सान्त्वनादाता (The Comforter)

सान्त्वनादाता (The Comforter)

सान्त्वनादाता

जैफरसनविले, इन्डियाना, यू. एस. ए.

61-1001E

1धन्यवाद, भाई नेविल! मित्रों, सुसंध्या! आज रात्रि इस सभा में प्रभु के भवन में फिर से आकर उसकी सेवा करना एक बड़े ही सौभाग्य की बात है। मैं सोचता हूँ, यही वह सबसे बड़ी बात है जो कभी मेरे साथ हुई है, कि मुझे उसकी सेवा करने का सौभाग्य मिला है। और मैं जानता हूँ, जब मैं आपकी सेवा करता हूँ, तो मैं उसी की सेवा करता हूँ। “क्योंकि जो कुछ भी तुम ने मेरे इन छोटे में से छोटे के साथ किया है, तुमने वह मेरे साथ किया है।” और उसका कोई भी वचन विफल नहीं हो सकता है।2अब मैं समय के इस क्षण को यह कहने में लेना चाहता हूँ, कि मेरी माँ अभी भी सांसे ले रही है, या जब मैं थोड़ी देर पहले ही अस्पताल छोड़कर आया था, तो वह सांसे ले रही थी। और आज रात प्रभु भोज वाली सभा के तुरन्त बाद मैं और मेरी पत्नी उनके साथ बैठ रहे होंगे। हम बाहर निकलकर अस्पताल जा रहे होंगे।और मैं उनके लिए व्यक्त करना चाहता हूँ…..चूँकि वह ऐसा नहीं कर सकती है, अतः इस संकट की घड़ी में आप लोंगो ने जो हमारे लिए प्रार्थना की हैं, और वे बढ़िया बढ़िया कार्ड और पुष्प तथा चीजें जो सहानुभूति का इज़हार हैं, जिन्हें आप ने माँ के पास भेजा है, उनके लिए मैं धन्यवाद व्यक्त करता हूँ; मैं यकीनन इसकी सराहना करता हूँ, और वे भी इसकी सराहना करती हैं। और अत्यंत नम्रतापूर्वक आपका धन्यवाद! मैं अपनी ओर से आपके लिए ठीक ऐसा ही करने का यथा सम्भव बेहतर प्रयास करूंगा। आप यह जानते हैं। और यह जानकर, कि शायद…..3मैं नहीं कह सकता हूँ, कि वह मर रही हैं, हालांकि डॉक्टर कहता है, वह मर रही हैं। परन्तु डॉक्टर ने मुझे उस पिछले रविवार को बताया था, कि वह तब मर रही थी। और बच्चे सारे सप्ताह भर अस्पताल में प्रतीक्षा करते हुए बारी बारी से घन्टे दर घन्टे, माँ के जाने की बाट जोहते हुए बैठे रहे हैं। परन्तु इस समय उनकी हालत पहले से भी ज्यादा गिर चुकी है।मैं सोचता हूँ, कि डॉक्टर ने उन में बाइस अलग अलग विभिन्न बीमारियाँ पायीं हैं। और ऐसा होता है, फिर जब वे अर्थात् कोई दूसरा वाला अंदर आता है, तो कहता है, “नहीं, मैं नहीं मानता हूँ, यह वो है।”और आखिरकार एक ने तो यह तक कह दिया था, “यह एक बूढ़ी ज़रज़र माँ है जो और ज्यादा जीने के लिए बहुत थकी हुई है। अतः मैं सोचता हूँ, यही बात इसे इस तरह से अभिव्यक्त करती है। यह सच है। वह दस बच्चों की माँ है; और उसके लिए कठिन समय रहा है। हम गरीबी में रहे हैं। और मैं सोचता हूँ, हालात इस तरह के न हुए होते….हालात इस तरह के हो सकते थे। परन्तु, और…..वह बस थक चुकी है और चूरचूर हो चुकी है, और घर जा रही है।4और यह आनन्द से ही है… और इस..इस महान सुसमाचार से ही है जिसका मैंने प्रचार किया है, जिस पर इस समय मैं विश्वास करता हूँ। यह सिर्फ तभी काम नहीं करता है जब..जब उम्र चढ़ाव पर होती है, मगर यह तब भी काम करता है जब वह ढलान पर होती है। यही मेरा सुकून है। और मैं यह विश्वास नहीं कर सकता हूँ, कि मेरी माँ कभी मर सकती है, क्योंकि उसके पास अनन्त जीवन है। समझे? “वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा। जो जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा।” अब, मेरे प्रभु ने ऐसा ही कहा था, और मैं इन वचनों को पकड़े हुए हैं। यद्यपि हम सब इस तराई से होकर जाते हैं, ये वे हैं….जैसाकि इस मध्यान्ह हमारे अमूल्य पादरी साहब ने यहाँ पर उन पर इन थके हुए, ज़रज़र हो चुके लम्हों का—उन अन्तिम लम्हों का, जो यहाँ पृथ्वी पर होते हैं इज़हार किया था।5हमारी एक और मित्र श्रीमती फोर्डिस जो कि उन से ठीक आगे लेटी हुई हैं, हृदय रोग से मर रही हैं। और कई बार हमने सड़क के पार उनसे खरीदारी की है…..हमने उस शिष्ट महिला से सब्जियाँ तथा चीजें खरीदी हैं। वह यहाँ पर जैरुसमिद के समीप एक गाँव में रहती थी। और मैंने उन्हें तब तक नहीं जाना था जब तक कि मैंने उन्हें गौर से नहीं देख लिया था।

वह पिछत्तर या छियत्तर वर्षीय हैं। और वहाँ पर उनकी दो बुजुर्ग बहनें उससे मुलाकात करने के लिए आई हुई थीं। और जब वे चली गई, तो मैं चलकर उनके पास गया; वो बोली, “आप भाई ब्रन्हम हैं, एक प्रचारक हैं?”और मैंने कहा, “जी हाँ, मामा।”और वो रोने लगीं। वो बोली, “मैं छूऊँगी….मैंने सुना था, कि मुझसे ठीक आगे तुम्हारी माँ है, हमारे बीच में सिर्फ एक परदा ही है।”मैंने कहा, “जी हाँ!”वो बोली, “शायद हम दोनों एक ही समय चल बसेंगी।”6मैंने कहा, “श्रीमती फोर्डिस, मेरी बहन, एक प्रश्न है जो मैं आप से पूछना चाहता हूँ; मैं तुम्हारी उन जगहों से होकर चला-फिरा हूँ जो वहाँ बाहर हाई लाइन्स पर हैं; और तुम्हें वहाँ बाहर खुरपी से खुदाई करते हुए और कठिन परिश्रम करते हुए देख चुका हूँ; फिर तुम्हें अपनी सब्जियों को अंदर लाते हुए और शहर से होकर इधर उधर फेरी लगाकर बेचते हुए और वापस जाते हुए देख चुका हूँ।” मैंने कहा, “तुमने ईमानदारी से जीविका अर्जित की है। क्या तुम मेरे प्रभु को अपने निज उद्धारकर्ता के रूप में जानती हो?”वो बोली, “मैं उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में जानती हूँ। उसी के अनुग्रह पर ही मैं विश्वास कर रही हैं, कि वह मुझे मौत के साये की घाटी में से होकर ले जाएगा।”मैंने कहा, “मामा, हो सकता है, आपके साथ वहाँ से होकर कोई नहीं जा सकता; पर वही जाएगा।” अतः हमने प्रार्थना की। और वो मेरा हाथ तब तक पकड़े रहीं जब तक कि मुझे बाहर जाने के लिए अपना हाथ लगभग छुड़ाना न पड़ा।7श्रीमती गेथर जो बस कमरे के पार ठीक यहीं पर थीं, एक और बूढ़ी माँ थीं, जो कि कुछ ही घन्टे पहले प्रभु के साथ चली गई। उनकी दोनों टांगें मधुमेह के कारण काट दी गई थीं। और तब मैंने ध्यान दिया था…और उनका पति वहाँ पर लेटा हुआ था जिसकी एक टांग कटी हुई थी। और संसार दुख से भरा हुआ है।इस दुनिया की व्यर्थ की धन-दौलत का लोभ न करना,वे तो बहुत तेज़ी से नाश हो जाती हैं।कर अपनी आशाओं का निर्माण,अनन्त चीजों पर वे कभी न मिटेंगी!8और मैं 31 वर्षों से यहाँ पर इस मंच के पीछे तथा सारे संसार भर में मंच के पीछे खड़ा रहा हूँ, जैसा कि मैंने दावा किया है, कि संसार मेरा मंच है। और मैंने लोगों को अनन्त जीवन का यही वचन देने का ही प्रयास किया है। और यही वह चीज है। जिससे मैं आपकी सहायता कर सकता हूँ, जब आप जीवन के अंत पर आ पहुँचते हैं। अतः हम किसी और चीज पर क्यों कर भरोसा करें? हम किस पर विश्वास कर सकते हैं?जब किसी दूसरे दिन माँ ने मुझे बताया था, कि वह जाने को तैयार है, और मैं उन के पास गया, और उन से बातें कीं।ठीक जैसाकि मैंने अपनी सास, श्रीमती ब्रॉय के साथ किया था, जो लगभग एक माह पहले चल बसी हैं, मैं नीचे गया और उनसे बातचीत की। हालांकि मैंने उन्हें बपतिस्मा दिया था तथा वगैराह वगैराह किया था।और मैंने अपनी निज माँ को तीस साल पहले ठीक उसके नीचे जहाँ मैं अब रह रहा हूँ, यीशु मसीह के नाम में नदी में बपतिस्मा दिया था।9मैंने उनके लगभग सौ वर्षीय पिता को यहीं पर प्रभु यीशु मसीह के नाम में कीचड़ वाले पानी में बपतिस्मा दिया था। अब मैं बूढ़ा कपकपाता हुआ इंसान देख सकता हूँ, जो कि अर्धरंग के मारे हुए हाथ से मेरे चेहरे को पकड़ कर मुझे चुबंन कर रहा है, और मेरे मुखमंड़ल पर दृष्टि डाल रहा है।

मैं उन से दूसरे छोर पर फिर से मुलाकात करूंगा। ओह हाँ! जी हाँ!मेरी आशाओं का निर्माण यीशु के अलावाकिसी और चीज पर नहीं हुआजो लोहू के द्वारा धार्मिकता से मेरे प्राण कोमार्ग देता है। वही है मेरी सारी आशा,वही है मेरा शरण-स्थान मैं तो यीशु रूपी चट्टान पर खड़ा हूँदूसरी सारी जगह धसती रेत हैं।10आज रात प्रभु-भोज है, मैंने यहाँ पर होने का वायदा किया था। आज बिली ने मुझे बताया था, कि कई लोग साक्षात्कार के लिए पूछ चुके हैं। और मैं उन्हें साक्षात्कार देने जा रहा था; परन्तु मैंने उससे पूछा था, कि क्या वह उनको इस समय टाल देगा। मैं सुनिश्चित हूँ, कि आप समझते हैं।और मैं थोड़ा सा खेदित हूँ। आप जानते हैं, आप कैसे होंगे। परन्तु फिर भी मैं..मैं अपने प्रभु पर विश्वास कर रहा हूँ; और उसका अनुग्रह ही काफी है। यही है वह सब जिसकी मुझे आवश्यकता है। अतःमेरे लिए प्रार्थना करें जैसा कि मुझे प्रार्थना की आवश्यकता है।और होने पाये कि परमेश्वर आप में से हर एक को बहुतायत से आशीष दे।और मैं भरोसा करता हूँ, कि जब आप अपने जीवन के अंत पर आ जाते हैं,तो आप बिना नया जन्म पाये हुए वैसा करने की कदापि चेष्टा नहीं करेंगे।11बिली यहाँ पर है। मैं सोच रहा था…।

मैंने उसकी माँ, अपनी पत्नी का हाथ पकड़ा हुआ था जब वह गुजर रही थी; वह बस इससे कुछ दरवाजे पीछे ही थी जहाँ इस समय माँ है। जब उसने ऊपर दृष्टि डाली थी, और इससे पहले कि वह मरती, उसने एक अनुभव पाया था; वह सिर्फ बीस-बाइस साल की ही लड़की थी, वह दो बच्चों की ही माँ थी। और वह बोली, “बिली, तुम ने इसके बारे में बातें की हैं, तुम ने इसे प्रचारा है, लेकिन”; बोली, “प्रिय तुम नहीं जानते हो, कि यह क्या है। यह कितना महिमामय है!” हमने तब बस सुसमाचार के इस पुराने अच्छे मार्ग को पा लिया था। वह बोली, “बिली, इसी के साथ अड़िग बने रहना। इसी पर टिके रहना! इसे कभी न छोड़ना। यह इस घड़ी में दाम चुकता करता है।” और मैंने कहाः।मैं तुम से उस सुबह चमकते उज्जवल फाटकोंके पास करूंगा मुलाकातमिट जायेंगे जब सारे दुख संतापमैं फाटकों के पास खड़ा होऊँगाजब फाटकों को खोला जाता है;पूरी तरह इस जीवन के लम्बे,थकित दिन के अंत पर!ऐसा ही है। मैं इसका उस सबसे विश्वास करता हूँ जो मेरे अंदर है। मैं इसका विश्वास करता हूँ। मैं आशा करता हूँ, कि मैं आप में से हर एक से उस सुबह मुलाकात कर सकता हूँ।तुम उस सुबह मेरी मुस्कुराहट से।मुझे जान जाओगेजैसा कि भाई नेविल और वो गीत में कहते हैं।मैं तुम से उस सुबह उस नगर मेंजो बसा है चौरस, करूंगा भेट(यह तो बस उतना वास्तविक है जितना कि यह हो सकता है।)

