़ पहाड़ से दूर तक दौड़ते चले जाते हैं, वह ज़मीन को ऐसा हिला देती है। वह गुर्राहट कहाँ से आती है, मैं नहीं जानता हूँ।75ओह, मैंने उस एक को देखा है। एक दिन वह अपना मुँहनीचे को किये हुआ था,एक बहुत बड़ा पीला बब्बर शेर एक काले वाले बब्बर शेर पर—गुर्राया, क्योंकि उस काले वाले ने उसका मांस का टुकड़ा उठा लिया था। वह पीला बब्बर शेर उसे वहीं पर पड़ा हुआ छोड़ गया था, और उसने बस इतना ही कहा था, अब, तू बस उसे छोड़ दे, मैं पानी पीनेके लिए नीचे जा रहा हूँ। और वह लपलप करके पानी पीने के लिए नीचे गया। जब वह वापस लौटकर आया,तो यह काला वाला उसे चाट रहा था। वह बूढ़ा शेर बस रुका, उसने अपना सिर नीचे को किया, और वह ज़ोर से गुर्राया….और मैं कहूँगा, कि पहाड़ से चट्टाने लुढ़क गईं। ओह, मेरे ख़ुदा! यदि उसने यहाँ पर इस तरह गुर्राया होता, तो उसने शहर कोही हिला दिया होता। ऐसी शेर की गुर्राहट होती है; ओह,वह बहुत ही उग्र होता है।और यह गुर्राहटइस छोटू भैय्या के खिलाफ थी जोंकि सुंघराले बालों वाला था; हमने उसे छोटू भैय्या” कहेंगे; और तब कुछ घटित हुआ था। वह नाटा सा छोटू भैय्या उसके पास तक चलकर गया, और उसने उसे मुँह से पकड़ा, और उसे अपने हाथ से इस ओर चीरा, और एक हाथ से उस ओर चीरा; उसने ऐसा अधीर होकर नहीं किया था, और उसने तो बस उसे चीर ही डाला था, और उसे वहीं नीचे पटक डाला था। यह एक असत्याभास ही था। किसने ऐसा किया था? यदि आप इससे पहले पढ़ें, तो आप ध्यान देंगे, कि “और एक शब्द संयोजक है, ”प्रभु का आत्मा उस पर आया।”यही है वह जिसने अंतर कर डाला था। और उसने सिंह को जान से मार डाला था।76इसके बाद एक दिन कुछ पलश्तियों ने उसका पीछा किया। वह निहत्था था। वहाँ पर वे एक हजार थे। उनके पास लम्बे लम्बे भाले और बड़ीबड़ी ढ़ालें थीं,और वे ऐसी थीं, कि मानो आपके आगे कोई दरवाजा हो, वे ढ़ाल ऐसी थीं। अब आप पीतल की उन बड़ी बड़ी विशाल ढ़ालों के बारे में सोचें, जो पूरी तरह से आपके आगे हों। उन्होंने पीतल का टोप, और पीतल के बड़े बड़े पत्तर पहने हुए थे, और उनके चारों ओर पीतल के कवच थे; उनके पास बड़े बड़े लम्बे लम्बे भाले थे; उनके ड्रडे लम्बे लम्बे थे जोकि लगभग पन्द्रह-बीस फीट लम्बे हों। उन पर पीतल की लम्बी लम्बी नोंक थीं जो कि रेज़र के जैसे पैनी थीं। और उन्होंने इस छोटे से घुघराले बालों वाले छोटू भैय्या को जो किपलश्तीन से अपनी लड़की मित्र से मिलने के लिए वहाँ नीचे आ रहा था, वहाँ पर पाया। अतः उन्होंने कहा, “वहाँ पर वह नाटा लड़का है। आओ जाकर हम उसे अपने कब्जे में कर लें।” एक ही आदमी उसे भाले की नोंक से अपने काबू में कर लेता; बस उसे उस पर उठा लेता, और उसे थोड़ासा हिला डालता, और वह बस उसके हाथों में गिर पड़ता, वह उसके भालेके हत्थे से होते हुए उसके हाथों में गिर पड़ता। क्यों, वह तो एक छोटा-नाटा सा, हल्का-फुल्का लड़का ही था।77कुछ लोग, कुछ चित्रकार शिमशौन को ऐसा चित्रित करते हैं, कि उसके कन्धे ऐसे ऊँचे ऊँचे थे, कि वह इस टेबरनिकल के अंदर नहीं आ सकता था। खैर, वह कोई भेद नहीं होगा,उस पुरुष कावैसा डील-डौल नहीं था। शिमशौन तो बस एक छोटा सा हल्का-फुल्का सा लड़का था; परन्तु यह तो परमेश्वर का ही आत्मा था जो बड़ा था।समझे? वह लेताहै…यह कहना कि वह पुरुष वैसे डील-डौल का था, वचन का अनादर करना है।आप देखिए,परमेश्वर तो हमेशा ही उस जैसे मूर्ख और अज्ञानी लोगों को लेता है जिनसे वह अपना काम करवा ये। वहतो किसी ऐसे को लेता है जो कुछ नहीं होता है।78अतः यह छोटा लड़का वहाँ बाहर खड़ा हुआ था; और एका एक ये पलश्ती वहाँ पर आ जाते हैं; और वे उसे जान से मार डालने के लिए चारों ओर से घेर लेते हैं। और उसने एक नरगद हे के जबड़े की हड्डी को जो वहाँ पर पड़ी हुई थी, लिया; उसने एक जंगली छोटे से गदहे के जबड़े की हड्डी को उठाया जो वहीं पर पड़ी हुई थी। और यहोवा का आत्मा उस पर आया। और वहाँ पर यह असत्याभास ही तो था, कि कैसे उसने एक गदहे के जबड़े की हड्डी से उन्हें पीट -पीटकर मार डालाथा… कैसे उसने गदहे के जबड़े की हड्डी से उनके सिर पर मार मारी, जबकि उन्होंने आधे इन्ची मोटे टोप पहने हुए थे। क्यों, पहली बात तो यह है,कि वह पुरानी, सूखी हुई जबड़े की हड्डी वहाँ पर पड़ी हुई थी, और अगर वह उसे उन टोपों में से किसी पर या उन ढालों में से किसी पर दे मारता, तो वह हड्डी चटक कर हजारों टुकड़ों में खंड़ित हो जाती। जब वे एक हजार उस पर चढ़ आये थे, तो उसने उन में से हर एक को जान से मार डाला था। असत्याभास! ऐसा तब हुआ जब परमेश्वर का आत्मा उस पर उतर आया!ओह, यदि हम परमेश्वर के हाथ में केवल जबड़े की हड्डी ही हो सकें, तो एक और असत्याभासहो जायेगा। जी हाँ,वह एक असत्याभास ही तो था!79यह एक असत्याभास ही तो था, जब हमारे प्रभु ने पाँच रोटियाँ और दो मछली लीं; और उन्हें तोड़ा, और उन से पाँच हजार लोगों को भोजन खिलाया;और बचे हुए सेटोकरियाँ भर गई थीं,जिससे उन मेंसे कुछ लोगों के लिए जिन्होंने नहीं खाया था छोटे छोटे पैकेट बांधकर दिये गये।उन्होंने चार या पाँच मछली और चार या पाँच रोटियाँ इस मेज़ के ऊपर रख दीं, और इसके बाद यहाँ पर गये और चार या पाँच रोटीरख दीं। और उन में से कुछ तो उन सारी की सारी को नहीं खा सकते थे; और उन्होंने उन्हें बस वहीं पर छोड़ दिया था। अतः उन्होंने उन्हें उठाया, और उन से टोकरियाँ भर गईं। ओह! देखा? उसने ऐसा कैसे किया था? यह अविश्वसनीय है, कि एक मनुष्य ने पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँलेकर पाँच हजार लोगों को भोजन खिलाया, और बचे हुए से सात टोकरे भर गये। यह अविश्वसनीय है, लेकिन उसने यह किया था। क्यों? क्योंकि वह परमेश्वर था। यह एक असत्याभास था।यह अविश्वनीय था,मगर उसने यहकिया था।80यह अविश्वसनी यही था,और ना तो ऐसा उससे पहले कभी हुआ,और ना ही कभी उसके बाद हुआ,कि समुद्र में तूफान उठा हुआ था,और लहरें इतनी ऊँची थीं,कि नाव डूबेचली जा रही थी;और तब एक मनुष्य उन लहरों पर चलता हुआ आता है। मैं बस देख सकता हूँ, कि हर बार एक बड़ी प्रचंड़ झागदार लहर उसके चारों ओर आती है, वह बस फट जाती है,और गिरकर तलहटीमें नीचे चली जाती है,और वह आगे को ऐसे चलता चला जाता है,जैसे मानो वह कांकरिट के एक खंड़ पर था। वह समुद्र में तूफान के समय में चल रहा था! विज्ञान इसकी खोज करके बताये,कि किसने उसे वहाँ ऊपर थामा था,यह क्या था जो उसे उस समुद्र पर टिकाये हुए था, जबकि यह वहाँ पर आधा मील गहरा था? जबकि वे लहरें इतनी ज्यादा ऊँची थीं; वे तो आराधनालय से भी कई गुना बड़ी थी; और वे उमड़ रही थी,क्यों, क्यों, उन्होंने तो छोटी सी नाव को पानी से भर दिया था, और उस में ढेरों पानी भर गया था। नाव अंदर और बाहर से गीली हो चुकी थी, और वह डूब रही थी; मस्तूलस्तम्भ (Mast Poles )टूट चुके थे, और चप्पू बह चुके थे और बचने की सारी आशाएं खत्म हो चुकी थीं। और यहाँ पर कोई पानी पर चलता हुआ आता है। यह एक असत्याभास ही तो था, यकीनन,यह श्वसनीयथा;इसे समझायानहीं जा सकता था,लेकिन उसने इसेकिया था। ओह,जी हाँ, उसने ऐसा किया था, वह पानी पर चलता हुआ आया था।यह अविश्वसनीयहै,कि यह ठीक वही एक ऐसा है… हे परमेश्वर, मैं आशा करता हूँ, कि यह बात अपना स्थान पा रही है!81यह अविश्वसनीय ही तो था, सचमुच में यह एक असत्याभास ही तो था, कि ठीक यही वाला मनुष्य अर्थात् नाजरत का यीशु अपनी कलीसिया के लिए उस दिन की नामधारी कलीसियाओं तथा संस्थाओं के सुप्रशिक्षित पुरोहितों के बजाये अज्ञानी मछुवारों का झंड़ चुनता है। कैसे वही परमेश्वर जिसके पास सारी बुद्धि है, कि वह पानी के ऊपर चल सकता था, पानी को दाख रस बना सकता था, पाँच रोटियों से पाँच हजार लोगों को भोजन खिला सकता था, और बचे हुओं से सात टोकरे भर गये थे। कैसे ठीक वही वाला ही,वह परमेश्वर जोसुदूर अनन्तता में विराजमान होता है, जो कि इतना उज्ज्वल है,कि सूर्य अपना मुख उससे छिपा लेते हैं, वह जो सारीबुद्धि और शुद्धता और समझ और ज्ञान का सोता है, प्रधानों का प्रधान है;और वही एक ऐसी स्थिति में आ जाता है,जहाँ कलीसियाओं की बड़ी बड़ी संस्थाएं एक साथ मिलकर इकट्ठी हो गईं थीं, और उन्होंने अपने लोगों को प्रशिक्षित किया; और वह तो नीचे गया और उन गंदे, बबूदार मछुवारों के झुंड को लिया जो अपने नामके हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते थे; और उसने उसी प्रकार के मनुष्य को अपनी दुल्हन के लिए कलीसिया को सुव्यवस्थित करने के लिए चुनाथा। यह क्या ही विचित्र बात है, क्या यह नहीं है? कम से कम ऐसा दिखाई देता है,कि मानो वह किसी ऐसे को लेता जो प्रशिक्षित होता।वह खुद ही प्रशिक्षण देने वाला है। वही एक ऐसा है जो प्रशिक्षण देता है। यहविचित्र बात है,कि उसने ऐसाकिया था। उस कलीसिया (तथाकथित कलीसिया) के लोगों को लेने की बजाये उसने मछुवारोंको लिया,कि वह इसे करे—उसने इसे करवाने के लिए मछुवारों को लिया। यह बड़ी ही विचित्र बात है, परन्तु वह इसे ऐसे ही करता है। यह सच है।82यहतो एक असली असत्याभास है!जब परमेश्वर नेउन अज्ञानियों का झंड़ लिया था; जैसा कि हम आज उन्हें होली-रोलर“, या ”पवित्र-पाखंड़ी“ कहेंगे, वे संसार की चीजों में निर्धन थे; और परमेश्वर ने ही ऊपर अटारी में उनके ऊपर पवित्र आत्मा उंडेला था बजाये इसकेकि वह इसे आराधनालय के याजकों और महायाजक की सभा पर उंडेलता, जहाँ सारे धर्म शास्त्री, जहाँ सारे उच्च-पदासीन लोग, जहाँ कलीसिया के सारे प्रधान, जहाँ वचन का अध्ययन प्राप्त लोग मौजूद थे; और उन्होंने एक बड़ा शिक्षण संस्थान बनाया था; और वे सुप्रशिक्षित लोग थे, और मसीहा के आगमन की बाट जोह रहे थे, और यह जान रहे थे, कि वे ही वो लोग होंगे जो बाहर निकल कर जायेंगे,और मसीहा से भेंट करेंगे और कहेंगे,”मसीह, तू नीचे आया है जैसे मानो हवाई जहाज के पंखों पर तू आया हो,तू यहाँ मन्दिर की सीढ़ियों पर बैठ जा,हमने तुझे स्वर्ग से सुनहरे गलियारे से नीचे उतरते हुए देखा है।
