परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो -(Putting On The Whole Armor Of God)

परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो -(Putting On The Whole Armor Of God)

परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो

दक्षिणी पाइन्स, उत्तरी कैरोलिना यू. एस. ए.

62-0607

1आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!मित्रों, कृपया आप बैठ जायें। भाई ली वियले, आपका धन्यवाद! आप इस बात के योग्य नहीं हैं, कि आपका बस इतना ज़रा सा ही परिचय कराया जाये।परन्तु मैं निश्चय ही उन सुन्दर शब्दों की सरहाना करता हूँ। उसे जीने के लिए तो मुझेएक अच्छा-खासा लम्बा जीवन व्यतीत करना होगा। और अतः मैं आज रात्रि यहाँ पर साऊथपाइन्स, नॉर्थ कैरोलिना में होने के लिए बहुत खुश हूँ। मैंइसे नार्थ केरोलिना से मिलाकर गड़बड़ी कर देता हूँ। समझे? (कोई कहता है, “ऐबरडीन”-सम्पा.) क्या कहते हैं? ऐबरडीन; ऐबरडीन!जब मैं दक्षिणी पाइन्स में पहुँचता हूँ, तोमुझे ऐसा लगता है, किमानो इसे उत्तरी पाइन्स होना चाहिए। परन्तु यह दक्षिणी पाइन्स ही है जो उत्तरीकैरोलिना में है। मैं बस इसमें पूरी तरह से गड़बड़ी कर देता हूँ। हालांकि मैं यहाँपर होने के लिए और अपने मूल्यवान मित्रों के साथ संगति का समय बिताने के लिए बहुतप्रसन्न हूँ; भाईपारकर, भाई ली वियले, ओह; वे सारे तथा वे सब जो यहाँ पर यात्रा करके आये हैंऔर प्रभु के आगमन की बाट जोह रहे हैं; और मैं…2मैं भाई पारकर को सचमुच में वैसे नहीं जानता थाजैसे उन्हें जानना चाहिए। था। एक दिन मैं एक मैगज़ीन में एक लेख पढ़ रहा था; और मैं बोला,“थोमस पारकर! मुझे उस नाम को जानना चाहिए।” औरओह, कुछ देर बाद ही, या….मैंकहूँगा एक दिन बाद ही या कुछ इतने ही समय बाद भाई ली वियले आये और बोले, “क्यों, क्यातुम जानते हो, किवह कौन है; वहहमारा ही मित्र है जो वहाँ पर है।” अतः हमने उन से फोन पर बातचीत करने कीकोशिश की, और मैं उनका उस टिप्पणी के लिए धन्यवाद करना चाहताथा जो उन्होंने पत्रिका में कही थी। और तब हम इस तरह से सम्पर्क में आये; कि वो आज रात्रि यहाँ पर इस कन्वैनशन में मेरीसहायता करने के लिए हैं।3मैं यहाँ पर थॉमस पारकर को पाकर तथा इन सारे भले मित्रों से मुलाकात करके तथा आप मेंसे हर एक से फिर से मुलाकात करके और आपके संग संगति का एक समय पाकर बहुत खुश हूँ।परन्तु आप इसकी कल्पना कर सकते हैं, किमैं आज रात्रि यहाँ पर खड़े होकर बाइबिल के एक सन्देश पर बोलेने के लिए कैसा साअनुभव करता हूँ, जबकिउस तरह के पुरूष मेरे पीछे बैठे हुए हैं।सचमुचमें मैं कुछ ऐसा सा महसूस करता हूँ….हो सकता है, किमैं वैसा ही करू, जैसाडीविट मूड़ी ने किया था—लोग बताते हैं, जबवह इंग्लैंड़ में था तो उसने कोई काम किया था। एक रात वह कुकनी लोगों के सामने, जो कि अपने शब्दों का सचमुच में बिलकुल ठीक ठीकउच्चारण करते हैं, बोलरहा था। और मूड़ी कोई शिक्षा प्राप्त तो था नहीं, अतःजब उसने एक लेख पढ़ने की कोशिश की, तोउसने तीन या चार शब्दों का गलत उच्चारण कर डाला; औरवह वापस मुड़ा और उसने उसे फिर से पढ़ने की कोशिश की, और उसने उसका पहले से भी कहीं गलत उच्चारण किया।अतः उसने बाइबिल बंद कर दी, औरआसमान की ओर दृष्टि करके बोला, “हेपरमेश्वर, मेरी सहायता कीजिए!”

और मूडी ने देश कोझंझोड़ कर रख दिया था। अतः यही तो बात है…यही तो खास बात है। बस परमेश्वर की ओरदृष्टि करें। यही एक ऐसा काम है जो हमें करना है।4औरमेरा अन्दाजा है, किकन्वैनशन के बारे में सारी बातों की उद्घोषणा कर दी गई है। वह यहीं पर टेबरनिकलमें होने जा रही है, मैंसोचता हूँ, किवह बाइबिल टेबरनिकल कहलाता है। और मित्रों, मैंसुनिश्चित हैं, किअगर आप वहाँ पर जायेंगे, तोआप अवश्य ही कुछ सुनेंगे। मैंनेबहुत से लेख पढ़ेंगे हैं, परन्तुमैं सोचता हूँ, किभाई थॉमस इस दिन के महान लेखकों में से एक हैं, जिसकीपरमेश्वर के वचन पर एक अच्छीखासी पकड़ है। और फिर यह है, कि मैं सुनिश्चित हैं, अगर आप वहाँ जायेंगे, तो इससे आपका भला ही होगा।मैं ऐसा हो रहा हूँ…हो सकता है, कि आज रात्रि मेरा चेहरा और आँखें चीरी-फटी से लगरही हो। मेरा अन्दाजा है, किआप यह पहले ही सुन चुके हैं, किमैं लगभग चार सप्ताह पहले एक राइफल से गोली चला रहा था, और….मेरे मनोरंजन का साधन हमेशा ही मछली पकड़ना, शिकार करना, परमेश्वरके सारे हथियार पहन लो या…या ऐसा ही कुछ करना रहा है, और इस तरह के बाहर मैदानों में किये जाने वालेक्रियाकलाप रहे हैं। मैंने कभी भी गोल्फ या बॉल नहीं खेली, या घुड़दौड़, याऐसा ही कुछ नहीं किया। मुझे तो बस बाहर मैदानों में किये जाने वाले आखेट आदि पसंदहैं। और मुझे ये इतने ज्यादा पसंद है, कि…5जब मैं अफ्रिका में था, तो मुझे एक किस्म से रॉय वेदरबे की राइफलों सेप्रेम हो गया था। परन्तु मैं कभी भी यह नहीं सोच सकता था, कि मैं उन में से किसी एक को खरीदने की कोशिश भीकर सकें। और वे ऐसी थीं…अगर मैं अपने मित्रों को उन्हें खरीदने की इज्जत दे देता, तो शायद मेरे मित्रों में से कोई मेरे लिए एक खरीददेता। परन्तु मैं ऐसा नहीं कर सकता था….जैसाकि मैंने इस दोपहर भाई थॉमस को बतायाथा, मैं अपने मित्रों में से किसी को उन मंहगी राइफलोंमें से कोई एक अपने लिए खरीदने की इज्ज़ात देने के बारे में नहीं सोच सकता था, जबकि मैं जानता हूँ, किमिशनरियों के पास उनके पांवों में जूते तक नहीं हैं। मैं उस राइफल को लेकर बिलकुलभी अच्छा महसूस नहीं कर सकता था।अतः मेरा एक मित्र मेरे पास आया। और मेरे पास एक औरराइफल थी जिसे एक पुरूष ने बिली पॉल को दी थी। और वह इन्ड़ियाना में वेदरबे कम्पनीचलाता है। और वह मुझ से बोला, “मैंइस में आपके लिए छेद व मरम्मत कर दूंगा और इससे ही एक वेदरबे राइफल बनादूंगा।” खैर, ऐसाहुआ, कि उसने उसमें कदाचित बिलकुल भी सही से छेद नहींकिये थे; और जब मैंने उसमें गोली चलाने के लिए कारतूस डाला, तो लगभग छः टन का धमाका ठीक मेरे चहरे के सामने हीहुआ और लाल-लाल आग निकली, जोलगभग उतनी ऊँची र्थी जितने कि वे परदे ऊँचे हैं। उसकी बेरल-दूनाली पचास गज वालीलाइन में जा गिरी, औरबैंटा झटक कर इस ओर जा गिरा, औरबंदूक मेरे ही हाथ में ही पिघल गई। और मैं कुछ देर के लिए कुछ भी नहीं देख सकता था, और कुछ भी नहीं सुन सकता था।6और जब मैंने अपने हाथों को इस तरह से खोल सकता था, कि मैं अपनी आँखों को खोल लें, तो मैं अपनी इस आँख की इस ओर से खून को इस तरह सेज़रज़र करके बहता हुआ देख सकता था। और मैंने अपना हाथ इस प्रकार से ऊपर उठाया, और यह वाला दांत यहाँ से जहाँ गोली का छर्रा घूसगया था। उखड़ कर बाहर ही निकल गया था—और उस छ“ ने मेरे चहेरे में गड़ कर एकगोलाकर घेरा सा बना दिया था। और छरें के पन्द्रह टुकड़ों ने मेरी आँख के ठीक नीचेएक अर्द्धचंद्राकार गढ्ड़ा सा बना दिया था, औरएक छर्रा तो मेरी आँखों में अंदर घूसता हुआ आँख के काँच (आईबॉल) तक चला गया था, परन्तु उसने मेरी आँखों की रोशनी को कदाचित स्पर्शतक नहीं किया था।अतःजब डॉक्टर मेरी जॉच कर रहा था, तोवह मुझे वहाँ पर लेकर गया, औरबोला, “मैं तो केवल एक ही बात जानता हूँ, अवश्य ही भला खुदावंद अपने दास के संग वहाँ परबैठा हुआ था, वरनाआपका सिर और कंधे भी चिथेड़े हो गये होते, क्योंकिवह धमाका इतना ज्यादा जबरदस्त था।”7अतः मेरे लिए ये सारे दिन और ये सारे समय अच्छे हैं।मैं..मैं यहाँ पर होने के लिए आनन्दित हूँ। बस…इससे मुझे ऐसा महसूस होता है, कि अभी प्रभु का काम मेरे लिए खत्म नहीं हुआ है।और हो सकता है, किवह मुझ से यह चाहता हो, किमैं उसके लोगों से थोड़ी और बातें बोलने की और उनकी मदद करने की कोशिश करूँ। औरमैं यहाँ पर वह सब करने के लिए हैं जिससे आपके लिए जिन्दगी को थोड़ा सा और आसानबना दें, और आपकी उस सबसे बढ़िया ढंग से मदद करने की कोशिशकरूँ जो मैं जानता हूँ, किकैसे करनी है। अतः मैं सुनिश्चित हूँ, किआप मेरे लिए प्रार्थना करेंगे।और…जीहाँ, श्रीमान…जी हाँ, श्रीमान!जी हाँ, श्रीमान! भाई वेयले मुझे बता रहे थे, कि यहाँ पर एक एम्पलीफायर लगा हुआ है, जिसमें है…जिसमें सिर्फ एक छोटा सा ही माइक लगाहुआ है। क्या आप वहाँ पीछे मुझे बिलकुल ठीक ठीक सुन सकते हैं? आप सुन सकते हैं। यह बहुत अच्छी बात है।अतः मैंने ना तो कदापि अपनी आँखों की रोशनी खोई औरना ही अपने कानों की सुनने की शक्ति! मैंने अभी भी यहीं कहीं पर एक सीटी बाँध कररखी है। और इस सीधी आँख में एस्टीग्मेटिस्म हो गया है। मैं सोचता हूँ, कि इसका उच्चारण इसी तरह से किया जाता है; यह आँख की तन्त्रिकाओं की बीमारी है, या यह एक तरह से तन्त्रिकाओं का अपनी जगह से हिलजाने के जैसा है। परन्तु यह बिलकुल ठीक हो जायेगा; यहबिलकुल सही हो जाएगा। अतः सब कुछ बिलकुल बढ़िया और सुघड़ हो जाएगा। और मैं जानताहूँ, कि ऐसा किसी एक उद्देश्य के लिए ही हुआ था। हमजानते हैं, किहमारा खुदा हमेशा ही सच्चा है, जबवह कहता है, किवह सब कुछ सही कर डालेगा। अतः मैं इसके लिए बिलकुल ठीक ऐसा ही भरोसा कर रहा हूँ।परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो8उसनेमुझे बहुत सी बातें बतायी हैं; औरमुझे मेरी अपनी बहुत सी मुसीबतों-परेशानियों को छुड़ाते हुए आगे बढ़ाया है।

परन्तुआप जानते हैं, वहऐसा नहीं होने दे सकता है, किमैं उन सब को छोड़कर आगे बढ़ जाऊँ। हमें उठाना पड़ता है…हम प्रचारकगणों को भीठीक वैसे ही मुसीबतें उठानी पड़ती हैं जैसे आप लोगों को मुसीबतें उठानी पड़ती हैं।कभी कभी प्रभु हम से बातें करता है, औरहमें यह जानने देता है, किहमें उन परेशानियों से कैसे छुटकारा पाना है, औरहमें क्या काम करने हैं। परन्तु याद रखिए, हमभी ठीक उन्हीं हालातों में फंस जाते हैं जहाँ हमें और दूसरे लोगों के संग मुसीबतझेलनी पड़ती है। और यह बात ऐसी लगती है, मानोयह हम पर उस से कहीं ज्यादा कठिन है जितना कि यह आप पर। वह हमारे लिए बहुत देर तकखामोश बैठा रहता है; औरआप जानते हैं, किवह सारे समय उत्तर नहीं देता है। हम इस बात के लिए धन्यवादित हैं, कि वह हमेशा ही लहरों पर सवार होकर आ जाता है। औरहम इस के लिए बड़े ही धन्यवादित हैं।9क्या सब लोगों को अच्छा लग रहा है? ऐसा लगता है, किएक कन्वैनशन बिलकुल ठीक हो रही है; हरकोई एक सही तालमेल में बैठा हुआ लग रहा है। अब आप प्रार्थना करते रहें। और आजरात्रि मैं यहाँ पर उस मूलपाठ से जिसे मैं पढ़ना चाहता हूँ, एक विषय निकालना चाहता हूँ। और मैंने यहाँ पर वचनके कुछ लेख तथा टिप्पणियाँ लिख कर रखी हुई हैं, औरमैं उनसे सन्ड़े स्कूल के पाठ के जैसे ही शिक्षा देना चाहूँगा।और इसके बाद मैं पूछना चाहूँगा…वास्तव में आमतौरसे बिलकुल शुरू में यहाँ पर इतने लोग नहीं होते हैं जिन्हें प्रार्थना करवानी होतीहै। मैं शायद ऐसा कर सकता हूँ….जब बीमार लोग हो, तोमैं एक प्रार्थना पंक्ति बनवा सकता हूँ, औरएक ही रात में उन में से हर एक के लिए प्रार्थना कर सकता हूँ। अतः मैं आज रात्रिएक तरह से यह पूछूगा, औरदेखूगा, कि यहाँ पर कितने ऐसे हैं जिनके लिए प्रार्थना कीजानी है; क्योंकि कन्वैनशन में एक तरह से कुछ ऐसे लोग आतेहैं, कि आप अपनी बीमार देहों के लिए प्रार्थना करवानाचाहते हैं और आप हम से यह चाहेंगे, किहम आप के लिए प्रार्थना करें। क्या आप बस अपना हाथ ऊपर उठाकर यह कहेंगे, “मैं इसी मकसद से ही आया हूँ।”10बहुत अच्छा, यहबड़ी ही शानदार बात है। पहली रात को ही ऐसा देखना एक बड़ी अच्छी बात है। आमतौर सेलोग आखिरी रात तक इन्तजार करते हैं, औरतब यह एक तरह से कठिन हो जाता है। आप जो लोग यहाँ पर हैं, 10 जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, कि आप यह प्रतीति करते हैं, कि परमेश्वर उत्तर देगा, आप को देखना एक बड़ी ही शानदार बात है। औरपरमेश्वर उत्तर देगा। वह कभी असफल नहीं होता है। वह तो बस कभी भी असफल नहीं होगा।धर्मी जन पर बहुत सी विपत्तियाँ तो पड़ती हैं, परन्तुपरमेश्वर ही उसे उन सब से बाहर निकालता है। अतः जब तक हमें उन से छुटकारा मिलता है, यही एक मुख्य बात है। और कभी कभी हम भी वैसे हीमुश्किल राहों के बीच फंस जाते हैं जैसे पौलुस तथा वे दूसरे लोग, वे महान संत लोग और परमेश्वर के चुने हुए लोग जोहम से पहले हुए, मुश्किलराहों में फंस गए थे। और हम जानते हैं, किहम यह नहीं माँग सकते हैं, किहम विपत्तियों-मुश्किलों से परिमुक्त रहे; परन्तुइन सब के पीछे कोई ऐसी बात रहती है, किपरमेश्वर ही इन सब को हमारी भलाई के लिए होने देता है।11मेरा यकीन है, किमैंने कुछ समय पहले ही…अगर मैं गलती ना करूँ, तोमैं अपने एक भले मित्र, भाईसूलीवन को देखता हूँ, जोयहाँ नीचे बैठे हुए हैं, वेएक लम्बा रास्ता तय करके कैन्टकी से आये हैं। भाई सूलीवन, मुझे आपको देखकर बड़ी खुशी हुई। और मैं भाई एवरसनको जो फलोरिड़ा से आये हैं, देखताहूँ। ओह, सभी जगह! यहाँ पर कितने ऐसे हैं, जो इस शहर से बाहर के हैं? आइये हम आपके हाथ देखें, जो इस शहर से बाहर के हैं…..ठीक है, कहिए, क्यायहाँ पर कोई ऐसा है जो इसी शहर का है? आइयेहम आपके हाथों को देखें जो इसी शहर से आये हैं, जोइसी शहर के आसपास से आये हैं? ओह, आप जानते ही क्या है, मैं ऐसे केवल बारह, पन्द्रहलोगों को ही देखता हूँ। जो लोग यहाँ पर बाहर से आये हैं उनकी यहाँ पर एकअच्छी-खासी उपस्थिति है। यह बिलकुल सही बात है। आमतौर से कन्वैनशनों में ऐसा ही खिंचाव होता है।खैर, मेरीपत्नी मेरे लिए एक छोटा सा गीत गाया करती थी,जोइस प्रकार से है वे पूरब और पश्चिम से आयेंगे,वेदूर दराज देशों से आयेंगे होंहमारे साथ हमारे राजा के पर्व में शामिल हों हमारेसाथ उसके मेहमानों में शामिल क्या ही मुबारक हैं, येयात्री!निहारते हैं उसके तेजो मय मुख को परमेश्वर के सारे हथियार पहन लोदमकता है दिव्य प्रेम से जो उसकी दया के मुबारक सह भागी होउसके मुकट में मोती के जैसे चमकते हो।क्या आप इस गीत को जानते हैं?यीशु आ रहा है जल्दतब होगा हमारी मुसीबतों का अंतओह, क्या हो उनका, अगर आ जाये हमारा प्रभु इसी पल जो हैंपाप से मुक्त उनके लिएहोगा सुख बेशुमार पर जो हैंपाप में घिरे उनके लिए होगा दुख-क्लेश बेशुमारजब हमारा प्रभु आता है।हो गाहवा में हमारा उससे मिलाप12यहीतो हमारा यहाँ पर आने का मकसद है। अब, मित्रों, मैं कोई गवैया नहीं हूँ। मैं…मैं गा नहीं सकताहूँ….आप जानते हैं, भाइयों, मैंने हमेशा ही। गीत गाने चाहे हैं। अतः मैं आप सबको बता दूंगा, किआप किसी समय मुझे गीत गाते हुए सुन सकते हैं, जबमैं गीत गा सकता हूँ। जब सब कुछ खत्म हो जाएगा और आप स्वर्ग चले जायेंगे, तो आप अपने बड़े राज महल में मुझे गाते हुए….मुझे हमेशा ही जंगल तथा ऐसी ही और दूसरी चीजें बहुत अच्छी लगी हैं, हो सकता है, किमहिमा के उस देश में मुझे कहीं पर एक कोने में एक केबिन मिले। आप किसी सुबह अपनेराजमहल के आगन में या पॉर्च में टहल रहे हो और आप मुझे गाते हुए सुनें। आप कहींदूर से जंगलों में से एक आवाज़ को आते हुए सुनें, जोगा रही हो, “क्याही अद्भुत है, यहअनुग्रह, जो लगता है कैसा मधुर!” और आप कहें, “यह तो भाई ब्रन्हम हैं, जिन्होंने गीत गा डाला है।”क्यों जब वह मुझ जैसे एक कंगाल को ले सकता है औरउसका उद्धार कर सकता है, तोफिर तो हम सभों के लिए एक आशा है। और आप कहेंगे, भाईब्रन्हम ने गीत गा डाला है, क्योंकिवो अभी भी गा रहे हैं, अद्भुतअनुग्रह!“ मैंने हमेशा ही इस गीत को गाना चाहा है। मैं इसे सिर्फ अपने मन मेंही गुनगुना सकता हूँ; परन्तुमैं आशा करता हूँ,