12मैंने कुछ पिछले दिनों में अस्पताल से यहाँ ऊपर आते हुए ध्यान दिया था, कि पैनीसूवेला रेलरोड़ के मैदान में एक तम्बूगड़ा हुआ है। यह बीच में है, मेरा मानना है, कि यह नौवीं या दसवीं स्ट्रीट के बीच में है, जो यहाँ पर नीचे स्प्रिंग (Spring) के किनारे पर है, वहाँ से ऊपर आते हुए मैंने देखा वहाँ पर एक बोर्ड था जिस पर लिखा हुआ था, “वरदान वाली सेवकाई!” मैं उस भाई को नहीं जानता हूँ। मैं नहीं जानता हूँ, कि मैंने कभी उससे मुलाकात की है। परन्तु वह एक भाई है और वह यहाँ पर शहर में है, और एक सभा कर रहा है। और मैं जानता हूँ, कि किसी शहर में जाने का क्या अर्थ होता है; और शायद इस आकार के शहर में और कोई नहीं….कोई उसका समर्थन कर रहा है। मैं उसे नहीं जानता हूँ। और उसने मुझ से ऐसा कहने के लिए कभी नहीं कहा है। परन्तु मैं…मैं विश्वास करता हूँ; यह अच्छा रहेगा; यदि आप सब लोग जो कहीं जाना चाह रहे हैं……अगर आप वहाँ जाये और हमारे भाई को सुसमाचार का प्रचार करते हुए सुनें। उसे मसीह की सन्तान में से एक होना चाहिए, अन्यथा वह इस ठंड़ में सितम्बर के मौसम में वहाँ पर अपना तम्बू लगाकर हमारे प्रभु के लिए कुछ करने का प्रयास न कर रहा होता। अतः आप इस सप्ताह वहाँ जाकर हमारे भाई से भेंट करें, और उसे प्रचार करते हुए सुनें।और अब, मैं सोचता हूँ, कि ये सब वे दो उद्घोषणाएं थीं जिनके बारे में मुझे बोलना था।13परन्तु मैं यकीनन इस एक बात को कहना चाहता हूँ। मैं आपके सारे समर्थन की सराहना करता हूँ। इस प्रकार के मौसम में और इस प्रकार के समयों में आप इस छोटे से गिरजे में आते हैं, और यहीं पर रुके रहते हैं। मैं आपके बगैर क्या करूंगा? हम एक दूसरे के बिना क्या कर सकते हैं? यही वह घड़ी है जब हमें एक साथ चिपके रहना है। आप ने यह गीत सुना है।ओह, वे पूरब और पश्चिम से आयेंगेवे दूर दूर के देशों से आयेंगे।मैं मैड़ा और मेबल से चाहता था, कि वे इस सुबह इसे मेरे लिए गातीं। परन्तु वे सचमुच में इस घड़ी में ऐसा नहीं कर सकती थीं। यही वह गीत है जो उन्होंने मेरे लिए तब गाया था जब मैंने लगभग पन्द्रह साल पहले अपने प्रचार वाले दौरों पर बाहर निकलना शुरू ही किया था। तुम बस इस गीत को सुन चुके हो।हमारे महाराजा के साथउसके अतिथि बनकर भोजन करनाहर्षोल्लास की बात है।क्या ही धन्य हैं, ये तीर्थयात्री!देख रहे हैं उसके ज़लाली मुखमंड़ल कोजो दहकता है दिव्य प्रेम से होते हैंउसकी करूणा के सहभागीचमकते हैं उसके मुकुट के रतन बनकर!14अब इस सुबह मुझे शीघ्रता करनी है। और अब, माँ को स्वास्थ्य लाभ हुआ था। उसका दम घुटने सा लगा था। वह बामुश्किल और सांस नहीं ले पा रही थी; जब उन्होंने मुझे बुलाया था। परन्तु कैसे न कैसे उसकी हालत में सुधार हुआ, और वह फिर से सांस लेने लगी। वह नहीं जानती है, परन्तु उसी ने ही उसे जिन्दा रखा जबकि मैं प्रचार कर रहा था, और उसे कुछ समय के लिए रखे रखा। और मैं विश्वास कर रहा हैं, कि अब वही ऐसा ही करेगा; जबकि आज रात्रि मैं यहाँ पर हूँ। अब, मैं बड़ी ही विन्रमतापूर्वक आपका आपकी प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद करता हूँ।15और अब आइये हम एक क्षण के लिए अपने सिरों को झुकाएं, जबकि हम प्रार्थना करते हैं। जबकि हमने अपने सिरों को झुकाया हुआ है, मैं आप से एक असल पुनीत प्रश्न पूछना चाहता हूँ। और मैं आशा करता हूँ, कि आप इसके पूछे जाने पर मुझ पर नहीं भड़केंगे, परन्तु यह जानिए, जैसा कि मैं अब जानता हूँ, मेरा इससे युवा और बुजुर्ग दोनों से ही अभिप्राय है। तुम युवा लड़कियों, तुम युवा लड़कों, तुम्हें किसी दिन उस मुकाम पर आना है जहाँ आज रात्रि माँ लेटी हुई है। हम सब जानते हैं, कि हमें उस स्थिति पर पहुँचना है।और यदि आप पूरी तरह से सुनिश्चित नहीं है, कि आप परमेश्वर से भेंट करने के लिए तैयार हैं, तो क्या आप परमेश्वर की ओर अपना हाथ उठायेंगे, जबकि कोई भी आप पर दृष्टि नहीं डाल रहा है, और आप कहेंगे, “हे परमेश्वर, मेरी सुधि लेना।” परमेश्वर आपको आशीष दे। सब जगह जो हाथ उठे हुए हैं, परमेश्वर आपको आशीष दे।”हे परमेश्वर, मेरी सुधि ले, मुझे भी उस स्थिति पर आना है जहाँ शायद मैं बेहोश होऊँगा। परन्तु मैं जाने से पहले सुनिश्चित होना चाहता हूँ, कि मेरा प्राण परमेश्वर की ओर निदिष्टि है। और जबकि मैं अपनी सही दिमागी हालत में हूँ; मैं इस बात में सुनिश्चित होना चाहता हूँ, ‘और मैं चाहे मौत के साये की वादी से होकर गुजरूँ, तौभी मैं किसी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ है।“16अब, हे स्वर्गीय पिता, जैसा कि आज रात्रि में विश्वास के द्वारा अपने हाथों में इन मूल्यवान प्राणों को जिन्होंने अभी हाल ही में अपना हाथ ऊपर उठाया था, लेकर आता हूँ; मैं उन्हें आपके अनुग्रह और करूणा के सिंहासन की ओर ऊपर उठाता हूँ। और मैं सिर्फ यही एक बात जान रहा हूँ….पिता, हो सकता है, यहाँ पर बीमार लोग हों, हो सकता है, कि यहाँ पर तनाव से पीड़ित लोग हों। परन्तु पिता, यहाँ पर कोई भी ऐसी आवश्यकता में नहीं है जैसे ये लोग हैं, जिन्होंने अपना हाथ ऊपर उठाया था। क्योंकि वे यह जान रहे हैं, कि इससे कोई मतलब नहीं है, चाहे वे बीमारी से चंगे होकर जायें; चाहे वे काफी लम्बे समय तक जीयें, वे शायद फिर से बीमार हो जायेंगे। परन्तु हे परमेश्वर, जब वे एक बार इस मुबारक उद्धारकर्ता को ग्रहण कर लेते हैं और उनके पास अनन्त जीवन हो जाता है और वे नये सिरे से जन्म पा लेते हैं, तो फिर कुछ भी ऐसा नहीं होता है जो उन्हें कभी परमेश्वर से अलग कर सके। वे परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं, और वे फिर कभी उससे अलग नहीं हो सकते हैं। वह जो मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है, वह कभी दोषी नहीं ठहराया जाएगा। प्रभु, यह क्या ही प्रतिज्ञा है! हम कैसे अपने प्राण का लंगर ठीक वहीं पर डाल सकते हैं! इससे कोई मतलब नहीं है, कि तूफान कितनी ज़ोर से चलता है, इससे कोई मतलब नहीं है, कि लहरे कितनी ज्यादा प्रतिकूल लगती हैं, हमारा विश्वास तो तुझी को निहारता है, तू जो है कलवरी के मेमने, दिव्य उद्धारकर्ता! हे प्रभु परमेश्वर, अब आप आज रात्रि उन्हें अपने अनुग्रह और संरक्षण में ले लें। होने पाये वे….होने पाये वे आज रात इस भवन को तब तक न छोड़े जब तक कि “वह शान्ति जो समझ से परे है, इनके ह्रदयों में नहीं आ जाती है। प्रभु, उसके बाद मैं क्या कर सकता हूँ, जबकि वे अपने हाथ ऊपर उठा चुके हैं, वरन यही कि मैं अपनी आवाज़ आपकी ओर उठाऊँ और पुकारूँ हे प्रभु, दया कीजिए!” पिता, यह प्रदान कीजिए।17क्योंकि इन अनेकों वर्षों में जो आपने मुझे बचाये रखा है और मैं संसार भर में तथा चारों ओर क्षेत्रों में रहा हूँ; मैं उन लोगों को अपने जीवन के अंत पर आते हुए देख चुका हूँ जिन्होंने आपको नहीं जाना था; और मैं आपके अनुग्रह के लिए उनकी चीख-पुकार सुन चुका हूँ। और मैं उनको भी देख चुका हूँ जो आपको जानते थे; जो गाते हुए आते हैं, “मेरे लिए खुशी का दिन है, खुशी का दिन है, जब से यीशु ने मेरे पापों को धो डाला है!” ओह हाँ! बहुत सी बार ऐसा होता है, कि दुष्ट लोग हरे पेड़ के जैसे फलते-फूलते हैं, लेकिन जब वह अपने मार्ग के अंत पर आ पहुँचता है, तो फिर अलग ही बात होती है।होने पाये आज रात्रि हमारे मध्य में कोई भी दुष्ट जन न रहने पाये। होने पाये उन सभों के हर एक पाप क्षमा किये जायें। और होने पाये हर एक जो यहाँ अंदर है, परमेश्वर से ताज़गी और नूतनता प्राप्त करे। क्योंकि पिता, अब हम उस पवित्र भोज को लेने की सीमा पर है, उस पुनीत आज्ञा को पूरा करने पर हैं जिसे आपने हमारे लिए छोड़ा था; “यह मेरी देह है जो तुम्हारे लिए तोड़ी गई। यह नये नियम का लोहू है, यह आशीषों का प्याला है। क्योंकि जब कभी तुम इसे खाते हो और इसे पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आये, प्रचार करते हो।”प्रभु, हम विश्वास करते हैं, कि आप आ रहे हैं। हम विश्वास करते हैं, कि यीशु का आगमन होगा, और हम उसे अर्थात् उस महान महिमामयी को देखेंगे। और सारी पुरानी उम्र जाती रहेगी, और सारे पुराने दुख-संताप, और हृदय की पीड़ाएं, और बीमारियाँ, और परेशानियाँ गायब हो जायेंगी। प्रभु, और हम उस महान नवीन कल में विजय का ज़ोर ज़ोर से बखान और वर्णन करते हुए प्रवेश करेंगे, “जब महाराजा अपने सिंहासन पर बैठेगा, हम होसन्ना गाते हुए खुशी से हाथ हिलायेंगे!”हम उसी घड़ी का इंतज़ार कर रहे हैं।18प्रभु, अब आज रात्रि आप हमें अपने वचन से तसल्ली दें, हम से वे बातें बोलें जो तसल्ली देती हैं, ताकि यह हमारे हृदयों को शान्ति-सुकून दे।और मैं माँ के लिए प्रार्थना करता हूँ। प्रभु परमेश्वर, वही एक मात्र माँ है जिसे मैंने कभी जाना है। कैसे भी हो, इससे कोई मतलब नहीं है, चाहे एक पत्नी उतनी मधुर क्यों न हो जितनी मधुर वह हो सकती है, लेकिन वह माँ की जगह तो नहीं लेती है;

प्रभु वह फैला हुआ बलूत का वृक्ष जिसे लगाया गया था और जिसने जड़ पकड़ ली थी….जब आप जा सकते हैं, और उसके पास बैठ सकते हैं, और उससे बातें कर सकते हैं। परमेश्वर, मैं प्रार्थना करता हूँ, कि आप उसे दुख न उठाने देंगे। क्योंकि प्रभु, इससे मेरा हृदय टूट जाता है, जब मैं सोचता हूँ, कि वह दुख उठा रही है। उसे बस किसी अनिष्ट के डर के बिना ही मौत के साये की वादी से होकर गुज़रने दिया जाये।मैं आपका कितना धन्यवाद करता हूँ! कुछ देर पहले ही जब वह अपना नाम तक नहीं जानती थी, और जब मैंने कहा था, “यीशु”; तो उसने अपना सिर हिला दिया था; वह उसे जानती थी। प्रभु, मैं इसके लिए आपका कितना धन्यवाद करता हूँ। और डॉक्टर कह रहा था, “वह बेहोश है, वह कुछ नहीं जानती है।” और यहाँ तक कि अगर वह यहाँ इस पृथ्वी पर कुछ भी जानती थी वह आपको ही जानती थी, प्रभु! मैं इसके लिए बहुत आनन्दित हूँ! यह मेरे प्राण को चैन देता है!आपने अपने दास से उसके जाने के बारे में कुछ नहीं बोला है। प्रभु, आपको इसके बारे में मुझसे नहीं बोलना है। परन्तु मैं चाहता था, कि मैं केवल जान जाता, प्रभु! मैं प्रार्थना करता हूँ, कि आप बस…यह चाहे जो कुछ भी है, प्रभु, मैं इसे आपके हाथों में सौंपता हूँ। आपकी ही इच्छा पूरी हो।और अब परमेश्वर, आप आज रात्रि वचनों को, सन्देश को, वचन के पढ़े जाने को, गीतों के गाये जाने को, प्रभु भोज के लिये जाने को, आशीषित कीजिए। यह हो कि सारा का सारा आदर और महिमा आप की ही हो, क्योंकि हम इसे यीशु के नाम में माँगते हैं। आमीन!19हमारे पास यहाँ पर कुछ रुमाल हैं जिनपर प्रार्थना की जानी है। और मैं उन्हें बस थोड़ी देर बाद लूंगा, जबकि हम प्रार्थना में होते हैं।आज रात्रि आइये अब हम वचन को पढ़ने के लिए निकालें। और मैं जितनी शीघ्रतापूर्वक यत्न कर सकता हूँ, मैं उतनी शीघ्रतापूर्वक यत्न करूँगा, क्योंकि वे लोग बैठे हुए हैं जो मेरा बाहर निकलने का इंतज़ार कर रहे हैं, क्योंकि वे थक चुके हैं और चूरचूर हो चुके हैं।20मैं संत यूहन्ना के १४ वें अध्याय से आरम्भ करना चाहूँगा। और आइये हम आरम्भ करते हैं….

आइये हम १२ वें पद से ही आरम्भ करें। और आज रात्रि मेरा विषय है। चैनदेनेहारा या सहायक। और अब जबकि हम पढ़ते हैं, तो आप पढ़े जाने को ध्यानपूर्वक सुनें । संत यूहन्ना १४:१२ से शुरू करें!मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन इन से भी बड़े करेगा; क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ।और जो कुछ तुम मेरे नाम…..से माँगोगे, वही मैं करूँगा, कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।यदि तुम मुझसे मेरे नाम से माँगोगे, तो मैं उसे करूंगा।यदि तुम मुझसे प्रेम रखते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे।और मैं पिता से विनती करूंगा, कि वह तुम्हें एक सहायक (चेनदेनेहारा) देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता है; क्योंकि वह उसे न देखता है और न उसे जानता है, तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।अगर आप मुझे इस १७ वें पद को फिर से पढ़ने के लिए क्षमा करेंगे, तो मैं इसे पढ़ना चाहूँगा।अर्थात् सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता….“संसार”! जब तक आप संसार से प्रेम करते हैं, आप उसे कभी ग्रहण नहीं करेंगे। समझे?…..क्यों वह न उसे देखता है…..इससे कोई मतलब नहीं है, कि वह क्या करता है, संसार उसे नहीं देखता है। वे उसका विश्वास नहीं करते हैं। देखिए, उनके लिए तो “यह कोई भावना है, कोई मनोविज्ञान है।”…ना उसे देखता है, और ना उसे जानता है।अब सुनिएं, यह “उसे” (Him)ही है जिसके विषय में वह बोल रहा है।….परन्तु तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और…[अब, यीशु]… वह तुम में होगा।21क्या यह स्पष्ट नहीं है? तो यह चैनदेनेहारा या सहायक कौन है? यीशु! समझे? उसने कहा था, “मैं पिता से प्रार्थना करूंगा; वह तुम्हारे पास एक चैनदेनेहारासहायक अर्थात् सत्य का आत्मा भेजेगा; जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे ना तो देखता है, और ना ही उसे जानता है। देखो, वह ना तो उसे देखता है, और ना ही उसे जानता है। लेकिन तुम उसे जानते हो।” देखिए, वह स्वयं अपने ही बारे में बोल रहा है। “तुम उसे जानते हो, क्योंकि अब वह तुम्हारे साथ शरीर में होकर रहता है; वह अपने चेलों से कह रहा था, ”और वह तुम में होगा; और सर्वदा तुम्हारे साथ रहेगा, तुम्हें कभी नहीं छोड़ेगा।“ओह, क्या वह भला परमेश्वर नहीं है? यीशु हमारे प्रति कितना भला है! और यह भली-भाँति प्रकट है, कि “हमारा परमेश्वर एक भला परमेश्वर है। वह अपने बच्चों के लिए कितना भला है! उसने हमारे लिए हर एक भली वस्तु मुहिया करायी है। हर एक वह वस्तु जिसकी हमें आवश्यकता है, उसने हमें प्रदान की है। सच में आप कह सकते हैं, ”हे पिता, हमारे तू जो स्वर्ग में है’; क्योंकि वही एक पिता है। और चाहे हम अवज्ञाकारी हों, चाहे हम अभिमानी हों, तौभी वह ठीक वैसे ही हमारी आवश्कताओं को हमें प्रदान करता है। चाहे हम भले हों या हम बुरे हों, वह हमें खाने को भोजन देता है, पहनने के लिए कपड़े देता है; रहने को घर देता है। ओह, वह कितना भला परमेश्वर है!22काश हम सिर्फ अपने चारों ओर दृष्टि डालें, और उन भली चीजों की गिनती करें जो वह हमारे लिए देता है। हम इस पर सोच विचार करने के लिए नहीं रुकते हैं।