अब हम सारे के सारेशिक्षा-दीक्षा पाये हुए लोग हैं, और काम पर जाने के लिए तैयार हैं। हमारे पास हमारी शिक्षा है, हमारे पास हमारी कला की स्नातक डिग्री है, हमारे पास हमारी पी एच. डी.; एल. एल. डी., और यह सब हैं। हम सब प्रशिक्षित हैं। हम यहाँ पर खड़े हैं, हम दस हजार बलवान हैं। हम तेरे लिए तैयार हैं। आ जा! हम बाट जोह रहे थे, और पुकार रहे थे,’आ जा!”83परन्तु वैसा करने की बजाये वह नीचे जाता है; और वह उन लोगों के झुंड़ को लेता है जोबा मुश्किल से अपना सीधा और उल्टा हाथ जानते थे। यह सच है। और उन्हें ऊपर कोठरी में रखा, और उसने उन पर अपना आत्मा उंडेला; हे परमेश्वर, उन जैसे लोगों के झुंड़ के ऊपर पवित्र आत्मा उड़ेला। उसने आराधनालय के बड़ेबड़े पुरोहितों की मंड़ली लेने के बजाये मछुवारों को लिया। क्या यह विचित्र नहीं है,कि उसने उनकी पढ़ाई-लिखाई का इस्तेमाल नहीं किया! परमेश्वर को यही भाया!ऐसा प्रतीत होता है,कि मानो परमेश्वर को यही भाता है,कि वह अपनी निजकली सिया को एक असत्याभास बना ये। वह ठीक ऐसा ही काम ठीक इस समय कर रहा है; वह अपनी कलीसिया में से एक असत्याभास बना रहा है; वह उन सारे बड़े बड़े ज्ञानियों-धानियों को और इन सारे फजूल के लोगों को जो कि तथा कथितकली सिया कहला ते हैं, छोड़कर आगे बढ़ रहा है। और वह करेगा….कोई भी वह व्यक्ति जो अपनी आँखों को खोलेगा, और देखेगा, कि सत्य क्या है,और उसे परमेश्वर के वचन से जिसमें इस समय हम रह रहे हैं, परखेगा,परमेश्वर इसे अपने हाथ में ले सकता है; और उसे अपनी देह के अंदर साठ सकता है। एक असत्याभास! परमेश्वर ऐसों को ही चुनता है! वह अपनी कलीसिया को एक असत्याभास बनाता है, उन्हें अज़ीब लोग बनाता है, विचित्र प्राणी बनाता है।84वे सारे जो वहाँ पर ऊपर की कोठरी में थे; अन्यान्य भाषाओं में बोलते हुए वहाँ से बाहर निकले; वे मदिरा पिये हुए लोगों के जैसे लड़खड़ा रहेथे,वे लड़खड़ा रहे। थे; और इसी प्रकार के कार्य-कलाप कर रहे थे।स्त्रियाँ;यहाँ तक किउसकी अपनी माँ तथा वे सब जो ऊपर की कोठरी में थे जब बाहर निकलकर आयें, तो वे कुछ बुदबुद रहे थे जिसे कोई नहीं समझसकता था,कि वे क्या कररहे थे। सबसे पहले तो उनके ऊपर आग की फटी हुई जीभे सी आकर ठहरीं। “फटीहुई” का अर्थ होता है,विभक्त की हुई।कोई भी नहीं समझ सकता था,कि वे क्या कररहे थे। वे वहाँ पर चारों ओर बुदबुदा रहे थे, और ऐसा आचार-व्यवहार कर रहे थे, कि मानो मदिरा पिये हुए हों।और वहीं पर उन लोगों का झुंड़ खड़ा हुआ था जो प्रशिक्षित थे, जो सुसमाचार के ज्ञाता, धर्मशास्त्र के विद्वान थे; परन्तु परमेश्वर ने चुना, कि ले…और उन्हें उनकी अज्ञानता में उनकीउच्च कोटि की तेज़-तर्रारता, और शिक्षा में ही बैठा छोड़ दिया; और वह यहाँ पर आया,और इन लोगों केझंड़ को लिया जो अपनी ए.बी. सी. भी नहीं जानते थे; और उसने उन्हीं के ऊपर अपना आत्मा उड़ेला, और उनमें से एक असत्याभास बनाया। जी हाँ, परमेश्वर ऐसा ही करता है; वह ऐसा अपने उद्देश्य के लिए ही करता है। वह अपनी कलीसिया को एक असत्याभासबनाता है। मैं उन पर विश्वास करता हूँ। मैं इस पर विश्वास करता हूँ।85अतः परमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए,कि मैं वचन काही विश्वास करूं। हर एक मनुष्यकी बात झूठी और यह वचन सच्चा ठहरे।“ जो यह वचन करने के लिए कहता है, आइये हम उसे बिलकुल ठीक वैसा ही करें जैसा कि वचन इसे करने के लिए कहता है; इससे कोई मतलब नहीं है, कि यह कितना ज्यादा हास्यप्रद प्रतीत होता है, और आप इसे करने में कितने विचित्र से बन जाते हैं,या ऐसा कुछ भी क्यों न हो जाता हो। आप बस वचन के साथ ही टिके रहें। आपको पुराने फैशन का कहा जाता है,आपको यह, वह, या और कुछ कहा जाता है,कुछ भी हो, आप क्यों परवाह करते हैं? आप वचन के साथ ही स्थिर बने रहें! यही है वह, यही सत्य है। आप वह न ग्रहण करें जो कोई दूसरा कहता है। आप वही ग्रहण करें जो वचन ने कहा था।86अधिक समय नहीं हुआ, कि यहाँ पर मेरा एक प्रचारक मित्र…मैंने सिर्फ इसे सुना था। मेरा यह मानना है, कि मैंने इसे यहाँ पर बताया है। जोर्जिया में एक तेज़ तप्त दोपहर-बाद वह एक औषधि विक्रेता से मुलाकात कर रहा था। वह बूढ़ा औषधि विक्रेता एक बहुत ही अच्छा वृद्ध मसीह भाई था,जो कि परमेश्वर के आत्मा से भरा हुआ था। और उसने कहा, “अंदर आकर नीचे बैठ जाओ, और आओ हम कोक (कोल्ड ड्रीक) पीयें।” वेवहाँ पर बैठे हुए अपनी अपनी कोक पी रहे थे। उसने कहा, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूँ, और शायद तुम इसका विश्वास नहीं करोगे।“उस प्रचारक नेकहा,“ठीक है, पहले हम इसे सुन तो लें।”वह बोला,“मैंने हमेशा ही अपनी तरफ से परमेश्वर के लिए अच्छे से अच्छा करने का यत्न किया है।” वह किसी एक कलीसिया में डीकन था। वह बोला, “मैंने हमेशा ही अपनी बुलाहट के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने का, और वह करने कायत्न किया है जो सही है। वह बोला, ”मैंने कभी भी किसी के साथ छल-कपट नहीं किया है। मैंने सदा अपने प्रभु की गवाहीदी है;मैं जहाँ कहीं भी अपने प्रभु की गवाही दे सकता था मैंने अपने प्रभु की गवाही दी।“ और बोला, ”मैं यहाँ पर हैं; यहाँ पर मेरी दवाइयाँ हैं। मैंने हमेशा ही उन सबसे उत्तम श्रेणी की औषधियों को खरीद कर बेचने का यत्न किया है जिन्हें मैं खरीद सकता हूँ। मैंने कभी भी किसी से अधिक कीमत नहीं वसूली है। मैंने वही हर एक काम करने की कोशिश की है जो सही है, जिसे मैं जानता था,कि कैसे करना है,ताकि प्रभु की सेवा करूं।” वह बोला, “मैं तुम्हें वह बताने जा रहा हूँ जो घटित हुआ था।87बोला, “मेरा बेटा जो कि खुद भी औषधि विक्रेता होने के लिए पढ़ाई लिखाई कर रहा है, ताकि मेरा ही पेशा अपनाये, वह एक दिन वहाँ पर एक इमारत के आगे खड़ा हुआथा।” और बोला,“यह निराशा के समय के दौरान की बात है।” बोला, “एक कम उम्र की महिला द्वार के अंदर चलकर आयी’; और बोला, ”आप देख सकते थे, कि उसकी क्या परेशानी थी। और वह माँ बनने जारही थी।और उसने और उसके पति ने, उन दोनों ने ही गरीबों के से कपड़े पहने हुए थे।“ बोला,”उन्होंने मेरे बेटे को नुस्खा दिया,कि वह उसे भरदे,क्योंकि वह स्त्री इस निश्चित वस्तु की आवश्यकता मेंथी जिसे चिकित्सक ने उसके लिए लिखा था, और चिकित्सक ने लिख रखा था, “यह इतना-इतना होना होगा; और जब होने वाले पिता ने पूछा, इसकी कीमत कितनी होगी,तो मेरे पुत्रने कहा,”इतनी-इतनी’, तो उसने कहा,श्रीमान, मैं तो यह नुस्खा भरवा नहीं सकेंगा, या नहीं भरवा सकता हूँ, क्योंकि ऐसा है कि मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं।“88खैर, उस औषधि विक्रेता ने कहा, “मेरा पुत्र बोला, ”ठीक है, वहाँ नीचे गली में जाओ,बस आधे ब्लॉक, या ब्लॉक तक जाना और बांये मुड़ना; और आप वहाँ पर वह जगह देखेंगे जहाँ पर लोग धर्मार्थ करते हैं। और आप वहाँ उस सूबे में जाना, और हो सकता है,कि वे शायद आपको इस ऑडर का भुगतान करने के लिए पैसा दे दें—वे इस नुस्खे के लिए भुगतान कर देंगे,क्योंकि इस स्त्री को तुरंत ही दवाई की आवश्यकता है। और बोला, “वह उस जगह से बाहर चल दिया, वह बाहर निकलने लगा।और उसने कहा, कि उसने अपने पुत्र की बात सुनी थी, और उसने कहा, और किसी चीज नेमुझसे कहा,“ओह नहीं; ऐसा न करो। उस स्त्री को उसकी आवश्यकता है।” बोला, ”वह सोचने लगा, वहाँ पर तो लोगों की एक लम्बी कतार है! एक अच्छे खासे पुरुष के लिए उस कतारमें खड़ा होना कठिन होता है और फिर यह माँतो ऐसी हालत में है।बोला, “मैंने अपने पुत्र से कहा, कि जाकर उन्हें बुला लाओ! उन्हें वापस आने के लिए कहो।” वह बोला,“और मैं दौड़ कर द्वार की ओर गया,और बोला, ‘वापस आओ! वापस आओ!’ वे वापस आते हैं। और मैंने अपने पुत्र से कहा, ”उसे भर दो। इसका कोई पैसा नहीं है।“89और बोला, “मेरे पुत्र ने मुझे वह नुस्खा दे दिया; और मैंने जाकर उसे भर दिया, मैंने उसे उस उत्तम से उत्तम औषधि से भर दियाजिससे मैं उसे भर सकता था।और मैं उसे उसस्त्री को देने के लिए लेकर आया, और उसे बताया,“आपको इस पर कोईपैसा नहीं देना होगा।’वह बिलकुल ठीकथा,क्योंकि उसस्त्री को उसकी बड़ी ही ज्यादा आवश्यकता थी, और मैंने उसे यह बिना पैसे लिये ही दे दिया।”अतः बोला, “मैं बस उस औषधि को उस स्त्री के हाथ में रखनेलगा। और जब मैंने ऐसा किया,तो मैंने हाथपर दृष्टि डाली,और वह छिदा हुआथा।” बोला, “मैंने ऊपर दृष्टि डाली, और मैं उसे यीशु के हाथों में रख रहाथा।” बोला,“तब मैंने वहसीखा जो वचन के लेखों का अर्थ है, कि ”जो कुछ तुमने इन छोटे में से छोटे के साथ किया..जो कुछ भी तुमने इनछोटे में से छोटे के साथ किया; तुमने वह मेरे साथ किया।बोला,“क्या तुम इसकाविश्वास करते हो?’इस व्यक्ति नेमुझ से कहा।क्यों,नहीं, निश्चय ही, मैं इसका विश्वास करता हूँ।“ यह एक असत्याभास ही तो था,यह अविश्वसनीयथा,परन्तु यह तो सत्य था।90टॉरंस, फ्रांस के महान संत मार्टिन के विषय में कैसा है! जबकि वह एक सिपाही था;तो एक रात ठंड़में जब वह अंधेरी गली में नीचे आ रहा था, तो वहाँ पर एक ….इस सर्द में, अंधेरी गली में एक बूढ़ा कंगाल भिखारी पड़ा हुआ था, वह गली में पड़ा हुआ ठिठुर रहा था। उसका खून उसकी नसों में जमें जा रहा था। और मार्टिन अभी तक एक मसीही भी नहीं था। और कोई भीवह व्यक्ति जिसने बाइबिल का इतिहास पढ़ा है; वह संत मार्टिन के विषय में जानता है। मैंने इसे उस इतिहासकार के तथ्यों सेलिया है जो किसी और दिन अपना कार्ड लेने का प्रयास कर रहा था…मैंने संत मार्टिनको तीसरे कलीसियायी काल के लिए लिया था, क्योंकि जो उसके चिन्ह थे वे ही ऐसा बता रहे थे। और संत मार्टिन ने नीचेदृष्टि डाली….वह एक सिपाही था, और वहाँ पर यह वृद्ध गली में लेटा हुआ ठंड़ से जमे जा रहा था। और मार्टिन नेदृष्टि डाली,और मार्टिन केपास एक ही कोट था;और बिना कोट केवह जम गया होता। उसने अपना चाकू लिया, और अपने कोट को आधा काटा, और उस आधे कटे हुए भाग से उस गरीब कंगाल को लपेट दिया। और दूसरे आधे भाग कोअपने चारों ओर लपेट लिया और आगे चला गया।91उस रात जब वह अपने कक्ष में गया, और जाकर नीचे बैठा, तो उसने किसीकी कक्ष के अंदर आने की आहट सुनी। उसने दृष्टि डाली, और यीशु उसी कोट के टुकड़े को लपेटे हुए अंदर आता है। यही उसकी सेवकाई के लिए उसकी बुलाहट थी।वह एक संत बन जाता है। उसने अन्यान्य भाषाएँ बोलीं। उसका स्कूल प्रशिक्षित था। उसने अपने लोगोंको परमेश्वर के वचन से बिलकुल ठीक ठीक प्रशिक्षित किया था। उसने इसकी परवाह नहींकी थी,कि रोम की पहलीकलीसिया ने या उन मेंसे किसी ने क्या कहा था। वह तो बस परमेश्वर के वचन के साथ साथ ही टिका रहा था।उसने उन्हें अन्यान्य भाषाओं में बोलने; और बीमारों पर हाथ रखने की शिक्षा दी थी। उन्होंने मुरदों को जिलाया था।उन्होंने दुष्टात्माओं को बाहर निकाला था। एक पुरुष अर्थात् उसका एक मित्र मर गयाथा,और वह गया, और वह उसके ऊपर पसर गया(उसने पूछा था, कि क्या वह उसे जाकर कुछ मिनट देख सकता है)और वह तथा उसका मित्र एक साथ चलकर बाहर आये। क्यों? क्योंकि यह एक असत्याभास था! यकीनन, परमेश्वर ने ऐसा ही किया था।92मैं असत्याभासों पर विश्वास करता हूँ। जी हाँ, श्रीमान! मैं विश्वास करता हूँ। मैं उन पर अपने सम्पूर्ण ह्रदय से विश्वासकरता हूँ।यह एकअसत्याभास ही तो था,जब संसार मेंवे सब प्रवीण बुद्धि वाले लोग थे, और परमेश्वर ने स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ उसके हाथों में रखी थीं, “जो अज्ञानी और अनपढ़, समझा जाता था। यह सच है। उस दिन में संसार में जो सबसे अधिक तेज़ तर्रार व्यक्ति था, वह महायाजक कैफा था,तथा जो दूसरेतेज़-तर्रार लोग थे,वे सम्राट औरराजा और पृथ्वी के बड़े बड़े लोग जैसे राष्ट्रपति तथा इसी प्रकार के दूसरे पुरुषथे,तथा ये सारेमहान पुरुष थे।और संसार में सबसे अधिक महत्वपूर्ण चीज क्या है? परमेश्वर की कलीसिया! परमेश्वर ने पृथ्वी बनायी, उसने यह किसी एक उद्देश्य से बनायी, कि इसमें से एक कलीसिया, एक दुल्हन बाहर निकाले । और संसार में यही सबसे अधिक महत्वपूर्ण कार्य है।93और उसके पास जो सबसे अधिक तेज-तर्रार लोग थे, वे सम्राट, और राजा, और महाराजा, और बादशाह, और महायाजक और कलीसिया के लोग थे। वह उन में से किसी को भी ले सकता था। परन्तुयह एक असत्याभास ही तो था,जब उसने ऐसे पुरुषको बुलाया जो अपने नाम के हस्ताक्षर भी नहीं कर सकता था, और उसने उससे कहा था, “मैं तुझे स्वर्ग राज्य की कुंजियाँ दूंगा; जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा, मैं उसे स्वर्ग में बांधूंगा। जो कुछ तोपृथ्वी पर खोलेगा,मैं उसे स्वर्गपर खोलूंगा।’कहता हूँ, कि मैंने बस उस दर्शन के विषय में सोचा, “तू जो खोले, या बांधे।”“जो कुछ तूपृथ्वी पर बांधेगा उसे मैं स्वर्ग पर बांधूंगा। और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, मैं उसे स्वर्ग पर खोलूंगा।” जी हाँ, उसने यह अधिकार पढ़े लिखे महायाजक कैफाको नहीं दिया था,वरन एक अनपढ़-कूबढ़मछुवारे को दिया था। सचमुच में यह एक असत्याभास ही तो था।94हम पौलुस को देखते हैं, वह एक पुराना तीखी नाक वाला यहूदी था, वह अंहकारी अपने मार्ग पर चला जाता था; वह उन लोगों को बांधने के लिए चला जाता था जोशोर-शराबा और हो-हल्ला मचाते थे, और इसी प्रकार के दूसरे कार्यकलापों को करते थे; वह उन लोगों को बंदीगृह में डाल रहा था, वह कलीसिया पर अपना खौफ बैठा रहा था, जब स्तिफनूस पर पत्थरवाह किया गया, तो वह इसका गवाह था,वह उनकेअंगरखों को पकड़े हुए था। वह एक खौफ था। कैसे कभी परमेश्वर उस जैसे पुरुष कोचुनेगा?।और उन बिशपों को, उन सारे प्रेरितों को देखिए; वे कहते थे, “हम इसका चुनाव करेंगे, कि कोई यहूदाह का स्थान ले। और उन्होंनेकिसको चुना?उन्होंनेमत्तियाह को चुना! मत्तिय्याह; मेरा मानना है,कि उसे इसी नामसे पुकारा जाता था। मत्तिय्याह; जी हाँ! उन्होंने चिट्ठी डालकर मत्तिय्याह को चुना था;