किमैं किसी दिन इसे सचमुच में गा सकेंगा।13आइये हम इफिसियों का छठवाँ अध्याय निकालें। और यहाँ परलगभग इस बात के लिए समय हो गया है, किहम सन्देश शुरू कर दें, औरहम बस इसे शुरू करने जा रहे हैं। हम इफिसियों का छठवाँ अध्याय दसवें पद से पढ़नाशुरू करेंगे, औरहम वचन का एक भाग पड़ेंगे।निदान, प्रभु में और उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवंत बनो।परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो, कि तुम शैतान की युक्तियों के साम्हने खड़े रहसको।।क्योंकि हमारा मल्लयुद्ध लोहू और मांस से नहीं, परन्तु प्रधानों से और अधिकारियों से, और इस संसार के अंधकार के हाकिमों से, और उस दुष्ट की आत्मिक सेनाओं से है जो आकाश में हैं।इसलिए परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो, कितुम बुरे दिन में साम्हना कर सको, और सब कुछ पूरा करके स्थिर रह सको।।सो सत्य से अपनी कमर कस कर और धार्मिकता की झिलम पहनकरऔर पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहनकरऔर उन सब के साथविश्वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिससे तुम उस दुष्ट के सब जलते हुए तीरों को बुझासको।और उद्धार का टोप, औरआत्मा की तलवार जो परमेश्वर का वचन है, लेलो।और हर समय और हर प्रकार से आत्मा में प्रार्थना, औरविनती करते रहो, औरइसी लिए जागते रहो, किसब पवित्र लोगों के लिए लगातार विनती किया करो।14मैं इससे एक विषय लेना चाहूँगा, “परमेश्वर के सारे हथियार पहन लों और मैं थोड़ी देरपहले ही ऐसा सोच रहा था, किकन्वैनशन में कल सुबह के लिए और उससे अगले दिनों के लिए इस एक छोटे विषय को घूसानाउपयुक्त रहेगा; क्योंकिकन्वैनशन में आमतौर से ऐसा होता है, किये बड़े बड़े पुरूष जिन्हें इस शिक्षा के लिए बुलाया गया है, लोगों को परमेश्वर के वचन में से ही बताते हैं।और ऐसे ही पौलुस यहाँ पर उस एक सिपाही की पोशाक केबारे में बतला रहा है जो युद्ध करने के लिए जा रहा है; वह सिपाही अपने आपको हथियारों से लैस करके तैयार हो रहा होता है, वह युद्ध के लिए ऐसे ही तैयार हो रहा होता है। औरजिस तरह से वह इसके बारे में…अर्थात् तैयारी के बारे में उल्लेख करता है, मुझे यह अच्छा लगता है।15आप जानते हैं, मेरामानना है, कि यह लिंकन था जिसने एक बार कहा था, “शान्ति के समय में युद्ध की तैयारी करो।” याहो सकता है, कियह लिंकन ना हो जिसने ऐसा कहा था, परन्तुमुझे ऐसा सा ही लगता है, यहवही था जिसने ऐसा कथन कहा था, “शान्तिके समय में युद्ध की तैयारी करो।” और यह हमारे लिए एक अच्छी बात होगी, कि हम इस पर विचार-मनन करें। उस समय जब सब कुछबहुत बढ़िया चल रहा हो, तोआप के लिए यही बेहतर होगा, किआप तैयार हो जाये, क्योंकिशैतान इस सब को बहुत ज्यादा देर तक इतना बढ़िया ना चलते रहने देगा। इस समय आप एककन्वैनशन में हैं, औरइसमें आप पर सब कुछ बड़ी ही सहजता से उंडेला जाता रहेगा। मगर कुछ ही दिनों में आपइस स्थान को छोड़कर जायेंगे, औरआपकी मुलाकात बैरी से होगी। हो सकता है, किवह तब तक भी इन्तजार ना करे , जबतक कि आप छोड़कर जाने के लिए तैयार नहीं हो जाते हैं; वह तो किसी भी समय आप पर आक्रमण कर सकता है। अतःवह इतना ज्यादा दुष्ट-बेरहम है। जब कभी उसे मौका मिल सकता है वह तो आप पर आक्रमणकर डालता है। जो कुछ भी वह कह सकता है, याजो कुछ भी वह कर सकता है, वहठीक इसी समय ही कर डालता है…..अतः सबसे बेहतर तो यही है, कि हम सभी समय परमेश्वर के हथियार पहने हुए हों।हो सकता है,किआप उससे बाहर सड़क पर मुलाकात करें। हो सकता है, किआप उससे अपनी कार में मुलाकात करें; यहकहना कठिन है, किआप उससे कहाँ पर मुलाकात करें । या हो सकता है, किवह आप से ठीक वहाँ पर जहाँ आप बैठे हुए हैं मुलाकात करें, और मुझ से यहाँ प्रचारमंच पर मुलाकात करे, वह तो कहीं भी मुलाकात कर लेगा। वह तो बस बहुत हीज्यादा दुष्ट है। और वह परवाह नहीं करता है। अतः हम इसके लिए तैयार रहना चाहते16और यह महान शिक्षक, अर्थात्संत पौलुस कलीसिया को इस बात की शिक्षा दे रहा था, किकिस तरह से हथियार पहनने हैं, औरवह इसकी तुलना उस एक सिपाही से करता है जो उस बड़े युद्ध के लिए तैयार हो रहा होताहै। जो आगे को होने वाला है। अब, ठीक ऐसी ही बात हमें देश-देश के बारे में मालूमहोती है….बहुत सी बार ऐसा होता है, किदेशों-देश में…इससे कोई मतलब नहीं है, किउनकी आपस में मित्रता हो या ना हो, हरएक देश के दूसरे देश में अपने भेदिये(जासूस) होते हैं। और यहाँ पर संसार के हर एकदेश के जासूस हैं, चाहेहमारे उन से दोस्ताना सम्बंध हो या ना हो। आप जानते हैं, कि उन्हें कुछ शक सा रहता है। अब, इंग्लैड़ तो हमारे मित्र रष्ट्रों में से एक है, मगर फिर भी हमारे जासूस इंग्लैंड में हैं, और इंग्लैंड़ के जासूस यहाँ पर हैं। हमारे जासूसहर जगह हैं। तौभी…अतः वे अपने दौरे लगाते हैं। और वे दोस्ताना किस्म के, बढ़िया लोग हैं, सचमुचमें ऐसी कोई बात नहीं है जो उनके विरोध में कही जा सके। मगर वे बिलकुल सतर्कताबरतते हैं, वेध्यान से दृष्टि लगाये रहते हैं, औरवे उसे देखते रहते हैं जो हो रहा हैं, औरवे उस किसी हथियार के लिए निगाह लगाये रहते हैं जिसका विकास किया जाना होगा।17और वे चुपके से भीतर घुस जायेंगे और देख लेंगे, किवह हथियार क्या है, औरइसके बाद वह उसके बारे में सारी खबर अपने देश भेज देंगे; और…और वे हमले के बदले हमला करने के लिए एकहथियार बना डालेंगे। और अगर हम इस हथियार का इस्तेमाल करेंगे, तो वे उसे हम पर हमले के बदले हमला करने के लिएछोड़ सकते हैं। अथवा अगर हम अपने हथियार उन पर या वो अपने हथियार हम पर इस्तेमालकरेंगे, तो इसका पता लगाने के लिए हमारे जासूस होते हैं…औरजिन हथियारों का वे इस्तेमाल करने की योजना बना रहे। हैं, उसके लिए जवाबी हमाला करने के लिए हम कोई हथियारबनाते हैं, याहम उसके जवाबी हमले के लिए कोई गुप्त काम करने या कोई गुप्त योजना बना रहे होतेहैं। और वे भी तै यारी करेंगे, क्योंकिउनके पास यहाँ पर इसी काम के लिए जासूस होते हैं, किवे इसका भेद निकालें और देखें, किहम क्या कर रहे हैं। हमारे जासूस वहाँ पर उनकी जासूसी करने के लिए होते हैं, वे देखते रहते हैं, किवे क्या कर रहे हैं। ऐसा दिखाई पड़ता है, किमानो सचमुच में हम एक दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते हैं। ऐसा दिखाई पड़ता है, कि मनुष्य के अंदर कोई चीज है जो बस आगे तक जासकती है और वह बस इतने आगे तक जा सकती है।18मैं खुश हूँ, किकोई एक ऐसी चीज है जिस पर हम अपना पूरा का पूरा भरोसा कर सकते हैं; क्या आप इस बात के लिए खुश नहीं हैं? कोई ऐसी बात है जो…

हमें हैरान-परेशान नहीं होनाहै, हमें तो विचार-मनन करना है, हमें तो परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो सिर्फजानना है, कि हम बस छोटे बच्चों के जैसे विश्राम कर सकतेहैं। मैं सोचता हूँ, किहमें इसी तरह का होना चाहिए; खासतौरसे मसीहियों को। हमें ऐसा ही होना चाहिए….आप उत्पत्ति के समय पर ध्यानकरें….मनुष्य उस स्थान को ढूंढने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि जब पहले उसे परमेश्वर की शक्लसूरत परबनाया गया था, तोउसे अपने लिए शरण पाने के लिए भटकते नहीं फिरना पड़ता था; और परमेश्वर ही उसकी देखभाल करता था। परन्तु जब सेवह परमेश्वर से दूर होकर परदेशी हुआ, यहाँ-वहाँभटकने फिरने वाला हुआ, तबसे उसे अपने लिए शरण पाने के लिए भटकते फिरना पड़ता है, और तब से वह हर एक चीज के प्रति सन्देही हो गया।वह बस ऐसा है…(आप मुझे ऐसी अभिव्यक्ति के लिए क्षमा करें)….वह पिशाच समान होगया। उसे सब कुछ थोड़ा सा कपटपूर्ण लगता है, वहआगे बढ़ता जाता है, वहइसके लिए इन्तजार नहीं करना चाहता है।19अब, देश-देश ऐसा ही करते हैं। वे जासूसी करते हैं। और वे निरन्तर ऐसा ही किये चले जातेहैं…वे ऐसा इसलिए करते हैं, क्योंकिउनके वे पुराने हथियार जिनका वे उपयोग किया करते थे, पुराने-अप्रचलितहो जाते हैं। अब, हमउन तीर और कमानों से क्या करेंगे जिनका हम एक बार को उपयोग किया करते थे? या हम उन हथियारों से क्या करेंगे जिनका हम नेप्रथम विश्वयुद्ध में इस्तेमाल किया था? उसपुरानी क्रेग-जोर्गसन राइफल से क्या करेंगे? याहम स्प्रिंगफिल्ड़ से क्या करेंगे? उसकीजगह तो किसी और को दी जा चुकी है। पिछला विश्व युद्ध(प्रथम विश्वयुद्ध) सैमीऑटोमेटिक हथियारों से हुआ था। इस वाले युद्ध में अणुविक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ। देखिए, ये पुराने व अप्रचलित हथियार हो जाते हैं।20वह पुराना वायुयान….वह एयर नॉकर जिसका हम उपयोगकिया करते थे, जिसने प्रथम विश्व-युद्ध में इधर-उधर उड़ान भरी थी, औरउन्होंने इस वाले युद्ध में तीन या चार इंजन वाले वायुयान का उपयोग किया था; और अब बस उसमें जंग लग चुका है, वह कुछ भी अच्छा नहीं रहा है; वह तो पुराना-अप्रचलित हो गया है। उन्हें बनाने केलिए दसयों लाखों डॉलर खर्च किये गये थे, औरउसके बाद…उसके बाद उन्हें गलाने वाले अति विशाल भट्टे में डाल दिया जाता है, और उन्हें फिर से साँचे में ढाला जाता है; क्योंकि हमारे भेदिये इस बात की खबर लेकर आते हैं, कि दुश्मन के पास इससे भी बड़ा एक वायुयान है।अब हम जेट विमान से जाते हैं। अब, उनके पास भी यह है, किवे टाइम सेट करके इसे तारे पर छोड़ सके; वेऐसा कर सकते हैं, किएक ही लीवर खींचें और सारा संसार धूल के एक बड़े बादल में बदल जाये। यह तो बस लगभगइस चीज का अंत ही है। और बामुश्किल ही कोई ऐसी बात हो जो वे जानते हो, कि इस समय क्या करना है। सारे पुराने हथियारों कोबदला जा चुका है, औरपुराने हथियारों का मलबा बनाया जा चुका है।मैं उस पुरानी रेल-गाड़ी के बारे में सोच रहा था जोकोयले से चला करती थी….जो जैफरसनविले से होते हुए डिपो (हथियारों के जखीरे) तकआती थी। और उनके पास बंदूकों और टैंकों की बड़ी बड़ी कतारें होती थ(और उसे वहाँ परफोर्ट नोक्स के अंदर दाखिल किया जाता था जहाँ उन्हें बनाया जाता था)। वह पुरानाभाप से चलने वाला रेलगाड़ी का इंजन…उन में से कोई भी रेल की पटरियों पर नहीं दिखाईदेता है। वे सारे के सारे उन से गायब हो चुके हैं। और वे यहाँ वहाँअवशेषों-स्मृतिचिन्हों के रूप में रखे हुए हैं। उन्होंने उनका पिछले विश्व-युद्धमें इस्तेमाल किया था। परन्तु अब रेलगाड़ी में डीजल इन्जन लगा हुआ होता है। बस कुछही दिनों में वह अणु-शक्ति से चलने वाली रेलगाड़ी होगी। अतः उन्हें उस सब को कचरेमें डाल देना होता है और उस पर फिर से काम शुरू करना होता है।21और देशों-देशों के बीच होने वाले इस युद्ध-संग्रामसे हमें मालूम होता है, किएक ऐसा युद्ध-संग्राम होना है जो उस से भी कहीं बड़ा होगा। और वह युद्ध-संग्राम, वह बड़ा युद्ध-संग्राम परमेश्वर और शैतान के बीचहोना है। वही पहला बड़ा युद्ध-संग्राम था और वही अभी भी प्रचंड़ रूप से चलता चलाजा रहा है। परन्तु ओह, मैंबहुत खुश हूँ, जल्दही इसका अंत हो जाएगा। तब यह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। सभी जगह शैतान के ऐजेन्टहैं जो परमेश्वर के लोगों पर निगाह लगाये हुए हैं, उनकीजासूसी कर रहे हैं, उसहर एक हरकत पर निगाहे लगाये हुए हैं जिसे परमेश्वर कर रहा है। बैरी हर जगह बैठाहुआ आँख जमाऐ देख रहा है, किवह क्या कर सकता है। और परमेश्वर ने भी किसी को तैनात करके रखा हुआ है…..अतः हमइसके लिए धन्यवादित हैं।औरहर एक देश अपनी फौज को उन सबसे अच्छे और सबसे आधुनिक हथियारों से लैस करता हैजिनसे वह उसे लैस करने के लिए पा सकता है। यही कारण है, कि हमारे पुराने हथियार पुराने-अप्रचलित हो जातेहैं, ऐसा इसलिए परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो होता है, क्योंकि हमें मिल जाता है….जैसे हमने जर्मन सेरडार ले लिया तथा और दूसरी विभिन्न चीजें और दूसरे देशों से ले ली हैं, तथा हम ने कुछ वे चीजें ले लीं जिनका हम ने खुदअपने लिए अविष्कार किया। अब, उनकेपास एक मनुष्य है जो आन्तरिक्ष में चक्कर लगा रहा है। आप जानते हैं, कि वे सब उसके बारे में ऐसे शोर-शराबा मचाते हैं, “हमारे पास आन्तरिक्ष में एक व्यक्ति है।”22क्यों, यहतो कुछ भी नहीं है। हम मसीहियों के पास तो एक ऐसा है। जो दो हजार सालों सेआन्तरिक्ष में है। यह सही बात है। वे…उसके बारे में खूब हो-हल्ला करते हैं। यहतो कोई नई बात नहीं है। हमारे लिए तो यह एक पुरानी बात है; हम तो इसे सारे समय जानते थे। समझे? देखिए, यहतो सिर्फ एक बात है, किहम कितने आगे हैं। लोगों को बस इसका आभास नहीं होता है। जी हाँ, बड़ी-बड़ीलम्बी-चौड़ी सड़के बनायी जा रही हैं, और उसजैसी बड़ी बड़ी विशाल इमारतें बनायी जा रही हैं, औरपृथ्वी को एक बेहतर जगह बनाने का तथा ऐसी ही जगह बनाने का प्रयास किया जा रहा है; और उन्हें इस बात का आभास नहीं है, कि नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे। अतः आप ऐसीही स्थिति में हैं। अतः बस…बस ऐसा है…देखिए, परमेश्वरने ही इस सब का हमारे लिए नक्शा बनाया हुआ है। हमें तो सिर्फ एक यही काम करना है, कि हम परमेश्वर को पकड़े रहें और बस पूरा-पूराविश्वास करते हुए आगे को चलते रहें। उसने हम से यही सब ही तो करने के लिए कहा है।वही हमें लिये हुए आगे बढ़ा चला जाएगा।23अतःहमें मालूम होता है, किये दुश्मन के वे गुप्त भेदिये होते हैं जो चारों ओर तैनात रहते हैं…..अब हर एकदेश अपने आदमियों को आधुनिक हथियारों से, सबसेआधुनिक हथियारों से लैस करता है। और वे दुश्मन पर पैनी नज़र रखते हैं तथा वे ऐसाही सब कुछ करते हैं। वे दूसरे लोगों के हथियारों का जवाबी-मुकाबला करने का और उनसे और भी ज्यादा आधुनिक हथियार बनाने का, उनके हथियार से थोड़ा सा और भी ज्यादा ऐसा बढ़िया हथियार बनाने का प्रयास कर रहेहोते हैं जो उनके हथियार का मुँह तोड़ जवाब दे सके। धनुष ।