क्या होता, अगर आपकी कोई आँख न होती? क्या होता, अगर आपके नाक न होती, आपके मुँह न होता, आपके कोई कान न होता? क्या होता अगर आपके कोई पैर या टांग न होती, और आप इधर-उधर न चल सकते होते? परन्तु आप….परन्तु देखिए, वह आपको पांव देता है। क्या होता, यदि आपकी कोई भी आँख न होती और आप देख न सकते होते, और फिर भी आप आवाजें तो सुन सकते थे, लेकिन आप नहीं जानते, कि वे क्या हैं? अब, यह सब कुछ उन पाँच चेतनाओं में नीहित है, जो वह हमें प्रदान करता है।परन्तु फिर, अगर हम उसकी समीपता में रहेंगे, तो वह हमें इसके अलावा कुछ और भी प्रदान करेगा। एक ऐसी अन्र्तदृष्टि है, कि हम वह देख सकते हैं जो एक साधारण मनुष्य कभी नहीं देखता है। जब हमारा नये सिरे से जन्म हो जाता है, तो हम उसे देखते हैं। समझे? “तुम उसे जानते हो। तुम उसे देख चुके हो। वह तुम्हारे साथ सदैव रहेगा।” ओह, वह एक भला पिता है! वह है…वह भलाइयों का सोता है, वह सारी भलाइयों का महान स्रोत है और पितृत्व हमारे परमेश्वर का ही है। वह अपने विश्वासी बच्चों के लिए बहुत ही भला है! परन्तु अब शायद……23एक वस्तु जो वह हमारे लिए प्रदान करता है, वह हैः सूर्य का प्रकाश। और ओह, कैसे वह….आप जानते हैं, कि आप सूर्य के उजियाले के बिना जिन्दा नहीं रह सकते हैं। आप बस उसके बिना थोड़े समय के लिए भी जिन्दा नहीं रह सकते हैं, क्योंकि उसके बिना कुछ भी नहीं उग रहा होगा। और सूर्य का उजियाला इतनी नितांत बड़ी और इतनी जरूरी चीज है, फिर भी हम दृष्टि डालते हैं, और कहते हैं, ओह, यह तो सूरज ही है; और हम चलते बनते हैं। देखिए, हम उस पर ऐसे ही दृष्टि डालते हैं। परन्तु वह सूर्य का उजियाला हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। वह हमारी सहायता करता है, और वह हमें शक्ति देता है। और अब यह बात तो स्वाभाविक मनुष्य के लिए है।और इसके बाद यह बात है, कि एक आत्मिक सूर्य का उजियाला (Spiritual Sunshine) है, जिसमें हम जिन्दा रह सकते हैं। सारी स्वाभाविक बातें आत्मिक बातों का एक नूमना ठहरती हैं। जैसे हमारे पास एक अच्छा भोजन होता है, जिसे हम मेज़ पर खाते हैं, यह उस अच्छे भोजन को दर्शाता है जो हम वचन से खाते हैं। देखिए, यह तो सिर्फ एक प्रतिचित्रण ही होता है। वह भौतिक भाग तो आत्मिक पहलू की एक बाहरी अभिव्यक्ति ही होती है, जिसका मायने हमारे लिए भौतिक पहलू से कहीं ज्यादा होता है। समझे?24यह बस एक छोटे बच्चे के जैसा होता है। जब एक नन्हा शिशु माँ के गर्भ में धारण कर लिया जाता है, तो वह बस मांस और लोहू ही होता है, जो उछल रहा होता है, जो स्पन्दन कर रहा होता है। परन्तु ज्यों ही वह जन्म लेता है; आप इसे नहीं देखते हैं, परन्तु वहाँ पर एक आत्मा और प्राण होता है जो उस माँ के बिलकुल करीब मडरा रहा होता है, कि ज्यों ही वह शिशु उत्पन्न हो त्यों ही वह उसके अंदर आ जाये। ज्यों ही वह शिशु जन्म लेता है, परमेश्वर एक आत्मा की सृष्टि कर चुका होता है, और एक प्राण की सृष्टि कर चुका होता है, कि ज्यों ही वह शिशु इस संसार में जन्म ले वह उसके अंदर चले जायें। वह नन्हा बालक परिपक्व हो जाता है, और वह सीखने लगता है, तब वह एक जीवित प्राणी बन जाता है, और जानता है, कि क्या गलत है। और क्या सही है। फिर वह वैसे ही भले और बुरे वृक्ष के सामने होता है, जैसे आदम और हव्वा थे। वह अपना चुनाव करता है। और फिर वह बुद्धिमान बन जाता है। वह सभी समय बढ़ रहा होता है। यही परमेश्वर की महान योजना है।और आखिरकार इस भौतिक शरीर के लिए ऐसा होता है, वह अपने मार्ग के अंत पर आ पहुँचता है। और जैसे जैसे इस शरीर का गुणहास होता रहता है और यह मुरझाता रहता है, एक अस्तित्व तैयार किया जाता है, कि इसे ग्रहण कर ले। ज्यों ही यह इसे छोड़कर जाता है, ज्यों ही यह प्राण और आत्मा जो अब हम में है, इस शरीर को छोड़कर जाता है, यह एक दूसरे में, एक जवान वाले में, एक उत्तम वाले में, उस श्रेष्ठ वाले में जो बूढ़ा नहीं होगा, जो मरेगा नहीं, चला जाता है। क्यों, वह एक भला परमेश्वर है! परन्तु निश्चय ही, वह है! ।25परन्तु अब उदाहरण के लिए लेते हैं, क्या हो, यदि एक व्यक्ति जो सूर्य के उजियाले के विषय में जानता है, उस सूर्य के उजियाले को स्वीकार करने से इंकार कर देता है, जबकि वह चमक रहा हो? वह कहता है, “मैं बस इसका विश्वास नहीं करता हूँ।” और वह अपने तहखाने के अंदर चला जाये और दरवाज़ा बंद कर ले, और यह जानने से इंकार कर दे, कि सूर्य चमक रहा है। वह कह दे, “मैं इसका विश्वास नहीं करता हूँ।”और कोई उससे कहता हो, “ओह, यह गर्म है। यह सेहतमंद है। वे लोग जो सूर्य के उजियाले में रहते हैं, उनका एक रंग होता है, और वे ज्यादा तन्दरुस्त होते हैं; यदि वे सूर्य के उजियाले में रहते हैं।”वह कहता हो ,“मैं इसका विश्वास नहीं करता हूँ।” वह तो यही कहेगा, और वह बस अपने आप को अंदर बंद कर लेगा। अब वह मनुष्य एक दयनीय स्थिति में है। यदि एक मनुष्य ऐसा करता है, तो उसकी मानसिक शक्तियों में कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है।26और यदि कोई मनुष्य अपने आप को परमेश्वर के आत्मिक सूर्य से आत्मिक सूर्य के उजियाले से छिपा कर बंद कर लेता है, तो उसकी आत्मिक हालत में कुछ न कुछ गड़बड़ है, क्योंकि जब कोई हमारे जैसे परमेश्वर -एक भले परमेश्वर की अगुवाई में चलने से मना कर देता है, जो हमारा सुकून और बल है। और उसके सूर्य के तेज़ में जीना तो आत्मिक उन्नति है। उसके पुत्र के उजियाले में उसके सूर्य के उजियाले में उसके प्रताप के उजियाले में जीना तो आत्मिक सामर्थ है।

क्यों, यह तो हमारा वह महानतम सौभाग्य है, कि हम परमेश्वर के प्रताप के सूर्य के उजियाले में जीते हैं। आप एक भले, तन्दुरुस्तमंद मसीहिसों पर दृष्टि डालें!27आप उस स्त्री या पुरूष को लें जो खुद को किसी तहखाने के अंदर रख..रख लेंगे, और सूर्य के उजियाले को-उस स्वभाविक सूर्य के उजियाले को नहीं देखेंगे जो परमेश्वर ने उसके लिए प्रदान किया है; परन्तु वह उसका विश्वास करने से इंकार कर देता है। और स्वार्थ के कारण स्वयं अपने को अंदर बंद रख लेता है। वह मनुष्य शीघ्र ही खून की कमी से ग्रस्त हो जाएगा। वह पीला पड़ जायेगा। उसके पास एक अच्छी खासी ताकत नहीं होगी। उसके पास सेहत नहीं होगी। और वह जल्द ही….क्योंकि उसने स्वयं अपने को उस सौभाग्य से जो परमेश्वर ने उसे दिया है, खुद को बंद करके वंचित कर लिया है। यह सच है। उसने ऐसा जानबूझ कर ही कर लिया है।फिर अगर हम परमेश्वर की महिमा से, पवित्र आत्मा के बपतिस्मे से या आत्मा की सहभागिता से दूर होकर खुद अपने को बंद कर लेते हैं, तो पहली बात आप जानते हैं, कि हम पीले पड़ जाते हैं; हम बीमार मसीही बन जाते हैं। हमारा अनुभव धुंधला पड़ता चला जाता है। और जब बड़ी बड़ी आज़माइशें आ रही होती हैं, तो हम सिकुड़ जाते हैं और वापस लौट जाते हैं।इसके लिए तो उस सिपाही की जरूरत होती है जो परमेश्वर के सूर्य के तेज़ में जीया है; इसके लिए तो उस आत्मा की आवश्यकता होती है जो परमेश्वर को जानती है, और वे ही सन्देह की किसी भी लहर के बिना परेशानी के बीच में खड़े रह सकते हैं और पुकार कर कह सकते हैं, “मेरा छुड़ानेवाला जीवित है।” हाल्लिलूय्याह! देखिए, ऐसा ही है !28हम स्वयं अपने को अलग करके बंद कर लेते हैं। और वे ऐसा ही करते हैं, हम स्वयं ही ऐसा करते हैं, क्योंकि यही है वह जो हम करना चाहते हैं। परन्तु परमेश्वर भला है, वही हमें यह प्रदान करता है। परन्तु आज बहुतेरे ऐसे हैं जो परमेश्वर के साथ उस सेहतमंद स्थिति में जाना नहीं चाहते हैं, और एक तंदरुस्त मसीही बनना नहीं चाहते हैं, जिसके पास एक सेहतमंद आत्मा होती है। आप यकीनन एक तन्दरुस्त शरीर के लिए तो पुरज़ोर कोशिश कर लेंगे; कोई भी ऐसा कर लेगा। ठीक है, वह शरीर….इससे कोई मतलब नहीं है, कि आप उस शरीर को कितना ज्यादा सेहतमंद बना डालते हैं; वह तो फिर से ख़ाक में ही मिल जाएगा।परन्तु हे मेरे भाई, वह प्राण बहुत ज्यादा सेहतमंद नहीं हो सकता है। और जब कभी वह बढ़ता है, तो वह हर बार परमेश्वर की सामर्थ और शक्ति और अनुग्रह में ही बढ़ता है। हमें चलने के लिए परमेश्वर के सूर्य के उजियाले की आवश्यकता होती है, क्योंकि परमेश्वर भला है।29हमारे पास एक बड़ी मीरास है, एक महान पवित्र विश्वास है, जो हमें दिया गया है।शायद अब आप आश्चर्य करें, कि “भाई ब्रन्हम, आप आत्मा को सेहतमंद बनाने के लिए; हमें एक मज़बूत मसीही बनने के लिए सूर्य के उजियाले के विषय में, परमेश्वर के प्रताप के महान सूर्य के उजियाले के विषय में बता रहे हैं?” यही है वह जिसके लिए हम आज रात्रि यहाँ पर हैं, कि इसे मालूम करें। “हमें ये चीजें कैसे मिलती हैं? वे कहाँ से आती हैं? वे क्या हैं? भाई ब्रन्हम मुझे दिखाइये, कि यह क्या है? क्या मैं इसे किसी औषधि-विक्रेता की दुकान से खरीद सकता हूँ? यह किस प्रकार का एक विटामिन है?”आप इसे किसी दवा-घर से नहीं खरीद सकते हैं। परन्तु यह तो आपके ठीक समीप बहुतायत में है, अगर आप बस इसे ग्रहण कर लेंगे। आपको तो सिर्फ उस नुख्से को जानना होता है, कि इसे कैसे प्राप्त करना है।दवाघर में दवाइयाँ होती हैं; परन्तु बीमारी की जाँच करने के लिए एक डॉक्टर की जरूरत होती है। यदि वे जाँच न करें, तो वह दवा शायद आपको मार ही डाले।अतः यही कारण है, आपको बीमारी की जाँच करानी होती है। आप जाकर किसी पापी को लेकर उसे पवित्र आत्मा नहीं दे सकते हैं। सबसे पहले तो उसे प्रायश्चित कराना होता है। उससे उसके पापों को धुलवाकर दूर कराना होता है। उसे इस बड़े विटामिन के लिए तैयार होना पड़ता है जो उसे दिया जाने वाला होता है।30अब, हमारे पास एक पवित्र विश्वास है। आप जानते हैं, कि एक विश्वास क्या होता है। और हमारे पास एक ज़ागीर है, एक मीरास या बपौती है जिसके हम विश्वासी बच्चों के रूप में उत्तराधिकारी होते हैं। यह एक पवित्र विश्वास ही है। और हमारा वह पवित्र विश्वास और हमारी वह मीरास या बपौती परमेश्वर का वह वचन है; परमेश्वर का वह सम्पूर्ण वचन है जो हमें दिया गया है। वचन खुद अपने आप में एक विशेष विटामिन है। स्वयं वचन, परमेश्वर का वचन स्वयं अपने आप में एक विशेष विटामिन है।यही है वह जहाँ….यही कारण है, कि मैं इस वचन पर खड़े होने के मामले में इतना धर्म-सैद्धान्तिक हूँ, जैसा कि मैं इसे कहूँगा। इससे कोई मतलब नहीं है, कि कोई दूसरी चीज क्या कहती है, यदि वह वचन के साथ मेल नहीं खाती है, तो मैं उसका विश्वास नहीं करता हूँ; देखिए, यदि आपको उसका विश्वास करना है, तो बिलकुल ठीक है। परन्तु मैं तो वचन ही लेता हूँ, क्योंकि “आकाश और पृथ्वी टल जायेंगे, परन्तु मेरा वचन कभी नहीं टलेगा।”

यही कारण है, कि वह उस वचन को ही लेता है।31मैं तो वचन से ही जीवित रहता हूँ। यीशु ने कहा था, “लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, वरन परमेश्वर के मुख से निकलने वाले हर एक वचन से जीवित रहेगा।” और यह वही है। और यही हमें एक पैतृक सम्पत्ति के रूप में दिया गया है। हमारी पैतृक सम्पत्ति तो यही है, अर्थात् वचन।।हे परमेश्वर होने पाये, कि हम इसकी गहराई में होकर इस पर विचार-मनन करें।यह हमारा सौभाग्य है। यह वह पवित्र विश्वास ही है, जो परमेश्वर ने अपनी कलीसिया में रखा है। परमेश्वर ने अपनी कलीसिया को अपना वचन दिया है। और यही हमारी पुनीत पैतृक सम्पत्ति है। यही परमेश्वर की ओर से एक वरदान है। इस पर समझौता करने के लिए नहीं, और इसलिए नहीं, कि इसे काट कर बाहर करें, और इसे बाहर फेंके, और इसमें इसकी जोड़-तोड़ करें, कि यह हमारे अपने स्वाद के अनुकूल हो जाये; वरन सम्पूर्ण वचन का, सम्पूर्ण सुसमाचार का प्रचार करने के लिए! मसीही होने के नाते हम कर्तव्यबद्ध हैं, कि इसे ग्रहण करें और इसका विश्वास करें। जबकि हम जानते हैं, “यदि हमारा हृदय हमें दोषी नहीं ठहराता है, तो हम जानते हैं, तो हम जानते हैं, कि हमें परमेश्वर के सम्मुख हियाव होता है।परन्तु जब हम जानते हैं, कि हम किसी चीज को छोड़कर आगे बढ़ रहे हैं, तो उस किसी बड़ी पैतृक सम्पत्ति को जो हम से सम्बद्ध है, छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि हमारी कलीसिया कहती है, “आज इसका विश्वास न करो; यह आज हमारे लिए नहीं है। यदि हम उसी को ही छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं, तो हम अपनी ही पैतृक सम्पत्ति को नाश कर डालते हैं।32मैं ऐसा सोचता हूँ, आज रात्रि कलीसिया में…में हम सब अमेरिकी हैं। हम सब अमेरिकी नागरिक हैं। हम अमेरिकी होने के लिए धन्यवादित हैं। परन्तु फिर भी हमारी अमेरिकी बपौती के साथ क्या हुआ है? यह क्या थी? हम समझौता करने लगे।और ज्यों ही हमने समझौता किया, हमने अपनी बपौती की पवित्रता ही खो डाली, क्योंकि हम ने समझौता किया था। हमने चार बार ऐसे राष्ट्रपतियों के कार्यकालों को चलने दिया जिन्होंने संविधान को ही तोड़ डाला। और आज हम ऐसे ही कामों को करते हैं। और यहाँ तक कि हम….आज जो हमारी सड़को पर गाड़ी खड़ी करने के लिए छोटा सा मीटर लगा हुआ है, वह असंवैधानिक है। संविधान में ऐसी कोई बात नहीं है। यह तो संविधान के ही खिलाफ है, फिर भी हम इसे करते हैं। और हम सभी प्रकार के उन कामों को करते हैं, जो इस देश के उन सिद्धांतों के विरूद्ध हैं जिनपर इसकी स्थापना हुई थी। हम सब कुछ उसके खिलाफ ही करते हैं; अतः हमने अपनी बपौती खो डाली है। क्यों? क्योंकि हमने उन्हीं सिद्धांतों पर समझौता किया जिस पर इसकी बुनियाद रखी गई थी।33परमेश्वर मेरी सहायता करे, परमेश्वर आपकी सहायता करे , कि हम मसीही के रूप में कभी भी परमेश्वर के वचन के एक भी शब्द पर समझौता न करें। यही वह पवित्र विश्वास है जो कलीसिया को सौंपा गया था। और इस सुसमाचार का ….सम्पूर्णसुसमाचार का होना एक बड़ी ही शानदार बात है, कि इसका कहीं पर भी बिना कोई समझौता किये हुए प्रचार किया जाये। इसका ठीक वैसे ही प्रचार किया जाये जैसा यह लिखा हुआ है। इसे वैसे ही जीयो जैसे यह लिखा हुआ है। क्या ही पवित्र विश्वास है!और यदि हम इस वचन के घटित होने की कभी आशा करते हैं, यदि हम कभी यह आशा करते हैं, कि परमेश्वर अपना वचन पूरा करे, तो हमें इस पर ठीक वैसे ही अटल बने रहना है जैसा परमेश्वर ने इसे लिखा है, यही कारण है, कि अगर आप परमेश्वर के वचन पर उस तरह से टिके रहते हैं, जैसा परमेश्वर ने इसे लिखा है, तो सब प्रकार के काम आपके मध्य में हो रहे होंगे, हर एक वचन पूरा हो रहा होगा।34मैं स्वयं ठीक इस समय झंझोड़ देनेवाली सामर्थ के आने की प्रत्याशा में हूँ; जो हर एक कौम को झंझोड़ डालती है जब वह आती है।ऐसा तभी हो सकता है जब कभी परमेश्वर को एक ऐसे लोग अपने निज नियन्त्रण में मिल सकते हैं; यदि उसे कोई ऐसी स्त्री या कोई ऐसा पुरूष मिल जाता है। जो उसके वचन पर समझौता नहीं करेगा, वरन युगानुयुगी चट्टान पर उस प्रकार खड़ा रहेगा, कि वह इसके हर एक वचन का विश्वास करेगा; और यह विश्वास करेगा, कि परमेश्वर ही इसके समर्थन में है। और जो कोई भी इस पर विश्वास करता है उसे अवश्य ही इसी के मुताबिक ही आचरण-व्यवहार करना चाहिए। अगर आप इसके मुताबिकआचरण-व्यवहार नहीं करते हैं, तो आप इसका विश्वास भी नहीं कर सकते हैं। परन्तु अगर आप इस पर विश्वास करते हैं, तो आप इसी के मुताबिक ही आचरणव्यवहार करते हैं। और आप इससे काम करवा सकते हैं; और वचन आपके अंदर होगा।35हमने अपनी बपौती खो दी है, क्योंकि हम ने..हमने सिर्फ समझौता ही किया है। और जब हम समझौता करते हैं, तो हम परमेश्वर से यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं, कि वह हमारे लिए अपनी प्रतिज्ञा पूरी करे, क्योंकि हम ने उस पवित्र विश्वास को ही छिन्न भिन्न कर डाला है, और उस विश्वास को ही परगंदा कर दिया है जो परमेश्वर ने हमें दिया था।