और उसने कभी कोई काम नहीं किया था। वह धर्मीपुरुष तो प्रतीत होता था। परन्तु परमेश्वर ने तो उसका स्थान लेने के लिए उस कोचुना,जो संसार मेंसबसे ज्यादा अभिमानी था…जो संसार में सबसे ज्यादा तुच्छ था। असत्याभास! परमेश्वरऐसा ही करता है! असत्याभास!95यह एक असत्याभास ही तो था; जब यह अभक्त घमंड़ी,गुस्सैला, तुच्छ, तिरस्कार के योग्य,यहूदी एक दिनअपने मार्ग पर शहर की ओर चले जा रहा था, कि मसीहियों को बंधक बनाये और उन्हें बंदीगृह में डाल दे। और तभी वह एकाएकनीचे गिर पड़ा था। और जब उसने ऊपर दृष्टि डाली, तो उसने वहाँ पर आग के खम्भे को मौजूद देखा, और उसमें से एक आवाज़ यह आयी जो यह कह रही थी, हे शाऊल,हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?” यह एक असत्याभास ही तो था; जब वह इसे देख सकता था, और जबकि और दूसरे लोग इसे नहीं देख सकते थे।समझे?किसी ने कहाहोगा,“ओह, मैं तो उसे कभी नहीं देखता हूँ। वहाँ पर ऐसीकोई चीज नहीं है। जी हाँ,तुम नहीं देखतेहो! वह तो गलतहै।”और इसके विषयमें लोग आज कहते हैं,”मैं ऐसी बातोंका विश्वास नहीं करता हूँ। नहीं, निश्चय ही,मैं इसे नहींदेखता हूँ।’यदि आप नहीं देखसकते हैं,तो आप यकीननअंधे ही हैं,आप इसे नहींदेख सकते हैं।96कुछ समय पहलेएक व्यक्ति ने मुझसे कहा था-कई साल हो चुके हैं, कि एक व्यक्ति ने मुझसे कहा था, “अब, यदि मैं आपके मार्ग पर हूँ….”उसने कहा था, अब देखिए, पौलुस ने एक व्यक्ति को अंधा कर दिया था। अबयदि मैं शैतान का हूँ,तो तुम मुझेअंधा कर दो।”मैं बोला, “यह जरूरी नहीं है, कि ऐसा किया जाये। तुम तो पहले से ही अंधेहो। देखिए,तुम तो पहले सेही अंधे हो। तुम तो अंधेपन की सबसे भंयकर स्थिति में हो।” मैं बोला, ”हन्ना मन्दिर में थी, वह उससे कहीं अधिक दूर तक का देख सकती थीजितना कि तुम देख सकते हो। और वह शारीरिक तौर पर अंधी थी।” वह आदमी आत्मिकतौर पर अंधा था। निश्चय ही! यह एक असत्याभास ही तो था!97यह एक असत्याभास ही तो था; जब परमेश्वर ने तथाकथित पाखंड़ता को……जोयह सब शोर-शराबा,और चीखना-चिल्लाना; और परमेश्वर की स्तुति महिमा करना, और अन्यान्य भाषाओं में बोलना था; और वे लोग जो तुच्छ, और ठुकराये हुए थे, और मूर्ख और पाखंड़ी कहलाते थे, जब परमेश्वर ने, हम सब के महान पिता ने, हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता ने जब उनलोगों के झुंड़ को,जो पाखंड़ी” कहलाते थे अपनी कलीसिया के पास उद्धार लानेके लिए चुना;बजाए इसके किवह सुप्रशिक्षित पादरीवर्ग को, धर्मशास्त्र के ज्ञाताओं के प्रबंध को चुनता; तो यह एक असत्याभास ही तो था! यह एक असत्याभास ही तो था!98अधिक समय नहीं हुआ, जब मैं वाशिंगटन के शहर में था, अथवा नहीं, मेरा मानना है,कि यह ओरेगोनशहर था। और वहाँ पर एक पत्रकार आया; दो कम उम्र के पत्रकार,जिनके हाथ मेंसिगरेट थी आये। वे मेरे ऊपर एक लेख लिखने जा रहे थे। और आप जानते हैं, कि वे यकीनन, सचमुच में बहुत अच्छे थे। वे बातें करते चले जा रहे थे, वे यह बात तथा और दूसरी बाते कह रहे थे। औरउसने कहा,और..और —क्याआप एक पवित्र-पाखंड़ी.. हो-हल्ला मचाने वाले (Holy Roller) हैं?मैंने कहा, “जी नहीं।” मैंने कहा,”मैंने कभी भीहो-हल्ला नहीं मचाया है। परन्तु मैं..मैं सोचता हूँ, कि यदि वह मुझसे जोर जोर से जयजयकार करने के लिए कहेगा, तो मैं ज़ार ज़ोर से जयजयकार करूंगा।’और यह वार्तालाप इसी प्रकार से आगे बढ़ती चलीजा रही थी। और एक वती(लड़की रिपोर्टर) आगे बढ़े चली जा रही थी, और उसने कहा….ओह वह अपनी बातों में आगे बढ़रही थी।मैंने कहा,“मुझे बस आप कुछबताने दें,युवती, तुम जो चाहे वह लिखो। तुम एक कैथोलिक हो।’वह बोली, “यह सच है।” बोली,”तुम ने यह कैसेजाना,कि मैं एककैथोलिक हूँ।“मैंने कहा, “अच्छा, देखिएगा,मैंने यह ठीक वैसे ही जाना जैसे मैं प्रचार मंच पर उन दूसरी बातों को जान जाता हूँ।” मैंने कहा, ”तुम एक कैथोलिक हो। और तुम आगे बढ़ो औरइसे लिख डालो,परन्तु मैंतुम्हें ठीक इस समय यह चिता रहा हूँ, कि तुम इसे लिखो और अब से तीस दिन के अंदर तुम सड़क के किनारे पड़ी हुई होगी; और तुम्हारीगर्दन अपनी ही कार के शीशे से कटी हुई होगी, और तुम रहम के लिए चिल्ला रही होगी, और तुम मेरे बारे में कई बार सोचोगी।”वह बोली, “क्या तुम आयरलैंड़वासी नहीं हो?”मैंने कहा, “जी हाँ।”“क्या तुम्हारे लोग कैथोलिक नहीं थे?”मैंने कहा, “शायद वे मुझसे पहले थे।”बोली, “तुम्हारी माँ इसके विषय में क्या सोचती होगी, जैसा कि तुम कर रहे हो….”99मैंने कहा, “मैंने ही उसे यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा दिया था। और उसने पवित्र आत्मापाया था।” हाँ—हाँ! जी हाँ!और मैंने कहा, “अब देखो, यदि तुम उसी रीति पर चलना चाहती हो, तो फिर मैं तुम्हारा नाम लँगा और तुम मेरा नाम लोगी।फिर यदि ऐसा नहीं होता है, तो तीस दिन के बाद तुम समाचार पत्र में यह छाप देना, कि मैं एक झूठा भविष्यद्वक्ता हूँ। अब तुम आगे बढ़ोऔर इसे लिख डालो।’वह बोली, “ठीक है, मुझे तो यह सोचकर भी घिन्न आयेगी, कि; जब मैं स्वर्ग को जाती हैं, तो उन जैसे अनपढ़, कूबढ़ लोग जो वहाँ ऊपर सभा में होते हैं, स्वर्ग में राज कर रहे होंगे।”मैंने कहा, “तुम्हें बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होगी। केवलएक ही बात है, किमैं… .देखिए,जब तक तुम अपनेदिमाग को और अपने तौर-तरीकों को नहीं बदलती हो, कुछ भी हो,तुम वहाँ परनहीं होगी।”मैंने कहा, ”वे तो वहाँ पर होंगे, क्योंकि परमेश्वर ने ही ऐसा चुना है।“100देखिए, यह एक असत्याभास ही तो है, कि परमेश्वर ने ही मूर्ख लोगों को और उन लोगों को लिया है। परमेश्वर ने ऐसे हीलोगों के झुंड़ के द्वारा जो उच्च कोटि के प्रशिक्षितऔर ज्ञानवान,विद्वानों, धर्मशास्त्र के ज्ञाताओं से पूरी तरह से अलगहैं,संसार के पासउद्धार लाने के लिए चुना,यह एकअसत्याभास ही तो है। परमेश्वर तो बस उसे छोड़कर आगे बढ़ जाता है। वह तो किसी तुच्छ,अनपढ़, अज्ञानी को लेता है,और उसे ऊपरउठाता है,और उसके अंदरअपना संदेश रखता है,जैसाकि उसने यूहन्नाके साथ किया था,जैसा उसने उनशेष दूसरों के साथ किया था,जैसा उसने पतरसतथा उनके साथ किया था;उसने उन्हेंबाहर भेजा,और उन सेसुसमाचार का प्रचार करवाया,और उन्हें अपनीकलीसिया के अंदर लेकर आया,और उनका उद्धारकिया और उन्हें वापस पृथ्वी पर लेकर आया, और उनके विषय में तो यही सारी की सारी बात है। और वह इन बड़े बड़े उच्च कोटिके व्यर्थ लोगों को जाने देता है। ओह, मेरे खुदा! निश्चय ही,यह कोई बात है!मैं…निश्चय ही,101यह कोई बात होती है जब परमेश्वर अपनी दुल्हनके लिए किसी शिक्षित व पढ़े-लिखे की बजाये अशिक्षित, अनपढ़,कूबढ़ को चुनताहै! क्या आप कल्पना कर सकते हैं, कि कोई एक पुरुष…कोई एक ऐसा पुरुष जिसके पास सर्वोच्च सामर्थ हो, अपनी दुल्हन का चुनाव कर रहा हो, और वह ले …मेरे पास यहाँ पर एक छोटी सी बात है, जिसे मैं कहना चाहता था; परन्तु मेरे पास समय नहीं होगा, कि मैं इसे कह दें,यह बात उसदृष्टांत के विषय में है;जो मैंने एकसमय देखा था। लेकिन मैं इसे नहीं कह सकेंगा। मैंने इसे यहाँ नीचे संक्षेप में लिखाहुआ है,मगर मेरे पासइसके लिए समय नहीं है।परन्तुपरमेश्वर ने अपनी दुल्हन को उस प्रकार के झुंड में से चुना है। अब, यदि कोई यह कह रहा है, कि ऐसा नहीं है, तो फिर आप अपनी बाइबिल पर विश्वास नहीं करतेहैं। यह बिलकुल सच है। आप अपनी बाइबिल पढ़ें, वह बिलकुल ठीक यही बात बताती है।102यह सचमुच एक असत्याभास ही तो था; जब परमेश्वर ने धर्मशास्त्र के उच्च कोटि के ज्ञान को चुनने की बजाये प्रेरणासे ओत-प्रोत प्रचार की मूर्खता को चुना। एक मनुष्य जो नहीं जानता है, जो मुश्किल से ही मारा, नहीं किया, कुल मिलाकर,लेकर आया, उठाया तथा इसी प्रकार के दूसरे शब्दों काउपयोग करता है,और वह अपनीव्याकरण में से इसी प्रकार की बातें कहता है जो व्याकरण के अनुसार सुनियोजित भीनहीं होती है,और वह इसीप्रकार की और दूसरी सभी बातें कहता है। और परमेश्वर ने उसी को चुना बजाये इसके किशिक्षण संस्थान से उच्च कोटि के प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति को चुनता, जो वास्तव में शब्दों का उच्चारण कर सकता होता और इसे बिलकुलठीक ठीक कह सकता होता। परन्तु परमेश्वर को तो यही भाया, कि वह प्रेरणा से ओत-प्रोत प्रचार की मूर्खताको ले,किसी ऐसे तुच्छकिसान लड़के को ले जो अपनी ए. बी. सी. भी नहीं जानता है, और परमेश्वर उसे लेता है। और उसके द्वाराप्राणों को जीतता है। जबकि वे सारे उच्च कोटि के उच्च ज्ञानी लोग तो सिर्फ ऐसेअगुवाई कर रहे हैं जैसे अंधा अंधे को रहा दिखा रहा हो। वे धोखेबाज़ हैं। यह एकअसली असत्याभास ही तो है!ओह, वचन तो इससे भरा पड़ा है। यहाँ पर बहुतेरेमूल पाठ हैं। मुझे उन्हें छोड़कर आगे बढ़ना है।103यह सच है,कि एक बड़ीकलीसिया तो उच्च कोटि के चमचमाते हुए थियॉलोजी से धर्म-ज्ञान से चमचमाती औरझिलमिलाती है,जबकि परमेश्वरका राज्य तो नम्रता से प्रज्वलित होता है-निर्धन और नम्र लोगों से दीप्तिमान होताहै। सुसमाचार चमकता नहीं है, वह तो दीप्तिमान होता है। नकली सोना तो चमकता है, पर असली सोना दीप्तिमान होता है। चमकने औरदीप्तिमान होने में बहुत फर्क होता है। हम यह जानते हैं। जबकि बड़ी कलीसिया तोतड़क-भड़क से,उच्च कोटि केशिक्षित विद्वानों से,बढ़िया मंचोंसे,दीवार पर टंगेक्रूस के चित्रों से और सबसे बढ़िया और सबसे श्रेष्ठ बनावटों और इमारतों और भव्यशानदार चीजों से और इसी प्रकार की सभी चीजों से झिलमिलाती है, लेकिन छोटा राज्य जो कहीं नीचे होता है। जैसेयह यहाँ पर गली में है,वह तो परमेश्वरकी महिमा से दीप्तिमान हो रहा होता है, देखिए,वह हृदय मेंदीनता-नम्रता से भरा हुआ होता है, देखिए,परमेश्वर उनमें काम कर रहा होता है,बीमारों कोचंगा कर रहा होता है,मुरदों को जिलारहा होता है,औरदुष्टात्माओं को बाहर निकाल रहा होता है, और इसी प्रकार के और दूसरे सभी कामों को कर रहा होता है। और वह उन्हें छोड़करआगे बढ़ रहा होता है।