और बाणों से फौजीसिपाहियों वाली बंदूक(मस्केट) तक और मस्केट से आधुनिक राइफलों तक, आधुनिक राइफलों से अणुविक हथियार बनाने तक…वे बसआधुनिक हथियार बनाते चले जा रहे हैं। और यह काम उन्हें सारे समय व्यस्त रखता है।और ऐसा करना देश का काम होता है। यदि वे जिन्दा रहना चाहते हैं, तो वे अपने सैनिकों को उन अच्छे से अच्छे हथियारोंसे लैस करना चाहते हैं। जो उनके पास उपलब्ध हैं।24खैर, आपपरमेश्वर के बारें में देखिए, आपजानते हैं, वहअनन्त है। देखिए, उसेऐसा नहीं करना होता है, किवह कोई और बेहतर चीज के बारे में सोचे। उसके पास तो पहली बार में ही सर्वश्रेष्ठहोता है। अतः आप उस में और कुछ भी सुधार नहीं कर सकते हैं। उस में कुछ भी करने कीकोई गुनज़ाइश नहीं होती है। वह तो हमें सर्वश्रेष्ठ ही देता है; और वह उसका वचन है। आमीन! यह सच है। वहसर्वश्रेष्ठ चीज जो वह हमें दे सकता था, वहउसका वचन है। परमेश्वर अपने लोगों को सर्वश्रेष्ठ चीज ही देता है। और उसने अपनेबच्चों को देने के लिए इसे ही, अर्थात्जो सर्वश्रेष्ठ है, उसेचुना। मैं इस बात के लिए बहुत ही आनन्दित हूँ। मैं परमेश्वर अपने पिता को, और उस राज्य को देख सकता हूँ जिसके हम प्रतिनिधीहैं। परमेश्वर अनन्त है।25अब, ये राष्ट्र निर्माण करने में और अध्ययन करने मेंऔर काम करने में और विज्ञान के क्षेत्र में यंत्रों से परिक्षण करके खोजबीन करनेमें तथा ऐसा ही सब कुछ करने में लगे रहते हैं। परन्तु आप देखिए, परमेश्वर अनन्त है, इसलिएवह आरम्भ से लेकर अंत तक का जानता है। और इससे पहले कि कुछ हो, वह जानता है, किकैसे, कब और कहाँ होगा। अतः हम इस बात पर सुनिश्चित होकरविश्राम कर सकते हैं, किजब तक हम परमेश्वर में बने हुए हैं सब कुछ बिलकुल बढ़िया ही होगा। हमें किसी सेभयभीत होने की जरूरत नहीं होती है। कुछ भी ऐसा नहीं है जो हमें विचलित कर सके। अतःहम तो छोटे बच्चों के जैसे शान्तिपूर्वक विश्राम कर रहे हैं और कोई भी हमारी हानिनहीं कर सकता है। अतः परमेश्वर अनन्त है…..आप देखते हैं, कियही कारण है, किमैं परमेश्वर के वचन पर विश्वास करता हूँ; क्याआप विश्वास नहीं करते हैं? इसकीवजह यह है, किवो वचन खुद परमेश्वर ही है। “आदि में वचन था, औरवचन परमेश्वर के साथ था, औरवचन परमेश्वर था। और वचन देहधारी हुआ और उस ने हमारे मध्य में डेरा किया।” अब, अतः इसका कारण यह है, परमेश्वर जानता था, किवह खुद विफल नहीं हो सकता है, क्योंकिवह शैतान पर प्रबल था। अतः उसने खुद अपने आप को ही दे डाला, उसने अपना वचन ही दे डाला। अतः यही तो शैतान कीहार है। परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो26अब, परमेश्वरऐसा नहीं कर सकता है, किवह आज कोई फैसला ले, औरकल को वापस आकर कोई और बेहतर फैसला ले(समझे?) क्योंकिउसका पहली बार में लिया फैसला ही सिद्ध होता है। उसे उस में कोई रद्दोबदल नहींकरनी होती है। यही कारण है, किजो कुछ भी परमेश्वर कहता है, हमउसपर टिके रह सकते हैं। यही कारण है, किमैं विश्वास करता हूँ, किबाइबिल परमेश्वर का वचनअब, यही कारण है, किमैं यह विश्वास करता हूँ, किपरमेश्वर को इस जगत का न्याय किसी पैमाने से करना है। और अगर वह ऐसा किसी कलीसियाके द्वारा करता है, तोवह ऐसा किस कलीसिया के द्वारा करेगा? देखिए, उन में से तो सैकड़ों हैं, और वे तो विभिन्न नामधारी कलीसियाएं और संस्थाएंहैं। यह बिलकुल ठीक बात है। परन्तु आप नहीं कह सकते हैं…लूथरन कहते हैं, “यह हमारे पास है।”और बैपटिस्ट कहते हैं, “जी नहीं, यह हमारे पास है।”और प्रसबीटेरियन कहते हैं, यह हमारे पास है।“और पिन्तेकोस्तल कहते हैं,“नहीं, यह हमारे पास है।”नाजरीन कहते हैं,“नहीं, यह हमारे पास है।”ऐसे तो आप दुविधा में ही पड़ जायेंगे। परन्तु आप देखिए, वहपैमाना वचन है। मैं..मैं यह विश्वास करता हूँ, कियह वचन है। समझे? आपइसे वैसा ही ले और इसका वैसा ही विश्वास करें जैसा यह लिखा हुआ है। और यह किसी केनिजी अनुवाद के लिए नहीं है, यहऐसा ही कहता है। यह तो बस वहाँ(बाइबिल में) लिखा हुआ है।27और अगर परमेश्वर को इस जगत का न्याय किसी पैमानेसे करना है, तोवह यही है…उसी ने इस पर दृष्टि लगाये रखी, ताकियह बिलकुल ठीक वैसा ही रहे जैसा इसे रहना चाहिए। अतः मैं विश्वास करता हूँ, कि यह बिलकुल ठीक वैसा ही है। आप तो बस इसे पढ़ेऔर कहें, “जी हाँ, प्रभु!”और मैं विश्वास करता हूँ, किजब हम परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, तोजब भी परमेश्वर कोई बात कहता है, तोहम हर बार उस पर “आमीन” कह कर पूर्ण विराम लगाते हैं। यह सही बात है, जो कुछ भी परमेश्वर कहता है, हम उस पर आमीन कहें। उसने कहा था, “यीशु मसीह कल, आजऔर युगानुयुग एक सा है।”अब, कोई कहेगा, “ठीक है, कुछ मामलों में ही वह ऐसा है, मैं…”“आमीन!”अगर उसने कहा था, “मन फिराओ और बपतिस्मा लो, और तुम पवित्र आत्मा पाओगे।” आमीन!“समझे? उसने कहा था,”धर्मी जन विश्वास से ही जीवित रहेगा।““आमीन!”और उसने कहा था,“मैं फिर से आऊँगा।”“आमीन!” और जो कुछ भी वह कहता है, पवित्र आत्मा ही उस पर हम में से होकर आमीन“कह कर पूर्ण विराम लगाता है। समझे? इसकेबाद वह अगली बात की प्रतीक्षा करता है। समझे? अब, यह…यह अद्भुत बात है, कि हमारे पास उस तरह का विश्वास हो सकता है।28अब, वहकारण जो मैं जानता हूँ, कियह सही है, यहहै, क्योंकि परमेश्वर ने प्रकाशितवाक्य की पुस्तक मेंकहा था, “जो कोई इस पुस्तक में से कुछ भी निकाले या इस मेंकुछ भी जोड़े…..”ओह, मेरेखुदा! अवश्य ही यही वह होना चाहिए, जिसकेद्वारा परमेश्वर तब इस जगत का न्याय करेगा।ओह आप कहते हैं,“वह इसका न्याय मसीह के द्वारा करेगा।” औरमसीह वचन है। आप इससे अपना पिंड़ नहीं छुड़ा सकते हैं। अब, यह बात फिर से आ गयी है, कि वह वचन है। अतः अब…अतः हम जानते हैं, कि वचन ही सच्चाई है। और अगर आप कहते हैं, कि आप के पास मसीह है और आप इस वचन का विश्वासनहीं करते हैं, तोउसमें कुछ गड़बड़ है जो आप के पास है…वचन ही सही है। यह तो वचन ही होना है।29अब, हमेंयह मालूम होता है, किपरमेश्वर ने अपनी सन्तानों को सबसे उत्तम चीज दी। और यही कारण है, कि उसे इस में कोई बढ़ोतरी नहीं करनी होती है। वहतो बस…

वह उस में कोई रद्दोबदल नहीं करता है। उस ने इसमें तब से कदाचित लेशमात्रकोई रद्दोबदल नहीं की है जब उसने इसे पहली बार अपने बच्चों की हिफाजत के लिए दियाथा। अब, जब उसे मालूम था…जब स्वर्ग में युद्ध हुआ, तो उसे शैतान को लात मार कर बाहर कर देना पड़ा।इसके बाद परमेश्वर पृथ्वी पर आया, औरउसने अपने बच्चों को अपने वचन की किलाबंदी में रखा।मैं आप से कोई बात पूछना चाहता हूँ। ज़रा इसकेबारे में सोचिए…अब, हव्वा…. नहींसकती थी…जबकि वह उसके वचन के इस महान किले में…इस परमेश्वर के सारे हथियार पहनलो 21 महान किलेबंदी में खड़ी हुई थी….अब, शैतान इससे बाहर था और किसी तरह की कोई नीति उपयोगमें लाने की कोशिश कर रहा था, ताकिवह हव्वा को वहाँ से बाहर निकाल कर ला सके, क्योंकिजब तक वह वचन के पीछे टिकी रही थी, तबतक सब कुछ बिलकुल ठीक-ठाक था। यही है वह जहाँ हम अपनी गलती करते हैं। हम अपनी गलतीतभी करते हैं जब हम वचन की आड़ से बाहर आ जाते हैं। अतः मेरा मानना है, कि बाइबिल पर विश्वास करने वाले सभी लोग ऐसा हीसोचते हैं। जब हम वचन की आड़ से बाहर आ जाते हैं, तोहम मुसीबत में पड़ जाते हैं। परन्तु जब तक हम वचन को अपने से आगे रखते हैं….आपवचन से आगे ना बढ़े; यहहो, कि वचन ही आप के आगे आगे रहे। समझे? आप उसे पहले आगे आगे जाने दें, और आप बस उस के पीछे उसकी आड़ में रहकर जीवनबिताते चले जायें। वही बस गड्ढे को समतल कर देता है, औरआप उसमें से होकर चले जाते हैं। समझे? औरठीक ऐसे ही यह आगे बढ़ता जाता है।30अब, हमेंयह मालूम होता है, किआरम्भ के इस महान दिन में जब परमेश्वर ने अपने बच्चों को अपने वचन की किलाबंदी मेंरखा, तो उसने उन्हें कुछ बताया था, अब यही वह था…..अब ज़रा सोचिए, हव्वा ने सारी की सारी बात को नहीं ठुकराया था; उसने ऐसा नहीं कहा था, “ठीक है, मैंसोचती हैं, किपरमेश्वर पूरी तरह से गलत था। मैं इसके एक भी शब्द का विश्वास नहीं करतीहूँ।” जी नहीं! “प्रभु, मैंइसकी आधी बाता का विश्वास करती हूँ।” जी नहीं! शैतान ने तो बस इसके बड़े हीसुक्ष्म भाग को तोड़ा-मरोड़ा था, उसनेइस सम्पूर्ण वचन के साथ ऐसा नहीं किया था; उसनेतो बस इसके बहुत थोड़े से ही भाग के साथ ऐसा किया था। और क्योंकि हव्वा ने उस जरासी तोड़ीमरोड़ी बात पर अपना कान लगाया था, इसकीवजह से हर एक दफन की रस्म उपजी, इसीने ही हर एक कब्र को, हरएक सफेद बाल के होने को, हरबीमार बच्चे को, हरएक उस पाप को जो कभी किया गया जन्म दिया; औरयह सब इसीलिए हुआ, क्योंकिपरमेश्वर के वचन के एक छोटे से भाग को लेकर तोड़ामरोड़ा गया था।31अब देखिए, वहपरमेश्वर जो अनन्त है, वहपरमेश्वर जो प्रेम से भरा। हुआ है, अगरउसने इस सब को इसलिए होने दिया, क्योंकिउसके वचन को तोड़ा-मरोड़ा गया था…(क्योंकि इस सम्पूर्ण वचन का विश्वास नहीं कियागया था, बस इसके अंश मात्र का ही विश्वास किया गया था), क्योंकि इसके एक छोटे से भाग पर अविश्वास किया गयाथा, तो मैं यह विश्वास करता हूँ, कि हमें इसके हर एक अल्पांश को फिर से वापस ग्रहणकरना है, क्योंकि लोग इसे तोड़ते-मरोड़ते हैं और कहते हैं, “बाइबिल ऐसा तो कहती है, पर ईमानदारी से कहूँ, तो इसका मतलब वैसा नहीं है।” इसका मतलब वैसाही होता है। समझे? इसकामतलब बिलकुल ठीक वैसा ही होता है। अतः हमें अवश्य ही इसे ठीक वैसा ही रखना चाहिएजैसा परमेश्वर ने इसे बोला है।परन्तुतब हव्वा ने…अब, हमयह मालूम करने जा रहे हैं, किज्यों ही उसने वैसा किया…शैतान को उसका ध्यान अपनी ओर खींचना था। अब, यादरखिए, शैतान परमेश्वर से युद्ध करने में लगा हुआ है; और स्त्री और पुरूष परमेश्वर की सन्तानें हैं। अतःपरमेश्वर का शैतान से युद्ध छिड़ा हुआ है। अतः अब याद रखिए, परमेश्वर के संग छिड़े युद्ध में जवाबी हमला बोलनेकी कोशिश करने के लिए, परमेश्वरकी सुरक्षा को भेदने की कोशिश करने के लिए शैतान एक रणनीति चलने के लिए नीचे आताहै। वह किसी ऐसी चीज को ढूंढने की कोशिश कर रहा होता है जिससे वह कर सके… वह ऐसायत्न कर रहा होता है, किवह कोई बेहतर हथियार हूँढ सके। पर कोई भी ऐसा बेहतर हथियार नहीं है जो वह ढूंढनिकाल सके। अतः इसके बाद जो वह एक मात्र रणनीति । उपयोग कर सकता था, वह थी- तर्कवितर्क करना। ओह, जब आप किसी बात पर तर्कतिर्क करने के लिए रुकतेहैं…“वचन कहता है…”पर मैं ज़रा इसे देख लें। इसका मतलब तो वैसानहीं है….“ ”तुम उसके कोड़े खाने के द्वारा चंगे हो गये थे।“ वहतो ऐसा नहीं कहता है।” इसकामतलब भी बिलकुल ठीक वैसा ही होता है। यह सच है। “जो कोई…”“ठीक है, मैं जानता हूँ, किपवित्र आत्मा तो पूर्व समय में उन आरम्भिक दिनों में उन्हीं के लिए था, परन्तु यह…तर्कवितर्क हमें बताता है, कि हम…”ओह, नहीं, आप ऐसा ना करें।32“जो कोई…”यह तो तुमऔर तुम्हारी सन्तानों, औरदूर दूर के उन लोगों के लिए है जिन्हें प्रभु हमारा परमेश्वर बुलाएगा।“ समझे? आप कोई भी तर्क-वितर्क ना करें; आप तर्क-वितर्क करने के लिए बिलकुल भी ना रुकें।सिर्फ विश्वास करते रहें; सिर्फउसका विश्वास करते रहें जो परमेश्वर ने बोला है।“ठीक है,