आइये हम उसी विश्वास को कायम रखें, उसे पुनीत बनाये रखें। इसके हर एक वचन का पालन करें और कहीं पर भी समझौता न करें। परमेश्वर को उसके वचन पर लें और इसका विश्वास करें। इसके मुताबिक ही कार्यकलाप करें। इस परअड़िग खड़े रहें। इससे इधर उधर न होए। यही है वह जो हमें करना चाहिए। यही है वह जिसकी परमेश्वर राह देख रहा है।जैसाकि मैंने इस सुबह के सन्देश में….इस सुबह के हमारे सन्देश में कहा था, इसके बारे में बोलने पर कहा था, “हमारे लिए यही उचित है’, या ”हमारे लिए यह जरूरी हो रहा है, कि हम सारी धार्मिकता को पूरा करें। यह हम पर जिसे वचन सौपा गया है, निर्भर करता है। यह हमारे पर ही निर्भर करता है, कि हम उस वचन के संग संग बने रहें। और जब हम इसके संग संग टिके रहते हैं, तो हम देखते हैं, कि परमेश्वर हमारे मध्य में काम कर रहा होता है। अतः हमारे लिए यह जरूरी हो रहा है, कि हम इसके संग संग टिक रहें। यह एक बपौती है जो परमेश्वर ने हमें दी है।36आइये हम कुछ मिनटों के लिए वापस चलते हैं और उन पुरूषों को मालूम करें; जिन्होंने परमेश्वर के महान, पवित्र विश्वास को कायम रखा था। यह उसका वचन ही था। यही है वह जिसके हम उत्तराधिकारी होते हैं— वह वचन ही है। और तनाव के समय में, व्यग्रता के समय में, सकंट के समय में, क्लेश के समय में, उन्होंने वचन का पालन करने में सुकून पाया था।वचन ही परमेश्वर का चैन-सुकून है। जब आप जानते हैं, और यहाँ तक कि मौत के साये की वादी में से होकर गुज़र सकते हैं, और जानते हैं, परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था, तो मामला बस यहीं खत्म हो जाता है। परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था।तब आप ऐसा नहीं कह सकते हैं, “अच्छा, पादरी ने तो यह कहा था, या कलीसिया ने तो यह कहा था।आप कह सकते हैं, “परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था।” यही है वह जो हमें शान्ति देता है। यही है वह जहाँ, मैं अपना चैन-सुकून ढूँढ सकता हूँ। यही है वह जहाँआप अपना चैन-सुकून ढूंढ सकते हैं। परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था। ”वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा। जो जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा । क्या तू इसका विश्वास करती है?” देखिए, यह एक सुकून है। यही वह चैन-सुकून है जो हमें मिलता है।37नूह को देखिए! मेरा यकीन है, कि मैंने उसके बारे में इस सुबह बोला था। उसने अवश्य ही सुकून पाया था, हालाकि वह आलोचनाओं से घिरा हुआ था। निश्चय ही!“और संसार उसे ग्रहण नहीं कर सकता है, क्योंकि वह उसे नहीं जानता है। लेकिन तुम उसे जानते हो और उसे देख भी चुके हो। और वह तुम्हारे साथ रहता है। और वह तुम में होगा।” यीशु ने ऐसा ही कहा था।नूह ने परमेश्वर से भेंट की थी। उसने परमेश्वर को सुना था। उसके पास परमेश्वर का वचन था। अतः उसे इससे बिलकुल भी फर्क नहीं पड़ा था, कि किसी दूसरे ने क्या कहा था; नूह के पास तो परमेश्वर का वचन था। अतः यही उसके लिए एक तसल्ली थी; जब आलोचक आते होंगे, और वे वो करने जा रहे होंगे जो वे करने जा रहे थे-वे उसकी आलोचना कर रहे थे, और विज्ञान कह रही थी, “आकाश से पानी कैसे बरस सकता है, जबकि वहाँ ऊपर कोई पानी ही नहीं है? हम साबित कर सकते हैं, कि वहाँ कोई पानी नहीं है। नूह, तुम तो सनकी हो। क्योंकि मैं तुम्हें साबित कर सकता हूँ, कि तुम सनकी हो। यहाँ पर देखो, वहाँ पर कहाँ कोई पानी है? मुझे दिखाओ?” शायद उनके पास कोई ऐसी दूरबीन हो जो 120 करोड़ प्रकाश वर्ष वाले आकाशीय-क्षेत्र के अंदर तक देख सकती हो, जैसी कि आज हमारे पास है। अतः आप जानते हैं, कि उससे पहले कभी वर्षा नहीं हुई थी। फिर भी नूह चैन में था; क्योंकि उसके पास परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी। आमीन!38उसने क्या किया था? वह नाव बनाने के काम पर लग गया था। लोगों ने कहा होगा, कितना मूर्ख है।” शायद उससे पहले कभी कोई नाव नहीं थी। उन दिनों में कोई झील और नदियाँ तथा ऐसी ही जगह नहीं थीं; अतः उन्हें नाव की कोई आवश्यकता नहीं थी। और यहाँ पर वह अज़ीबो-गरीब सी दिखाई देने वाली वस्तु का निर्माण कर रहा है। और सब लोग उसका उपहास उड़ा रहे हैं। और यह उसे हतोत्सहित करने के लिए पयाप्त था; हर कोई वहाँ आकर यह कह रहा था, “वहाँ ऊपर पहाड़ पर दृष्टि डालो, वहाँ ऊपर उस हठधर्मी को देखो। वह किस प्रकार के घर जैसी चीज का निर्माण कर रहा है? वह किस प्रकार का एक उपकरण है? और देखो वह इसे किस से बना रहा है? क्यों, यह तो बेकार की ही चीज है। परन्तु नूह के पास फिर भी एक सहायक था- एक चैन था, क्योंकि उसके पास परमेश्वर का वचन था। उसके पास यह एक चैन था, कि वह जानता था, क्योंकि परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था। आमीन! परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था, और इसी से ही मामला खत्म हो जाता है। परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था।“तुम यह कैसे जानते हो, कि वर्षा होने जा रही है?”“परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था।”“तुम यह कैसे जानते हो, कि वहाँ ऊपर से पानी बरसने जा रहा है?”“परमेश्वर ने ही ऐसा कहा था!” यही वह चैन था जो उसके पास यही उसका वचन में चैन था।39आइये हम कुछ मिनट के लिए उसकी नाव पर निगाह डालें-जिस प्रकार से उसका निर्माण किया गया था, वह एक किस्म का सनकीपना था। क्या आपने उत्पत्ति की पुस्तक में ध्यान दिया, कि परमेश्वर ने कहा था, “उसे गोपेर की लकड़ी से बनाना”? और अगर आप गोपेर की लकड़ी लेकर उसका अध्ययन करें, तो आप देखेंगे, कि यह लगभग गुलमेंहदी के जैसी ही होती है। यह एक असली हल्की लकड़ी होती है और यह बस एक स्पंज के जैसी ही होती है। और यह सारी की सारी छोटी छोटी कोशिकाओं से भरी होती है। जब यह पेड़ पर जीवती होती है, तो इसके अंदर रस होता है। और ज्यों ही आप इसे काट डालते हैं, त्यों ही इसमें से इसका रस बाहर बह निकलता है। अतः यह इसे और कुछ नहीं, वरन फुसफुसा ही बना डालता है। अब, उसने कहा था, “इसे किसी बढ़िया, कठोर, बलूत से न बनाना। इसे गूलर या कठोर दाने वाली किसी लकड़ी से न बनाना। परन्तु इसे तो गोपेर की लकड़ी से ही बनाना, जो सबसे ज्यादा हल्की और सबसे ज्यादा फुसफुसी लकड़ी होती है जितनी कि यह हो सकती है। अगर उसे पानी पर रख दिया जाये, तो वह मिनट भर में डूब जायेगी। ”उसे गोपेर की लकड़ी से बनाना और उसे इस प्रकार से तैयार करना।“ उसने बताया था, कि वह कितनी लम्बी और कितनी चौड़ी होनी चाहिए, और कहा था, ”उसमें कमरे बनाना; उसमें तीन कमरे बनाना।“40क्या ही सुन्दर प्रतिछाया है! धर्मी ठहरना, पवित्रीकरण, पवित्र आत्मा का बपतिस्मा; तीन कोठरियाँ! समझे? और स्मरण रखिए, उसने कहा था, उसमें एक खिड़की बनाना।’ और वह खिड़की अंदर की ओर नहीं थी, वह तो ठीक ऊपर थी। समझे? धर्मी ठहरना, लूथर; पवित्रीकरण, वैसली; पवित्र आत्मा का बपतिस्मा; और उजियाला अंदर चमकता है। यही परमेश्वर के सूर्य का वह उजियाला है जिसमें हमें अवश्य ही रहना चाहिए और जिसमें हमें चलना चाहिए। आमीन! सबसे निचले फर्श पर रेंगनेवाले जीव-जन्तु थे; और दूसरी मंजिल पर चौपाये थे; परन्तु नूह और उसका घराना सबसे ऊपर वाले में थे, जिससे वे देख सकते थे और उजियाला अंदर आ सकता था।41अब उसने कहा था, “जब तू इसे गोपेर की लकड़ी से बनाता है, जब तू इसे सारा का सारा बना लेता है और तैयार कर लेता है, तो मैं चाहता हूँ, तो तू इस पर अंदर और बाहर से राल लगाना।”खैर, मैं एक दिन अध्ययन कर रहा था, कि यह राल क्या थी? हमारे लिए राल टार है, जो कि हम रासायनिक पदार्थों के द्वारा बनाते हैं और सड़कों और…और दरारों तथा ऐसी ही और दूसरी जगहों को टार से भर देते हैं। परन्तु उन दिनों में यह अलग ही थी। उनके पास गंधराल या रोसिन डामर का वृक्ष था, और वे इस सदाबहार वाले वृक्ष को ले लेते थे और उसे काटकर गिरा देते थे; जिससे कि उनके पास गंधराल जैसी चीजें हो जैसी कि आज हमारे पास हैं, वे पेड़ के तने को पीटते थे। और वे पेड़ के तने को तब तक पीटते थे जब तक कि उसका सारा का सारा रस और सारी की सारी राल बाहर नहीं निकल आती थी। इसके बाद वे उसे गर्म करते थे और उसे इस मुलायम गोपेर की लकड़ी के ऊपर डाल देते थे जो..से भरी होती थी….जो स्पंज के जैसी होती थी; और यह बस उसे भर डालता था। और इसके बाद जब वह सख्त हो जाती थी,तो उसके बाद आप उसमें कील तक नहीं गाड़ सकते थे। देखिए, वह ग्रहण करने के लिए तैयार होती थी। यह मसीह के जैसा ही है।वैसी ही कलीसिया होती है। देखिए, कलीसिया को स्वयं अपने को खाली कर डाल देना चाहिए, और असल में बिलकुल हल्का हो जाना चाहिए; आपको अपने में से सारी नामधारी संस्था बाहर निकाल देनी चाहिए, आपको सारी दुनियादारी अपने में से बाहर निकल देनी चाहिए; सारे अविश्वास को आप में से बाहर निकाल जाना चाहिए और आप से दूर हो जाना चाहिए।