104प्रचारकों कीएक बहुत बड़ी सभा थी। आप इसे न भूलें। कुछ समय पहले यहाँ पर किसी नगर में सेवकगणोंकी एक बहुत बड़ी सभा हुई थी। कुछ लोग यहाँ से उस सभा में वहाँ पर गये थे। और उनकेपास कोई निश्चित पुरुष था जो करने जा रहा था….ओह वह तो धर्मशास्त्र का ज्ञाता था, उसका सन्देश था, “उसके पास लोगों के उस दिन के लिए संदेश था।” और उसने इस पर दो या तीन सप्ताह अध्ययन कियाथा। वह बिलकुल ठीक था। वह ऊपर चलकर प्रचार मंच पर आया, और उसके कपड़ों पर एक भी सलवट तक नहीं थी—वहबहुत ही बढ़िया कपड़े पहने हुए था। आप जानते हैं, कि वह वहाँ पर चलकर आया, और उसने अपना सीना बाहर को निकाला, और उसने अपने संदेश के लिए अपनी सारी बुद्धिऔर ताकत लगा दी। और उसने सचमुचमें एक घंटे का संदेश प्रचारा जिसे बौद्धिक रूप से स्पर्श नहीं किया जा सकता था।ओह,कैसे उसने अपनासीना बाहर को निकाला हुआ था, और किसी शिक्षण संस्थान से प्राप्त उपाधि वाला अमुक अमुक एल. एल डॉक्टर कहलायेजाने पर फूला हुआ था। वह इतना ज्यादा तेज़-तर्रार व शिक्षित विद्वान था, कि वह लोगों के लिए मनोविज्ञान तथा इसीप्रकार की दूसरे विषयों की सर्वोत्तम बातें लेकर आया था। कहा गया था, ”यह बहुत ही शानदार था।“परन्तु जो सच्चे मसीही वहाँ पर बैठे हुए थेवैसे ही थे जैसे वे वहाँ पर नीसियन कॉन्सिल में थे। इसने तो सिर्फ आत्मा को शोकितकिया था। ओह,निश्चय ही, यह एक सर्वोत्तम उपदेश था। जी हाँ, श्रीमान! उसने इसे उस सब से अलंकृत किया थाजिससे वह इसे अंलकृत कर सकता था। परन्तु जो आत्मा से भरे हुए असली लोग थे, उन्होंने बस यह कहा, “ओह?” यह बस नहीं गया…के साथ…वहाँ पर कोई आत्मा नहीं था जो उसका सर्मथन करता।105अतः जब वह नीचे आया, तो उसका सिर नीचे को झुका हुआ था; उसने देख लिया था, कि उसका संदेश लोगों को पल्ले नहीं पड़ा है।वह किसी दूसरे शिक्षण संस्थान से था; और वह पिन्तेकोस्तल लोगों के साथ था। अतः जब वह प्रचार मंच से लौट कर आया, तो उसके पर गिर हुए थे। और वह अपने सारेकागजातों को अपनी बगल में दबाये हुए इस प्रकार वहाँ से होकर नीचे निकलने लगा, वह लोगों की सभा में से होकर निकले जा रहाथा।वहीं पर सीधेहाथ की ओर एक बूढ़ा ज्ञानी संत बैठा हुआ था, जो किसी दूसरे व्यक्ति के पास पहुँचा, और बोला,“यदि वह वैसे हीऊपर जाता,जैसे वह नीचेआया है,तो वह वैसे हीनीचे आया होता जैसे वह ऊपर गया होता।” ऐसा ही है। यदि वह नम्र होकर ऊपर गया होता, तो सम्भवतः वह महिमा से भरकर नीचे आया होता। यदि वह वैसे ही ऊपर गया होता जैसेवह नीचे आया था,तो वह वैसे हीआया होता जैसे वह गया था। यह सच है। असत्याभास!106अब आप अंत में इसे सुनें, प्रार्थना-पंक्ति से पहले बस एक क्षण के लिए सुनिएँ! मैं एक और शब्द के विषयमें,लगभग दोअसत्याभासों के विषय में और कहना चाहता था।पुराने भविष्यद्वक्ताओं के दर्शन अभी भी एक असत्याभास ही तो हैं। उन्हेंस्पर्श नहीं किया गया है। कौन कह सकता है, कि एक मनुष्य चार हजार वर्ष पहले बिना घोड़ेवालीगाड़ियों के विषय में जो चौड़ी चौड़ी सड़कों पर एक दूसरे के विपरीत व्रीव वेग सेचल रही हों,कह सकता था।पुराने नियम के भविष्यद्वक्ता कैसे इन्हें पहले से ही देख सकते थे और इनके विषयमें बता सकते थे;वे परमेश्वर कीसामर्थ के द्वारा ही उभारे गये, कि इसे आने वाले वर्षों में पहले से ही देख लें; और उन्होंने इसके विषय में सिद्धता की यर्थाता में पहले से ही बताया! इसेसमझाएँ! यह एक असत्याभास ही तो था! ओह!107एक और छोटी सी बात है जो मैं आपको बताना चाहता हूँ; यह एक महत्वहीन बात है। परन्तु मेरा मसीह कीओर फिरना एक असत्याभास ही तो था। मैं यह प्रेम और आदर के साथ कहता हूँ। मेरेमाता-पिता गुजर चुके हैं। मेरी माँ के सारे लोग पापी, फन्देबाज़, शिकारी,और पहाड़ी लोगथे। मेरे पिता के लोग पियक्कड़, शराबी,जुआरी, बंदूक चलानेवाले, और एक दूसरे का कत्ल करनेवाले थे, उन में से अधिकतर तो जूते पहने ही मरे। कैसेभी हो हमारे अंदर धर्म का अल्पांश तक नहीं था। और परमेश्वर ने कैसे सा किया….यहक्या था जो उस सुबह वह वहाँ उस पुराने झोपड़े में आया था, जिसकी आप वहाँ उस दीवार पर तस्वीर देखते हैं? यह क्या था? यह तो एकदम अलग ही बात थी।यदि आप गेहूँ का दाना ज़मीन में बोते हैं, तो वह गेहूँ का दाना ही पैदा करेगा। आप मक्का का दाना ज़मीन में बोयेंगे, और वह मक्का ही पैदा करेगा। यदि आप ऊँटकटारेज़मीन में बोते हैं,तो वह ऊँटकटारेही पैदा करेगा।परन्तु यह एक असत्याभास है। आप में से हर एक ठीक यही बात अपने बारे में कह सकता है। हम सब उसअसत्याभास के विषय में सोच सकते हैं, जो हमारे साथ घटित हुआ है।108यहाँ पर एक और असत्याभास है! कैसे मैं जो लगभग तीस वर्ष से प्रचार करने के बादअभी भी सुदूर अनन्ता में जाने का दुस्साहस कर सकता हूँ? ऐसा कैसे हो सकता है? मैं तब से प्रचार कर रहा हूँ जब से मैं एकछोटा लड़का सा ही था,और अब मैं यहाँपर बावन वर्षीय बूढ़ा हूँ,और फिर भी मैंयह सोचने की हिम्मत कर सकता हूँ….मैंने..मैंने नहीं किया….मैं जानता था, कि मेरा उद्धार हो गया है। मगर मैं यह सोचनेकी हिम्मत कर रहा था….परन्तु एक सुबह परमेश्वर का प्रेम मेरे कमरे में अंदर नीचेआया,और मुझे ऊपरउठा कर ऊपर ले गया,और मुझे उसस्थान में ले गया,जहाँ परछुटकारा पाये हुए लोग हैं। वास्तव में यह एक असत्याभास ही तो था।109मैं आप से कुछ पूछना चाहता हूँ। हो सकता है, कि अब मैं यहाँ पर इसे छोटा करूं। मैं आप से कुछ पूछना चाहता हूं। मुझे बतायें, मुझे बतायें, कि वहाँ उस तस्वीर में क्या है? वह कहाँ से आया था?वह यहाँ पर किसलिए है?विज्ञान उसकाइंकार नहीं कर सकती है। वह क्या है जो वहाँ पर सभा में खड़ा होता है, और लोगों की अच्छी तरह से मंजाई और सफाई करताहै,और उन्हेंबताता है,“बीते समय मेंतुम ने क्या किया था।
तुम यहाँ पर इस उद्देश्य के लिए हो, तुम यहाँ पर इसके लिए हो? यह वैज्ञानिक मस्तिष्क के लिए अविश्वसनीय है!110अब देखिएगा, हम मस्तिष्क को पढ़ने की विद्या जानते हैं; मस्तिष्क को पढ़ने की विद्या यह होती है। वहवही बता रही होती है,जो कुछ भी आपकर रहे होते हैं;और मैं ठीक वहीबात कह सकता हूँ;देख सकता हूँ, या मैं आपका मस्तिष्क पढ़ रहा होता हूँ; यह तो ठीक उसी समय ही हो रहा होता है। मगर जबआप उसे देखते हैं,तो वह आपको उनबातों को बताता है जो आगे होंगी; वह तो मस्तिष्क को पढ़ने की कला को कहीं अकेला छोड़देता है।यह अविश्वसनीयहै,कि परमेश्वर इनअंत के दिनों में ठीक वैसा ही करेगा जैसी उसने प्रतिज्ञा की थी, कि वह इन कामों को करेगा। मगर यह सत्य है, यह एक असत्याभास ही तो है! ठीक वही परमेश्वरजिसके पास सदा-सर्वदा असत्याभास थे, और उसने उन्हें लोगों को दिखाया था; वह आज भी ठीक वही परमेश्वर है, क्योंकि वह अपना वचन पूरा करता है। विज्ञान इसका इंकार नहीं कर सकती है, यह तो यान्त्रिक कैमरे पर मौजूद है। परमेश्वर, यह तो एक असत्याभास ही है!111यह क्या है? निर्गमन के 13वें अध्याय मेंहम पढ़ते हैं,कि जो कुछ भीपरमेश्वर ने इस्राएल की संतान को दिया था वह आज की कलीसिया के लिए नमूना ही था; जैसे उन्होंने स्वाभाविक में यात्रा की, वैसे ही हम आत्मा में यात्रा कर रहे हैं। अबदेखिए,अगले रविवार कोहम इसी पर बोल रहे होंगे। याद रखिए, कि यह सब कुछ उस पर है। अब देखिए, ऐसा कैसे हुआ था,कि भौतिक तौरपर जहाँ कहीं भी गये थे—जिस भी जगह वेगये, परमेश्वर उनके साथ था। इसके जैसे ही….और परमेश्वर उनके साथ था; आत्मिक आयामों में कलीसिया मसीह के साथस्वर्गीय स्थानों में बैठी हुई है—सारे राज्य हमारे पांव तले हैं। हाल्लिलूय्याह!जी हाँ,श्रीमान! और उनके पासआगे का खम्भा था,उनके पासउजियाला था जिसके पीछे पीछे वे चलते थे। जहाँ कहीं यह उजियाला गया, वे उसके पीछे पीछे गये। हजारों वर्ष बीत चुकेहैं;सैकड़ोंसैकड़ों वर्ष बीत चुके हैं,और वह अभी भीजीवता है। यह एकअसत्याभास ही तो है! वह जो कल एक सा था…वचन को पूराकर रहा है; वह यहाँ पर एक गवाही के लिए है; वह हमारे लिए नहीं, वरन वह यहाँ पर इसीलिए है, क्योंकि परमेश्वर ने इसकी प्रतिज्ञा की है, कि यीशु मसीह कल, आज और युगानुयुग एक सा है। वही एक ऐसा था जिसने मूसा के लिए निन्दा उठायीथी—मसीह के खज़ानों, अथवा उसने मिस्र के खज़ानों की बजाये मसीह के लिएनिन्दा उठाना अधिक बड़ा धन समझा था। और वह मसीह क्या था जो उसके आगे आगे गया था? एक उजियाला, एक आग का खम्भा!उसने कहा था, “मैं परमेश्वर के पास से आया हूँ, और परमेश्वर के पास वापस जाता हूँ।” उसने ऐसा हीकिया था। “और थोड़ी देर रह गई है, कि संसार मुझे फिर कभी नहीं देखा, पर फिर भी तुम मुझे देखोगे, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ होऊँगा, यहाँ तक कि जगत के अंत तक तुम्हारे अंदरहोऊँगा।” जगत के ठीक अंत पर भी वह वहाँ पर होगा। हम ऐसी ही स्थिति में हैं।112उसकी मृत्यु, उसके दफन हो जाने, और फिर से जी उठने के बाद, संत पौलुस ने उससे दमिश्क की राह पर भेंट की थी; वह वापस उसी आग के खम्भे में ही लौट गया था।तब से लगभग दो हजार साल बीत चुके हैं, और वही यहाँ पर है! वह नामधारी कलीसियाओं के बीच मेंनहीं है, वह इस दिन के श्रेष्ठ विद्वानों के बीच में नहीं है, बल्कि वह तो गरीब और नम्र लोगों के झंड़ के बीच मेंही है। असत्याभास! असत्याभास! वे जो उससे प्रेम करते हैं, वे जो उस पर विश्वास करते हैं—विश्व भर में ऐसे हजारलोग हैं जो उस पर विश्वास करते हैं; यह नये नियम और पुराने नियम की प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए है। यही तो वहबात है। परन्तु यह एक असत्याभास ही तो है!113.यह एकअसत्याभास ही तो था,जब परमेश्वर नेएक बहुत बड़ी संस्थागत कलीसिया के बजाये एक छोटे से झंड़ को स्वर्ग का राज्य देनेकी प्रतिज्ञा की थी। “हे छोटे झंड़, मत डर,क्योंकि तेरेपिता की यही सुमति है,कि तुझे राज्यदे।”यह होगा…यहएक असत्याभास ही तो है। यह एक असत्याभास ही तो है!इन्हीं दिनों में किसी एक दिन यह एक असली असत्याभास होगा, जब यीशु आता है; और जो मसीह में मर गये हैं, वे फिर से जी उठेगे; और यह मरनहार अमरनहारता को पहन लेगा; और कलीसिया का स्वर्ग पर उठाया जाना होजायेगा।और क्रिसमस केइस समय में जब लोग खरीदारी कर रहे हैं, और नांच रहे हैं,और शराब पी रहेहैं,और वे किसी उसका उत्सव मना रहे हैं जिसके विषय में वे कुछ भी नहीं जानते हैं-वे इसे ऐसे मना रहेहैं जैसे वे वाशिंगटन,या लिंकन कीजंयती मना रहे थे;और वेआराधना-उपासना नहीं कर रहे हैं…..उनके पास तो अभी भी परमेश्वर चरनी में ही है।जबकि परमेश्वर तो चरनी में नहीं है; वह तो मुर्दो में से जी उठा है; और वह युगानुयुग जीवता है; वह हमारे मध्य में रह रहा है; और खुद अपने को प्रमणित कर रहा है, कि वह ठीक वही परमेश्वर है जिसे नीसियनपूर्वज लेकर चले थे;और वही युगोंसे होता हुआ पिन्तेकुस्त के दिन आया, ठीक उसी परमेश्वर ने पौलुस से दमिश्क की राह पर भेंट की; और पौलुस अन्याजातियों के लिए परमेश्वर की ओरसे सुसमाचारदूत था;वह अन्यजातियोंके लिए एक मिशनरी था। अन्यजातियों के लिए जो संदेश था वह आगे के खम्भे की मुलाकातके द्वारा ही आरम्भ हुआ था;और इसका अंत भीठीक उसी रीति से होगा।