भाई ब्रन्हम, मैंनेदस सालों तक पवित्र आत्मा के लिए अनुनय किया है।” तो फिर आप किस लिएतर्क-वितर्क कर रहे हैं? अगरआप परमेश्वर की योजना पर काम किये चले जा रहे हैं, तोआप बस आगे बढ़ते रहें। आप बस इसकी प्रतीति करते रहें। समझे? उसने एक योजना बनाई थी और आप बस उसी योजना के तहतकाम करते चले जायें। इसके बाद इसका बिलकुल ठीक ठीक परिणाम आना होता है। अगर ऐसानहीं होता है, तोपरमेश्वर ने कोई गलत ही बात कही थी। समझे? अतःवह ऐसा नहीं कर सकता है, किहमें कोई गलत बात बता दे और अभी भी परमेश्वर बना रहे। अतः आप देखिए, आप को इसका विश्वास करना होता है, कि यह उसका वचन है, याआप उस पर बिलकुल भी विश्वास ना करे। अतः…अतः यह विचित्र बात है, क्या यह नहीं है? परन्तुयह हकीकत में सच है। हकीकत में यही सच्चाई है।33अब, हमेंयह मालूम होता है, किपरमेश्वर के इस सबसे बड़े दुश्मन ने यह सोचा,“अब, जबतक वे उस वचन का विश्वास करेंगे, मैंउनके पास कभी नहीं पहुँच सकता हूँ। जब तक वह छोटा सा परिवार अदन में उस वचन की आड़में पीछे रहता है, तबतक मैं उन्हें कदापि स्पर्श नहीं कर सकता हूँ।” ना ही वह आज ऐसा कर सकता है।यह सच है। यह अभी भी उसे पीछे ही रोक कर रखता है। यह सच है। परन्तु अगर मैं कोईअसली बढ़िया नीति का इस्तेमाल कर सकता हूँ और बस तर्क-वितर्क करवा सकता हूँ…मैंबस कोई मानवीय तर्क-वितर्क दे डालें, क्योंकिवह इंसान ही तो है। और अगर मैं उसे सिर्फ मानवीय तर्क-वितर्क दे सका, तो हम…हम..युद्ध जीत जायेंगे।“ ये”हम“ शैतान और उसके दूत हैं। परन्तु इसके बाद हव्वा ने एक राह दे डाली।अतः यही कारण है, किहम अपने दुश्मन को उसके आक्रमणों के द्वारा जानते हैं। हो सकता है, कि आप ने इस बात को बिलकुल ठीक ठीक वैसा ना समझाहो जैसा मैंने इसे कहा था। हम अपने दुश्मन को जानते हैं। जब कोई भी, कोई भी आत्मा, कोईभी इंसान परमेश्वर के वचन से असहमत होने की चेष्टा करता है, तो याद रखिए, किवह आपका दुश्मन है। वही आपका दुश्मन है। हम उसके पुराने आक्रमण को जानते हैं। वहीएक ऐसा है जिसने मानवजाति का बिगाड़ किया; औरवह आज अभी भी उसी रीति से ही उनका बिगाड़ करता है। और वह इसी रीति से आपकोपरमेश्वर से दूर करता है…कि वह आप से परमेश्वर के वचन पर अविश्वास करा डाले। औरकेवल एक ही तरीका है जिससे आप कभी परमेश्वर की संगति में रह सके और उससे शाम कीठंड़क 24 में बात कर सके…वह है, कि आप परमेश्वर के वचन की किलाबंदी के अंदर रहें।यह हो, कि परमेश्वर के वचन का परदा आपके चारों ओर गिरजाये, और आप उसके ठीक बीचोबीच रहें। यह सही बात है। तभीआप घेराबंदी में रहते हैं….34अब, शैतान को वैसा करने के लिए इसे बड़ा हीध्यानाकर्षित करने वाला, बड़ाही तर्क-वितर्क से भरा हुआ बनाना होता है। और शैतान ठीक ऐसा ही करता है। वह अपनेकाम में बड़ा ही माहिर है। और वह एक बड़ा ही बुरा बैरी है। और वह इसे बड़ा हीध्यानाकर्षित करनेवाला बनाता है। उसे इसे हव्वा के लिए बड़ा ही ध्यानाकर्षितकरनेवाला बनाना था। वह बोला, “अब, देखो, प्रिय, तुम जानती हो, तुमनहीं जानती हो, किक्या सही है और क्या गलत है। और तुम्हें…तुम्हें अवश्य ही याद रखना चाहिए, कि यह ऐसा है…यह फल देखने में मनभाऊ है।यह…यह..यह तुम्हें बुद्धिमान बना देगा, औरऐसा ही सब कुछ कर देगा….”ओह, क्यायह एक बहुत बढ़िया चारा नहीं है! “बस तुम अपनी पीएच.डी.; या एल एल.; डबलएल. क्यू. एस. टी. डी; याइसी तरह की कोई और डिग्री हासिल कर लो। तुम अक्लमंद बन जाओगे।”अब आप स्मरण रखें, यहवह नहीं है जो ऐसा करता है। यह तो परमेश्वर पर विश्वास रखना ही है जो ऐसा करता है।हो सकता है, किआपके पास इतनी डिग्रियाँ हो, किआप उन्हें अपनी दीवार पर चिपक कर दीवार को भर डाले और आप अभी भी परमेश्वर को नाजानते हो। समझे? आपपरमेश्वर को विश्वास के द्वारा ही जानते हैं, इसकेअलावा आप उसे किसी रीति से नहीं जानते हैं। कैसे विश्वास के द्वारा जानतेहैं…किसके द्वारा जानते हैं? परमेश्वरके वचन पर विश्वास करने के द्वारा। यही एक मात्र तरीका है जो वह विश्वास कोपहचानता है। “विश्वास सुनने से आता है, औरसुनना मसीह के वचन से होता है।” यह इसी रीति से आता है—विश्वास परमेश्वर केवचन को सुनने से ही आता है।35अबदेखिए, शैतान ने इसे बड़ा ही ध्यानाकर्षित करनेवालाबनाया। वो अभी भी इसे बड़ा ही ध्यानाकर्षित करनेवाला बनाता है। अब, मैं किसी भी बात को तुच्छ नहीं ठहरा रहा हूँ। मैंआशा करता हूँ, किआप मेरी बात को उस तरह से नहीं लेते हैं, मैं..मैं..अगर आप मेरी बात को ऐसा लेते हैं, तोमेरा वैसा तात्पर्य नहीं है। परन्तु शैतान थियोलोजी और..और शिक्षा को बड़ापरमेश्वर के सारे हथियार पहन लो ही ध्यानाकर्षित करनेवाला बनाता है। क्यों, हम दो हजार सालों से संसार को शिक्षित बनाने कायत्न किये चले जा रहे हैं और यह उससे भी ज्यादा बदतर होता चला जा रहा है जितना कियह कभी था। आप लोगों को शिक्षा के द्वारा, नामधारीकलीसिया के द्वारा मसीह के पास नहीं ला सकते हैं। वे इसे खूबसूरत बनाने की कोशिशकरते हैं। पाप भी तो खूबसूरत ही होता है। निश्चय ही, वहखूबसूरत है। अब, आपबाइबिल लेकर देखें, तोआपको यही बात मालूम हो जायेगी।36कुछदिन पहले मैं यहीं कहीं पर नूह और उसके दिनों के विषय में बोल रहा था। मैंनेउत्पत्ति 6 मेंउसे लिया था, जहाँलिखा है, “जब परमेश्वर के पुत्रों ने मनुष्यों की पुत्रियोंको देखा।” और एक बार मैं इसी बात को इतिहास में से पढ़ रहा था, और मैं उस इतिहासकार की बात सुन रहा था जो अपना…बतला रहा था…या नहीं, आपमुझे क्षमा करना, यहउस पर टीका-टिप्पणी थी जो वह सोचता था, किये परमेश्वर के पुत्र क्या थे। ये वे नीचे गिराये हुए दूत थे जो खुद ज़ोर लगाकरमानव देह में पैठ गये थे और उन्होंने ही उन औरतों को देखा; और वे स्त्रियाँ कितनी ज्यादा ध्यानाकर्षित करने वाली थी। और परमेश्वर के ये पुत्र देहधारी हो गए थे।मैंने सोचा,“मेरे अनमोल भाई, अगरआप इसे उस तरह से लेते हैं…..आप मुझ से कहीं ज्यादा तेज-तर्रार हैं….परन्तुअगर आप इसे उस तरह से लेते हैं, तोआप तो शैतान को ही सृष्टिकर्ता बना देते हैं।” सो शैतान सृष्टि नहीं कर सकताहै। वह तो सिर्फ उसको बिगाड़ ही सकता है जिसकी परमेश्वर ने सृष्टि की है। केवल एकही सृजी हुई चीज होती है। एक ही सृष्टिकर्ता है, औरवह परमेश्वर ही है। गलत सही का बिगड़ा हुआ रूप होता है। झूठ दुर्पयोग किया गया सचहोता है। समझे? व्यभिचारसही कर्म का दुर्पयोग किया गया कृत्य ही है। समझे? सारागलत सही का बिगड़ा हुआ रूप ही है। और यही सारा का सारा काम शैतान कर सकता है; वह उसको बिगाड़ता है जो काम परमेश्वर पहले ही करचुका है…(समझे?)वहबिगाड़ने का काम करता है। यह बिलकुल ठीक बात है।37अब, हमेंमालूम होता है, किशैतान बहुत सी बार इसे इतना…इतना जबरदस्त ध्यानाकर्षित करनेवाला बनाता है, कि आप और भी ज्यादा विख्यात हो जाये। अब देखिए, बिलकुल ठीक ऐसा ही उसने हव्वा के साथ किया थाअक्लमंद, तेज-तर्रार, धनी!आज वह इसे इतना ज्यादा ध्यानाकर्षित करनेवाला बनाता है, कि लोग इमारतों का निर्माण करवाने में करोड़ोंडॉलर लगा देना चाहते हैं; औरइसके बाद वे प्रचार कर रहे होते हैं, किप्रभु का आगमन अति निकट है। कलीसियाएं बड़े बड़े सभागारों का निर्माण किये चली जारही हैं; और…और भी ज्यादा ज़मीन खरीदे चली जा रही हैं, और…और सभी कुछ किये चली जा रही हैं; और उसके बाद भी प्रचार कर रही हैं, कि प्रभु का आगमन अति निकट है; और जबकि मिशनरी लोग प्रचारकार्य के क्षेत्रों मेंप्रभु को उन गरीबनिर्धन लोगों के पास लाने का प्रयास कर रहे होते हैं जिन्होंने एकबार भी इसके बारे में नहीं सुना है, औरवे इस काम को करने के लिए तंगी-मुसीबत उठाते हैं। समझे? यह मुझे ठीक नहीं लगता है। परन्तु शैतान तो इसे और भी ज्यादा ध्यानाकर्षितकरनेवाला बनाने की कोशिश करता है। वह कलीसियाओं को अपने हिसाब का बनाता है। वह उसेबुद्धि-ज्ञान से भरी हुई, बहुतबढ़िया, ज्ञानवान कलीसिया बनाता है।38मैं किसी निश्चित संस्था के बराबर में रहता हूँ।मैं सोचता हूँ, किउसके लोग बहुत अच्छे, बहुतबढ़िया हैं। और एक पुरूष…एक बुजुर्ग पुरूष बाहर बैठा हुआ, अपने लिए प्रार्थना करवाने के लिए इन्तजार कर रहाथा, क्योंकि यह वाला प्रचारक बीमारों के लिए प्रार्थनाकरने पर विश्वास नहीं करता था।