42और वहीं एक और था जो हम से अलग था, उसे उसकी जवानी में ही काट डाला गया था। और उसे कुचला और मरा-कूटा गया था, “वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल हुआ, हमारे ही अधर्म के कामों हेतु कुचला गया।” उसे तब तक मारा-कूटा गया था जब तक उस में से उसका जीवन बाहर बह न निकला था, जैसे गंधराल के पेड़ को पीट पीटकर उसमें से राल को बाहर निकाला जाता है।और ओह, एक मसीही इसे कैसे अवशोषित कर सकता है, अगर आप खाली हैं—मगर सबसे पहले तो आपको खाली होना पड़ता है। इसकी परेशानी तो यह है, कि हम खाली नहीं होना चाहते हैं। परन्तु आइये हम अपने सारे विचारों से, अपने सारे धार्मिक मतों से, अपनी सारी किताबों से खाली हो जाये और पवित्र आत्मा को, जो कि परमेश्वर अपने वचन में है, अवशोषित कर लें।उसके बाद यह तूफान पर चल सकती थी, वह समुंद्रों पर चल सकती थी; क्योंकि वह किसी भी दूसरी लकड़ी से कठोर थी। वहाँ कुछ भी ऐसा नहीं था जो उसका स्थान ले सकता था…..कोई भी उसका स्थान नहीं लेगा। उस नाव के हिस्से अभी भी मौजूद हैं, जबकि वह छह हजार साल पुरानी है। और उन्हें इसके हिस्से मिलते हैं, क्योंकि वह मौजूद है; क्योंकि वह उस बाहर निकाले हुए पदार्थ के कारण इतनी ज्यादा कठोर थी, कि उसने न्यायों को बाहर की ओर रखा था। जल ही न्याय था।और जब हम मसीह के अंदर उस मारे-कूटे हुए जीवन के द्वारा आते हैं; उसे अपने तंत्र में सोख लेते हैं तो हम संसार की चीजों से इतने ज्यादा बेअसर जाते हैं, कि हम उस जलजलाहट का सामना कर सकते हैं। जब तूफान आ रहे होते हैं और सागर प्रतिकूल होता है, तौभी वह छोटी नाव नहीं गिरती है। वह तो उन लहरों पर से होती हुई युगानुयुगी चट्टान के पास जा पहुँचती है।43नूह के पास यही चैन था, जबकि वह इसे बना रहा था, जबकि वह इस नाव को बना रहा था। वह जानता था, वह चैन में था, क्योंकि उसके पास यहोवा का वचन था, जिसने उसे बताया था, “ये निर्देश हैं।”क्या होता, यदि किसी ने कहा होता, “कहो, नूह, तुम्हारा इससे क्या मतलब है, कि तुम उसे गोपेर की लकड़ी से बना रहे हो? क्यों, तुम उसे जानते हो, उस लकड़ी को जानते हो। अगर कभी पानी होगा, तो वही सबसे पहली चीज होगी जो डूबेगी।”परन्तु आप देखते हैं, कि नूह तो निर्देशों का पालन कर रहा था। नूह के पास परमेश्वर का वचन था जो कि उसका चैनदेनेहारा या सहायक था। वचन ही उसका चैन था, “मैं नहीं समझता हूँ, कि परमेश्वर क्यों मुझ से उसे इस प्रकार बनवा रहा है, लेकिन यही है वह जो परमेश्वर ने करने के लिए कहा था।”44मैं नहीं समझता हूँ, कि परमेश्वर क्यों मुझ से उस प्रकार से काम करवाता है, जिस प्रकार से मैं काम करता हूँ। मैं नहीं समझ सकता हूँ, कि क्यों वह मुझ से सहयोग तथा इन सारे दूसरे कामों को नहीं करने देगा, और नामधारी कलीसिया के साथ चलने नहीं देगा। परन्तु यही उसका निर्देश है। यही वह तरीका है जो उसने इसे बनाने के लिए कहा था।“वह इससे क्या करने जा रहा है?”“मैं नहीं जानता हूं। मुझे तो बस यह करना चाहिए, कि मैं शहतीरों (इमारती लकड़ियों) को ऊपर लगाता चला जाऊँ और उनका चट्ठा बनाता चला जाऊँ।” और वे शहतीर परमेश्वर का वचन हैं। और वहीं पर मेरा चैन मौजूद है; यह सच है, क्योंकि इसे ठीक वैसे ही निर्मित किया गया है जैसा परमेश्वर ने इसका निर्माण करने के लिए कहा था। “मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और इस पर अधोलोक के फाटक प्रबल न होंगे।” यह सच है। यह क्या है? यह जानने के इस आत्मिक प्रकाशन पर, कि यीशु मसीह कौन है, पर….ना तो वह त्रिएकता का तीसरा व्यक्ति है, और ना ही इसमें कोई त्रिएकता है। वह तो परमेश्वर है और वही अकेला ही परमेश्वर है जो देहधारी हुआ था। यही है वह जहाँ पर वह अपनी कलीसिया का निर्माण करता है। और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे।“ यद्यपि ये यही दिखाता है, कि ”अधोलोक के फाटक उसके विरूद्ध होंगे, लेकिन वे उस पर कभी प्रबल नहीं हो सकेंगे।“45नूह…निश्चय ही, नूह के पास ये वचन थे। वह चैन पाया हुआ था, क्योंकि वह जानता था; और इससे कोई मतलब नहीं था, कि संसार क्या कहता था।क्या होता, यदि कोई ठेकेदार उसके पास आता और कहता, “भाई, नूह! तुम जानते हो, जब से तुमने कलीसिया छोड़ी है, और तुम इस बमिज़ाज़ी या झल्लाहट पर जा निकले हों, आओ मैं तुम्हें कुछ दिखाता हूँ। यदि तुम निर्माण कर ही रहे हो, तो तुम क्यों नहीं कोई अच्छा, पुराना कठोर बलूत लेते हो?”“बलूत ऐसा नहीं करेगा।”आप कहते हैं, “ठीक है, मैं साबित कर सकता हूँ, कि बलूत की लकड़ी इससे कहीं ज्यादा मज़बूत है।”इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि बलूत की लकड़ी कितनी मज़बूत होती है, परमेश्वर का विशेष निर्देश तो यह था, “गोपेर की लकड़ी।” परमेश्वर उस लकड़ी के साथ कुछ करने जा रहा है। उसे तो इसमें कुछ और जोड़ना होता है।46उनमें से कुछ कहते हैं, “फिर तो क्यों नहीं एक ऐसी कलीसिया पा लेते हो जहाँ बुद्धिमान लोगों के बड़े बड़े दल बढ़िया वेशभूषा पहने हुए और अच्छी तरह से सज़-धज कर आते हैं, और वे तुम्हें अच्छा खासा रुपया-पैसा दे सकते हैं और इसी प्रकार की और चीजें दे सकते हैं, और तुम क्यों नहीं उन्हें सुसमाचार का प्रचार करते हो? क्यों तुम गरीब लोगों के झंड़ को प्रचार करते हो? तुम तो भूखे और अधमरे हो गये हो, और तुम्हें इसी प्रकार का सब कुछ हो गया है।” वे ऐसा उन प्रचारकों से कहते हैं जो सच्चाई के लिए खड़े होते हैं।परन्तु हे भाई, “मैं आपको बता नहीं सकता हूँ।”क्यों तुम एक बुद्धिजीवी वाली भीड़—कुछ ऐसे ही लोग पाना नहीं चाहोगे जो अपनी ए. बी. सी जानते हैं?इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि वह किस प्रकार की भीड़ है। वे जो मसीह को ग्रहण करने के अभिलाषी रहते हैं, मसीह उन्हीं के साथ कुछ करता है। यही वह ऐसी भीड़ होती है। यह वह व्यक्ति हो जो शायद अपनी ए. बी. सी. भी न जानता हो। परन्तु यदि वह नहीं है…..वह तो मसीह को जानता है; और यही अन्तर होता है। देखिए, यह…यह प्रतिष्ठा नहीं है, यह शाही लोहू नहीं है जिसका दावा तुम करते हो, कि वह तुम में है— यह तो यीशु मसीह का लोहू है जो…जो हमारा उसमें लंगर डालता है और हमें उसके अंदर सुरक्षित रखता है।47आइये हम बस एक और का नाम लें, जबकि हम इस पर हैं। अय्यूब! मैं अय्यूब के विषय में बोलना चाहूँगा। उस पुरुष के पास कैसे एक चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक था। उसका चैनदेनेहारा क्या था? परमेश्वर का वचन! परमेश्वर ने उसे बताया था, कि वह ठहरेगा….जब तक वह उस होम बलि को चढ़ाता है, वह धर्मी ठहरा रहेगा। अय्यूब पूरी तरह से उसी होम बलि पर ही टिका हुआ था। इससे कोई मतलब नहीं था, कि कितनी ज़ोर से तूफान आये थे, कितने छाले फूट पड़े थे; और उससे कितनी वस्तुएं ले ली गईं थीं, वह अभी भी परमेश्वर के वचन पर टिका हुआ था। वही अय्यूब का चैन था।48जब उसके लोग अर्थात् कलीसियाएं उसके पास आयीं और उसे तसल्ली देने की..की चेष्टा की और बोले, “यहाँ देख, अय्यूब, यहाँ देख, तू जानता है, तू ने पाप किया है। तू जानता है, कि तू ने गलत किया है। परमेश्वर एक ऐसे धर्मी जन को कदापि ऐसा दंड़ नहीं देगा, कि वह उसका सब कुछ ले ले, उसके बच्चे ले ले, उसका घर तहस-नहस कर दे; और इन सारे कामों को करे, और तेरी सेहत ज़रज़रा डाले? और यहाँ पर तू एक कंगाल और अभागा बैठा हुआ है। कैसे…..अय्यूब तू खुद अपने को यह कह कर कैसे धर्मी ठहरा सकता है, कि तू पापी नहीं है?”अय्यूब जानता था, कि वह पापी नहीं था, क्योंकि वह परमेश्वर के वचन पर टिका हुआ था! आमीन! परमेश्वर की माँग वह होम-बलि (burnt offering) और पापों का अंगीकार थी। और अय्यूब अपने पापों का अंगीकार कर चुका था, और वह वचन पर खड़ा हुआ था। और वह अपने दुख-क्लेश के बीच में पुकार कर बोल उठा था, “मैं जानता हूँ, कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है; वह अन्तिम दिन पृथ्वी पर खड़ा होगा, और चाहे खाल को नाश करने वाले कीड़े इस शरीर को नाश कर डालें, तौभी मैं इसी शरीर में होकर परमेश्वर को देबूंगा।” देखिए, उसका चैन तो परमेश्वर का वायदा था, उसका चैन तो परमेश्वर का वचन था।यही अर्थात् परमेश्वर का वचन ही पैतृक सम्पत्ति है, जो हमारे पास है। यह प्रतिज्ञा ही तो है। जी हाँ, श्रीमान!49अब्राहम को देखिए, जिसके बारे में हमने इस सुबह बातें की थीं। मैं आज रात उसे एक और साक्ष्य के रूप में फिर से वापस लेकर आना चाहूँगा। अब्राहम के पास क्या ही चैन था जब लोग उसे एक हठधर्मी कहना चाहते थे। जब अब्राहम के साथ सब कुछ गलत होता चला जा रहा था, तो उन्होंने क्या कहा होगा? “अब्राहम, तू उस छोटे लड़के के साथ कहाँ जा रहा है?”“मैं उसकी बलि चढ़ाने के लिए ऊपर जा रहा हूँ।”“क्यों?”“ठीक है, अगर वह यहोवा ही है जिसने मुझ से बातें की थी, वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर, अल्ल-सदाई, छाती वाला परमेश्वर है; जब मैं सौ साल का था और मेरी पत्नी नब्बे साल की थी, तो उसने हमें यह बालक दिया था। अब यदि ठीक उसी परमेश्वर को इस बालक का जीवन चाहिए, जिसे मैंने अपनी मरी हुई सी हालत में पाया था – मेरा उसी परमेश्वर पर विश्वास है, कि वह उसे मरे हुओं में से जिला उठाने में सामर्थी है।” क्यों? क्योंकि यही तो उसका चैन था।

50और पूर्वज अय्यूब ने अपने समय में कहा था, “चाहे वह मुझे मार ही क्यों न डाले, तौभी मैं उसी पर भरोसा करूंगा।” उसका लंगर वचन के अंदर डला हुआ था। वह जानता था, कि वचन ने क्या कहा था, और वही उसका चैन था। यह उसका विश्वास ही था, कि उसे ग्रहण करे, कि उसे थामे रहे।और अब्राहम जानता था, कि यह परमेश्वर ही था। अतः यदि उसका पुत्र…. वह मरा हुआ सा था, सारा का गर्भ मरा हुआ था, और उसका पौरुषत्व मरा हुआ सा था, और फिर भी परमेश्वर उसे यह बालक देता है, क्योंकि यही वह प्रतिज्ञा थी जो परमेश्वर ने उसे दी थी, और ठीक जिसने उसे वह प्रतिज्ञा दी थी; उसी ने उससे बोला था, “अपने पुत्र को बलि कर।” वह जानता था, कि परमेश्वर उसे मरे हुओं में से जिला उठाने में सामर्थी है। अब यदि….51परमेश्वर, जिस परमेश्वर ने मुझे मेरे हुओं में से जिलाया, मुझ एक पापी को जो पाप और अधर्म में मरा हुआ था, उसने मेरे प्राण को जिला उठाया, उसने मेरे लिए कुछ किया; ठीक उसी ने आपके लिए कुछ किया। उसने संसार की उस आत्मा को मुझ से दूर किया। उसने मुझ से संसार की वो अभिलाषा ले लीं। उसने मुझे उन परछाइयों से ऊपर उठाया। और उसने मुझे पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया। अगर मेरा परमेश्वर यह कर सकता है, तो मृत्यु भी मुझे उससे अलग नहीं कर सकती है। ऐसा ही है! कुछ भी ऐसा नहीं है जो मुझे उससे अलग कर सके। यही मेरा चैन है। वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा। यह सच है। मैं जानता हूँ। “वह जो मेरा मांस खाता और मेरा लोहू पीता है, उसके पास अनन्त जीवन है, और मैं उसे अन्तिम दिन जिला उठाऊँगा।”52यदि परमेश्वर मुझे तब ले सकता था जब मैं कीचड़ में था और पाप में था; और उसने मुझे ऊपर उठाया, कि मुझे एक मसीही बनाये। यदि परमेश्वर मुझे तब ले सकता था जब मैं व्यग्रता और दुर्गति में था; और मैं उस हालत में था जिसमें कि एक कंगाल अभागा होता है, और उसने मुझे ऊपर उठाया, कि मुझे अनन्त जीवन की आशा दे, और मुझे पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दे, और मुझे अपनी सामर्थ और महिमा से भर दे, तो फिर वह मुझे मौत की घाटी और मौत की छाया में से होकर ले जाने में और दूसरे छोर पर मुझे महिमा में ग्रहण करने में सामर्थी है, क्योंकि उसने इसकी प्रतिज्ञा की है, और यही हमारा चैन है।मैं तो दृढ़ चट्टान पर, मैं तो मसीह पर खड़ा हूँ;दूसरी सारी जगह धसती रेत है।53इब्रानी बच्चे! जैसाकि हम ने इस सुबह इसके बारे में कहा था, कि जब वे धधकते भट्टे की ओर जा रहे थे, जब वे अपने अपने जीवन न्यौछावर करने के लिए धककते भट्टे की ओर जा रहे थे; उन्होंने अपना निश्चय किया हुआ था…..जैसा कि हमने इस सुबह कहा था। परन्तु उनके साथ क्या हुआ था? उन्होंने कहा था, “हमारा परमेश्वर सामर्थी है।” आमीन! ठीक इसी पर वे टिके हुए थे। वे किस पर टिके हुए थे? उन का चैन क्या था? वे तो कुछ ही मिनटों में जलकर चकनाचूर हो गये होते। भट्टे की गर्मी पहले से भी सात गुना ज्यादा थी। परन्तु उनके पास चैन था! क्यों? क्योंकि वे यह जान रहे थे, “हमारा परमेश्वर हमें प्रचंड़ आग में से बचाने में सामर्थी है।” उनका चैन तो उसी परमेश्वर की काबलियत (सामर्थ) पर टिका हुआ था जिसकी उन्होंने सेवा की थी। ओह, मेरे खुदा!54वे उसकी सामर्थ पर टिके रहे थे। यही तो मेरी आशा और ठिकाना है। मैं तो उसकी की सामर्थ पर टिका रहा हूँ। मैं तो उसके अनुग्रह पर विश्राम कर रहा हूँ। उस पर नहीं, कि मैं क्या हूँ, वरन उसी पर कि वह क्या है। मैं तो उसी की प्रतिज्ञा पर टिका रहा हैं, क्योंकि उसने प्रतिज्ञा की है, और उसने प्रतिज्ञा पूरी करने की शपथ खाई हुई है। और मैं जानता हूँ, कि हमारे पास अनन्त जीवन है। यह सच है।वह इसी पर टिका हुआ था। इब्रानी लड़कों ने कहा था, “वह हमें छुड़ाने में सामर्थी है। यदि वह हमें न भी छुड़ाये, तौभी हम तेरी मूरत के आगे नहीं झुकेंगे।” मुझे यह बात पसंद है। जी हाँ, श्रीमान!कोई भी मसीही तो यही कहेगा, चाहे वह मुझे सफर के अंत पर ठुकरा ही क्यों न दे, चाहे वह मुझे अनन्तकालीन पृथक्करण में ही क्यों न फेंक दे, तौभी मैं उससे प्रेम करता हूँ, तौभी वह मेरा है। मैं अधेलोक में भी वैसा ही सोच सकता हूँ जैसा मैं अब सोचता हूँ; मैं तो उससे अभी भी प्रेम ही करूंगा। चाहे युग बीतते चले जायें, मैं तो अभी भी उसी से प्रेम करूंगा, क्योंकि मेरे हृदय में कुछ घटित हुआ था, कुछ घटित हुआ था। मैं तो यही कहूँगा, “यदि मेरे पास एक जीवन होता, या मेरे पास तीन जीवन होते, मैं तो प्रभु यीशु मसीह के जैसा ही होने की कामना करता हूँ।” यह सच है। क्योंकि कुछ घटित हुआ है। वह मेरा जीवन है। वह मेरे पास आया है।55मूसा जानता था। जब मूसा उन बीस लाख लोगों की अगुवाई करके मिस्र में से बाहर निकालकर लाया, तो उस पर उन बीस लाख लोगों की जिम्मेदारी थी, कि वह उन्हें कैसे भोजन खिलाने जा रहा है; वे बीस लाख लोग थे जिनमें से औरतों ने अपने सिरों पर गूंधी हुई रोटियाँ-गंधा हुआ आटा उठाया हुआ था। वह उन्हें चालीस वर्ष की यात्रा में कैसे भोजन खिलाने जा रहा था? उस प्रकार के झंड़ में एक ही रात में कितने ही शिशु उत्पन्न हो सकते थे? कितने ही बूढे और क्षीण हो गये थे? वे कितने सारे कपड़े पहन डालेंगे? “मुझे कहाँ से कपड़े मिलेंगे? मैं उन्हें कहाँ से भोजन खिलाऊँगा? मैं ही तो उनके पास एक अगुवे के रूप में आया हूँ। मैं ऐसा कैसे कर पाऊँगा?”मूसा तो इसी पर टिका हुआ था, क्योंकि परमेश्वर ने कह दिया था, “निश्चय ही, मैं तेरे साथ होऊँगा।” आमीन! यही उसका चैन था; निश्चय ही, मैं तेरे साथ होऊँगा। यही था वह सब जिसकी उन्हें आवश्यकता थी, यही था….मूसा परमेश्वर के वायदे की तसल्ली पर चैन से था, “मूसा, निश्चय ही, मैं तेरे साथ होऊँगा।”