114अन्यजातियोंवाले राज्य का आरम्भ…जगत के राज्य का आरम्भ… (अन्यजातियों वाला राज्य जगत हीतो है)..राजा नबूकदनेस्सर के दिनों में स्वर्गीय भाषा में दी गई फटकार के साथ हीहुआ था;और इसका अंत भीठीक उसी रीति से होता है—जैसाकि अंत के दिनों की अन्यजाति वाली कलीसिया पर पवित्रआत्मा उंडेला गया..कि अन्यजातियों के राष्ट्र को दीवार पर हस्तलेख के जरिये फिर सेफटकारा जाये। दीवार पर हस्तलेख है; कि परमेश्वर ने अपनी कलीसिया तैयार की ली है; उसने अपने लोग तैयार कर लिये हैं; उसने अपनी जगह तैयार कर ली है; और उसके लोग उसके आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।और वह स्वर्ग पर उठाया जाना! “जबपरमेश्वर की तुरही फेंकी जायेगी, तो जो मसीह में मर गये हैं जी उठेंगे; और हम जो जीवित हैं उन से कभी आगे नहीं बढ़ेंगे जो सोये हुए हैं। क्योंकिपरमेश्वर की तुरही फूकी जायेगी; और जो मसीह में मर गये हैं वे जी उठेंगे, और हम उनके साथ ऊपर उठा लिये जायेंगे, ताकि प्रभु से हवा में मिलें।” यह एक असत्याभास ही है,कि इन सुबहोंमें से किसी एक सुबह जब कब्रे खुल जायेंगी, तो मरे हुए चलते हुए बाहर निकलकर आयेंगे; और हम जो जीवित हैं। क्षण भर में अर्थात् पलक झपकते ही बदल जायेंगे, और उससे मिलने के लिए हवा में ऊपर जायेंगे।115यह सम्पूर्णबात ही असत्याभास है,परमेश्वर अपनेलोगों के मध्य में चलफिर रहा है। क्या आप इसका विश्वास करते हैं? (मंड़ली कहती है, “आमीन’ – सम्पा.) आइये हम प्रार्थना के लिए थोड़ी देर के लिए अपने सिरों को झुकाएँ।परमेश्वर, अब एक घंटे से भी ज्यादा हो गया है, लगभग एक घन्टा और दस मिनट हो गये हैं, और हम यहाँ पर खड़े होकर पूर्व समय में हुई घटनाओं और वर्तमान समय में हुईघटनाओं के विषय में बोल रहे हैं, कि प्रभु लोगों को कैसे पवित्र आत्मा बांट रहा था; जैसाकि परमेश्वर के वचन ने इसे इतने अधिकअनुग्रह में होकर किया,वह दिखा रहा है, कि ठीक वही स्वर्ग का परमेश्वर जो उन पिछलेदिनों में रहा था; आज ठीक उसी रूपऔर ठीक उसी रीति से जीवता है। ठीक वैसे ही अद्भुत कार्य किये गये हैं; और ठीक वही सामर्थ जो प्राचीन समय मेंभविष्यद्वक्ताओं के ऊपर थी,पिन्तेकुस्त परकलीसिया पर उतरी थी;ठीक वही सामर्थहन्ना के ऊपर थी,ठीक वही सामर्थअगबुस के ऊपर थी,जो कि उस दिनमें नये नियम का भविष्यद्वक्ता था, जिसने संत पौलुस तक का सुधार किया था। और अगबुस की बात न सुनने के कारण संतपौलुस मुसीबत में पड़ गया था; क्योंकि अगबुस…..यद्यपि पौलुस एक प्रेरित था, परन्तु अगबुस के पास प्रभु का वचन था, और अगबुस ने पौलुस को चेतावनी दी थी, कि वह वहाँ ऊपर न जाये। परन्तु पौलुस तो वहाँ ऊपर जाने के लिए दृढ़ संकल्पी था, और फिर वहमुसीबत में पड़ गया था। पिता, और ये यही दिखाता है,कि यदि हमपरमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते हैं, तो हम हमेशा ही मुसीबत में पड़ जाते हैं।और हम देखते हैं,कि ठीक वहीपरमेश्वर जो उन भाइयों के साथ वहाँ पर था; आज यहाँ पर है। हम उसे हर एक प्रकटीकरण में देखते हैं। और प्रभु, यह एक असत्याभास ही तो है। जगत निगाह तोडालता है,और लोग अपने सिरहिलाते हैं, और कहते हैं, “वहाँ तो इसके विषय में कुछ भी नहीं है।विश्वासी इसे ग्रहण करता है, और जानता है,कि यह जीवतापरमेश्वर है।116हे पिता, हम इस सुबह यह प्रार्थना करते हैं, कि यदि हमारे मध्य में कोई ऐसा है जो अभी तकएक विश्वासी नहीं है,तो यही वह घड़ीहो जब वे विश्वास करेंगे। हे खुदा, यह प्रदान कीजिए,कि ठीक इसी समयहर एक उस व्यक्ति का ह्रदय जो यहाँ पर है और मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप मेंनहीं जानता है;उसके लिए यहीवह घड़ी हो,जब एकअसत्याभास उनके सम्मुख हो,कि एकदुष्ट-कंगाल,पापी(हम स्वभावसे पापी ही तो थे;हमने संसार मेंपाप में जन्म लिया;अधर्म मेंहमारा आकार ढला और हम जगत में झूठ बोलते हुए आये; हम भ्रष्टता के जरिये ही तो आये) बदला जा सकताहै और परमेश्वर के पुत्र की धार्मिकता में धर्मी बनाया जा सकता है। हे प्रभु, यह प्रदान कीजिए, कि इस सुबह जो यहाँ पर हैं, जो आपको अपने उद्धारकर्ता और अपने उसराजा के रूप में नहीं जानते हैं, जो आ रहा है;उन सभों केहृदय में एक ऐसा असत्याभास जगह ले, कि वे उस अन्तिम तुरही पर आप से मिलने के लिए तैयार हो जाऐ; चाहे वह तुरही आज ही क्यों न फेंकी जाये।प्रभु, फिर हम यह भी प्रार्थना करते हैं, कि आप उनकी सुधि लेंगे जो बीमार और अपाहिज हैं।हे परमेश्वर,हम आज यहप्रार्थना करते हैं,कि आप उस हर एकव्यक्ति को चंगा करेंगे जो बीमार हैं या बीमारी से पीड़ित हैं। यह होने पाये, कि उन पर यह विदित हो, कि परमेश्वर उनके लिए अभी भी असत्याभासों कोकर सकता है जो यह चाहें,कि परमेश्वर कावचन उन पर घटित हो।117अब हम जानतेहैं,कि उसका वचन एकअसत्याभास ही तो है। जब यह कोई प्रतिज्ञा करता है, तो यह जगत के लिए इतनी अवास्तविक होती है, कि उनके लिए यह कोई ऐसी बात होती है जिसे वे जान नहीं सकते हैं; यह तो उनके ज्ञान और समझ से परे होती है।परन्तु जब सीधा-सादा ह्रदय उस वचन को ग्रहण करता है, और उसे अपने अस्तित्व की गहराइयों के अंदर आत्मसाध कर लेता है, तो फिर वही वचन उस प्रतिज्ञा की जीवन्तसच्चाइयों को उत्पन्न करता है।ओह,हम आपको इसकेलिए कितना अधिक धन्यवाद करते हैं, कि ये साधारण व सीधे लोग हैं जो इस संदेश का विश्वास करते हैं। हम उस राज्य कीराह नहीं देख रहे हैं जहाँ परमाणुविक-युग शासन करेंगे, वरन हम तो उस राज्य की बाट जोह रहे हैं जहाँमसीह अपनी सामर्थ और महिमा में पृथ्वी पर शासन करेगा, जहाँ पृथ्वी पर शान्ति और महिमा का राज्यहोगा,वहाँ पर हमअपने पांव स्वाचलित वाहनों पर, गैस के पैन्डिलों पर नहीं रखेंगे, या जेट विमानों के द्वारा हवा में उड़ते नहीं फिरेंगे, परन्तु हम तो जीविते परमेश्वर के सिंहासन केचारों ओर बैठेंगे,और ओह, हम उसे निहारेंगे; और उस पर दृष्टि लगायेंगे जो हमारे अपराधोंके कारण घायल हुआ;और हमारे अधर्मके कामों हेतु कुचला गया;और हमारी हीशान्ति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी; और उसके कोड़े खाये जाने से हम चंगे हो गये थे। प्रभु जब से यह महान असत्याभासहमारे पास आया है,तब से हमारीयही हार्दिक अभिलाषा है,कि हम उसके पासपहुँच जायें और उस दिन उसके साथ बैठे। प्रभु, आप इस प्रार्थना को ग्रहण कीजिए, हम इसे यीशु के नाम में माँगते हैं। आमीन!118और अब जबकि हम ने अपने सिरों को झुकाया हुआ है, तो मुझे आश्चर्य है,कि इस सुबहलोगों की मंड़ली में से क्या कोई ऐसा है, जो यह चाहेगा,कि उसे प्रार्थना मेंस्मरण रखा जाये;और वह यह कहे, “प्रभु परमेश्वर, मैं अपना हाथ आपकी ओर उठाता हूँ?”और भाई ब्रन्हम, आप नज़र डालने जा रहे हैं, और आप मेरा हाथ देखेंगे, और आप मेरे लिए प्रार्थना करना, कि एक महान असत्याभास मेरे ह्रदय में स्थानपाये,कि जब मैं मसीहसे आत्मा के बपतिस्मे में भेंट करूं, तो मैं पुनरूत्थान की सामर्थ से भर जाऊँ।” परमेश्वर आपको;आप में से हरएक को आशीष दे। यह बहुत ही बढ़िया है। कहें, “मैं परमेश्वर से मुलाकात कर लूं।”और परमेश्वर आपके साथ हो। ”मैं उससेमुलाकात करूं;और एक महानअसत्याभास मेरे हृदय में स्थान पाये, और मैं उसकी सामर्थ,और महिमा, और भलाई और करूणा से भर जाऊँ, जो युगानुयुग जीवता है। और किसी दिन मैं उसअसत्याभास में शामिल हो जाऊँ जो आनेवाला है। कोई ऐसी घटना जब…..“उन नबियों की धूल ज़मीन के अंदर पड़ी हुई है।जबकि उन शहीदों की धूल जिन्हें शेरों ने खिला दिया गया था, शेरों की लीद (dung) से भूमि पर बिखर गई थी; और वह सारीपृथ्वी पर बिखर गई थी। परन्तु फिर भी मसीह उस देह को फिर से उठा खड़ा करेगा। यह येही दिखता है,कि वहपुनरूत्थान है।119जब उसने अपनेहाथों से थोड़ी सी मिट्टी लेकर उस पुरुष की आँखों पर लगाया था, जिसकी कभी आँखें भी नहीं थीं; तो उसने दिखाया था,कि मनुष्य भूमिकी मिट्टी से बना था;और जब वह पुरुषलौटकर आया,तो उसकी आँखोंके गोले बन चुके थे और वह अपने उस सृष्टिकर्ता को देख सकता था जिसने उसे बनाया था।यदि परमेश्वरकी ही यह इच्छा नहीं है,कि वह मरे हुओंको जिला उठाये,तो फिर क्योंवह हमारे जैसा मनुष्य बना,और वापस मिट्टीकी ओर गया,और स्वयं कोजिला उठाया?अगर मरे हुओंका कोई पुनरूत्थान है ही नहीं; तो फिर क्यों उसने खुद अपने को जिला उठाया था? ओह,हम बस बच्चे हीन बने रहें,परन्तु हमआत्मा में स्त्री व पुरूष बने, परमेश्वर पर अपने सम्पूर्ण ह्रदय से विश्वास करें।इससे पहले कि हम प्रार्थना करना शुरू करें, क्या अब कोई और भी होगा जो अपना हाथ ऊपरउठायेगा?परमेश्वर, आपको, और आपको,मेरे भाई आपको, और आपको आशीष दे। जी हाँ!120हमारे स्वर्गीय पिता, अब हम इन लोगों को, जिन्होंने अपने हाथों को ऊपर उठाया है, आपके पास लेकर आते हैं। कैसे भी हो, कैसे न कैसे पवित्र आत्मा ने ही उनके हृदय केभीतर अपना रास्ता बनाया है,और वही उन्हेंबता रहा है,“तुम यहाँ पर सिर्फ खाने औरपीने के लिए,और सोने औरजगने और काम करने,और फिर से वापसजाकर खाने और पीने और सोने के लिए नहीं हो। तुम तो यहाँ पर परमेश्वर के पुत्र वपुत्री होने के लिए हो। तुम तो यहाँ पर मसीह में अपना स्थान और अपनी स्थिति लेनेके लिए हो। और मैं यहाँ पर तुम्हें बुलाने के लिए आता हूँ;” पवित्र आत्मा ही उनके जीवन में ऐसा कहताहोगा।पिता, केवल एक मात्र हथियार मैं जिसके विषय मेंजानता हूँ,वह हैप्रार्थना सहित इन लोगों को आपको समर्पित करना। और मैं उस बैरी को चुनौती देता हूँजो उन्हें आप से दूर रखेगा। मैं विश्वास के द्वारा यीशु मसीह का लोहू उनके और उसबैरी के बीच में रख देता हूँ जो उन्हें पवित्र आत्मा ग्रहण करने और अनन्त जीवनपाने से इस महान असत्याभास के महिमामय अनुभव से रोक कर रखेगा। क्योंकि हमें इसकाआभास है,कि केवल एक हीचीज है,केवल एक हीउपाय है जो हमें अनन्त जीवन के लिए दिया गया है, और वह यह है,कि परमेश्वर काजीवन हमारे अंदर हो,और तब यह अनन्तजीवन होता है जो हमारे अंदर होता है। प्रभु, आप यह प्रदान करें,कि ऐसा उन मेंसे हर एक के साथ हो जिन्होंने अपने हाथों को ऊपर उठाया है। और शायद जिन्हें अपनाहाथ ऊपर उठाने की हिम्मत नहीं हुई है, आप उनको भी यह प्रदान करें। अब, पिता,वे आपके हैं।मैं उन्हें आपको यीशु मसीह के नाम में अर्पित करता हूँ।और अब जैसाकि प्रार्थना पंक्ति बननी है, पिता, मैं नहीं जानता हूँ,कि कौन यहाँ परऊपर आ रहा होगा। परन्तु प्रभु, आप हमें इस सुबह एक और असत्याभास प्रदान करें। यह होने पाये, कि परमेश्वर की महान रहस्योमयी सामर्थ का कुछभाग नीचे आये,और कुछ उनकामों को करे जैसी आपने प्रतिज्ञा की है। और प्रभु, यह उस दिन के बाद का मेरा पहला समय होगा जब से मैंने आप से उस दिन भेंट की थी।मैं यीशु के नाम में होकर यह प्रार्थना करता हूँ, कि आप इन लोगों को इनके निवेदन प्रदान करें। आमीन!121अब, मैं यह चाहता हूँ,यदि आप में सेहर एक बैठ सकता है,तो आप एक क्षणके लिए बैठ जायें।अब, क्या कोई है जिसके पास प्रार्थना कार्ड है।