मैं उस समय वहाँ पर नहीं था। अतः यह बुजुर्गइन्तजार कर रहा था, औरबड़ा ही गुस्सा हो रहा था और ज़ोर ज़ोर से बुड़बुड़ा रहा था…और चूँकि वह बुजुर्गपुरूष फक्कड़ जैसा लगता था..(वह बेचारा गरीब बुजुर्ग ऐसा था, कि उसके जूते भी फटे पुराने थे, उसका पुराना कोट भी पूरी तरह से चिथेड़े के जैसाऔर फटा हुआ था) और….परन्तु इस प्रचारक ने उस बुजुर्ग को ड्योढ़ी में भी नहीं।आने दिया, उसने उसे बारिश में ही बाहर निकाल दिया। और मुझेबस इस बात का ताज्जुब है, किअगर हम स्वर्ग में जाते हैं, तोक्या वहाँ पर बुद्धिमानों के लिए कोई खास छोटी सी जगह होगी और गरीब-निर्धन तथा ऐसेऔर सब लोगों के लिए कोई और जगह होगी।39अब देखिए, मुझेडर है, कि न्याय के दिन लोगों को बहुत ही ज्यादा निराशाहोगी; क्योंकि आप जानते हैं, कि पौलुस ने इब्रानियों के 11वें अध्याय में कहा था, “वे भेड़ की खाल और बकरी की खाल ओढे हुए मारे मारेफिरे, वे निराश्रय-दरिद्र, औरदुखों के मारे थे।” एलिय्याह को उसकी गुफा में देखिए, परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो और कैसे होगा, कि अगर आज हम उसे अपने घर के दरवाजे पर देख लें, और वह ऐसी हालत में हो, कि उसके मुखमंड़ल पर चारों ओर उसकी दाढी बढ़ी हुईहो, और उसका गंजा सिर चमचमा रहा हो, और उसने अपने चारों ओर भेड़ की खाल लपेटी हुई हो, शायद हम उसे अपने आँगन से ही बाहर खदेड़ देंगे, हमारे बुद्धि से भरे भाइयों में से कुछ तो ऐसा हीकर डालेंगे। यह सही बात है।परन्तुआप नहीं जानते हैं, किवहाँ उस छोटी पुरानी खाल के नीचे क्या धड़क रहा था। समझे? शायद पवित्र आत्मा ने ही वहाँ पर अपना डेरा डालाहुआ था। समझे? आपकोकभी भी वैसा नहीं करना चाहिए। हमें अवश्य ही भाई-बंधु होना चाहिए; आप इंसान से अच्छे से व्यवहार करें, इससे कोई मलतब नहीं है, चाहे वह गलती में ही क्यों न हो, आप फिर भी उससे अच्छे से व्यवहार करें। यीशु उनकेप्रति अच्छा था जो उसके प्रति बहुत ही बुरे थे। समझे? हमें अवश्य ही मसीही होना चाहिए, जो प्रेम से भरा हुआ हो, और किसी भी जाति, किसीभी रंग के लोग की कहीं भी कभी भी मदद करने के लिए तैयार हो। समझे? हमें ऐसा ही होना चाहिए। ऐसा ही तो एक मसीही होताहै। मसीह हम से यही तो चाहता है, किहम ऐसे ही हो। और एक मसीही या क्रिसचियन होना मसीह के जैसा होना होता है।40अब, हालांकि शैतान हर एक चीज को बहुत ज्यादा असरदार और मोहक बनाता चला जा रहा है, और वह लोगों को एक ओर बैठाकर उन से कहता है, “तुम्हें अवश्य ही इस मत-सार का विश्वास करना चाहिएऔर यही वह सारा का सारा काम है जो तुम्हें करना चाहिए।” और कहता है, “तुम्हें अवश्य ही यह वाली दुआ बोलनी चाहिए औरकाट-छांट करके बनायी गई ये छोटी छोटी दुआएं बोलनी चाहिए, तथा ऐसे ही और दूसरे काम करने चाहिए।”यह ऐसादिखाई देता है….और लोग इन्हीं बातों पर जिन्दगी बिताये चले जाते हैं; और वे अभी भी जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं, धूम्रपानकरते हैं; स्त्रियाँ अनैतिक कपड़े पहनती हैं, और…और वे सिनेमा देखने जाते हैं, नाँचते हैं और ताश खलते हैं, और वे बिलकुल ठीक वैसा ही करते हैं जैसा वे हमेशाही किया करते थे। समझे? परन्तुफिर भी वे बड़े व ऊँचे बौद्धिक लोगों के किसी झंड़ के सदस्य होते हैं। देखिए, शैतान इसे बड़ा ही असल लुभावना-असदार बनाता है, परन्तु यह वह नहीं है।क्या आप ने कैन के बलिदान पर ध्यान दिया है, कि वह देखने में कितना ज्यादा लुभावना और असरदारथा, वह कितना सुन्दर था-वह खेत के फल और फूल था।परन्तु हाबिल का बलिदान लुभावना-असरदार नहीं था; वहएक छोटे से मेमने को ….के टुकड़े से बाँध कर घसीटता हुआ लाया था..( मैं नहींसोचता हूँ, किउन दिनों में उनके पास रस्सी बनाने वाला सन होता था)….हो सकता है, कि वह अंगूर की बेल उसके गले में डालकर उसे घसीटताहुआ लाया हो। और वह उसे वहाँ लेकर आया और वह उसकी नन्हीं गर्दन को एक छोटे सेपत्थर से तब तक चीरता रहा जब तक कि वह लोहूलुहान होकर मर नहीं गया। यह देखने मेंबहुत ज्यादा लुभावना नहीं था; परन्तुयह पाप के लिए धार्मिकता का उत्तर था।41परन्तु परमेश्वर तो हर बार अपना वचन और भी ज्यादासकारात्मक रूप में लेकर आता है। उसे उसकी फिर से किलाबंदी नहीं करनी होती है, और उसे कुछ और चीज लेकर नहीं आनी होती है। वह तोसभी समय अपने वचन को और भी ज्यादा वास्तविक बनाता चला जाता है। और बाइबिल कहती है, “जब शत्रु महानद की नाई चढाई करता है, तो परमेश्वर उसके विरूद्ध एक झंड़ा खड़ाकरता।” समझे? अब, यह क्या है….तब अगर बैरी महानद के जैसे चला आताहै, तो परमेश्वर अपने लोगों को किलेबंदी में रखने केलिए, उन्हें किलेबंदी में सुरक्षित रखने के लिएपरमेश्वर के वचन के चौगिर्द रखता है, अतःवह सिर्फ अपना वचन उठा खड़ा करता है, यहीवह झंड़ा है जिसे वह उसके विरूद्ध उठा खड़ा करता है। आमीन!अब, उसनेइसे तीन बार उठा खड़ा किया। क्या आप यह जानते थे? परमेश्वरहमेशा ही अपना काम तीन में करता है। क्या नहीं…वह परमेश्वर का सिद्ध अंक है। जैसेपरमेश्वर ऐसा करता है, किउसके प्रेम का तत्व-सार, उसकाआत्मा सारे सौर तंत्र (Solar Systems) कोअनन्तता से अनन्तता तक काबू में किये रहता है…(अगर ऐसा करने का कोई तरीका था, तो उसने ऐसा किया) सारा प्रेम, सारी सामर्थ, असलीसामर्थ ऐसा करती है। अब देखिए, वहाँपर यह प्रेम भौतिक प्रेम या फीलियो प्रेम नहीं है (ग्रीक शब्द इसे“प्रेम” कहता है)…परन्तु यह तो सहभागिता करने वाला प्रेम है; परन्तु यह तो अग्गेपो प्रेम है, यही तो ईश्वरीय प्रेम है। और परमेश्वर उस सब कासोता है।42औरअब जब वह सब…उसने नबियों को, लैंगिकजन्म से उत्पन्न हुए पुरूषों को अभिषिक्त किया, परइससे काम ना चला। अब, इसकेबाद एक परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो 29 बारपरमेश्वर ही मनुष्य बन गया। और यीशु ही वह मनुष्य था; और वह पिता का प्रकट स्वरूप था। समझे? दूसरे शब्दों में प्रेम की यह सारी महान शुद्धता, सामर्थ की महान शुद्धता, ये सारी महान बातें उसी में ही साक्षत् प्रकट हुईथीं। अब यही कारण है, किवह हमारे पवित्रीकरण के लिए और हमें धर्मी ठहराने के लिए कब्र में गया और उसने मौतको अपने ऊपर लिया; औरइसके बाद वह हमारे लिए ही पवित्र आत्मा को वापस लेकर आता है। समझे? अब, यहीकारण है, कि हम धर्मी ठहरे हैं। मसीह परमेश्वर कापवित्रीकरण था। हमें धर्मी ठहराया गया है, मसीहपवित्रीकरण है, औरपिता सिर है। समझे?43ठीकजैसे कि आरम्भ में अदन की वाटिका में हम से वचन बोला गया था, वह बोला हुआ वचन था। और दूसरी बार वह देहधारी हुआऔर उसने हमारे बीच में डेरा किया। और तीसरी बार यह हमारा ही अंश बन जाता है, जब पवित्र आत्मा हम में वास कर रहा है, यह परमेश्वर ही है जो मनुष्य में आ रहा है। पहलाजो बोला हुआ वचन था, शत्रुने उसे चीर कर धराशाही कर डाला था। इसके बाद वचन देहधारी हुआ; उसे क्रूस पर मार डाला गया था। परन्तु अब..(आमीन!)वचन में एक अंतर है। वचन कलीसिया बन जाता है, औरकलीसिया वचन है। परमेश्वर…वह सब कुछ जो परमेश्वर था, उसने उसे मसीह में उड़ेल दिया था। वह सब कुछ जोमसीह था उसे कलीसिया में उड़ेल दिया गया-पवित्र आत्मा को कलीसिया में उड़ेल दियागया। अब, शत्रु को कुछ मिलता है। देखिए, इसके बाद वह जवाबी हमले में लड़ नहीं रहा है।बहुतेरे लोग हैं जो सिर्फ शब्द ग्रहण करते हैं।“शब्द मारता है। आत्मा जीवन देता है।” देखा, समझे? औरवे इन धार्मिक मत-सारों को तथा ऐसी ही और दूसरी बातों को ग्रहण करते हैं, जो अभी भी मारते ही हैं। परन्तु जब आप आत्मा कोग्रहण कर रहे होते हैं, तोयह खुद परमेश्वर ही होता है जिसे आप ग्रहण कर रहे होते हैं। आप कैसे जानते हैं, कि यह परमेश्वर ही है? क्योंकि वह वचन ले रहा होता है और उसे साक्षात्प्रकट कर रहा होता है। समझे? तबयह खुद परमेश्वर ही होता है। ओह मेरे खुदा,बोलाहुआ वचन! समझे? जीहाँ, श्रीमान! ओह मेरे परमेश्वर!44मैं पूर्व काल के नूह के दिनों के बारे में सोचताहूँ। यीशु ने इसकी तुलना आज से की थी। जैसा नूह के दिनों में था….उत्पत्ति 6! मैं फिर से ठीक यहीं पर वचन के इसी लेख को लँगा।क्या आपने ध्यान दिया, जबपरमेश्वर के पुत्र थे, जोकि शेत के पुत्र थे जो कि आदम से आया था, औरआदम परमेश्वर से आया था, वहपरमेश्वर का पुत्र था, औरशेत का पुत्र…..वहीं दूसरी ओर और दूसरे थे जो कैन से आये थे, जो कि शैतान के झूठ की ही प्रतीति कर रहे थे-वेशैतान के पुत्र थे।अब, जबकनानी स्त्रियाँ….ठीक अंत समय पर विनाश से ठीक पहले वे बहुत ही खूबसूरत थीं।क्या आपने स्त्रियों के रूप में अंतर को ध्यान से देखा है, आप जो बूढ़े स्त्री और पुरूष हैं, क्या आप ने ध्यान दिया है, कि कुछ पिछले सालों में स्त्रियों के रूप में क्याफर्क आया है? मैंकिसी और दिन उसे पढ़ रहा था जहाँ पर्ल व्हाइट…आप जो पुराने समय के लोग हैं, आप में से बहुतेरों को याद होगा, कि वह देश की सबसे ज्यादा खूबसूरत महिला थी। और जबस्कॉट जैकसन ने जो कि उसका एक मूक प्रेमी था, उसकाएक गुप्त प्रेमी था, उसनेउसे चाकू मार कर जान से मार डाला था,…. बल्किमैं उसकी तस्वीर देख रहा था….क्यों आज जो भी महिला खूबसूरत दिखाई देती है वह आजउसके मुकाबले में सड़क पर नहीं खड़ी हो सकती है। परन्तु आप देखिए, हम अंत के कगार पर आते चले जा रहे हैं। और आजस्त्रियाँ खुद अपना असली रूप उन कपड़ों में छिपा रही है जो उन्हें खुबसूरत बनातेहैं। समझे? येकनानी ही हैं। मेरे लिए बेहतर होगा, किमैं इसे यहीं पर रोक दें और अब आगे बढ़े, (समझे?) क्योंकि मैंने कहा था, कि मैं उन्हें फिर से नहीं लूंगा।45यह बिलकुल ठीक बात है, कि शैतान के पास उसके ज्ञान से भरे दानव हैं। आपयाद रखें, कि उन्होंने कहा था, किउन दिनों में पृथ्वी पर दानव थे। दानव…उसके पास अभी भी वे हैं, उसके पास अभी भी ज्ञान से परिपूर्ण दानव हैं। ओह, मेरे खुदा! समझे? उनदिनों में जब नूह ने इसके बारे में कहा था, एकजल-प्रलय आ रहा है“;तो देखिए, उन्होंने इसका विश्वास नहीं किया था; हालांकि वे धार्मिक लोग थे। परन्तु ये…यह बातउनकी विज्ञान के स्पष्टीकरण के अनुकूल नहीं बैठती थी; कि ऊपर से पानी कैसे बरसने जा रहा है, जबकि वहाँ ऊपर कोई पानी नहीं था—उन्होंने विज्ञानके द्वारा यह साबित किया था, किवहाँ ऊपर कोई पानी नहीं था। जैसाकि उसरूसी व्यक्ति ने जो उस ओरबिट (Orbit) में था उस किसी दिन कहा था, कि उसने संसार के चारों ओर सत्रह बार चक्कर काटे, पर उसने परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो कोईपरमेश्वर, कोई पवित्र आत्मा, कोईस्वर्गदूत नहीं देखें। बेचारा अनभिज्ञ इंसान। जी हाँ! उनकी विज्ञान भी ठीक वैसी हीहै, कि यह बस ….वे…वे…इतने ज्यादा वैज्ञानिक होगये हैं, कि वे बेबोल हो गये हैं। समझे? या आप मुझे क्षमा । करें; मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए। मेरे तात्पर्य तो सिर्फयह है, कि वे असली बातों को ही अनदेखा कर देते हैं। समझेआप? अब, यहबिलकुल ठीक बातपरन्तु आज शैतान के पास उसके बुद्धि से परिपूर्ण दानव हैं। वे वचन के बारे में उसके असलीमायने से हटकर हर एक बात समझा सकते हैं। यकीनन ऐसा ही है। वे कहते हैं, “ऐसी कोई चीज नहीं है। आह…क्या दिव्य चंगाई? ओह, यहतो बस दिमागी कसरत ही है।” समझे?84. प्रभु का आत्मा…बाइबिल कहती है, “परमेश्वर का वचन दोधारी तलवार से भी ज्यादा चोखाहै…(इब्रानियों का चौथा अध्याय ऐसा ही बताता है)…परमेश्वर का वचन दोधारी तलवारसे भी ज्यादा चोखा है, जोगाँठ गाँठ को वार पार छेदता है, औरमन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है।” यही तो परमेश्वर का आत्मा है… जबयीशु खड़ा हुआ था और उसने यह जाँच लिया था, किवे क्या सोच रहे थे….जब वह…वह वचन था।46जब फिलिप्पुस उसके पास आया, और…और उसके पास नतनएल को लेकर आया, तो उसने कहा,“देखो, वहसचमुच में एक इस्राएली है उसमें कोई कपट नहीं है।”वह बोला, “रब्बी, तूने मुझे कब देखा?”उसनेकहा, “इससे पहले कि फिलिप्पुस तुझे बुलाता, जब तू पेड़ के तले था, तो मैंने तुझे देखा।”वाह! वह क्या था? वहवचन था। वचन बड़ा ही चोखा, ज्वलंत…जबवह स्त्री जो कुंए पर आयी और बोली…जब उसने उस स्त्री से पानी पिलाने के लिए कहा, तो वह बोली,“क्यों, ऐसातो रिवाज़ नहीं है। यहाँ तो अलगाव है। हम… तू तो एक यहूदी है और हम सामरीहैं।” |