अतः तब यह मूसा के ऊपर नहीं था, कि वह उन्हें कैसे पोषित करे।“प्रभु, आप ऐसा कैसे करने जा रहे हैं?” मूसा ने यह प्रश्न नहीं पूछा था।प्रश्नों को पूछना मेरा काम नहीं है। प्रश्नों को पूछना आपका काम नहीं है। हमारा काम तो यही है, कि हम उसका विश्वास करें, और उसकी आज्ञाओं का पालन करें, और चैन का अनुभव करें, जबकि हम उसकी प्रतिज्ञा पर टिके रहते हैं। परमेश्वर ने ऐसा कहा था।“ इसी से ही मामला खत्म हो जाता है।56एक बार किसी ने मुझ से कहा था, “भाई ब्रन्हम, क्या आपको तब डर नहीं लगता है, जब आप प्रचार मंच पर जाते हैं और आपको वास्तविक प्रकटीकरण के लिए बुलाया जाता है? क्या आपको कभी कभी उस पंक्ति में खड़े होकर डर नहीं लगता है, कि कहीं आप से कोई गलती न हो जाये?” जी नहीं, श्रीमान! 127. मैं डरता नहीं हूँ, क्योंकि मैं पूरी तरह से उसके वचन पर ही टिका रहता हूँ, मैं तेरे साथ होऊँगा’; जब वह उस रात मुझ से बोला था, तो उसने मुझ से कहा था, तेरे जीवन के सारे दिनों में कोई भी मनुष्य तेरे सामने न टिका रहेगा। मैं तेरे साथ होऊँगा।“ और उसने ही हर एक बैरी को काटकर अलग किया है। वह मेरे पास खड़ा रहा है, जबकि मैं इस योग्य नहीं था, कि वह मेरे पास खड़ा रहे; परन्तु चूँकि उसने यह प्रतिज्ञा की थी, अतः उसके अनुग्रह के कारण मैं पूरी तौर से उस वचन पर टिका हुआ हूँ। क्यों? क्योंकि उसने इसकी प्रतिज्ञा की थी, और वह उसे पूरा करने में सामर्थी है। जिस बात की उसने प्रतिज्ञा की है। मूसा यह जानता था।“तू लाल सागर कैसे पार करने जा रहा है?”मूसा ने कहा, “मैं नहीं जानता हूँ, लेकिन उसने मुझसे इस बात की प्रतिज्ञा की है, कि वह मेरे साथ होगा।”अतः आप तब तक सेतु पार न करें जब तक कि आप उस तक पहुँच नहीं जाते हैं। परमेश्वर के वचन के साथ साथ बने रहें, और परमेश्वर ही मार्ग को खोलेगा; क्योंकि वही मार्ग है। जी हाँ, मूसा उस वचन के द्वारा चैन में था जो परमेश्वर ने उससे बोला था।57यूहन्ना! यूहन्ना को देखिए! मैं सोचता हूँ, कि इस सुबह हमने उसका हवाला दिया था, मैं सुनिश्चित तो नहीं हैं, लेकिन मैं सोचता हूँ, हमने यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का हवाला दिया था। जब वह जंगल में से निकलकर वहाँ बाहर आता है……और यदि कोई उससे कहता, “यहाँ देखो! आज इस्राएल में बीस लाख से भी ज्यादा लोग हैं। तुम इस मसीहा को कैसे जानोगे?“तुम कैसे जानोगे?” वह एक साधारण पुरुष होगा। वह दाऊद के पुत्रों में से एक होगा।““वह कहाँ से होकर आएगा, क्या दाऊद के वंश से” वे तो हजारों हजार गुना हैं। तुम उसे कैसे जानोगे? तुम उसका संसार से कैसे परिचय कराओगे, और कैसे जानोगे, कि वही वाला ही वो है?“उसने कहा, “मेरे पास परमेश्वर का वचन है। मैं उसे जान जाऊँगा।” वह बोला, “एक है जो अब तुम्हारे मध्य में खड़ा हुआ है।” आमीन! “एक है जो अब तुम्हारे मध्य में खड़ा हुआ है जिसे तुम नहीं जानते हो। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।”58“यूहन्ना, तू उसे कैसे, जानेगा?”“मैं तो परमेश्वर के वचन पर ही टिका हुआ हैं। क्योंकि परमेश्वर ने ही मुझे जंगल में बताया था, ‘जाकर पानी से बपतिस्मा दे।” बोला, ”जिस पर मैं आत्मा को उतरते हुए और ठहरते हुए देखूगा, वही वह एक होगा जो पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।“यूहन्ना ने कहा था, “वह वहाँ खड़ा हुआ था, लेकिन मैं उसे नहीं जानता था। वह एक साधारण मनुष्य था। वह मनुष्य के जैसे ही कपड़े पहने हुए था, वह मनुष्य के जैसा ही दिखाई पड़ता था। वह एक पुरुष था।” बोला, “मैं उसे नहीं जानता था, परन्तु एक है जिसने मुझे जंगल में बताया था, ”तू एक चिन्ह देखेगा, और वह यह होगा, कि आत्मा उस पर आकर ठहर रहा होगा। यही वह एक होगा जो इसे करेगा। यूहन्ना नहीं डरता था, कि वह गलती कर जाएगा, क्योंकि वह जानता था। आमीन!59ओह, तो फिर हम कैसे गलती कर सकते हैं, जबकि यीशु ने ही कहा था, “जो विश्वास करते हैं, उनके ये चिन्ह होंगे। वे मेरे नाम से दुष्टात्माओं को निकालेंगे, और नई नई भाषाएं बोलेंगे; वे सांपों को उठा लेंगे, या यदि वे नाशक वस्तु भी पी जायें, तौभी उनकी कोई हानि नहीं होगी। और वे बीमारों पर हाथ रखेंगे, और वे चंगे हो जायेंगे।”और इस दिन के मनुष्य को यह मालूम हो रहा है, कि लोग उसी शक्ति का इन्कार कर रहे हैं। वे भक्ति का भेष तो धरते हैं, लेकिन पवित्र आत्मा की शक्ति का इंकार कर रहे हैं। यकीनन, इसका लाकर इतना ज्यादा खुलासा किया गया है, कि हम इसे देख सकते हैं।60हम चैन में हैं, क्योंकि परमेश्वर के वचन ने ही यह बोला है और हमें बताया है, जो विश्वास करते हैं, उनके ये चिन्ह होंगे।“उसने कहा था, कि आलोचक उठ खड़े होंगे जो इन बातों को कहेंगे, अतः इसे तो हमें उसके लिए और भी ज्यादा चैन प्रदान करना चाहिए।(टेप में रिक्त स्थान-सम्पा.) वह चैन पाया हुआ था।जब उसने कहा था, वह नहीं है… बोला, “एक मिनट रुको! वहाँ दूसरे छोर पर महायाजक है।”“महायाजक हो या महायाजक ना हो; बिशप हो या बिशप न हो; राजा हो या राजा न हो!” वहाँ पर हेरोद बैठा हुआ है, और यूहन्ना ने कहा था,” तेरे लिए यह उचित नहीं है, कि तू फिलिप्पुस की पत्नी ले और उसके साथ रहे।“ आमीन!उसके पास क्या था? परमेश्वर का वचन! उसने परवाह नहीं की थी, उसने तो इस पर बिना समझौता किये हए प्रचार किया था। उसके पास वचन था, जो उसका सहायक था-उसका चैन था। परमेश्वर ने उसे बताया था, कि कौन मसीह होगा।61“चाहे कोई मसीह होने जा रहा हो या न होने जा रहा हो; क्या तू नहीं सोचता है, कि वह हमारा महायाजक ही होगा? क्या तू नहीं सोचता है, कि वह इसे जान जायेगा?“मैं उसके बारे में नहीं जानता हूँ। लेकिन परमेश्वर ने मुझ से कहा था, कि मैं आत्मा को नीचे उतरते हुए देखूगा। वह उसके ऊपर ठहरेगा। वही एक वो होगा। आमीन! वही मेरा मसीह होगा।” यूहन्ना ने कहा था, “मुझे मेरे हृदय में एक चैन मिल चुका है। मैं प्रतीक्षा कर रहा हूँ, क्योंकि मैं परमेश्वर की प्रतिज्ञा जानता हूँ। जब मैं उसे देबूंगा, तो मैं उसे जान जाऊँगा।”एक दिन लाज़र और यीशु पहाड़ पर से नीचे उतरते हुए आते हैं…….

वह सीधा ही चलकर पानी में गया।और यूहन्ना ने कहा, “देखो, वो रहा वह! वही वो है!” सब ने चारों और दृष्टि डाली, और एक दूसरे में कोई फर्क नहीं बता सकते थे, वे सारे के सारे अंगोछा पहने हुए और दाढ़ी बढ़ी हुई शक्ल में एक जैसे ही दिखाई पड़ते थे। परन्तु यूहन्ना बोला, मैं उसे जानता हूँ, क्योंकि उसके पीछे पीछे एक चिन्ह आ रहा है। मैं उसे जानता हूँ। वही वो है! देखो, वह है, परमेश्वर का मेमना जो जगत के पाप उठाये लिये जाता है।“62यीशु ने कदाचित अपना सिर ऊपर नहीं उठाया था, लेकिन वह सीधा ही चलकर नदी में बपतिस्मा लेने के लिए गया था। “हमारे लिए यही उचित है, कि हम सारी धार्मिकता को पूरा करें।” वह जानता था, कि वही मसीह था, क्योंकि उसके हृदय में परमेश्वर का वचन और प्रतिज्ञा थी।ओह, आज रात्रि हम कैसे चैन कर सकते हैं! कैसे होता है जब चिकित्सक पंलग को छोड़कर चलता बनता है, और कहता है, वह दिल तो बस टुकड़े टुकड़े होने जा रहा है। वह नाड़ी-स्पंदन खत्म हो चुका है। सांस गिरती चली जा रही है। वह मर रहा है।““पर जिस पर मैंने विश्वास किया है मैं उसे जानता हूँ और मैं ने पूरी तरह से निश्चय जाना है, कि जिस बात को मैंने उसे उस दिन के लिए सौंपा है वह उसे पूरा करने में सामर्थी है।” हाल्लिलूय्याह! निश्चित रूप से आप के पास परमेश्वर की प्रतिज्ञा है, “वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा। और जो जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा। जो विश्वास करते हैं, उनके ये चिन्ह होंगे।” हमारे पास प्रतिज्ञा है, हमारे पास परमेश्वर का वचन है। यही हमें चैन देता है, अतः हम परमेश्वर के वचन के साथ साथ ही टिके रहें।63अब, ये सभी वे महान योद्धा हैं जिन में से कइयों के बारे में मैंने यहाँ नीचे लिखा हुआ है। परन्तु समय बचाने के लिए……हम जानते हैं, कि उन्हें परमेश्वर के वचन से ही चैन मिला था। यहाँ पर ये रहा वह जो उन्होंने किया था। उन्होंने पीछे देखा था; जैसे कोई पीछे दृष्टि डाले, और देखे, कि दूसरे वाले ने क्या क्या किया था, दूसरे वाले ने वचन का पालन किया था, दूसरे वाले ने वचन का पालन किया था, और चैन पाया था, और बाहर निकलकर आया था। और यह दूसरा वाला पीछे की ओर देखता है और देखता है, कि उसने क्या किया था; अतः उसने वचन का पालन किया और बाहर निकल आया; वह चैन में था, क्योंकि वह जानता था, कि उसके पास परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी। उससे अगला वाला आता है, और वह अपने ऊपर आत्मा का अनुभव करता है और जानता है, अतः वह परमेश्वर के वचन का पालन करता है, और उससे चैन पाता है जो उसने किया था। वह उन में से परमेश्वर के हर एक वचन का पालन कर रहा था। यही एक चैन था।64ओह, भाई, अब सुनिए! एक दिन वही वचन देहधारी हुआ था। ऐसा ही था। वह वचन एक मनुष्य के रूप में देहधारी हुआ था। परमेश्वर का वह वचन जो चैनशान्ति लेकर आया था, वही यहाँ हमारे मध्य में एक मनुष्य बन गया था। हम परमेश्वर के वचन को अपने हाथों से छू सकते थे। हम परमेश्वर के वचन से हाथ मिला सकते थे। वह वचन था। “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था, और वचन देहधारी हुआ, और उसने हमारे बीच में डेरा किया। वह परमेश्वर का वचन था, वह चैनदेनेहारा-सहायक ही था, जो देहधारी हुआ था। वह यहाँ पृथ्वी पर रहा था। हमने देखा था, कि वह वचन था। वह परमेश्वर के जैसे ही काम करता था। वह परमेश्वर के जैसे ही दिखाई देता था। उसने परमेश्वर के जैसे ही प्रचार किया था। उसने परमेश्वर के जैसे ही चंगा किया था। वह परमेश्वर ही था, वह हर एक तौर -तरीके से परमेश्वर ही था। वह वचन के जैसे ही बोलता था। वह वचन के जैसा ही दिखाई पड़ता था। उसने वचन के जैसे ही प्रचार किया था। वह वचन ही था। आमीन!65ओह, उसके बराबर में बैठना क्या ही चैन रहा होगा? क्या आपने चाहा होगा, कि आप ऐसा करते? आप कहते हैं, “ओह, निश्चय ही, मैंने ऐसा चाहा होता, भाई ब्रन्हम!” एक क्षण रुकिए! “क्यों, मैं तो दौड़कर उसके पास चला गया होता, और उसके बराबार में ही बैठ गया होता, जब वह यहाँ पृथ्वी पर था!”जैसी सामर्थ उसके पास थी उसके जैसी सामर्थ से लैस होकर कभी कोई पृथ्वी पर खड़ा नहीं हुआ, जो यह कह सकता होता, “जीवन और पुनरूत्थान मैं ही हूँ।”यीशु ने लाजर की कब्र पर ऐसा ही कहा था। उसने कहा था, ”वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा।“ ओह, मेरे खुदा! वह कौन था? वह क्या था? वह वचन था। वह वचन था। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है, कि वह एक मनुष्य के रूप में खड़ा हो सकता था; और मनुष्य के जैसे ही अपनी आँखों से आँसू पोंछ सकता था, और उस पुरुष से जो चार दिन से कब्र में पड़ा हुआ था कह सकता था, ”लाज़र, बाहर निकल आ।“ वह क्या था? वह वचन था। आमीन! वह काम कर रहा वचन था। वह वचन था। वह वो वचन था जो भविष्यद्वक्ताओं के पास आया था। वह था! उन में से हर एक भविष्यद्वक्ता ने उसके विषय में भविष्यवाणी की थी।66स्तिफनुस ने पुरनियो और याजकों की महा सभा से कहा था, “तुम्हारे बापदादों में से किसने उनको नहीं सताया; जिन्होंने उस धर्मी के आगमन को देखा…जिन्होंने उस धर्मी को पहले से ही देखा; और बता दिया, कि वह आएगा? तुम्हारे बापदादों में से किसने उसको नहीं सताया? अब तुम उस जीवन के राजकुमार को लेकर वध कर चुके हो?” ओह मेरे खुदा! ”तुम ने जीवन के वचन को लेकर ही जान से मार डाला, क्योंकि वही तो वचन था।”यही है वह; वह वचन उनके मध्य में था! उन्होंने देखा था, कि वह चलकर मरे हुए की कब्र पर गया था। उन्होंने उसे नाइन की स्त्री को जब अर्थी निकले जा रही थी, रोकते हुए देखा था; और लोग उसके एकलौते पुत्र की लोथ को रासायन-पदार्थों का लेप करके कब्र की ओर ले जा रहे थे। परन्तु वह लोथ वचन के सम्पर्क में आती है। यद्यपि वह एक लोथ था; तौभी वह जीवता था।“चाहे वह मर भी जाये, तौभी वह जीवित रहेगा।” एक लोथ जीवन पा गई थी, क्योंकि वह वचन के सम्पर्क में आती है। ओह, यह क्या करेगा,जब यह उसी वचन के सम्पर्क में आता है। वही तो चैन है।67ओह, एक बार लोगों ने यह देखा था, कि गलीलियों का एक झंड़ था, शायद वे मछुवारे थे, और उनके पास एक गरीब बूढ़ा था, जो इतना बीमार था, कि वह बामुश्किल अपने पलंग से बाहर नहीं आ सकता था, और उन्होंने उसे वचन के पास लाने का यत्न किया था। और उन्हें कोई जगह न मिल सकी थी, क्योंकि वहाँ पर बहुतेरे थे जो परमेश्वर के लिए भूखे थे। और उस घर पर…उस छोटी सी झोपड़ी पर एक ढेर लगा हुआ था, उन्होंने घर की छत पर खपरेल लगायी हुई थीं; मछुवारे ने नदी के तीर पर एक मामूली सा घर बनाया हुआ था। और उन्होंने इस मनुष्य को वचन तक पहुँचाने के लिए यह भी नहीं सोचा था, कि उन्हें इसका क्या मूल्य चुकाना पड़ेगा। उन्होंने छत फाड़ डाली; जो कुछ भी छत पर था उन्होंने उसे फाड़ डाला, ताकि वे बस वचन के सम्पर्क में आ सकें। और ज्यों ही उसने अर्थात् वचन ने उस चारपाई को नीचे उतरते हुए देखा, वह बोला, “पुत्र, जा तेरे पाप क्षमा हुए। अपनी खाट उठा और घर जा।” क्यों? क्योंकि वह वचन के सम्पर्क में आया था। देखिए, उसने इसका विश्वास किया था।अब, क्या होता, यदि उसने कहा होता, परन्तु तू तो जानता है, कि मैं इन सारे वर्षों में इसी पर पड़ा रहा हूँ। मैं ऐसा नहीं कर सकता हूँ; तो इससे उसका कुछ भी भला न हुआ होता।परन्तु जब वह वचन के सम्पर्क में आया, तो उसने वचन ग्रहण किया, उसने प्रसन्नतापूर्वक वचन ग्रहण किया। वह बोला, “मैं इसका विश्वास करता हूँ। मैं जानता हूँ, यह ऐसा ही है। मैं जानता हूँ, वह वचन है। इसलिए वह ज्यों ही वचन के सम्पर्क में आया, त्यों ही उसने अपनी खाट उठायी और चलता बना।फरीसियों ने कहा, “यह मनुष्य तो निन्दा कर रहा है। वह तो पाप क्षमा कर रहा है।”