जैसा कि बिली ने वायदा किया था, कि वह प्रार्थना कार्ड बाटेगा; वह इस सुबह यहाँ पर आया; और उसने उन कुछ लोगों को प्रार्थना कार्ड दिये जो यहाँ पर थे। उसने कहा था, कि वहाँ पर बहुत ज्यादा लोग नहीं थे। जिनकेपास प्रार्थना कार्ड हैं,क्या आप अपनेहाथों को ऊपर उठायेंगे?बिलकुल ठीक है!मुझे विस्मय होता है,कि जिनके पासप्रार्थना कार्ड हैं, क्या वे अपनाअपना स्थान ले लेंगे,और यहाँ परखड़े हो जायेंगे। बिली कहाँ पर है; तुम कहाँ हो?ओह, बिलकुल ठीक है! तुम बस ठीक यहीं पर खड़े रहो!122अब देखिए, अब हर कोई प्रार्थना करता रहे। हम अपने प्रभुपरमेश्वर के सम्मुख आ रहे हैं। अब आइये हम उस गीत को संगीत के साथ गायें; क्या आप इसे वैसा गायेंगे, जैसाकि बहन अरनोल्ड़ इसे वहाँ पर बजाती हैं।अब सब मिलकर इसे उतना धीरे धीरे गायें जितना धीरे धीरे आप गा सकते हैं।%%केवल विश्वास करो,केवल विश्वास करो,सब कुछ सम्भव है,केवल विश्वास करोकेवल विश्वास करो,केवल विश्वासकरो,सब कुछ सम्भव है,केवल विश्वासकरो।(भाई ब्रन्हम केवल विश्वास गीत गुनगुनाना शुरू करते हैं-सम्पा.)केवल विश्वास करो केवल विश्वासकरो,केवल विश्वास करो,सब कुछ सम्भव है,केवल विश्वास करो केवल विश्वास करो,केवल विश्वास करो सब कुछ सम्भव है,केवल विश्वास करो।123(भाई ब्रन्हमकेवल विश्वास करो,गीत गुनगुनानाशुरू करते हैं,और फिर उसकेबाद मरकुस 11:21-24 पढ़तेहैं-सम्पा.)पतरस को वह बातस्मरण आयी,और उसने उससेकहा,हे रब्बी, देख, यह अंजीर का पेड़ जिसे तू ने स्राप दिया था सूख गया है।यीशु ने उसको उत्तर दिया,कि परमेश्वर पर विश्वास रखोमैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि जो कोई इस पहाड़ से कहें, कि तू उखड़ जा,और समुद्र मेंजा पड़;और अपने मन मेंसंदेह न करे,वरन प्रतीतिकरे,कि जो कहता हूँवह हो जाएगा,तो उसके लिए वहीहोगा।इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि जो कुछ तुम प्रार्थना करके मांगो तो प्रतीति कर लो, कि तुम्हें मिल गया; और तुम वह पाओगे। जब एक बार वे यह नहीं समझ सके थे,कि वह वही है, तो उसने कहा था,124तो यीशु ने कहा था, “यदि तुम मुझ पर विश्वास नहीं कर सकते हो, तो उन कामों की ही प्रतीति करो जिन्हें मैंकरता हूँ। और यदि मैं अपने पिता के कामों को नहीं करता हूँ, तो तुम मेरी प्रतीति न करो। परन्तु यदि मैं अपने पिता के कामों करता हूँ, तो तुम कामों की ही प्रतीति करो।”इस सुबह मैं अभी हाल ही में असत्याभास काअध्ययन कर चुका हूँ;मैं असत्याभासनामक संदेश लेकर आ चुका हूँ। असत्याभास कोई ऐसी बात होती है। जो तक-वितर्क से परेहोती है;वेबस्टरशब्दकोष बताता है,कि असत्याभासवास्तव में विश्वास से परे होता है, परन्तु वह सत्य होता है। यह कोई ऐसी बात होती है जो विश्वास से परे होती है, जिसे आप समझ नहीं सकते हैं; यह तो बस एक भेद होती है।125यीशु ने अपने पिता के कामों को इसलिए किया था, क्योंकि पिता उसके अंदर था। यही कारण है, कि वे काम किये गये थे, क्योंकि पिता पुत्र के अंदर था। क्या आप इसकाविश्वास करते हैं?(सभा कहती है, “आमीन-सम्पा.) वह उसके अंदर था; वह अवतरित परमेश्वर था। क्या आप इसका विश्वासकरते हैं?(”आमीन“)ऐसा था,कि पितापरमेश्वर जो कि यीशु मसीह का पिता था—वह महान पवित्र आत्मा (अपनी सामर्थ कीपरिपूर्णता में) यीशु मसीह जो कि परमेश्वर का मन्दिर था, में वास करता था, वह देहधारी हुआ और उसने पृथ्वी पर डेरा किया; और वह वचन ही दर्शा रहा था। यीशु वचन था।बाइबिल ऐसा ही कहती है,संत यूहन्ना कापहला अध्याय ऐसा ही कहता है। और वचन अदृश्य था। अब आप ध्यान से सुनें। जब तक वचनदेहधारी नही हुआ था वह अदृश्य था, और फिर उसके बाद ही वचन ऐसा बना जिसे देखा जा सकता था।और कलवरी पर उसकी बलिदानी-मृत्यु और उसकेपुनरूत्थान के द्वारा उसकी कलीसिया को उसके यथास्थान के अनुसार उस आयाम मेंसुव्यवस्थित किया गया,कि वही अदृश्यपरमेश्वर व्यक्तिगत लोगों के अंदर आ सकता है और वचन को ऐसा बना सकता है, कि वह दिखाई देनेवाला बन जाये। ओह, मेरे खुदा! मैं चाहता हूँ, कि मेरी कलीसिया इसे समझ सके। मित्रों, काश आप यह देख सकें अदृश्य परमेश्वर दिखाईदेनेवाला बन जाता है। अब सुनिएँ! अबआइये हम इसका फिर से अध्ययन करें।126मैं सोचता हूँ,कि मैंने बहुतसी बार गिरजे में आना चाहा है, और इसे देखने की कामना की है जहाँ मैं पिछले द्वार से चलकर अंदर आ सकें, अगले द्वार से चलकर अंदर आसकें-यह चाहे जो कुछ था-और श्रोताओं पर निगाह डालकर देख सकें और एक सिद्ध कलीसियाको देखें-सब लोगों को अपने अपने स्थान पर तैनात देखें। आप देखिए, कि पाप वहाँ ठहर भी नहीं सकता, आत्मा उसे निकाल बाहर करेगा, वह वहाँ पर ठहर ही नहीं सकता। जैसा हनन्याहऔर सफिरा ने किया था,आप…आप वैसानहीं कर सकते हैं। उस झंड़ में कोई पाप नहीं होगा। जी नहीं, श्रीमान! देखिए, आत्मा तो उसे ठीक वैसे ही बतला देगा। (भाईब्रन्हम चार बार अपनी ऊँगलियाँ चलाते हैं-सम्पा.) इससे कोई मतलब नहीं है, कि वह क्या है, वह कितना छोटा है,वह तो बेनकाबकिया जाएगा। देखिए,वहाँ स्त्री औरपुरूष पवित्र आत्मा कीसामर्थ के तले बैठे हुए होते हैं, परमेश्वर का आत्मा पूरी सिद्धता के साथ विचरण कर रहा होता है-वह इस प्रकार चलफिर रहा होता है,यदि मंड़ली मेंकिसी ने कुछ गलत या बुरा किया हुआ है तो वे रह नहीं सकते….वे रह नहीं सकते…वेजल्दी से आते हैं और इससे पहले कि आत्मा उन्हें पकड़े वे अंगीकार कर लेते हैं-वेउसका पहले ही अंगीकार कर लेते हैं और आकर उसे बता देते हैं; क्योंकि वे जानते हैं, अन्यथा उसके विषय में तुरन्त ही बताया जा रहाहोगा। यह सच है। ऐसी ही तो जीवते परमेश्वर की सच्ची कलीसिया होती है। कैसे मेराबेचारा बूढ़ा हृदय;अब बूढ़ा होताचला जा रहा है,मैं इस प्रकारकी कलीसिया को खड़ा होकर देखने के लिए कितना लालायित रहा हूँ। हो सकता है, कि मैं अभी उसे देखें। मैं उसे देखने की आशाकरता हूँ। अब,एक ऐसी कलीसियाहो जिसमें परमेश्वर के सिद्ध काम हों, जो बिना किसी पाप के हो; जो समझ सकती हो।127अब, यहाँ पर उन लोगों का एक समूह खड़ा हुआ है, जिनके लिए प्रार्थना होनी है। अब हमें इसका एहसासहै,कि यदि यह वचनसच्चा है…और स्वर्ग का परमेश्वर जो एक गिलहरी की सृष्टि कर सकता था, जो एक मेढ़े की सृष्टि कर सकता था, जो सूर्य को सारे दिन के लिए, चौबीस घन्टे के लिए सूर्य को रोक सकता था; जो धधकते हुए भट्टे में लोगों को आग से जलनेसे बचाने के लिए ज्वाला को तीन घन्टे रोक सकता था; उसी ने ही सिंहों के मुँह को बंद कर दिया था-और वही मरे हुओं को जिला उठा सकताथा;पानी पर चलसकता था;रोटियाँ लेकरपाँच हजार लोगों को भोजन खिला सकता था; वही परमेश्वर है। वही लोगों के मध्य में देहधारी वचन था। अब क्या हर कोई इसे समझगया है?अब ठीक उसीपरमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है, कि अंत के दिनों में ये काम फिर से होंगे; मगर वह इन्हें तब तक नहीं कर सकता है जब तक कि कहीं पर कोई ऐसा न हो जिसकेद्वारा वह इन्हें कर सके,और जिस पर वहइन्हें कर सके। क्या आप समझे, कि मेरे कहने का क्या तात्पर्य है? अब आइये हम दृढ़तापूर्वक अपने सारे मन से इसका विश्वास करें, कि यह ठीक वैसे होने जा रहा है।128अब यहाँ परलोगों का एक झुड़ खड़ा हुआ है, मैं उन में से अधिकतर लोगों को जानता हूँ। मैं सोचता हूँ….मैं..मैं..मैंनहीं सोचता हूँ: यह पहली युवती, यह लड़की जो यहाँ आगे खड़ी हुई है, मैं नहीं सोचता हूँ,कि मैं उसेजानता हूँ। मैं भाई वे को जानता हूँ, और उनके आगे जो बहन है मैं उसे जानता हूँ; जो कि भाई रोबरसन की….या भाई बोडर्स की पत्नी हैं। और मैं उनसे अगले व्यक्तिको नहीं जानता हूँ। मुझे उससे अगली स्त्री को जानना चाहिए; मैं उन्हें नहीं जानता हूँ। मैं नहीं सोचताहूँ,कि मैं उन्हेंजानता हूँ। जी हाँ;मैं नहीं जानताहूँ।और यदि मैं गलती न करूं, तो वहाँ पर जो अगला व्यक्ति खड़ा हुआ है वह भाई डॉल्टन का बेटा है। और वहाँपंक्ति में जितने लोग हैं,मैं उन्हेंव्यवहारिक रूप से जानता हूँ।मेरे पास इस बात का कोई तरीका नहीं है, कि….जो लोग यहाँ पर हैं, वे कहाँ से आये हैं। परन्तु अब उन्हें जिस बात की आवश्यकता है, वह प्रार्थना है। वास्तव में उन में से कुछतो इससे हटकर हैं,कि वे इसेबिलकुल ठीक ठीक नहीं पकड़ सकते हैं, कि यह क्या है।129अब क्या आप मेंसे हर कोई एक मिनट के लिए इस ओर देखेगा; आप जो प्रार्थना पंक्ति में हैं, क्या आप में से प्रत्येक एक मिनट के लिए इस ओर देखेगा? अगर मैं आपकी सहायता कर सकता होता, तो मैंने ऐसा कर दिया होता। समझे? और मैं यहाँ पर आपकी सहायता करने के लिए हीहूँ। परन्तु एक ही तरीका है जिससे मैं कभी ऐसा कर सकेंगा, कि आपके साथ जो शैतान ने किया है उसे मूलअवस्था में फिर से वापस लेकर आऊँ-और वह यह है, कि आप मुझ पर विश्वास करें। यदि आप सिर्फ अपने सम्पूर्ण ह्रदय से मुझ परविश्वास करें,तो यह होजाएगा।अब ऐसा मेरीसेवकाई मे होता है,कि यह दर्शनउभारेगा।।दर्शन उभर कर आयेंगे, और मैं लोगोंको बता सकता हूँ,कि वे किस लिएआये हैं। और आप में से कितनों ने ऐसा होते हुए देखा है? ओह, आप सब ने इसे देखा है। यह सच है। जी हाँ, मैं ऐसा अभी भी कर सकता हूँ। ओह, हो,अभी भी ऐसा होसकता है। यकीनन! जी हाँ! यह सच है।परन्तु अब हम उससे भी कहीं ज्यादा बड़े कार्य की ओर आ रहे हैं। जी हाँ, हम उससे ऊपर उठ रहे हैं। देखिए, हम उस बोले हुए वचन की ओर आ रहे हैं। और यह शैतान कोगांठ में बांध देगा;शैतान को तोऐसा करना ही होगा,कि वह अपनीगठरी बांध ले। काश मैं आप से इस पर विश्वास करा सकें! आप इस पर संदेह न करें।130यहाँ देखिए, यदि आप यह जानना चाहते हैं, कि मैं आपको सत्य बता रहा हूँ; यदि पवित्र आत्मा यहाँ पर है, तो मैं जान जाऊँगा,कि उस लड़की केसाथ क्या गड़बड़ है, उस लड़की को क्या तकलीफ है। मैं उस लड़की कोनहीं जानता हूँ,परन्तु मैंजानता हूँ,कि उसे क्यातकलीफ है। समझे?जी हाँ! यहबिलकुल सच है। और वह मुझ से जितनी ज़ोर से लड़ सकता है वह मुझसे उतनी ज़ोर से लड़रहा है;लेकिन उसे तोइसे छोड़ना ही होगा। आप बस इसका विश्वास करें। बहन, आप बस इस पर संदेह न करें। जी हाँ! जी हाँ! इस पर संदेह न करें। बहन, यह बिलकुल सही है। आप भली-चंगी होने जा रहीहै। आपकी तकलीफ बिलकुल ठीक हो जाएगी। समझी?यहाँ पर एक अश्वेत पुरूष है जो मेरी ओर देख रहा है;वह वहाँ प्रार्थना-पंक्ति में खड़ा हुआ है। मैं आपको नहीं जानता हूं, लेकिन परमेश्वर आपको जानता है। यदि मैं आपकोबता दूंगा,कि आपकी क्यापरेशानी है,तो क्या आप मुझपर विश्वास करेंगे,कि मैं उसकाभविष्यद्वक्ता हूँ?क्या आप करेंगे? आप यहाँ पर खुद अपने लिए नहीं हैं। यदि आपइसका विश्वास करेंगे,तो वह बच्चा जोअस्पताल में है,भलाचंगा होजाएगा। क्या आप इसका अपने सम्पूर्ण ह्रदय से विश्वास करते हैं? तो फिर आप जाइए, आप वापस अपनी सीट पर जाइए। मैं परमेश्वर कीसामर्थ उस बच्चे पर उद्घोषित करता हूँ, कि शैतान उस बच्चे को छोड़ दे।छोटे डॉल्टन,आप जो मेरी ओरताक रहे हैं;आप यहाँ पर उसबच्चे के लिए हैं। उस बच्चे की नाभि में कुछ तकलीफ है। क्या यह नहीं है? आप वापस अपनी सीट पर जायें, और इसका विश्वास करें, और वह तकलीफ बिलकुल ठीक हो जायेगी।