परन्तुवह बोला, “अगर तू यह जानती, कितू किस से बातें कर रही है, तोतू मुझ से जल माँगती।”और उनकी यह वार्तालाप तब तक चलती रही जब तक कि उसनेढूंढ ना निकाला…जब तक उसे वचन को अपनी जगह न मिलने लगी।और वह बोला, “जा, अपनेपति को यहाँ पर बुलाकर ले आ।”वह बोली,“मैं बिना पति के हैं।” बोला, “तू सच कहती है। तू पाँच पति कर चुकी है, और अब जिसके साथ तू रह रही है, वह भी तेरा पति नहीं है।”वह बोली,“श्रीमान, मुझेलगता है, तू अभिषिक्त किया हुआ जन है, तू मसीह है। मुझे लगता है, कि तू एक भविष्यद्वक्ता है।” वह बोली, “और हम जानते हैं, किजब वह अभिषिक्त किया हुआ आता है..(वह वचन होगा)…तो वह हमें ये बातेंबतायेगा।”वहबोला, “मैं जो तुझ से बोल रहा हूँ, मैं वही हूँ।” देखा, समझे? वहाँ वह वचन था। ओह, वहवचन ही था! जी हाँ, श्रीमान!यह बिलकुल सच है।47अब देखिए, जब तक वचन, वचनहै उसे वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित करने की आवश्यकता ही नहीं है, कि वह वचन है। अगर ऐसा वैज्ञानिक तौर पर हीप्रमाणित हो जाता है, तोइसका अवसर कहाँ रह जाता है, किवह वचन है। आप कहते हैं, अगरयह वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित नहीं होता है, तोयह सत्य नहीं है।“ फिर तो अगर आपके पास दिमाग है….क्या आप विश्वास करते हैं, कि आपके पास अक्ल है? तब तो आप वैज्ञानिक तौर पर साबित करें, कि आपके पास अक्ल है। क्या आप प्रेम करते हैं? कितने हैं जो प्रेम करते हैं? ठीक है, मुझेहैरत है, कि क्या मैं कुछ प्रेम दवाइयों की दुकान से खरीदसकता हूँ। मुझे यह सारा का सारा ही चाहिए। समझे? प्रेम, आनन्द, मेल-शान्ति, धैर्यसंयम, नम्रता, शालीनता, धीरजऔर विश्वास तथा ऐसी ही और दूसरी चीजें हैं जिन्हें वैज्ञानिक तौर पर साबित नहींकिया जा सकता है। और यही वे हमेशा तक कायम रहने वाली चीजें हैं जो हमारे पास हैं।यह सही बात है। कोई और चीज नहीं है जो हमेशा ही कायम रहे, पर केवल यही है जो कायम रहे..(समझे?)..और इन्हें वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित नहीं किया जासकता है। यह बिलकुल सही बात है।48अबपरन्तु आज…..नूह के समय में वे दानव थे, औरआज भी उनके पास ज्ञान से परिपूर्ण बड़े बड़े दानव पृथ्वी पर हैं। यह बिलकुल सच बातहै। मैंबस…मुझे ऐसी बातें कहना बहुत बुरा लगता है। अगर कोई वैसा व्यक्ति यहाँ पर है, तो मैं आशा करता हूँ, कि मैं आपको अघात नहीं पहुँचाता हूँ। परन्तु ये तोफिर से शैतान के भेदिये ही हैं। क्या? यकीनन, वे ज्ञान से परिपूर्ण दानव चारों ओर आते हैं, ताकि यह साबित करें, किवह सारा जयजयकार करना और ज़ोर ज़ोर से “आमीन” कहना, और वेदी पर जाना, औरअपने अपने पापों के कारण टूट कर पछतावा करना, बसभावनाओं में बहना मात्र है। देखिए, वेविज्ञान से परिपूर्ण दानव हैं। वेज्ञान से परिपूर्ण दानव हैं। वे कहते हैं, “ऐसीकोई चीज नहीं है।” वे तो बस बिना नम आँख के ही ऊपर जाते हैं, और कहते हैं,“ओह, अच्छा, मैं इस कलीसिया में शामिल हो जाऊँगा, और मैं…’ओह, मेरे खुदा! वे कहते हैं, ”ठीक है, मैंविश्वास करता हूँ, कियीशु मसीह परमेश्वर का पुत्र है।“ शैतान भी इस बात का विश्वास करता है; मगर यह कोई चिन्ह नहीं है, कि उसका उद्धार हो गया है। समझे? उद्धार के लिए तो इससे भी बढ़कर किसी बात की आवश्यकता होती है। इसके लिए तो नये सिरे से जन्म लेने की आवश्यकता होती है। यह सचहै; यह बिलकुल सच है। देखिए,अतः इसके लिए तो…वचन को ग्रहण करने की आवश्यकताहोती है। इसके लिए तो नये सिरे से जन्म लेने की आवश्यकता होती है। इसके लिए सिर्फकहने भर से काम नहीं चलता है, इसकेलिए किसी ऐसे काम की आवश्यकता होती है जो यहाँ अंदर होता है; और यही तो आपको अलग किस्म का बना डालता है।49और आज रात्रि हम इस बात के लिए आनन्दित हैं, कि हमने यह पा लिया है। आप में से कितने लोग नयेसिरे से जन्म पाकर आनन्दित हैं? ओह, मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूँ। आइये हम थोड़ा सा औरआगे चलें। आप जानते हैं, किमैं किसी भी दूसरे इंसान के जैसे ही बहुत सी बातें बोलता हूँ, और मैं सारी बातों को ही एक साथ मिला देता हूँ।परन्तु कभी कभी प्रभु मुझे कोई बात देता है, औरमैं..मैं, खैर मुझे..मुझे वह सचमुच में बहुत अच्छी लगती है।और आप जानते हैं, किपढ़ना…जब भी मैं उसका वचन पढ़ता हूँ, तोमुझे वह हर बार बहुत अच्छा लगता है, क्योंकिवह सिद्ध है। आप जानते हैं, किकभी कभी वह मुझे कोई ऐसी बात कहने देता है, जोमुझे बड़ी ही अच्छी लगती है। और किसी दूसरे दिन उसने ही मुझे कोई बात कहने दी थी, और इसने मेरी बड़ी ही सहायता की थी। ओह, मेरे खुदा! अगर यह बात कहना अधार्मिकता ना हो, या यह कहना गलत ना हो, तो यह बात लगभग बड़ी ही गूढ़ लगती है।मैं आपको बताऊँगा, कियह क्या थी। मैं उस गारण्टी के बारे में सोच रहा था जो हमारे पास है। कैसे हमजानते हैं…बहुत सी बातें हैं, जिनकेबारे में आप कैसे जानते हैं, किआप सही हैं? संसारमें बहुत से धर्म तथा ऐसी ही और दूसरी चीजें हैं। देखिए, एक बार इस्राएल मिस्र में था, और उन्हें परमेश्वर के लोगों के रूप में वहाँ पररहते हुए सैकड़ों वर्ष हो गये थे। और वे वहाँ पर गुलाम थे, और उन्हें चारों ओर कहीं भी खदेड़ दिया जाता था।और बैरी आता और उनकी पक्की रोटियों से भरी हुई पुरानी टोकरी लूट-लाट कर ले जाता।उन्हें या तो उन्हें खाना होता था, याउन्हें मर जाना होता था। और उनकी जवान बेटियों को बर्बाद कर दिया जाता था। वे इसकेबारे में कुछ नहीं कर पाते थे। कुछ नहीं.. वे उनके लड़को को जान से मार डालनाचाहते थे, वे बस उन्हें घात करके मार ही डालते थे; उनके साथ बस यही सब किया जाता था। यह क्या हीभंयकर बात थी!50निर्जनप्रदेश में से बाहर निकल कर उनके पास एक भविष्यद्वक्ता आता है, उसके साथ आग का खम्भा था, उन्होंने कहा था, किवह उसके साथ साथ चलता था। वह उनके पास यह सन्देश लेकर आ रहा था, “वहाँ पर परमेश्वर के पास एक देश है जो तुम्हारेलिए है।” और उन्होंने इस भविष्यद्वक्ता की सुनी।उन्हें परमेश्वर के हाथ ने ही मिस्र में से बाहरनिकाला। वे एक ऐसे स्थान पर आये जो कादेश-बर्निया कहलाता था। मुझे बताया गया है, कि कादेशबर्निया न्याय का स्थल था, वह एक बार को संसार में एक बहुत बड़ा न्यायस्थलथा। और वहाँ पर उनके बीच एक था—वहाँ पर उनके पास यहोशू नाम का एक महान योद्धा था।मेरा मानना है, किइसका अर्थात् यहोशू का अर्थ यहोवा-उद्धारकर्ता..यहोवा बचानेवाला“ होता है।इस महान योद्धा ने…क्या आप जानते हैं, कि उसने क्या किया था? वह उन बच्चों को दिखाना चाहता था, कि वह स्थान….उन में से कोई भी वहाँ पर कभी नहींगया था; वे सचमुच में नहीं जानते थे, कि वह देश वहाँ पर है। उन्होंने तो बस इसकाविश्वास ही किया था, किवह है। वह था। बस वैसा ही…यह भविष्यद्वक्ता उनके पास प्रभु का वचन लेकर आया। वास्तवमें वचन भविष्यद्वक्ता के माध्यम से ही आता है। समझे आप? अतः इसके बाद वे…अतः वे आते हैं….और यहोवा कावचन इस नबी के पास आया, औरवह उसे उन लोगों के पास लेकर आया, औरबोला, “वहाँ एक ऐसा देश है जहाँ दूध परमेश्वर के सारेहथियार पहन लो 35 और शहद बह रहा है, वहाँतुम अपने अपने खेतों में खेती कर सकते हो और अपने बच्चों का भरण-पोषण कर सकते होऔर शान्ति के साथ रह सकते हो।”51अतः जब यहोशू वहाँ पर उस न्याय स्थल, अर्थात् कादेश-बर्निया के निकट पहुँचा….और हम सबउस गाथा को जानते हैं। यही है वह जहाँ पर इस्राएल का भी न्याय हुआ था। अतः तबयहोशू यरदन नदी को पार करके प्रतिज्ञा किये देश में गया, और उस प्रमाण को साथ लेकर वापस आया, कि वह देश असली है। उसके पास उस देश के अंगूर थे।उसके पास अंगूर थे जिनको वे स्वाद ले सकते थे, किवह देश असली है। आप जाकर उन अंगूरों का स्वाद ले सकते थे। क्यों वे अंगूर इतनेबड़े बड़े थे, किदो पुरूषों ने उनका एक गुच्छा अपने कंधों पर उठाया हुआ था। वह बोला, “ओह, वहदेश असली है।”अतःलोग पार उतर कर गये। उन्होंने अपने अपने घर बनाये; उनकाअपना एक देश था; वेशान्ति से रहते थे। परमेश्वर का हाथ उन पर था और परमेश्वर ने उन्हें आशीष दी थी, और उसने उन्हें शूरवीर पुरूष दिये थे, और इसके बारे में सोचा जाये….परन्तु कुछ समय बादजब वे बूढ़े हो गये, तोआखिरकार उनका क्षय होता गया और वे मर गये। और वे मर गये। और पहली बात आप यह जानतेहैं, कि पहाड़ी के छोर कब्रों से, धर्मी जनों, नबियों, और ज्ञानियों-ध्यानियों, और राजाओं, और…औरधर्मी लोगों के मकबरों से ढक गये।52अतः इसके बाद एक और महान योद्धा नीचे आया। ओह, उन सभों का राजा था, जोकहलाता था…(फ्रांस के लोग उसे “येशु” कहते हैं)…जो यीशु, योद्धा कहलाता था। वह यहोवा था। और वह नीचे आया औरउसने उन से प्रेम किया। परन्तु उसने कहा था,“तुम जानते हो, कितुम्हें बूढ़ा होना पड़ता है, जिससेतुम मर जाओ। परन्तु मृत्यु के बाद भी जीवन है—मृत्यु के बाद भी जीवन है, क्योंकि मेरे पिता के घर में बहुत से राजभवन हैं।अगर ऐसा ना होता, तोमैंने तुम से कह दिया होता।” क्या आप समझे, किवह क्या कर रहा था? वहहम बूढ़े लोगों को बता रहा था, किएक ऐसा देश है जो…जब हम यहाँ पर जिन्दगी बसर कर चुके होते हैं, तो उसके बाद एक और देश है। वह ना केवल आग के खम्भेके पीछे पीछे चल रहा था, वहतो खुद ही आग का खम्भा था….समझे? वहवाचा का दूत था।53अतःवह यहाँ पर था। और उसने कहा था, “जबमनुष्य यहाँ पर खत्म हो जाता है, औरजब तुम अपने समय को जी चुके होते हो….यह तो बीज वालाही समय है, परन्तुइस जगह से पार वहाँ पर एक ऐसी जगह है जहाँ मनुष्य जिन्दा रहता है।” वह अपनेकादेश-बर्निया पर आया था, औरयह कलवारी कहलाती थी। वहाँ पर ना केवल उसका ही न्याय हुआ था, बल्कि उसका मेरे और आप के लिए न्याय हुआ था। उसनेआदम के पापों को अपने ऊपर ले लिया था। और वहाँ पर उसने न्याय अपने ऊपर उठाया, और मौत की यरदन नदी को पार किया। परन्तु तीसरे दिनवह फिर से वापस आ जाता है। वह क्या कर था? वहठीक वैसे ही प्रमाण ले कर आ रहा था जैसे यहोशू प्रमाण लेकर आया था, कि वह देश असली है। मनुष्य मृत्य के बाद भी जिन्दारहता है। हाल्लिलूय्याह! मनुष्य मृत्यु के बाद भी जिन्दा रहता है।अय्यूब ने अय्यूब के 14वें अध्याय में कहा था, “अगर कोई मनुष्य मर जाता है, तो क्या वह फिर से जीवित रह सकता है? या क्या वह फिर से जिन्दा रहेगा। मैं अपने ठहरायेहुए सारे दिनों में तब तक इन्तज़ार करूंगा, जबतक कि मेरा बदल जाना आ नहीं जाता है। मैं जानता हूँ, किमेरा छुड़ानेवाला जीवित है।”एक भविष्यद्वक्ता होने के कारण उसने सैकड़ों वर्षपहले ही….जब ऐलिहू ने उससे बात की थी, और…औरपरमेश्वर का आत्मा इस नबी पर आया; उसकेछाले फूटे पड़े थे, औरवह बड़ी लाचारी की हालत में था….उसे उस सब से जो उसके पास था हाथ धोना पड़ा था, परन्तु उसके जीवन की हानि नहीं हुई थी।54और वह वहाँ पर बैठा हुआ था, और परमेश्वर का आत्मा उस पर उतरा। उसने समय कीधारा में से होकर चार हजार साल आगे तक का देखा, औरउसने प्रभु का आगमन देखा। वह बोला,“मैं जानता हूँ, किमेरा छुड़ानेवाला जीवित है, औरअंत के दिनों में वह पृथ्वी पर खड़ा होगा। चाहे खाल को नाश करनेवाले कीड़े इस देहका नाश कर डाले, तौभीमैं इसी देह में होकर परमेश्वर को देगा-जिसे मैं खुद अपने लिए देखेंगा; कोई दूसरा नहीं, वरनमैं उसे अपनी ही आँखों से देखूगा।”और जब उसने न्याय को जगत के लिए अपने ऊपर उठा लिया, तो उसके बाद वह यरदन को पार करके यहाँ पर खड़ाहुआ। और वह यरदन को पार करके वापस आया। उन में से कुछ बोले, “वह तो भूत है; आत्माहै।” वहबोला, “मुझे छूओ। क्या आत्मा के पास ऐसी ही हड्डियाँ औरमांस होता है जैसे मेरे पास है।” वह बोला,“क्या तुम्हारे पास खाने के लिए परमेश्वर के सारेहथियार पहन लो कुछ है।”जी हाँ! और उन्होंने उसे मछली और रोटी दी। और उसनेउसे खाया।वह बोला, “अब, आत्मा तो ऐसे खाती नहीं है।” आमीन!55परन्तु उसने कहा,“बच्चों, तुमबाहर जाओ, और अब तुम मेरे नाम से बपतिस्मा दो। और मैं चाहताहूँ, कि तुम अपने अपने पापों का अंगीकार करो। तुम जाकर यरूशलेम नगर में प्रतीक्षा करते रहो, औरमैं तुम्हें उसका बयाना देने जा रहा हूँ। मैं तुम्हें तुम्हारे उद्धार का बयानादेने जा रहा हूँ।” आप जानते हैं, किबयाना क्या होता है। यह पेशगी होता है। यह उस में से कुछ अंशभाग ही होता है…यहअसली चीज में से थोड़ा सा अंशभाग ही होता है। बोला, अब, मैं तुम्हें इसका बयाना दूंगा।“ और इसके बादवे उस दिन तक रूके रहे जब तक कि यह आ नहीं जाता है, औरउन्होंने अपने उद्धार का बयाना पाया था।अब, मित्रों, इसके बारे में सोचिएं! वहाँ वो बिलकुल भी नहीं है।हम अपने मार्ग पर आगे बढ़े चले जा रहे हैं। कहाँ आगे बढ़े जा रहे हैं? एक प्रतिज्ञा किया देश की ओर। किसे लिएहुए….यात्रा कर रहे हैं? एकप्रमाण को लिये हुए। क्योंकि हमारा यहोशू वापस आ गया है और हमारे पास इसका प्रमाणहै। क्योंकि एक बार को हम पाप और अधर्म में पड़े हुए थे, परन्तु हम दुनिया की बातों के लिए मर गये हैं। औरहम यीशु मसीह के साथ ही दफन हो गये और उसके साथ ही उसके पुनरूत्थान में जी उठेहैं। और अब हम उन बातों से ऊपर उठ चुके हैं, औरहम मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुके हैं। हम इसी में, उसी प्रमाण को लिये हुए जी रहे हैं। आप कैसे जानतेहैं, कि वह जिन्दा है ? खैर, मैं इससे भी ऊपर जीवन व्यतीत कर रहा हूँ; मैं इससे पहले ही ऊपर उठ चुका हूँ, और मैं पुनरूत्थान के पहले फलों का आनन्द ले चुकाहूँ। यही तो वह बात है। यही वह बात है जिसके बारे मैं बोल रहा हूँ।56अब, जीहाँ, श्रीमान! भेदिये अन्दर आते हैं, ये ज्ञान से भरे हुए भेदिये भेद लेने के लिए आतेहैं। और वे यह मालूम करते हैं, कियहाँ पर कहाँ कोई चीज अर्थात् कोई संस्था शुरू होती है, और वे अपनी बंदूकों की नली उस की ओर ही कर देतेहैं; और ऐसा करते हैं, सारीस्त्रियाँ बुरे बुरे वस्त्र पहनने लगती हैं, ऐसाकरते हैं, कि सारे पुरूष नफरत करने लगते हैं और झूठ बोलनेलगते हैं। ओह, वहइसे उन पर अच्छी तरह से उड़ेल सकता है…(समझे आप?)…क्योंकिवे सचमुच में असली दानव हैं। परन्तु आप जानते हैं, कि ऐसा परमेश्वर की नम्र, बेचारी संतानों के लिए बहुत ज्यादा है। जी हाँ, यह सच बात है।आप जानते हैं, येलोग चुपके से रेंगते हुए से अंदर घुस आते हैं, औरउन्हें भटका देते हैं। आप जानते हैं, कियहूदा ने ऐसा ही कहा है, यहूदाकी पुस्तक में उस ने ऐसा ही कहा है,“वे चुपके से—वे दबे पांव अंदर घुस आते हैं।प्राचीन समय के लोग इस नाश के लिए ठहराए गये।” क्या आप इसका विश्वास नहींकरते हैं, कि इसके बारे में क्या बात है? जी हाँ, उन्हेंइस नाश के लिए ठहराया गया….होता क्या है? येबुद्धि-ज्ञान से परिपूर्ण दानव चुपके से अंदर घूस आते हैं, “ये वे हैं जो परमेश्वर के अनुग्रह को सुख-विलास केकारण ठुकरा देते हैं, औरये ही वे हैं, जोलोगों के विश्वास को भटका देते हैं।” समझे आप? ओहमेरे, खुदा! वे क्या करते हैं? ।57जब वे अंदर आते हैं, तोवे क्या करते हैं? वेऐसा करने का प्रयास करते रहते हैं जिससे आप….वे शैतान के ही जासूस हैं जो आप कोयह बताने का प्रयास कर रहे होते हैं, कि“आश्चर्यकर्मो के दिन तो बीत चुके हैं। पवित्र आत्मा जैसी कोई चीज नहींहै।” ओह, वेउसके लिए बहुत देरी से आते हैं। आप बेहतर जानते हैं। जी हाँ, आप का नन्हा सा ह्रदय आशीष पाए, हम बेहतर जानते हैं। जी हाँ, श्रीमान!परन्तु वे करते क्या हैं? वेवैसा करने की चेष्टा करते रहते हैं, जैसाशैतान ने किया था, किवचन पर विश्वास करने की आपकी पकड़ को ढीला करवा डालें। वे ऐसा कहने की कोशिश करतेरहते हैं, “आश्चर्यकर्मों के दिन बीत चुके हैं। यह तो सिर्फदिमागी कसरत ही है। ऐसा कुछ भी नहीं है, तथाऐसी ही ये सारी बातें जो यहाँ पर हैं, कुछभी नहीं हैं। वे तो परमेश्वर की सारी महिमा की, सारेभले कामों की भर्त्सना करके लोगों को उन से दूर करने की ही चेष्टा करते रहते हैं।वे कहते हैं, ”ओह, दिव्य चंगाई जैसी कोई चीज नहीं है। ओह—ओह, परमेश्वर का वह मतलब नहीं है….“58सुनिए भाई, मैंआपको दिखा दूंगा, औरआप भी मुझे दिखा सकते हैं, जहाँपरमेश्वर ने इसकी कलीसिया से प्रतिज्ञा की थी। और अब, मैं आप से यह चाह रहा हूँ, कि आप ऐसा करें, किमुझे दिखाए, किकहाँ पर परमेश्वर ने इसे कलीसिया से ले लिया था।