बोला, “क्या यह कहना सहज है, कि तेरे पाप क्षमा हुए, या अपनी खाट उठाऔर चल फिर?“ समझे? ओह, मेरे खुदा!वे यह देखने से चूक गये थे, कि वह कौन था। वह वचन था।68उन गललियों के लिए क्या ही चैन था! उन्होंने उस पर कैसे विश्वास किया था! उन्होंने उससे कैसे प्रेम किया था!अब, एक दिन उन्होंने उसे कलवरी पर जाते हुए देखा था। उन्होंने उसे यह कहते हुए सुना था, “थोड़ी देर रह गई है, कि संसार मुझे फिर कभी नहीं देखेगा। ओह, मुझ मनुष्य के पुत्र को अवश्य ही यरूशलेम जाना चाहिए; और मुझे पापी मनुष्यों के हाथों में पड़ना और क्रूस पर चढ़ना और मरना है।” वे इसे कैसे सहन कर सकते थे? उनके ह्रदय चूर चूर हो गये थे। वे सब के सब मायूस थे। वे सभी उदासी में थे। वे उसे कैसे कभी छोड़ सकते थे? क्योंकि वह वचन जो भविष्यद्वक्ताओं ने कहा था, वह वचन जो पंड़ित-विद्वानों तथा उन सारे बड़े बड़े पवित्र लोगों ने आरम्भ में कहा था-आदि में जिस वचन के बारे में बोला गया था, वह यहाँ उनके मध्य में था।परन्तु देखिए, तब उसने क्या ही एक प्रतिज्ञा की थी! “मैं तुम्हें बेचैन नहीं होने दूंगा। मैं तुम्हें अनाथ नहीं छोडूंगा। मैं पिता से प्रार्थना करूंगा, और वह तुम्हारे पास एक सहायक-चैनदेनेहारा, जो कि पवित्र आत्मा है भेजेगा; और वह अर्थात् सत्य का आत्मा सदैव तुम्हारे साथ रहेगा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता है, क्योंकि वह उसे नहीं जानता है; वह उसे ना देखता है। वह ना ही उसे देखता है…ना ही उसे जानता है।वह उसे नहीं जानता है। परन्तु तुम उसे जानते हो! तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ है, और वह तुम में होगा।”69ऐसा ही है! परन्तु वह कब तक साथ रहेगा? युगानुयुग के लिए! तब तो परमेश्वर का वचन क्या है? आज हमारा चैन-हमारा सुकून क्या है; हमारा सहायक क्या है? वह यह है जब हमने पवित्र आत्मा का बपतिस्मा पाया है, और जीवते परमेश्वर की सामर्थ हमारे अंदर रह रही है। और यही कारण है, कि हम जीवते परमेवर के वचन पर अडिग बने रहते हैं, कि वही वचन देहधारी हुआ है और उसने हमारे मध्य में वास किया है। अब, ठीक वही वचन जो देहधारी हुआ था, और हमारे मध्य में रहा था; हमारा शरीर बन गया है। “अब वह तुम्हारे साथ है; परन्तु वह तुम्हारे अंदर होगा।” अब ठीक वही वचन जिसके बारे में भविष्यद्वक्ता ने कहा था, ठीक वही वचन जो देहधारी हुआ था, ठीक वही वचन कलीसिया में वास करता है। यही कारण है, यदि हम उस वचन पर समझौता नहीं करते हैं, यदि हम ठीक उसी पर टिके रहते हैं, यदि हम उस पर समझौता नहीं करते हैं, तो ठीक वही वचन आपके अंदर रहकर ठीक उन्हीं कामों को करेगा जो उसने तब किये थे जब वह देहधारी हुआ था; क्योंकि आपकी देह उसे धारण किये हुए रहती है।यही कारण है, कि वे दर्शन ध्वनि-अवरोधक को तोड़ सकते हैं। यही कारण है, कि दर्शन समय-अवरोधकों को तोड़ सकता है और कह सकता है, “यहोवा यूँ कहता है, अमुक अमुक काम होगा।” और बिलकुल ठीक वैसा ही होता है। यह क्या है ? यह वचन है जो आत्मा से आता है।70आप मुझे नहीं देखते हैं; आप तो मेरा शरीर ही देखते हैं। आप मुझे नहीं देखते हैं। मैं आपको नहीं देखता हूँ, क्योंकि मैं तो केवल आपका शरीर ही देखता हूँ। यह मेरा हाथ है, लेकिन मैं हूँ कौन जिसका यह हाथ है? यह तो मेरी देह है, लेकिन मैं हूँ कौन जिसकी यह देह है? यह एक आत्मा है।और यदि मैं नये सिरे से जन्म पाया हुआ हूँ, यदि आप नये सिरे से जन्म पाये हुए हैं, तो यह परमेश्वर का पवित्र आत्मा है, परमेश्वर का वचन है जो हमारे अंदर रह रहा है। और अगर हम इस वचन पर समझौता करते हैं, और कहते हैं, कि हमारे पास तो परमेश्वर का आत्मा है, तो फिर हम कैसे दावा कर सकते हैं, कि हमारे पास परमेश्वर का आत्मा है? जबकि परमेश्वर का आत्मा ही अपने निज वचन की गवाही देता है, वह तो उससे एक इन्च भी इधर उधर नहीं होगा। इससे कोई मतलब नहीं है, कि नामधारी कलीसियाएं क्या कहती हैं। वह उससे कैसे इधर उधर हटेगा, जबकि यह उसका ही अपना निज वचन है ?71प्रतिज्ञा तो यह है, “मैं अर्थात् चैनदेनेहारा-सहायक तुम्हारे साथ रहूँगा।” उसने कहा था, “मैं सहायक-चैनदेनेहारा भेजूंगा।”और वे ऊपर की कोठरी में जमा थे और उन्होंने वहीं पर पिन्तेकुस्त के दिन तक बाट जोही थी। और जब पवित्र आत्मा आया, तो उसने ठीक वही किया था जो वचन ने कहा था, कि वह करेगा। इसने बिलकुल ठीक वैसा ही किया था जैसा परमेश्वर ने कहा था, कि यह करेगा। यशायाह 28 या 28:18 में या जी हाँ, मैं सोचता हूँ, यह यशायाह 28:18 और 19 है। यह कहा गया है, “आज्ञा पर आज्ञा, वचन पर वचन, थोड़ा यहाँ और थोड़ा वहाँ। उसे थामे रहो जो भला है। क्योंकि मैं तो इन लोगों से परदेशी(बुदबुदाते) होंठों और विदेशी भाषावालों के द्वारा बातें करूंगा। यही है वह जो उसने कहा था, कि वह करेगा। पौलुस ने अपनी पत्रियों में इसका हवाला दिया था, कि वह तो विदेशी होठों वालों के द्वारा लोगों से बातें करेगा। और जब पवित्र आत्मा आया, तो वह बिलकुल ठीक वचन के अनुसार ही आया।महिमा होवे! और जब वह फिर से आता है, और जब वह उस कलीसिया में चलता-फिरता है जो नये सिरे से जन्म पायी हुई है, तो वह उसके अस्तित्व की सामर्थ और प्रकटीकरण के साथ आता है। परमेश्वर का वचन अर्थात् चैनदेनेहारा-सहायक हमारे मध्य में है जो ठीक उसी चीज को लेकर आ रहा है।72मैं अभी हाल ही में एक पादरी से बातें कर रहा था, वह बोला, “क्यों, आप तो सिर्फ बाइबिल के एक और शिक्षक ही हैं।” बोला, “तुम…तुम तो सिर्फ बाइबिल पर ही अटल बने रहते हो।” बोला, “यह तो कैथोलिक कलीसिया का ही इतिहास है।”मैंने कहा, “तो फिर तुम आज सबसे बड़े होने का दावा करते हो?”वह बोला, “आप देखते हैं, निश्चय ही, हम जो चाहे बदल लेते हैं, क्योंकि यह एक..एक…एक कलीसिया के द्वारा…..

उस अधिकार के द्वारा किया गया है। जो कलीसिया को दिया गया है।”मैंने कहा, “कुछ घटित हुआ था। क्योंकि आरम्भिक दिनों में तुम्हारे पास चिन्ह और आश्चर्यकर्म थे, कि पवित्र आत्मा तुम्हारे साथ था।”आरम्भिक कैथोलिक कलीसिया ने अन्यान्य भाषाएं बोलीं थीं। आरम्भिक कैथोलिक कलीसिया ने भविष्यवाणियाँ की थीं। उनके पास भविष्यद्वक्ता थे। आरम्भिक कैथोलिक कलीसिया ने इन सारे आश्चर्यकर्मों को किया था। उन्होंने बीमारों को चंगा किया था। उन्होंने मुरदों को जिलाया था। उन्होंने ज़ोर ज़ोर से जयजयकार किया था, उन्होंने पागल-सनकियों के जैसा व्यवहार किया था। वे आत्मा में नाचे थे। वे सनकी या हठधर्मी कहलाये थे।तुम कैथोलिकों, मगर तुम तो आज बहुत ही ज्यादा अभिमानी हो गये हो। देखो, तुम तो नये चलन पर जा निकले हों। यह वह समय है जब कैथोलिक कलीसिया वहाँ लौट जाये जहाँ उसने तब शुरूआत की थी; तुम उन दिनों की ओर लौट जाओ जब तुम यीशु नासरी के साथ चले फिरे थे, और वचन देहधारी हुआ था। तुम देखते हो, तुम्हारे पास वहाँ पर पादरियों और पोप तथा ऐसे ही लोगों का एक ऐसा झंड़ है, जिसने उस वचन को ही बदल डाला है, और उस वचन को दूषित कर डाला है; और वहाँ पर कलीसिया में कोई सामर्थ नहीं है। यह तो सिर्फ एक संस्था ही है। जैसे मैथोडिस्ट, बैपटिस्ट, प्रेसबीटेरियन और पिन्तेकोस्तल हैं, यह तो ठीक वैसी ही चीज है, यह तो एक संस्था ही है। आओ हम इस संस्था से दूर हो जाएं।73आप स्वयं अपने को किसी संस्था की कोठरियों में बंद न करें, जैसे कोई अविश्वासी स्वयं अपने को कहीं पर तहखाने में परमेश्वर के वचन का इंकार करने के लिए बंद कर लेता है। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ, कि कोई बिशप या अन्य कोई क्या कहता है। यह हो, कि वचन ही आपके अंदर आये, और वह पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा देहधारी हो, और आपके शरीर व आप पर अपना नियन्त्रण कर ले, और आपके द्वारा जीवते परमेश्वर के कामों की और महान सामर्थ की गवाही दे। यह बिलकुल ठीक बात है। इससे कोई मतलब नहीं है, कि नामधारी कलीसियाएं क्या कहती हैं। वे नामधारी कलीसियाएं तो बस आपको तहखाने के अंदर डाल देती हैं, और आप स्वयं अपने को आशीषित सूर्य के उजियाले से छिपा रहे हैं। मैं जानता हूँ, कि यह सत्य है। क्या आप उसी तहखाने में ही रुके रहना चाहते हैं? कोई नहीं चाहता है। आप उस तहखाने में ना घुसे। आप सूर्य के उजियाले में बाहर निकल आयें। आप बाहर वहाँ आ जायें जहाँ वचन है, जहाँ आप वचन ग्रहण कर सकते हैं और वचन पर विश्वास कर सकते हैं, और वचन स्वयं अपने को आप पर प्रकट करेगा। वह खुद अपने को आपके जरिये प्रकट करता है, वह आपके जरिये वचन को साक्षात प्रकट करता है, उसे घटित करता है।74यदि हम परमेश्वर से आशा करते हैं, कि वह अपना वचन पूरा करे; यदि हम परमेश्वर से आशा करते हैं, कि वह हमारे लिए उन कामों को करे जो हम माँग रहे हैं; हमारे लिए ऐसा तब तक नहीं होगा, जब तक कि हम वापस नहीं लौटते हैं और उसका पालन नहीं करते हैं जो परमेश्वर ने करने के लिए कहा था। हमें वापस वहीं पर लौटना है जहाँ से हम छोड़ कर गये थे। हमें वापस पिन्तेकुस्त पर ही लौटना है। हमें वापस सहायक अर्थात् चैनदेनेहारा के पास ही लौटना है। हमें तो वापस पवित्र आत्मा के पास ही लौटना है जो हमारा चैन है। और जब पवित्र आत्मा आता है, तो वह किसी भी उस वचन का इंकार नहीं करेगा जो उसने कभी कहा था। वह तो ठीक उसी वचन के साथ ही टिका रहेगा, क्योंकि वह तो वचन ही है। आमीन!कोई आश्चर्य नहीं है… प्राचीन अन्धी फैनी क्रॉसबे ने सूर्य की रोशनी कभी नहीं देखी थी; उन्होंने उससे पूछा था, कि वह मसीह के बारे में क्या सोचती है? वह बोलीःवह मेरे सारे सुख-चैन का सोता है।वह मेरे लिए जीवन से बढ़कर है।इस ज़मी पर उसके अलावा मेरा कौन है?या उसके अलावा स्वर्ग में मेरा कौन होगा, वही तो…..वही चैनदेनेहारा यहाँ पर है।वह चैनदेनेहारा-सहायक आ चुका है।वह चैनदेनेहारा आ चुका है।75यह क्या है? परमेश्वर का वचन अपकी देह में लंगर डाल चुका है जो आपको अनन्त जीवन देता है, वही आपको पुनरूत्थान की सामर्थ देता है, कि आपको संसार की बातों से, मनुष्यों के अंधे रीति-रिवाज़ों से बाहर निकाले, कि आप परमेश्वर से मिलने वाली तन्दुरूस्ती के सूर्य के उजियाले में चलें। यही है वह जो चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक करता है। वही आपको तहखाने वाली स्थिति से ऊपर उठाकर बाहर निकालता है। वही आपको ऊपर उठाकर परमेश्वर की उपस्थिति में लेकर आता है। और परमेश्वर के साथ आपको एक अनुभव देता है, कि आप पूर्वज़ अय्यूब के साथ चिल्लाकर कह सकते हैं, “मैं जानता हूँ, मेरा छुड़ानेवाला जीवित है।”इसके बाद,अगर हम उसका वचन देखते हैं, और हम उजियाले में चलने से मना कर देते हैं जैसाकि वह उजियाले में है, तो हमारी परमेश्वर के साथ सहभागिता टूट जाती है। परन्तु जब हम प्रकाश देखते हैं, और उजियाले में चलते हैं, जैसाकि वह ज्योति है, तो हमारी एक दूसरे से संगति होती है, और परमेश्वर के पुत्र यीशु मसीह का लोहू हमें हमारे सभी पापों से शुद्ध करता है।76हम कुछ ही मिनटों में उस रोटी को, उस शुद्ध आटे की रोटी को जो उस वचन को दर्शाती है, तोड़ने जा रहे हैं। आप इसे कभी न भूलें! चैन; मेरे सारे चैन का सोता; आज रात्रि मेरे सुख-चैन का सोता यह है, कि मैं जानता हूँ, कि परमेश्वर अपना वचन पूरा करता है। मैं जानता हूँ, कि मेरे साथ कुछ घटित हुआ है। मैं जानता हूँ, कि मैं मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका हूँ। मैं जानता हूँ, कि मैं उसकी आज्ञाएं मानता हूँ। यदि मैं…उसने कहा था, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो, तो तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे। यदि तुम मुझ से प्रेम करते हो, तो तुम वही करो जो मैंने तुम से करने के लिए कहा है। हर एक मनुष्य की बात झूठी और मेरा वचन सच्चा ठहरे।”