131मैं वहाँ पर एक और स्त्री को जो बैठी हुई हैदेख रहा हूँ,वो श्रीमतीस्ट्राइकर हैं। श्रीमती स्ट्राइकर, मैंने कई महीनों से आप से बातचीत नहीं की है। मेरे पास इस बात का कोई विचारनहीं है,कि आप यहाँ परकिस लिए हैं। क्या आप विश्वास करती हैं, कि परमेश्वर मुझे बता सकता है, कि आपकी क्या तकलीफ है?क्या यह आपसभों से विश्वास करायेगा?आप यहाँ पर उसबच्चे के लिए हैं जिसके पैर में कुछ तकलीफ हो गई है। फिर यह है, कि आप अपनी एक सेहली के लिए, जो अफ्रिका में हैं, प्रार्थना कर रही हैं। यह पूर्णतः सच है। यहयहोवा यूँ फरमाता है वाला वचन है।अब, यदि यह सच है,तो श्रीमतीस्ट्राइकर,आप अपने हाथोंको ऊपर उठायें। देखा?देखिए, वह यहाँ पर है। परन्तु वह सेवकाई हमेशा हीरहेगी,परन्तु यहाँ परएकऔर आती है। अबआप विश्वास करें।आप सन्देह न करें। आप में से कोई भी सन्देह न करे। जब मैं अपनेहाथ आपके ऊपर रखता हूँ,और इसे होने केलिए माँगता हूँ,तो यह होने जारहा होगा। यह तो केवल एक काम के जैसा ही है, यह बिलकुल ठीक वैसा ही हैजैसा कि परमेश्वर के वचन को ग्रहण करना। केवल एक ही बात है, यदि आप इसका विश्वास नहीं करेंगे,तो यह नहीं होगा। यदि आप इसका विश्वास करते हैं, तो इसे होना ही होता है। क्योंकि किसी दूसरी रात्रि को वहाँ ऊपर कुछ घटित हुआ था;और मैं जानता हूँ ठीक वह परमेश्वर जो सृष्टि कर सकता है इसे भी कर सकता है। यह बिलकुल सच है।132अब मैं यह चाहता हूँ, कि हर कोई अपने अपने सिर झुका ले। हर कोईप्रार्थना करे। (भाई ब्रन्हम उन लोगों के लिए जो प्रार्थना-पंक्ति में हैं, प्रार्थना करने के लिए प्रचार मंच छोड़तेहैं-सम्पा.)यद्यपि शैतानने शेरोन को,इस छोटी प्यारीलड़की को जकड़ा हुआ है!परन्तु किसी दूसरी रात्रि को परमेश्वर ने मुझे शैतान को बाँधने का दर्शन दिखाया था, और कहा था, “सत्यनिष्ठा में ही तू उसे बान्ध सकताहै।” और प्रभु,मैं इस बच्चीके लिए अपने ह्रदय में सत्यनिष्ठा लिये हुए आया हूँ, कि आप से इसके लिए करूणा और अनुग्रह माँगू।शैतान,मैं तुझे बाँधता हूँ। यीशु मसीह के नाम में इस बच्ची को छोड़ दे। और इस लड़की का दिमाग औरयाद्दाश्त फिर से समान्य हो जायेगी। चूँकि वचन तो बोला जा चुका है, अतः यीशु मसीह के नाम में ऐसा ही किया जाए।133प्रभु परमेश्वर, मेरे भाई, भाई वे के लिए ऐसा होने पाये,
कि यीशु मसीह की सामर्थ शैतान को जिसने भाई को जकड़ा हुआ है, बांध दे। और यीशु मसीह के नाम में उन्हेंस्वतंत्र कर दे।परमेश्वर, अगर इस गरीब बेचारी स्त्री के लिए कुछ नहींकिया गया,तो यह कुछ हीहफ्तों में इस पुरूष के जैसी हो जाएगी जो यहाँ पर है। यह स्त्री मेरे भाई, भाई रॉय की पत्नी है। प्रभु यीशु, अब आप मुझे सामर्थ प्रदान करें। आप जो दर्शनदिखाते हैं आपने वे कभी भी व्यर्थ नहीं बताये या व्यर्थ ही नहीं बताये हैं।हे शैतान की आत्मा, तू ने जो मेरी बहन को जकड़ा हुआ है, मैं तुझे बांधता हूँ। यीशु मसीह के नाम मेंउसे छोड़ दे। यह बोला जा चुका है, अतः यह ऐसा ही हो…?ठीक है!यीशु मसीह के नाम में मेरी बहन को उसकीसमस्या से छुटकारा प्रदान कर दे। मसीह के नाम में जिसने प्रतिज्ञा की थी, और प्रतिज्ञा दी थी, “यदि तुम इस पहाड़ से कहो।” प्रभु, यह किया जाये।134हम इस कमरे मेंइस स्त्री के ऊपर पवित्र आत्मा का अभिषेक करते हैं। मैं आत्मा के लिएयीशु मसीह के नाम में अपने हाथों को इसके ऊपर रखता हूँ। होने पाये, कि…में… ऐसा ही हो, क्योंकि यह बोला जा चुका है। आमीन!जैसाकि मैं इस छोटी लड़की जॉ ऐन के ऊपर अपनाजीवन रखता हूँ;और उसके पिताके पास एक युवा मसीही लड़की होगी। इस सुबह मैं उसे इस दुष्ट चीज से छुड़ाता हूँ। यह होने पाये, कि यीशु मसीह के नाम में इसकी विनती प्रदानकी जाये।प्रभु परमेश्वर, मैं अपने प्रिय भाई की संगनी, बहन थोमस के ऊपर अपने हाथ रखता हूँ। और मैंउस दुष्ट की ओर जिसने इसे बांधा हुआ है, बढ़ता हूँ,यह हो, कि वह दुष्ट बांधा जाये। यह हो, कि यीशु मसीह के नाम में बहन आज़ाद हो जाये।मैं अपनी इस बहन के ऊपर अपने हाथों को रख रहाहूँ। यह होने पाये,कि परमेश्वर केपुत्र यीशु मसीह के नाम में बैरी की शक्ति बांध दी जाये। और हमारी यह बहन इससेमुक्त हो जाये….?…135मैं परमेश्वर के वचन के अनुसार अपने हाथों को अपने इस भाई के ऊपर रखता हूँ। यहहो,कि वह शैतान इसभाई को हानि पहुँचायेगा और रुकावट डालेगा, भाई से दूर हो जाये । हम यह यीशु मसीह के नाम में मांगते हैं। आमीन!प्रभु, मैं अपनी बहन की विनती के लिए आप से यह प्रार्थना करता हूँ, कि आप उसे उसकीविनती प्रदान करें। जैसाकि मैं अपने हाथों को यीशु मसीह के नाम में उसके ऊपर रखताहूँ,तो यह कियाजाये। आमीन!मैं अपनी बहनके लिए यह करता हूँ,पिता, मैं अपने हाथों को उसके ऊपर रखता हूँ। यीशुमसीह के नाम में यह हो,कि उस उसकीप्रार्थना प्रदान की जाये। आमीन!यद्यपि यह एक असत्याभास है, तौभी प्रभु,मैं एक सामान्यविश्वास के द्वारा अपने हाथों को अपने भाई के ऊपर रखता हूँ। यीशु मसीह के नाम मेंयह हो,कि उसे उसकीविनती प्रदान की जाये।मैं अपनी बहन, बहन वे के ऊपर हाथ रखता हूँ, वह उनके प्रति दयावंत रही हैं। जिन्हें दयाकी आवश्यकता थी। और जोखिम उठाया…चाहे आप..यीशु मसीह के नाम में यह हो, कि उसे वे दया प्रदान की जाये जो वह इस सुबहमांग रही है। आमीन!136प्रभु, यह बेचारी दुखयारी दुखी हृदय वाली माँ है, आप ही इसकी विनती जानते हैं, हे अनन्त परमेश्वर, यह होने पाये, कि यीशु मसीह के नाम में उसे यह आज ही प्रदान किया जाये। आमीन!पिता परमेश्वर, मैं अपने हाथों को अपनी इस बहन के ऊपर रखता हूँ, और मैं ऐसा उस कार्य-भार के द्वारा कर रहा हूँ जैसा कि मुझे पवित्र आत्मा केद्वारा दिया गया है और मैं ऐसा उस दर्शन के द्वारा कर रहा हूँ जो मुझे किसी दूसरेदिन दिखाया गया है। और यीशु मसीह के नाम में यह होने पाये, कि इसे इसकी विनती प्रदान की जाये। आमीन!हे स्वर्गीय पिता, जैसा कि यह बहन यहाँ ऊपर अपना स्थान लेने केलिए आगे बढ़ती है, कि उसके ऊपर हाथ रखे जायें, तो हे परमेश्वर, आप उसे उसका निवेदन प्रदान करें। यह होनेपाये,कि यीशु मसीहके नाम में यह किया जाये। आमीन!हे स्वर्गीय पिता,जैसा कि मैंअपनी इस बहन का हाथ पकड़ता हैं, तो यह होने पाये,कि यीशु मसीहकी सामर्थ उसे उसकी विनती प्रदान करे। आमीन!प्रभु यीशु,जबकि मैं इसबहन का हाथ और रूमाल पकड़ता हूँ…यह होने पाये, कि उसे उसकी विनती प्रदान की जाये। यीशु मसीह के नाम में यह प्रदान कीजिए।आमीन!पिता परमेश्वर, यीशु मसीह के नाम में यह हो, कि हमारी बहन को उसकी विनती प्रदान की जाये।यह हो,कि जो कुछ उसनेमांगा है वह उसे यीशु मसीह के नाम में पाये।137केवल विश्वास करो, केवल विश्वास करोसब कुछ सम्भव है, केवल विश्वास करोकेवल विश्वास करो, केवल विश्वास करो।सब कुछ सम्भव है, केवल विश्वास करोअब, इससे पहले कि हम समाप्ति करें; आइये, मैं आपके समय में से एक या दो क्षण ले लें।असत्याभास; परमेश्वर उसे करके दिखा चुका है। ठीक हमारीउपस्थिति में एक असत्याभास किया जा चुका है। क्योंकि ठीक जबकि मैं उसप्रार्थना-पंक्ति को शुरू करने ही जा रहा था, तो किसी चीज ने मुझे ऊपर उठा लिया था; इसने बिलकुल ठीक वैसा ही किया जैसा उसने कहा था, कि यह करेगा। देखा,एक असत्याभास! समझे?और जब आत्मा उसप्रकार मेरे ऊपर था,तो मैंप्रार्थना पंक्ति पर दृष्टि डालकर देख सकता था, और यह देख सकता था,कि वे लोग क्याअभिलाषा कर रहे थे। अतः उनमें से कम से कम तीन या चार, या कुछ इतने ही ऐसे लोग थे; और यह ऐसा इसीलिए है, ताकि यह एक पुष्टि हो, कि यह एक गवाही हो; कि परमेश्वर उस वरदान को जो कि एक सच्चावरदान है,कभी भी वापसनहीं लेता है। वह तो बस उस में और जोड़ता चला जाता है, वह तो बस उसे ऊँचा और ऊँचा बनाता चला जाताहै।138अब मैं अपने सम्पूर्ण ह्रदय से विश्वास करता हूँ, कि आप चंगे हो गये हैं। आमीन! जो कुछभी मेरे अंदर है,मैं उसकेद्वारा इसका विश्वास करता हूँ। मैं…. मैं इसका विश्वास करता हूँ।अब , यीशु ने आपको उद्धार के पास आने के लिए आमन्त्रित किया है। यदि आप आयेंगे, तो आप इसे पायेंगे, क्योंकि उसने इसकी प्रतिज्ञा की है। उसनेइसकी प्रतिज्ञा की है;अब आइये हम इसपर संदेह न करें। परन्तु आइये हम इसका अपने सम्पूर्ण ह्रदय से विश्वास करें। अब, इस पर जद्दोजहद न करें, सिर्फ यह जान लें, कि ऐसा तो किया जाना ही है। यह तो किया जानाही है। यीशु ने कहा था,“इस वचन को कह।तू इस पर संदेह न कर।” समझे? और वही एक ऐसा है जिसने ऐसा कहा था।जहाँ तक मैं अपने सम्पूर्ण ह्रदय से जानता हूँ, उन दर्शनों में से किसी एक में भी कदाचित एक बार भी कोई चूक नहीं हुई है, एक बार भी कदाचित असफल नहीं हुआ है। और उसनेउस दूसरी रात कहा था;और आप लोगजिन्हें मैंने दर्शन बताया है; जिस परमेश्वर के सम्मुख मैं खड़ा हुआ हूँ, मैं यह कहता हूँ,कि यह सत्य है।देखिए,उसने उस सर्पको बन्धा हुआ देखा था। उसने कहा था, “तुझे और भी ज्यादा सत्यनिष्ठ होना होगा।”139यही है वह जिसके लिए मैं भूखों मर रहा हूँ, कि और भी ज्यादा सत्यानिष्ठ हो जाऊँ। इस सुबह हर एक वह स्त्री जोप्रार्थना-पंक्ति में आ रही थी, उनके लिए मैंने यही सोचने की कोशिश की, “वे स्त्रियाँ; अगर वह मेरी माँ होती,अगर वह मेरीबहन होती जो वहाँ पर बैठी हुई है, अगर वह मेरी पत्नी होती जो वहाँ पीछे बैठी हुई है, या वह मेरी बच्चियों में से कोई एक होती जोवहाँ बैठी हुई है;क्या होता, अगर वह वो होती?” मैं और भी ज्यादा सत्यनिष्ठ बनने के लिए अपनेआप को उस स्थिति में रखने का यत्न कर रहा था। और यदि आप ने ध्यान दिया हो, तो…यह बात इसी समयमेरी स्मृति में आयी है। किसी दूसरे दिन जब मैं कैलीफोर्निया में बिजनेसमैन कीब्रेकफास्ट वाली सभा में खड़ा हुआ था…मैं सोचता हूँ, कि मैं इसे यहाँ पर बता चुका हूँ। मैं इस बातमैं काफी आश्वस्त हूँ। मैं थोड़ी देर पहले ही इस पर अर्थात् उस भविष्यवाणी परदृष्टि डाल रहा था जो दी गई थी। वह ठीक यहीं पर है। यह उसके बाद दी गई थी जब मैंखड़ा होकर एक कठिन उपदेश दे चुका था। और इस सुबह यहाँ पर वे लोग हैं; भाई रॉय बोडर्स उन में से एक हैं जो वहाँ परथे। मेरा मानना है,कि जहाँ कहींरॉय हैं,वे वहाँ पर थे, जी हाँ, वे यहीं पर बैठे हुए हैं, वे वहाँ पर थे,तथा और दूसरेबहुतेरे वहाँ पर थे जब ऐसा वहाँ पर घटित हुआ था। जब…एक लड़का जो कि बैपटिस्ट था, वह जैने रैस्ल का चचेरा भाई है, जो कि फिल्मी कलाकार है; उस ब्रेकफास्ट वाली सभा में जो चाहे वह आसकता है। और जब मैं बोल चुका था, तो एक लड़का चलकर आया और उसने अपनी बांहें मेरे चारों ओर डाल दी, और बोला….140जब मैं सभा से जिसमें कई सौ लोग मौजूद थे बात करने के लिए एक मंच को छोड़करदूसरे मंच पर आया…और मैं उस एक रेड़ियों प्रसारण पर बोल रहा था जिसका उससे अगलीरात्रि को नौ बजे सारे देश भर में प्रसारण होना था। इसका तब टेप तैयार हो रहा था।और जब यह…मैं उतर कर इस अगले वाले तल पर एक बार फिर से यहाँ वाले इन लोगों सेबातें करने के लिए आया। और बड़ी नामधारी कलीसियाओं में से किसी एक नामधारी कलीसियाका एक बड़ा आदमी वहाँ पर खड़ा हुआ था, और वह ऐसा कहने के द्वारा…संदेश से खिन्न होकर भर्त्सना कर रहा था…मैं इसके विषय में बता रहा था, कि मैं इससे कुछ दिन पहले ही फीनिक्स में था, और मैंने एक ही पेड़ पर अलग-अलग किस्म के कईफल उगते हुए देखे। मेरा मानना है, कि मैंने संतरे के एक ही पेड़ पर चकोतरे, नीबू,और खट्टे, और नारंगियाँ, तथा उन विभिन्न प्रकार के सारे फलों को उस पर उगते हुए देखा; क्योंकि वह नीबूजाति का एक पेड़ था। परन्तुमैंने कहा था,“हर एक वर्ष यहफलता है,और नए नए फलउगाता है;परन्तु उस परजो मूल शाखाएँ हैं जब उन पर लगते हैं….