अब,यहबिलकुल ठीक बात है, किवह बिलकुल भी ऐसा नहीं करता है। जी नहीं, अगरऔर कुछ हुआ भी है, तोपरमेश्वर के सारे हथियार पहन लो उसने सिर्फ उसमें थोड़ी सी और बढ़ेतरी ही की है।समझे? वह इसे वापस नहीं लेता है; वह तो बस इसमें थोड़ी सी और बढ़ोतरी ही करता हैजैसे उसने अपने वचन में बढ़ोतरी की है। उसने तो सिर्फ अपना वचन ही बोला है; और यही सारी की सारी बात है।अगर पुराने नियम में, उस पुरानी वाचा में, उसपुराने प्रायश्चित-बलि में चंगाई थी, तोइस वाले मेंउससे कहीं ज्यादा और कहीं ज्यादा बेहतर क्यों ना होगी? निश्चय ही, इसमेंतो चंगाई से भी बढ़कर है। इसमें तो प्राण की चंगाई, शरीरकी चंगाई, दिमाग की चंगाई, आत्माकी चंगाई, तथा सब कुछ है। इस में तो अनन्त जीवन पाया जाता है, निश्चय ही इस में अनन्त जीवन पाया जाता है, क्योंकि यह तो परमेश्वर का ही जीवन ही है जो उसकेवचन पर विश्वास करने के द्वारा…उसके वचन में ही साक्षात् प्रकट हुआ है।अब देखिए, वेचुपके से अंदर घूस आते हैं। यह बिलकुल ठीक बात है। और वे आपके विश्वास को बिगाड़नेकी चेष्टा करते हैं। समझे?वे अपनी सैमनरी की उच्च कोटि की तर्क-वितर्क करने वाली विद्याके द्वारा इसे छीनझपट कर आप से अलग करने की चेष्टा करते हैं; आप जानते हैं, किवे अंदर आते हैं और तर्क-वितर्क करते हैं,“अब, यहाँदेखो, क्या अब यह कारण नहीं है?” क्या आप कल्पना कर सकते हैं, कि वे यीशु के दिनों में ठीक ऐसा ही काम करते थे? वे आते हैं, औरकहते हैं, “अब, क्यायह तर्कपूर्ण बात नहीं है..59मैं कल्पना कर सकता हूँ…..मैंने हमेशा ही उसे नाटकीय रूप देना का प्रयास किया है, कि तब फिलिप्पुस ने क्या सोचा था, जब वह नतनएल के साथ आता है, और नतनएल ने कहा था,“अब, फिलिप्पुस, हम इस पर तर्कवितर्क कर लें। अब, तुम जानते हो, अगरमसीह आएगा, तोवह स्वर्ग के गलियारों से सीधा ही नीचे उतरकर आएगा, औरऐसा होगा…तुम जानते हो, किवह क्या करेगा? वहमन्दिर के आँगन में वहाँ पर चलकर जाएगा जहाँ मूसा ने समर्पण किया था(वह मूसा कासमय था। यह सच है)…और वह वहाँ ऊपर होगा, औरहमारा महायाजक कैफा इसके बारे में सब कुछ जान जाएगा।” देखिए, यह तो सिर्फ तर्क-वितर्क करना ही है।परन्तु वह कैसे आया? वहस्वर्ग के गलियारों से चलता हुआ नीचे नहीं आया, परन्तुवह तो यरदन के कीचड़ भरे किनारे पर चलता हुआ आया। वह 40 कैफा के पास चलकर नहीं आया; परन्तु वह तो गलमुच्छों से भरे चेहरे वाले उसप्रचारक के पास चलकर आया, जोवहाँ पर भेड़ की खाल लपेटे हुए बाहर आता था, औरवह उस दिन की उन संस्थाओं को ज़ोर ज़ोर से फटकारता था, और वह उन्हें चकनाचूर कर रहा था, और कह रहा था,“तुम घास में रेंगनेवाले सांपों की औलादों। तुम्हेंकिसने चिता दिया, कितुम आने वाले कोप से भागो?” क्याही अन्तर है। परन्तु वह बिलकुल ठीक उसी रीति से आया जैसा कहा गया था, कि वह आएगा। परन्तु वे तो इसे पढ़ते हुए भी नहींपढ़ पाये थे। क्या आप इस बात को समझे? उनकेबुद्धि-ज्ञान से भरे हुए दानव ही इसे उनके लिए पढ़ रहे थे। आपको अवश्य ही यह करनेदेना चाहिए, किपरमेश्वर ही इसे आपके लिए पढ़े। पवित्र आत्मा ने ही वचन लिखा है, अतः पवित्र आत्मा ही वचन का अर्थ बतलाये…60अब, यहबिलकुल सच है, किउन्होंने अपने दिनों में नूह को आज़माया था, किवह परमेश्वर के वचन की प्रतीति ना करे। मैं नूह को उस नाव के अंदर जाते हुए देखसकता हूँ। आप जानते हैं, किनूह ने प्रचार किया था, उसनेकहा था, “बारिश होने वाली है; बसयही सब कुछ ही होना है। वह होने वाली है।”दानव बोले,“ओह, उसबूढ़े-झककी पर कोई ध्यान ना दो। क्यों, उसकी—उसकीतो बुद्धि ही भ्रष्ट हो गई है।” समझे? परन्तुनूह तो आगे बढ़ता गया, औरउसे इस नाव का निर्माण करने में एक सौ बीस वर्ष लगे।अब, मैंइसकी कल्पना कर सकता हूँ, किदेखा जा रहा था…जब परमेश्वर नूह से यह कह चुका,“बिलकुल ठीक है, नूह।मैं सोचता हूँ, किमैं उस आखिरी दानव की बात सुन चुका हूँ जो मैं सुनने जा रहा हूँ। तू जा, नाव में अंदर चला जा।” और नूह को अंदर जातेहुए देखा गया, औरउस में शेर, बाघदो दो करके जोड़े में गये।और मैं सुन सकता हूँ, किसारे लोग बोले, “तूपवित्र पाखंड़ी, तू अपनेउन बदबूदार जानवरों के साथ वहाँ ऊपर चला जा।” समझे आप? वे ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे थे, “अगर तू चाहे तो उन सारे पुराने बदबूदार पशुओं केसंग वहाँ ऊपर चला जा।”परन्तु आप जानते हैं, कि वह उन बदबूदार जानवरों के संग ही ना रूका रहा था। वह तो तब तक ऊपर चढ़ता रहा, जब तक कि वह बिलकुल ऊपर ही नहीं आ गया था। और इसकेबाद परमेश्वर ने ही द्वार बंद कर दिया था। पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूलादिया गया61और क्या आप जानते हैं, किइसके बाद किया हुआ? नूहके विश्वास की परख हुई। जी हाँ, उसकेविश्वास को परखा गया था,…(समझे)…क्योंकिआप जानते हैं, किनूह 17 फरवरी को नाव के अंदर चला गया था। परन्तु क्या आपजानते हैं, किक्या हुआ था? सातदिन तक बिलकुल भी कोई बारिश नहीं हुई थी। पहला दिन गुज़रा। मैं कल्पना कर सकता हूँ, कि कुछ सीमारेखीय विश्वासी (borderline believers) चलकरऊपर आये और बोले, “ठीकहै, तुम जानते हो, किवह बूढ़ा व्यक्ति सही हो सकता है। तुम जानते हो, किहो सकता है, किशायद वहाँ ऊपर कुछ ऐसा हो जो हम ढूंढ़ भी ना सकते हो। हो सकता है कि विज्ञान नेपर्याप्त ऊँचाई तक ना देखा हो। अतः हम तो…हम ऊपर जायेंगे और उसके चारों ओर खड़ेहो जायेंगे, उसकेचारों ओर खड़े होकर थोड़ी देर के लिए एक सभा करेंगे और देखेंगे, कि क्या घटित होता है।”ओह मेरे, खुदा!यह बदला नहीं है। वे तो बस एक गलती ही ढूंढ़ निकालना चाहते हैं। और निश्चय ही, ऐसा दिखाई पड़ता था, किमानो उन्होंने कोई गलती हूँढ़ निकाल ली थी,क्योंकिपहले दिन जब वे आये, तोवे बोले, ठीक है, हमवहाँ ऊपर जायेंगे। और अगर ऐसा होता है, तोहम पापा नूह को बुलायेंगे, औरहम उससे नीचे आने के लिए कहेंगे, हमएक सीढ़ी लगा लेंगे और उससे ऊपर जायेंगे।“ अतः वे सारे के सारे सीमारेखीयविश्वासी वहाँ ऊपर आये। वे बाकी सारे अपने होंठ भिचका रहे थे और हंसी उड़ा रहे थे।वे जो दूसरे किस्म के थे जिन्होंने कभी कभार नूह की बात सुनी थी, वे बोले, होसकता है, कि ऐसा हो जायें, अतःहम तो यहीं पर आसपास खड़े रहेंगे। चाहे द्वार ही बंद क्यों ना हो गया हो, हम अंदर जा सकते हैं। नूह एक भले दिल वाला इंसानहै। वह हमें अंदर आ जाने देगा।” परन्तु आप जानते हैं, कि द्वार तो परमेश्वर ने ही बंद किया था। नूह कोइससे कुछ भी लेना-देना नहीं था।62और इसके बाद पहली बात आप जानते हैं, किनूह ने यह पहली बात बोली, “अबतुम सब के सब तैयार हो जाओ। तुम परमेश्वर की सारी की सारी संतानों अब तैयार होजाओ। अब तुम किसी चीज की ताली सुनोगे, औरकुछ ऐसा होने जा रहा है जिसके बारे में तुम ने कुछ भी नहीं सुना है। तुम ने ऐसीआवाज कभी नहीं सुनी है। हो सकता है, किवह आवाज एक धमाका से भी भंयकर होने जा रही हो। और वह आसमानों से होने जा रही है, और बड़ा ही भंयकर अंधेरा छाने वाला है; मैंने इसे एक दर्शन में देखा है। और झरनों के जैसेपानी नीचे उंड्रेला जाने वाला है।”पहला दिन हुआ और सूरज निकला, वे बोले,“हाँ!” दस बजे, बारहबजे, तीन बजे, पाँचबजे—कोई बारिश ना हुई। नूह ने सोचा,“थोड़ी देर इन्तजार करते हैं।”वे सारे के सारे बोले, “ओह, ऐसातो कुछ भी नहीं हुआ। ठीक है, आओहम दूसरे दिन परख कर देखें।”दूसरा दिन हुआ। कहा, “वह यहाँ पर सुबह होगी। थोड़ी सी देरी तो हो गई है, यह बिलकुल सही बात है। वह होगी जरूर!”औरअगले दिन नौ बजे, दसबजे, ग्यारह बजे-कोई बारिश ना हुई। ऐसे ही पाँच दिन बीतगये। ऐसे ही छः दिन बीत गये। उसे इसे सहन करते हुए पसीना बहाना था। यह सच है।63हमें भी इसे सहन करते हुए पसीना बहाना है। जी हाँ!परन्तु अगर परमेश्वर ने कोई बात कही है, तोआप उसी पर अडिग बने रहे। यह कहा गया है, उसकेकोड़े खाने से हम चंगे हो गये हैं।“ और हम उसके वचन को ग्रहण करते हैं। उस परपसीना बहाते हैं। परमेश्वर ने पवित्र आत्मा की प्रतिज्ञा की थी। आप बिलकुल ठीकवैसे ही हो जाये जैसे प्राचीन बड्डी रोबिनसन ने कहा था, ”खुदा, अगरतू मुझे पवित्र आत्मा नहीं देता है, तोजब तू वापस आएगा, तोतुझे मेरी हड्डियों का ढेर ठीक यहीं पर पड़ा हुआ मिलेगा।“ ऐसी ही बात है।इसके लिए पुरज़ोर यत्न करो। वहीं पर टिके रहो। ”परमेश्वर ने ऐसा ही कहाथा।“ अब्राहम इस पर उस बालक के लिए पच्चीस वर्षों तक इंतजार में लगा रहा।परन्तु उसने उसे पाया था…क्या फर्क पड़ता है? वहबिलकुल ठीक वैसे ही आता है। यही तो वह सारी की सारी बात है जो महत्व रखती है।परमेश्वर ने इसकी प्रतिज्ञा की है, औरआप इसी पर टिके रहें।