उसका अनुकरण न करो जो इंसान ने कहा था। उसका ही पालन करो जो परमेश्वर कहता है और तभी आपको वह चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक मिलता है। और वह चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक आपके पास यह जानने का संतोष लेकर आता है, कि ”यह तो यहोवा यूँ कहता है’।77आइये हम अपने सिरों को झुकाएं!महान, सर्वशक्तिमान यहोवा! जैसाकि मैंने कुछ ही देर पहले फैनी क्रॉसबे के बारे में कहा था, उसने बोला था, “तू मेरे सारे चैन का सोता है।” सच में प्रभु, मैं आज रात उसी के साथ शामिल होता हूँ—यह कहने में इस छोटी कलीसिया के साथ शामिल होता हैं, “तू ही मेरे सारे चैन का सोता है।”प्रभु, मैं अपने हाथ के नीचे कुछ उन रूमालों को पकड़े हुए हूँ जो बीमारों के पास से आये हैं। वे उनके पास जाते हैं जो बीमार-पीड़ित हैं। पिता, मैं प्रार्थना करता हूँ, कि आप उन्हें चंगा करें।आप वचन हैं। और वचन हमारे मध्य में आता है; वचन हमारे अंदर वास करता है। मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा। मैं तुम्हारे पास फिर आऊँगा। थोड़ी देर रह गई है, कि संसार मुझे फिर कभी नहीं देखेगा, फिर भी तुम मुझे देखोगे, क्योंकि मैं जगत के अंत तक तुम्हारे अंदर रहूँगा।“ प्रभु, हम आपको इसके लिए कितना धन्यवाद करते हैं!78आपकी सामर्थ को ठीक सीधे ही एक…एक पापी के जीवन में, एक अभागीकंगाल स्त्री के अंदर, उस लड़की के अंदर जो नैतिक रेखा लांघ चुकी थी; नैतिकता से अनैतिकता में प्रवेश कर गई थी; एक लड़का जो शिष्टता से पियक्कड़पन और सिगरेट पीने वाली स्थिति में आ गया था; एक स्त्री जिसने एक आत्मा के द्वारा स्वयं अपने को अनैतिक बना डाला, कि वह गंदे, अश्लील कपड़े पहनती है, ताकि खुद को पुरुष के सामने ऐसे पेश करे, अंदर आते देखते हैं। उस स्त्री को एक सभ्य स्त्री वाली स्थिति में ऊपर उठाते हुए देखते हैं। यह देखा जाता है, कि वह लड़का अपनी सिगरेटों को तज़ देता है और अपनी दारू-शराब को छोड़ देता है, और परमेश्वर की ओर अपने कदम बढ़ा देता है, और परमेश्वर का एक पवित्र जन बन जाता है, और प्रचारमंच पर एक प्रचारक बन जाता है। प्रभु, हम जानते हैं, आपकी महान सामर्थ ही इन सब कामों को कर सकती है। यह देखा जाता है, कि एक मनुष्य की छाया लेटी हुई होती है, कैन्सर ने उसे खा डाला होता है, और वह मर रहा होता है। वह अंधा आदमी दूर खड़ा हुआ है; उन्हें वापस जीवित होते हुए और जीवन व्यतीत करते हुए देखा गया है। ओह जीवते परमेश्वर का वचन! हम आपका कितना धन्यवाद करते हैं!आप हमारे सारे सुख-चैन का सोता है। मैं आज रात्रि बहुत आनन्दित हूँ, कि वह सहायक एक प्रतिज्ञा के साथ आ चुका है, जिसके लिए कहा गया था, “मैं सदा तुम्हारे साथ रहूँगा।”और उस महान प्रेरित ने जिसे स्वर्ग राज्य की कुंजी दी गई थी, पिन्तेकुस्त के दिन कहा था, “यह प्रतिज्ञा तुम और तुम्हारी संतानों और उन दूर दूर के लोगों के लिए है जिन्हें प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।” फिर हम जानते हैं, कि ठीक वही चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक आता है। और हम आज रात्रि जानते हैं, वही हमारा उद्धारकर्ता है, क्योंकि वही स्वयं अपने को हमारे मध्य में ठीक वैसे ही दिखाता है जैसे उसने तब किया था। यही है वह जिससे हम उसे जानते हैं, क्योंकि उसने उस हर एक वचन पर जो उसने बोला था, विश्वास किया था और काम किया था। वह इसे वापस नहीं ले सकता है, क्योंकि वह परमेश्वर है। पिता, हम इसके लिए आपका धन्यवाद करते हैं।79मैं प्रार्थना करता हूँ, कि आप आज रात्रि यहाँ पर हर एक ह्रदय को सुख-चैन देंगे। उन लोगों को सुख-चैन दें। उन्हें अपना आत्मा प्रदान करें। बीमार और अपाहिज़ों को चंगा करें। ओह, उस निराश स्त्री को, उस निराश पुरुष को लड़के या लड़की को लें। और यह होने पाये, कि वे आज रात्रि अपने पापों से हटकर, होने पाये वे संसार की चीजों से हटकर यीशु पर दृष्टि डालें, जिसने प्रतिज्ञा की थी, ताकि वह हमारे अंदर वास करेगा। और जो काम उसने किये थे, वे हम भी करेंगे, क्योंकि वह पवित्र आत्मा के रूप में आएगा, कि हमारे साथ सदा वास करने वाला चैनदेनेहारा अर्थात् सहायक हो। पिता, उन आशीषों को प्रदान कीजिए। पिता, मैं फिर प्रार्थना करता हूँ, कि बीमारों को चंगा कीजिए। उन में से बहुतेरे दुर्बल और जरूरतमंद हैं।80अब, हम प्रभु भोज की मेज़ पर आ रहे हैं, ताकि उन चीजों को ले जो हमारे लिए एक आज्ञा के रूप में छोड़ी गई थीं,

“जब तक मैं ना आऊँ तुम यही किया करो।” पिता, हम इन बातों के लिए धन्यवादित हैं। और हम यीशु मसीह के नाम में प्रार्थना करते हैं, कि यदि आज रात हमारे मध्य में कोई दुर्बल-क्षीण व्यक्ति है जो इस प्रभु भोज की मेज़ पर आता है….प्रभु, मैं बस देख सकता हूँ, कि मेरी बूढ़ी कपकपाती माँ वहाँ गलियारे में चल रही थी, जब वह आखिरी बार यहाँ पर उस प्रभु भोज को लेने के लिए थी; कैसे उसके बूढ़े छोटे छोटे कपकपाते हाथ उस प्लेट तक पहुँचे थे। मैं यहाँ पर खड़ा हुआ था और उसे देखता था, मेरे दिल में आंसू टपक रहे थे। परन्तु आज रात्रि वह वहाँ पर कलवरी की ओर मुँह किये हुए लेटी हुई है। हे परमेश्वर, मैं कितना धन्यवादित हूँ, कि आप ने कहा था, “वह जो मेरा मांस खाता है ओर मेरा लोहू पीता है, उसके पास अनन्त जीवन है। और मैं उसे अन्तिम दिन फिर से जिला उठाऊँगा।”प्रभु, यही तो वचन है। यही कारण है, कि मैं खड़ा हो सकता हूँ और कह सकता हूँ, “मैं परमेश्वर पर विश्वास करता हूँ।”81अब, पिता, हमें आभास होता है, जब इसकी पूर्व काल में सुदूर जंगल में और मिस्र में पहले पहल आज्ञा दी गई थी—वह अबोध मेमना वध किया गया था। उन्होंने चालीस वर्ष यात्रा की थी, और उन बीस लाख लोगों के बीच जो कि बाहर निकलकर आये थे, एक भी दुर्बल-कमज़ोर नहीं था। आप ने ही उन्हें सेहतमंद रखा था, जबकि उन्होंने फसह लिया था। हे परमेश्वर, हर एक उस बीमार व्यक्ति को चंगा कीजिए जो आगे आता है। प्रभु, यह प्रदान कीजिए। हर एक पापी का उद्धार कीजिए। और हर एक विश्वासी को पवित्र आत्मा से भर दीजिए। और होने पाये वह चैन देनेहारा हमारे साथ रहे, जब तक कि वह स्वयं को हमारे मध्य में फिर से यीशु मसीह के रूप में देहधारी नहीं कर लेता है। क्योंकि हम इसे यीशु के नाम में माँगते हैं। आमीन!82मैं उससे प्रेम करता हूँ, मैं उससे प्रेम करता हूँक्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम कियाऔर खरीद लिया मेरा उद्धारकलवरी क्रूस पर!क्या आप उससे प्रेम करते हैं? आइये हम अपनी आँखें बंद करें, अपने हाथों को ऊपर उठायें, और इसे अपने ह्रदय से गायें!मैं उससे प्रेम करता हूँ,मैं उससे प्रेम करताहूँ।क्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम कियाऔर खरीद लिया मेरा उद्धार कलवरी कूस पर!83अब; वहाँ पर एक युद्ध में लिप्त एक सिपाही आपके पास बैठा हुआ है; हो सकता है, वह कोई भाई या बहन हो जो मार्ग पर हो। वे ठीक उसी पथ पर यात्रा कर रहे हैं जिस पथ पर आप यात्रा कर रहे हैं। वे उसी से प्रेम करते हैं जिससे आप प्रेम करते हैं। जबकि हम इसे गाते हैं, “मैं उससे प्रेम करता हूँ’; यह एक गवाही ठहरे। और जबकि हम इसे फिर से गाते हैं, आप अपने आस पास के किसी भी जन से इस तरह हाथ मिलायें। और जबकि हम इसे फिर से आराधना में गाते हैं—आप जानते हैं, मुझे यह अच्छा लगता है, सन्देश देने के बाद इसे गाऊँ….पौलुस ने कहा था, ”यदि मैं गाता हूँ, तो मैं आत्मा में गाऊँगा।“ आप किसी के पास जायें और बस उससे हाथ मिलायें, और कहें, ”परमेश्वर आपको आशीष दे।”मैं उससे प्रेम करता हूँ,मैं उससे प्रेम करता हूँ।क्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम कियाऔर खरीद लिया मेरा उद्धारकलवरी कूस पर!मैं उससे प्रेम करता हूँ, (अब हम इसेआत्मा में गायें) मैं उससे प्रेम करता हूँक्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेमकिया और खरीद लिया मेरा उद्धारकलवरी क्रूस पर!84अब हम सब अपने सिर झुकाए हुए ही एक साथ मिलकर! “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र माना जाये। तेरा राज्य आये, तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है वैसी ही पृथ्वी पर भी पूरी हो। हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। और जिस प्रकार हम अपने अपराधियों को क्षमा करते हैं, वैसे ही तू भी हमारे अपराध क्षमा कर।। और हमें परीक्षा में न डाल; परन्तु बुराई से बचा, क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे हैं। आमीन।85हे अनन्त परमेश्वर, जीवन के रचियेता और सभी भले वरदानों के दाता, हमारे अशुद्ध हृदयों को पवित्र कर, प्रभु! होने पाये स्वर्गदूत वेदी से चिमटे में अंगारा लेकर आये और उसे हमारे होंठों और हमारे हृदयों से छुआए, और हमारे विचारों और हमारे दिमागों, और हमारे प्राणों को शुद्ध करे, कि हम इस शुद्ध आटे की रोटी को ले सकें जिसे हम अपने प्रभु की स्मृति में लेते हैं। क्योंकि यह लिखा है, “वह जो अनुचित रीति से खाता और पीता है, दोषी है।” हे परमेश्वर, होने पाये, कि हम संसार के साथ दोषी न ठहराये जायें; परन्तु यह हो, कि हमें पवित्र किया जाये और हमें संसार से अलग किया जाये, ताकि हम चमकती ज्योति हों, जैसा कि वचन हमारे जीवनों में साक्षात् प्रकट हुआ है। प्रभु, आप हमारा अपने सेवक के रूप में उपयोग करें। हम सभों का एक साथ उपयोग कीजिए।

क्योंकि हम इसे यीशु के नाम में माँगते हैं। आमीन।86अब, उनके लिए जिन्हें शायद जाना है और बहुत दूर तक मोटर गाड़ी चलानी है, हम आपके लिए एक समापन करेंगे। और उसके बाद हम सीधे ही प्रभु भोज पर जायेंगे…..उनके लिए जो रुकना चाहेंगे, और हमारे साथ प्रभु भेज लेना चाहेंगे। परन्तु अगर आपको जाना है…..मैं जानता हूँ, कि अब मेरी घड़ी में दस बजने में पच्चीस मिनट हैं, और प्रभु भोज खत्म होते होते दस बज जायेंगे। और फिर उसके तुरन्त बाद ही वे पैर धुलाई करेंगे। और यदि आप हमारे साथ रुकना और इसे हमारे साथ ध्यान से देखना चाहते हैं, तो हमें आपको यहाँ पाकर बहुत खुशी होगी। एक बार फिर से आपका उस सब के लिए धन्यवाद जो आप परमेश्वर के राज्य, और मेरे लिए मायने रखते हैं। परमेश्वर सदा-सर्वदा आपके साथ हो।87मैं उस छोटे खाले लड़के का, हमारे उस छोटे बालक का जो कुछ ऐसा है, वह ग्वाला लड़का जो टोपी पहने हुए था, धन्यवाद करना चाहता हूँ। इस सुबह वह बाहर वहाँ आया, और मुझे एक पर्स, एक छोटा बटुवा दिया जिस पर मेरा नाम खूदा हुआ था, “माननीय विलियम ब्रन्हम!” और वह एक ऐसा नन्हा उपहार है! मैं नहीं जानता हूँ, कि वह छोटा बच्चा कौन है। इस सुबह में इतना चूर चूर था, कि मैं उस छोटे लड़के को धन्यवाद करना भूल गया था। लेकिन प्रिय बच्चे, मैं आपका धन्यवाद करता हूँ।और बिली ने बताया था, कि बहुतेरे लोगों ने यहाँ आसपास आकर उसके पास छोटे छोटे उपहार मुझे देने के लिए छोड़ दिये हैं। बिली वह कर लेगा। अतः आपका बड़ी ही विनम्रतापर्वक धन्यवाद! परमेश्वर आपको हमेशा ही बहुतायत में आशीष दे। इसे याद रखिए, “जो कुछ भी तुम ने मेरे इन छोटे में से छोटे के साथ किया है, वह तुम ने मेरे साथ किया है।”परमेश्वर आपको हमेशा ही आशीष दे, यही मेरी प्रार्थना है। और अगर अब आपको जाना है, ठीक है, हम परमेश्वर से आपके लिए सर्वोत्तम की ही कामना करते हैं। और यदि आप हमारे साथ रुक सकते हैं, तो हमें आपको पाकर खुशी होगी।88अब, हम खड़े होने जा रहे हैं, और “यीशु का नाम अपने साथ ले”, गीत का एक पद गाने जा रहे हैं। फिर ठीक उसके बाद उन्हें जिन्हें जाना है, प्रार्थना के साथ बाहर भेज दिया जाएगा।हे दुख और हाय की संतानयीशु का नाम अपने साथ ले।जहाँ कहीं जाये, अपने साथ इसेले जा देगा तुझे यह सुख-चैन,आराम अमूल्य नाम, ओह मीठा नाम!जग की आस और स्वर्ग का उल्लासअमूल्य नाम, ओह, मीठा नाम!जग की आस और स्वर्ग का उल्लास89हम एक और पद गायेंगे, और इसके बाद मैं युवा सेवादार से कहने जा रहा हूँ….मेरा मानना है, कि वह ग्रीक है, जिससे मैंने कुछ समय पहले मुलाकात की थी। ठीक इस समय मैं उसके नाम के बारे में नहीं सोच सकता हूँ। भाई बोथम! वह आज रात्रि यहाँ पर हमारे साथ खड़ा हुआ है। हम उसे अपने साथ पाकर खुश हैं। मेरा मानना है, कि वह किसी कॉलिज का छात्र है। मेरा यकीन है, कि अधिक समय नहीं हुआ है। जब मैं ने उससे यहाँ पर मुलाकात की थी, वह एक असल सत्यनिष्ठ भाई है, जो डरते और कांपते हुए अपने उद्धार के कार्य में लगा हुआ है। वह ग्रीस देश से आता है। वह ग्रीक भाषा बड़ी तेज़ी से बोलता है। और हम उस भाई को आज रात्रि अपने साथ पाकर खुश हैं। मेरा यकीन है, कि आप सुदूर ऑरेगोन या कैलीफोर्निया, या लॉस एन्जिल्स से आये हैं। हम उसे अपने साथ पाकर खुश है। अब हम एक और पद गायेंगे, जिससे हम उसे अपने आप को खामोश करने का मौका दें। और इसके बाद वह हमें प्रार्थना करके विदा करेंगे, मेरे भाई क्या आप ऐसा करेंगे। बिलकुल ठीक है।यीशु नाम को सिज़दा कर रहे हैं।उसके चरणों पर साक्षात् दंडवत् कर रहे हैं।होती है जब हमारी यात्रा पूरी करेंगे हमउसकी राजों के राजा करके ताज़पोशीअमूल्य नाम, (अमूल्य नाम,)ओह मीठा नाम!जग की आस और स्वर्ग का उल्लासअमूल्य नाम, ओह मीठा नाम!जग की आस और स्वर्ग का उल्लासआइये अब हमारे सिरो को झुकते हैं। ठीक है, भाई।

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