जब असली पेड़ कोई अपनी दूसरी डाली उगाताहै,तो उस पर ठीकवैसा ही फल लगता है जो कि तने में होता है। परन्तु ये दूसरे वाले पेड़ अपने ही फलउत्पन्न कर रहे थे,हालांकि वे इसवाले पेड़ से ही जीवन लेकर जिन्दा रह रहे थे। मैंने कहा, यह बिलकुल ठीक वैसा ही है जैसे कि संस्थाएँदाखलता में लगाई गई हैं। यीशु ने कहा था, ”मैं दाखलता हूँ। और जब भी वह दाखलता अपनी कोईडाली उगाती है,तो दाखलता केबिलकुल ठीक जैसी ही होगी। देखिए, उस पर बिलकुल ठीक वैसे ही फल लगे होते हैं।“141खैर, एक सबसे बड़ी पिन्तेकोस्तल संस्था का एक बड़ाप्रचारक जो हमारे पास था,देखिए, वह इस पर खिन्न होकर बोला, कि मेरा इससे यह अभिप्राय नहीं था।मगर मैं वापस मुड़ा और बोला, “देखिए, मेरा इससे बिलकुल ठीक वैसा ही अभिप्राय है। मैंने इसे बिलकुल ठीक वैसा ही कहाथा। मैं किसी भी बात से नहीं मुकरता हूँ।”किसी दूसरे दिन जब मैंने उन वेदियों के बारे में बोला था, तो मैं इसे नहीं जानता था; मैं उसे इतिहास में कदापि नहीं देख रहा था।मैंने प्रचार मंच पर अभी तक प्रेरणा में होकर कदापि कोई ऐसी बात नहीं कही है जोमुझे वापस लेनी पड़ी हो। अब आप उसे बतासकते हैं,कि ऐसा“सर्प-वंश” है,या आप जो चाहेबतायें,वे चाहे जो कोईभी संदेश हैं,या चाहे वह“बड़ी वेश्या” नामक संदेश ही क्यों न हो; जिसके विरोध में बहुत सी बातों का बखेड़ा किया जाता है। आप बस आयें; देखिए, आप इसे मेरे पास पवित्रशास्त्र के साथ लेकर क्यों नहीं आते हैं, कि देखें, कि यह सही है,कि नहीं।142यह पुरुष वहाँ ऊपर आकर अपनी बाहें मेरे चारोंओर डाल देता है,और कहने जा रहाथा…..वह बोला,“भाई ब्रन्हम, मैं यह बात अजीबो-गरीब बनने के लिए नहीं कहरहा हूँ,परन्तु इसने तोप्रकाशितवाक्य का 23वाँ अध्याय ही बना दिया होता। आप जानते हैं, कि इसने तो सचमुच में एक और पुस्तक जोड़ दीहोती।”वह बोला, वास्तव में,यह ठीक नहीं होगा; क्योंकि हमें इसमें कुछ भी नहीं जोड़नाचाहिए।” और ज्यों ही वह उस बात को बोलने लगा, त्यों ही वह अन्य भाषा में बोलने लगा। और वह लड़का नहीं जानता था, कि अन्य-अन्य भाषाओं में बोलने का क्या अर्थहोता है।और जैसे ही वहबोलने लगा,वैसे ही मेरेठीक सामने जो फ्रेन्च महिला थी, जो कि लुइसविले से आयी थी, बोली,“इसे अनुवाद कीकोई आवश्यकता नहीं है। यह तो शुद्ध फ्रेन्च भाषा है।”और यहीं पर एकपुरुष था जो खड़ा हुआ,और बोला, “यह सच है।”और ठीक वहीं पर पीछे यू. एन. के लिए कामकरनेवाला एक अनुवादक था;उसने अपना नामबताया;वह इससे पहलेवहाँ पर कभी नहीं आया था;वह बोला, ”बिलकुल ठीक है। यह सच है।और ये रही वह बात जो उन्होंने मिलकर बतायीथी। और जब उनकी बात को आपस में एक साथ मिलाकर देखा गया, तो उनमें से हर एक बिलकुल ठीक एक सा हीअनुवाद दे रहा था।
143और यह फ्रेन्चमैन जो यहाँ पर दूसरावाला था, उसने इसे लिख डाला;क्योंकि वह सभाके मिनट ले रहा था। ये रही वह बात जो उसने लिखी थी : “मैं विक्टर ली डीओक्सएक शत-प्रतिशत फ्रांसवासी,नया जन्म पायाहुआ,पवित्र आत्मासे भरा हुआ मसीही हूँ। मैं 809 नोर्थ किंग्स रोड़,लॉस एंजिल्स 46 में रहता हूँ। मैं बेथल आराधनालय में जाताहूँ;मेरा पास्टर एरनीविक्क है।”यह लुइसविलेमें जो सबसे बड़ी पिन्तेकोस्तल कलीसिया है उसका एक प्रचारक है। यह भाई ब्रन्हम परडैनी हैनरी के द्वारा फ्रेन्च भाषा में 11 फरवरी 1961को फुल गोस्पलबिजनसमैन ब्रेकफास्ट वाली सभा में दी गई भविष्यवाणी का अनुवाद है, यह उस भविष्यवाणी का सच्चा अनुवाद है।”उन सभी तीनों ने कहा था,कि ये यही है।क्योंकि तू ने एक सकरा मार्ग चुना है…..144देखिए,उसके विपरीतमुझे बस अकेले ही चलना होगा। देखिए, मैं इसे समझ सकता हूँ। मूसा ने भी अपना चुनाव किया था। समझे? उसे ऐसा नहीं करना था; परन्तु उसने ऐसा ही किया था। समझे? “यह एक कठिन मार्ग है; तू ने ही ….” समझे? क्योंकि तू नेएक सकरा मार्ग;एक कठिन मार्गचुना है;तू ने ही किया है….तू अपने ही चुने हुए परचला है।दूसरे शब्दोंमें यह है;मुझे ऐसा नहींकरना था। यदि मैं चाहता,तो मैं किनारेपर चल सकता था;मैं उनके साथजा सकता था। परन्तु मैं टिका रहा….मैं तो वचन के साथ ही टिका रहना चाहता हूँ। तू ने एकदम सहीऔर सटीक निर्णय लिया है;और यह मेरा हीमार्ग हैयदि आप ध्यानदेंगे,कि इस पर ज़ोरडाला गया है,और इसे औररेखांकित किया गया है। यदि आप ध्यान दें, यह फ्रेन्च भाषा में लिखा हुआ है; देखिए,फ्रेन्च भाषामें क्रिया-विशेषण से पहले क्रिया बोली जाती है। क्षण भर में जो तू ने निर्णय लियाहै,तेरे इसमहत्वपूर्ण निर्णय के कारण ही स्वर्गका एक बहुत बड़ा भाग तेरी बाट जोहता है।अब,यही है वह जिसपर मैंने हैरत की। जब मैं मरता हूँ, तो यह क्या होगा?इसके बाद मैंसोचने लगा,वहाँ ऊपरस्वर्ग हमारे लिए कोई स्वर्ग से अलग किये हुए विभिन्न हिस्सेनहीं होगा;स्वर्ग तोस्वर्ग का वही राज्य है जो हमारे भीतर है; जो बाट जोहता है। समझे?अब, इसे देखिए! तू ने क्या हीशानदार निर्णय लिया है। यह अपने आप में ही ऐसा है, कि यह दिव्य प्रेम में बड़ी ही जबरदस्त विजय देता है और इससे दिव्य प्रेम मेंजबरदस्त विजय होती है।देखिए, हम इसे यह कहेंगे, “दिव्य प्रेम” में ही जबरदस्त विजय होतीहै;परन्तुफ्रेन्च-भाषा में यह होगा,“प्रेमदिव्य।” ठीक जैसाकि जर्मन या किसी दूसरे में होता है; देखिए, वे कर लेते हैं….वे क्रियाविशेषण से पहले क्रिया लगाते हैं।145अब, आप समझते हैं,कि यरदन के पारआने का क्या अर्थ होता है?अब हम यहाँनीचे आ पहुँचे हैं। अब आइये हम पार उतर जायें। हम खेल-तमाशा करना छोड़ दें। अब, आइये हम दूसरी ओर पार निकल जायें; क्योंकि यह सारा का सारा हमारा ही है। यहसारा का सारा हमारा ही है। वे दर्शन कभी भी विफल नहीं हुए हैं। वे पूरे हुए बिनारह नहीं सकते हैं,क्योंकि वेपरमेश्वर की ओर से आते हैं। वह सब कुछ जो मेरे अंदर है, मैं उसके द्वारा इसकी प्रतीति करता हूँ। हमकिसी ऐसे को भाड़े पर नहीं ले रहे हैं जो वापस जंगल में भाग जाये। हम यरदन को, उस पृथक्करण को पार करेंगे। हे परमेश्वर, हमारे लिए उन मोहरों को खोलिए जो पुस्तक केपीछे हैं। आइये अब हम इस महान स्थान के अंदर प्रवेश कर जायें; क्योंकि यहोशू ने उन लागों की— उनकी उसमिल्कियत का बटवारा किया है जो परमेश्वर ने उनके लिए रख छोड़ी थी।146और यदि आप ध्यान दें, कि उन इब्रानी माताओं ने जब अपनी प्रसव पीड़ामें होकर उन पूर्वज़ों को जन्म दिया था। प्रभु ने चाहा, तो मैं इन दिनों में किसी एक दिन इसका अध्ययापनकराऊँगा। और उन पुरखों को जन्म देते वक्त प्रसव-पीड़ा में होकर जब उन्होंने उनकानाम लिया,तो उन्होंनेउन्हें राज्य में उनके यथास्थान पर कायम भी कर दिया था। ओह, मेरे खुदा!प्रेरणा ही एक असत्याभास है। देखिए, आप…आप बस इसे पकड़ नहीं सकते हैं। परन्तु यह प्रेरणा से ओत-प्रोत होता है, और जिस घड़ी आप सोचते भी नहीं हैं, परमेश्वर ही इसे इसके स्थान पर व्यवस्थितकरता है।147अब, यदि सचमुच में बहुत ज्यादा बर्फ नहीं गिरती है,और प्रभु ने चाहा,तो हम अगले रविवार को सभा कर सकते हैं,और मैं अगले रविवार को मसीहियत बनामपागान-आराधना-उपासना पर बोलना चाहता हूँ। और यदि आप चाहें तो आप संदेश के लिए अपने पेपर,या आप जो चाहेंवह ला सकते हैं। आज रात भी संदेश दिये जायेंगे, भाई…मैं सोचता हूँ,यहाँ पर जो भाई हैं उन में से कोई सन्देश लेकर आएगा। मैं रुकने जा रहा था, परन्तु मैं जानता हूँ, बहुत से लोग रुकेंगे, और इस दोपहर फिर से यह पूर्वानुमान बताया गयाथा,कि इसदोपहर-बाद बर्फ फिर से जोर्जिया से लेकर और विभिन्न स्थानों पर सड़कों को ढक लेगी।अतः मैं…यदि प्रभु ने चाहा, तो मैं अगले रविवार को ठीक उसी संदेश का प्रचार करूंगा जिसका मैं आज रात्रिप्रचार करने जा रहा था,और मैं इसेअगले रविवार तक के लिए टाल दूंगा, और तब…परमेश्वर आपके साथ हो।148मैं विश्वास करता हूँ,कि यीशु मसीहजीवते परमेश्वर का पुत्र है, जो एक कुंवारी से जन्मा, एक कुंवारी ने गर्भ धारण किया, परमेश्वर उसके गर्भ में था, वह एक डेरा था जिसमें उसने डेरा किया। मैं इस पर विश्वास करता हूँ, मैं मसीह पर विश्वास करता हूँ, वह अवतरित परमेश्वर है। वह देहधारी परमेश्वरहै। जब पिता परमेश्वर उसके अंदर आ गया था, तो वह परमेश्वरत्व की परिपूर्णता था जो सदेह वास करती थी, उसमें परमेश्वरत्व की सारी परिपूर्णता सदेहवास करती है। पिता परमेश्वर ही वचन बोलता था। यीशु ने कहा था, “यह मैं नहीं हूँ जो बोलता है, पर मेरा पिता जो मुझ में वास करता है, वही बोलता है। यही कारण है, कि उसी आधार पर ही तो….क्योंकि वह देहधारीहुआ था,इसलिए वह मरसकता था;परमेश्वर मानवजाति के लिए हरज़ाना चुका रहा था, ताकि उसे छुड़ाये और उसे ऊपर उठाए…और— और आये, वह उन सब बातों को एक साथ लौटाकर लाया जिसेउसकी अपनी निज सृष्टि ने गिरावट में गवाँ दिया था, वह उसे अपने निज जीवन के द्वारा वापस छुड़ाकर लाया।149इसके बाद इन लोगों का छुटकारा करने के लिए, ताकि उसका सुसमाचार आगे जा सके, उसके लिए उसने कहा था, “ये काम जो मैं करता हूँ उन्हें तुम भी करोगे, वरन इन से भी बड़े बड़े( इनसे भी ज्यादा) कामकरोगे,क्योंकि मैंपिता के पास जाता हूँ। थोड़ी देर रह गई है, कि संसार मुझे फिर कभी नहीं देखेगा, फिर भी तुम मुझे देखोगे, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ होऊँगा, वरन तुम्हारे अंदर जगत के अंत तक होऊँगा।” अब, हम अंत समय की ओर अग्रसर होते चले जा रहेहैं। मसीह अपनी कलीसिया में अपनी सामर्थ की परिपूर्णता में पवित्र आत्मा के रूपमें आ चुका है,ताकि स्वयंअपने आप को साक्षात् प्रकट करे। यह आसान है। लोगों, यह तो आसान सी ही बात है।150यदि यहाँ परकुछ ऐसे हैं जो शायद इस बात में काफी भागयशाली हों, कि वे बढ़िया शिक्षा पा लें, और वे एक बड़ी कलीसिया में जायें, तो यह हो,कि गरीब वर्गके लोगों के इस झंड़ की सादगी से आपको ठोकर न लगने पाये। समझे? यह, ऐसा नहीं था। “आम लोग उसकी प्रसन्नतापूर्वक सुनते थे।” देखिए, वे आम लोग थे।अब, होते हैं….लोगों के वर्ग होते हैं। कुछ ऐसे लोग होते हैं जो परवाह नहीं करतेहैं,वे बाहर सड़कोंपर तथा ऐसे ही और दूसरे स्थानों पर फिर रहे होते हैं और जैसा चाहे वैसा जीवनव्यतीत करते हैं। ऐसे वे लोग नहीं थे जो उसे सुनते थे। और वे उच्च-कोटि के लोगउसकी नहीं सुनते थे। यह तो बीच का वर्ग ही था, यह तो आम लोग ही थे,ये तो वे गरीबलोग ही थे जो गरीब थे;परन्तु फिर भीसाफ-सुथरा और सभ्य जीवन जीना चाहते थे, और वे परमेश्वर के लिए जीना चाहते थे, यही हैं वे जो उसकी सुनते हैं।अतः होने पाये,कि मैं और आपइस दिन में वे लोग हों जो उसकी सुनेंगे, क्योंकि मैं सचमुच में यह विश्वास करता हूँ कि सबसे महान घटनाऐं जो कभी संसारमें हुई उन में से एक घटना इस समय घटित हो रही हैं। आमीन! परमेश्वर आपको आशीष दे।अब मैं सभा कोभाई नेविल को सौंपूँगा।