64और सात दिन के बाद जब वह उस सुबह उठा, तोवह बोला, “ओह, हो, वो रही वह!” ओह क्या ही अनुभूति थी! क्या आपउसकी कल्पना कर सकते हैं? वहजानता था, कि वह प्रतिज्ञा निकट थी। क्यों? क्योंकि वह महसूस कर सकता था….उस सुबह इससे पहलेकि कुछ भी घटित होता, वहकुछ दूरी पर उस गड़गड़हाट को सुन सकता था। वह खिड़की ऊपर से खुली हुई थी। हो सकताहै, कि उसकी परिधि बीस फुट हो, या यह जो कुछ भी हो, वहबड़ी खिड़की वहाँ ऊपर थी। आप जानते हैं, किउस गर्मी और तप्त धूप से भूमि ऐसी झुलस गई थी, कि….आपजानते हैं, किजब एक लम्बे समय तक शुष्क मौसम रहता है, तोआप दूर से ही उस ठंडी हवा के झोंके को महसूस पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसेभूला दिया गया कर सकते हैं जो बारिश में से आ रहा होता है। नूह जानता था, कि वह आ रही है।आज ठीक ऐसा ही मामला संसार के साथ है। आप जानते हैं, कि लोग चारों ओर दृष्टि डालकर कहते हैं, “ओह, अणुबम्ब। हम तो बचाव करनेवाले ऐसे शरणस्थान बनाने जा रहे हैं जो बम्ब गिरने पर भीबचाते हैं, हमतो यह करने जा रहे हैं।” बेवकूफी! बेकार की बात! आप क्योंकर इतने भयभीत होतेहैं?65नूह बोला,“मैं…यह तो बिलकुल ठीक वैसी ही महसूस होती हैजैसी उसने बतायी थी।” इस समय बिलकुल ठीक वैसी ही बात है। यह बिलकुल ठीक वैसीही महसूस होती है जैसी उसने मुझे बताया था। जी हाँ, उसनेमुझे बदल दिया है। और मेरा मानना है, किप्रभु की आमद इतनी ज्यादा निकट है, किहम उस से आती ठंडी हवा के झोंकों को महसूस कर सकते हैं। यही है वह जिससे लोगडरे-मरे जा रहे हैं, औरयही है जो कलीसिया को स्वर्ग पर उठाये जाने के लिए तैयार करने के लिए उकसा रहा है।निश्चय ही, हमअंत समय पर ही हैं। यकीनन ऐसा ही है!अतः आप पहली बात यह जानते हैं, कि बारिश होने लगी, औरबाढ़ बढ़ने लगी। दिन बा दिन सड़कें पानी से भरती चली गईं। और आखिर में वह जल उससबसे ऊँचे पहाड़ से जो कि बीस फुट ऊँचा था, ऊपरबढ़ गया, और वे… अर्थात् सारे के सारे अविश्वासी पानी मेंही नाश हो गये। परन्तु नूह उस में से होकर तैर गया था। आमीन, आमीन! जी हाँ!ओह, परमेश्वरके वचन का विश्वास करें। इससे कोई मतलब नहीं है। , किवह कितना अवैज्ञानिक है,आपउस पर विश्वास करें, क्योंकिअगर उसे प्रमाणित किया जा सकता है, तोफिर वह विश्वास कहाँ रहा। आप को उसकी प्रतीति करनी है जब उसे प्रमाणित नहीं कियाजा सकता है। आपको…आपको तो उसका विश्वास करना ही है। ऐसा ना करके वचनमें….परमेश्वर के वचन पर विश्वास करने की आपकी पकड़ ढीली पड़ जाती है..ऐसा करकेआपकी परमेश्वर के वचन पर पकड़ ढीली पड़ जाती है। परन्तु वे तो अपने बौद्धिक पक्षको ही लेना चाहते हैं और ऐसा ही करना चाहते हैं। यह बिलकुल ठीक बात है। वे कहतेहैं, “यही तो वह है।”66बाइबिल कहती है, किहमारा मल्लयुद्ध मांस और लोहू से नहीं है, हमारामल्लयुद्ध पहलवानों से नहीं है; परन्तुहमारा मल्लयुद्ध तो आत्मिक सामर्थों से है।अब, अगर आपको सिर्फ उस बात का आभास हो सके जो मैंनेथोड़ी देर पहले ही कही थी, किअब हम उसके साथ ही जी उठे हैं। आप मरेंगे नहीं। आप तो पहले ही मर चुके। समझे? परन्तु हमारा आत्मा उसी में जीवता है। अतः हमारामल्लयुद्ध स्वभाविक, वैज्ञानिकचीजों के साथ नहीं है, हमारामल्लयुद्ध तो आत्मिक ताकत के साथ है।आप जानते हैं, किजो कुश्ती करने वाले पहलवान होते हैं, वेपंजे से पकड़ी जाने वाली मज़बूत पकड़ को तोड़ने और ऐसी ही और दूसरी पकड़ को तोड़नेका अभ्यास करते हैं। परन्तु आप पंजे से पकड़ी जाने वाली मज़बूत पकड़ नहीं तोड़तेहैं। जी नहीं! अब क्या आप कल्पना कर सकते हैं, एकपहलवान बाहर निकलकर आ रहा हो और उसने अपने पंजे की अंगूलियों पर पॉलिश की हुई हो, और उसकी टांग पर चारों ओर सोने के मोती बंधे हों।वह एक अच्छा खास पहलवान दिखाता तो है, परवह केवल बुद्धि-ज्ञान से ही भरा हुआ है। अगर उस में गुप्त ताकत नहीं है, तो जब बैरी उसकी टांग उठाकर उसकी पंजों वाली पकड़तोड़ता है, तोवह उसे चित कर सकता है…(हाल्लिलूय्याह!)…उसने अपनी टांग के चारों ओर जो सोनेके मोती बाँधे हुए हैं तथा उन सब चीजों से जो उसके पास हैं, बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। अतः अगर हमारेपास बैरी की पकड़ को तोड़ने के लिए पवित्र आत्मा की गुप्त सामर्थ नहीं है, तो हमारा सारा बुद्धिज्ञान किसी काम का नहीं है। |67परन्तु हम मल्लयुद्ध के एक मैच में है। हम किसीबहुत बढ़िया सुसज्जित बौद्धिक मनोविज्ञान को लिये हुए मल्लयुद्ध नहीं कर रहे हैं, परन्तु हम तो परमेश्वर की उस सामर्थ और प्रतिज्ञाको लिये हुए मल्लयुद्ध कर रहे हैं, जोकिसी भी समय किसी भी शैतान की किसी भी पकड़ को तोड़ सकती है। हमारे प्रभु ने, यीशु ने इस बात को साबित करके दिखा दिया था जब वहइम्मनुएल था, जबस्वयं परमेश्वर हमारे मध्य में देहधारी हुआ था। और जब उसने शैतान से मुलाकात की, तो उसने यह दिखाने के लिए, कि शैतान केवल वचन से ही हराया जा सकता है, जब भी शैतान ने उस पर धावा बोला, तो उसने यही कहा, यहलिखा है। यह लिखा है।“ ओह, मैंयह कितना चाहता हूँ, किमैं यहाँ पर उन लेखों पर समय हूँ जो मैंने यहाँ पर लिख कर रखे हुए हैं…उन बातोंपर समय लँ जो उसने कही थी…कितनी ही बार उसने शैतान की ताकत को ”यह लिखा है, से तोड़ा। ओह मेरे खुदा! वह दिखा रहा था, जो मनुष्य परमेश्वर के वचन के किलेबंदी की आड़ मेंहै वह चिल्लाकर कह सकता है, “यहलिखा पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया है, उसपर से पकड़ ढीली कर दे। शैतान, अपनीपकड़ ढीली करके चलता बना, क्योंकियह लिखा है। अगर आप वचन के पीछे टिके हुए हैं, तोआप ऐसा कर सकते हैं। यदि तुम मुझ में बने रहो और मेरा वचन तुम में बना रहे, तो तुम जो चाहे माँगो।” यह सही बात है। यहगलत हो ही नहीं सकता है, इसेतो सही होना होता है।68जीहाँ, हमें वैसी ही गुप्त सामर्थ की आवश्यकता है जैसीशिमशौन के पास थी। मैं ने शिमशौन की वह तस्वीर देखी है, जिसे किसी ने बुद्धि-ज्ञान से बनाया है। उसमेंउसके हट्टे-कट्टे कंधे दिखाये गये हैं, ईमानदारीसे कहूँ, तो मैं नहीं मानता हूँ, कि ऐसा इंसान मंच पर भी खड़ा हो सकता था। मैंनेवैसे कंधे कभी नहीं देखे हैं। वह तो कभी भी कोई रहस्य ना रहा होता, कि कैसे वह शेर को उठा सकता था और उसे चीर कर फाड़सकता था, या कैसे वह फाटकों को उखाड़ कर उठा कर ले जा सकताथा और उन्हें लेकर पहाड़ पर चढ़ सकता था, यावह ऐसा ही और कुछ कैसे कर सकता था। अगर वह उस जैसे ढील-डौल का मनुष्य होता, तो ये एक रहस्य कैसे रहता।।परन्तु वह तो एक कम उम्र का नाटा सा था, जिसकी लटाएं लटकी रहती थीं। वह लगभग ऐसा ही था, वह तो अपनी माँ से चिपके रहने वाला छोटा लड़का हीथा, जिसकी छोटी छोटी लटाएं नीचे को लटकी रहती थी।परन्तु वह सामर्थ कहाँ थी, लोगसमझ नहीं पाते थे, किकहाँ से…कैसे वह ऐसा कर सकता था, किगदहे के एक जबड़े की हड्डी लेकर उन टोपों को चकनाचूर कर दे जो लगभग ढेड़ इन्चीमोटे थे…परन्तु उसने दांये और बांये दोनों ओर पलश्तीनियों को मार गिराया था। यहक्या था? यह एक गुप्त सामर्थ थी। समझे? नहीं जानते थे,किवह कहाँ पर थी। समझे?69आज यही तो सच्ची कलीसिया के पास है; आपकेपास एक गुप्त सामर्थ है..(ओह, मेरेखुदा!)…उन लोगों के पास कुछ ऐसा है जो उनकी घेरबंदी किये हुए है। यह क्या है? यह वचन ही है, यहलोगों पर हुए परमेश्वर के अनुग्रह का साक्षात् प्रकटीकरण ही है….जी हाँ, श्रीमान; जीहाँ, अगर आपके पास वह गुप्त सामर्थ नहीं है…आज हमस्कूलों में अध्ययन करते हैं। हम अपने बच्चों को बाइबिल स्कूलों में भेजते हैं। वहबिलकुल ठीक है..(जी हाँ)…कुछ भी उसके विरोध में नहीं है, एक भी बात उसके विरोध में नहीं है। परन्तु यह वहनहीं है जो मायने रखता है।आपजानते हैं, किउस रात पतरस ने कैसे…जब महायाजक आगे आया-उसका नौकर आगे आया, तो पतरस ने अपनी तलवार बाहर निकाल ली थी। वहमल्लयुद्ध कर सकता था। उसने अपनी तलवार बाहर निकाली और उसने उसका कान उड़ा डाला।जी हाँ, उसकी बाजुओं में बहुत ज्यादा ताकत थी; परन्तु जब आत्मिक साहस की बात आयी, तो यह उसके पास नहीं था। उसने प्रभु के वचन काइंकार कर दिया था; क्योंकिखुद मसीह ही परमेश्वर का वचन था जो देहधारी हुआ था। अतः उसने तो इसी का इंकार करदिया था।70ओह, मैं यह कितना चाहता हूँ, कि मैं कुछ मिनटों के लिए उसी पर टिका रहूँ, कि कैसे वह वचन…उसने कहा था, “अगर मैं अपने पिता के कामों को नहीं करता हूँ, तो तुम मेरी प्रतीति ना करो। परन्तु अगर मैं अपनेपिता के कामों को करता हूँ, तोतुम कामों की ही प्रतीति करो।” उसने कहा था,“तुम पाखंड़ियों, तुमआकाश के चिन्हों को देख सकते हो…”(आप जानते हैं, कि वे बारिश के आने के बारे में तथा ऐसी ही औरदूसरी बातों के बारे में बता सकते थे) परन्तु बोला,“समय के चिन्ह को तुम नहीं पहचान सकते हो। क्योंकितुमने…अगर तुम ने मुझे जाना होता, तोतुम ने मेरे दिन को भी जाना होता।” क्या आप इसे समझ गये हैं?और पतरस ने वह सब देखा था, और वह सब सुना था। और वह उस हथियार से याजक केनौकर का कान काट कर अलग कर सकता था…वह नौकर अवश्य ही एक असली तलवारबाज़ होगा, क्योंकि वह याजक का नौकर था, और वह याजक का सुरक्षाकर्मी था। वह वहाँ बाहर आया, वह अपना भाला इस्तेमाल कर सकता था। परन्तु शैतानइतना ज्यादा….या पतरस उससे भालेबाजी में या तलवारबाज़ी में इतना ज्यादा बेहतर था, कि पतरस ने उसका कान उड़ा दिया था।71परन्तु जब अन्दरूनी असली साहस की बात आयी, तो यह उसके पास नहीं था। जी नहीं, उसके पास यह नहीं था। जब उसने उस वचन को देख लियाथा….अब, मैं धार्मिक होने जा रहा हूँ। जब उसने उस वचन कोदेख लिया जो देहधारी हुआ था, औरउसने जान लिया था, कियह वह दिन था जब उसे यहाँ पर होना था, औरउसने देख लिया था, इसनेबिलकुल ठीक ठीक वह साबित कर दिया जो परमेश्वर ने कहा था, कि यह करेगा, औरउसके बाद उसने अपनी सारी बौद्धिक ताकत से, अपनीसारी शारीरिक ताकत से जो उसके पास थी… पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूलादिया गयाबिलकुलठीक इसी तरह से आज होता है। वे लोग जो ऊपर चलकर जाते हैं और अपना नाम रजिस्ट्ररमें लिखवाते हैं, वेजो प्रचारकगण से हाथ मिलाते हैं….और जब कार्यालय में खड़े होने की बात आती है औरउनका बॉस उनकी तरफ शराब का प्याला बढ़ाता है, तोवे उसे ले लेंगे। उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धो बैठने का डर लगता है।जब यह बात आती है, किआप अपनी कलीसिया में अपना दसवांश दे, तोआपको ऐसा करने से डर लगता है, क्योंकिआपको डर लगता है, किआप भूखों मर जायेंगे, जबकिपरमेश्वर ने ही प्रतिज्ञा की है, किवही आपका ध्यान रखेगा। ये सारी बातें हैं….और जब आप कलीसिया में आते हैं, औरपवित्र आत्मा लोगों के मध्य में उतरता है, औरकोई चीज आपके हृदय के भीतर आप से बात करके आप से कहती है, “यही वह है। यही वचन है। जब आप उस बपतिस्मे को तथाऐसी ही और दूसरी बातों को वचन में से उजागर होते हुए देख लेते हैं, तो उसके बाद भी आप उसे लेने से डरते हैं। मामलाक्या है? आपके पास खड़ा होने के लिए हिम्मत की, आत्मिक हिम्मत-साहस की कमी पायी जाती है।72ठीक ऐसे ही यह पतरस के पास नहीं थी। वह इंध करसकता था। वह कह सकता था, “अब, मैं अमुक-अमुक से सम्बन्धित हूँ; मैं यह बात तुम्हें समझाने के लिए बताताहूँ।” परन्तु ये वो नहीं था जो यह होता है। परन्तु जब उसने साक्षात् प्रकटवचन को देख लिया था, औरउसके बाद भी उसने उसका इंकार कर दिया था, ओह, यह क्या ही भंयकर बात थी।परन्तु भाई पिन्तेकुस्त के बाद वह ऊपर गया और उसनेपरमेश्वर के सारे हथियार पहन लिये, तोउसके बाद निश्चिय ही उसके पास साहस था। आप ठीक उसी पुरूष पर दृष्टि डालकर देखिए-वहमसीह पर विश्वास करने वाला एक विश्वासी था, वहहर घन्टे उसके पीछे पीछे चल रहा था, परन्तुउसने वचन को केवल शब्द रूप में ही देखा था, उसनेउसे केवल प्रकट रूप में ही देखा था। परन्तु अब वही उसके अंदर था। हाल्लिलूय्याह!वचन का ही…परमेश्वर का ज्वलंत वचन ही उसकी अपनी निज देह में प्रज्जवलित हो रहाथा। यह क्या था? यहपरमेश्वर ही था जो उसके अंदर था। आमीन! परमेश्वर, मसीह, महिमा की आशा एक मनुष्य की देह में साक्षात् कटहुई…परमेश्वर जानता था, किवह क्या कर रहा था। जी हाँ, श्रीमान!अब इस बात की जरूरत बिलकुल भी नहीं थी, किइस पर या उस पर या किसी और पर भरोसा किया जाता, वरनपरमेश्वर ने खुद अपने ऊपर ही भरोसा किया। आमीन!73इसके बाद ही पतरस वहाँ पर ऊपर खड़ा हुआ और वह बोला, “तुम इस्राएल और यहूदिया के रहने वाले सब लोगों, मेरी बात कान लगाकर सुनो; ये लोग नशे में नहीं हैं जैसाकि तुम सोच रहे हो।परन्तु यह वह बात है जो योएल नबी के द्वारा कही गई है; कि परमेश्वर कहता है, कि अंत के दिनों में ऐसा होगा, कि मैं अपना आत्मा सब मनुष्यों पर उंडेलूंगा; और तुम्हारे बेटे और बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे….मैंअपने दासों और दासियों पर भी अपने आत्मा में से उंडेलूंगा।”आमीन! उसके पासइसके बारे में कोई बौद्धिक विचारधारा नहीं थी; उसकेपास तो कोई असली चीज ही थी।यह क्या था? उसने परमेश्वर के सारे हथियार पहन लिये थे; उसने वैसे बहुत ज्यादा लबादे नहीं पहने हुए थेजैसे महायाजक ने पहने हुए थे; परन्तुउसके पास उसके भीतर कुछ था। परमेश्वर का हथियार भीतर वहाँ आता है; परमेश्वर की वह गुप्त आत्मिक सामर्थ भीतर वहाँ आतीहै जहाँ बौद्धिक आँख उसे बिलकुल भी नहीं देख पाती है।यीशु ने ऐसा कभी नहीं कहा था, “क्या तुम ने इसे देखा?” उसने तो कहा था,“क्या तुम ने इसका विश्वास किया?” आमीन! ओह, मेरेखुदा! ।74मैंने अक्सर एक छोटी सी निष्ठुर गलती की है। होसकता है…मेरा ऐसा करने का मतलब तो नहीं था, परहो सकता है, किमैंने इसे गलत बोला हो। परन्तु मैंने हमेशा ही कहा है….तब पतरस ने कहा था, “ये वह बात है।” और अगर यह वह नहीं है, तो मैं इसे तब तक रखे रहना चाहता हूँ जब तक कि वहआये। मैं… मैं…मैं हालांकि विश्वास करता हूँ, यहीवह है, क्योंकि इसने मुझ जैसे एक तुच्छ पापी को लिया औरमेरे लिए कुछ किया। इसने मेरे हृदय में एक प्रेम रखा जो ज्वलंत हो रहा है। ओह, मेरे खुदा! और अब यह तीस सालों से ज्वलंत हो रहाहै और यह अभी भी ज्वलंत ही है; इसकीचमक हर समय और भी ज्यादा तेज़ होती चली जा रही है जैसाकि मैं उस जगह की ओर बढ़ताचला जा रहा हूँ। जी हाँ, श्रीमान!ओह, उसका वचन! ।पतरस ने वहाँ खड़े होकर उसका इंकार कर दिया था, परन्तु उसके कुछ दिनों बाद ही वह एक बड़ी भीड़ केसामने खड़ा हुआ था। क्यों? तबउसके पास केवल बौद्धिक पक्ष ही था, उसकेपास तलवार ही थी। “हमारे पास पिछले पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूलादिया गया सालदस लाख लोग और हो गये थे; हमारीसंस्थाओं में तो बहुत सारे लोग। हैं।” परन्तु अब उसके पास उसके भीतर कोई चीजहो गई थी। ओह, उसनेसम्पूर्ण हथियार पहन लिये थे। ओह, मेरेखुदा! यह क्या ही अद्भुत है! ओह, हाँ।यह बिलकुल ठीक बात है।75इसके बाद खुद परमेश्वर ने अपने को अपनी सेना में पेश किया। क्या आप इसका विश्वास करतेहैं? अब, परमेश्वरबोला, “मैंने उनके पास अपना वचन भेजा। हव्वा तो बस उसकेऊपर से होकर चली गई, उसनेउसका अविश्वास कर लिया था। मैंने उसे साक्षात् प्रकट किया और उन्होंने उसे क्रूसपर मार डाला। मैं बस उकता चुका हूँ। मैं खुद ही आ रहा हूँ।” अतः वह यहाँ आजाता है; परमेश्वर आपके अंदर आ जाता है। परमेश्वर हमारेऊपर…वह आग के खम्भे के रूप में था; परमेश्वरयीशु मसीह के रूप में हमारे साथ था; औरपवित्र आत्मा के रूप में हम में है। यह क्या है? यहठीक वही वचन है, यहठीक वही परमेश्वर है। आमीन!अबवह किसी और पर और ज्यादा भरोसा नहीं कर रहा था, अतःखुद परमेश्वर ही आ जाता है। वह खुद ही नीचे उतर आता है। उसने कहा, “उन्हें इसके बारे में कुछ नहीं करना होगा। वे बसखुद अपने को मुझे सौंप डालें, औरमैं उन में होकर चलूंगा-फिरूंगा, उनमें से होकर बोलूंगा, उनमें से होकर बातचीत करूँगा, उनमें से होकर काम करूंगा।” ओह, मेरेखुदा! यही बात है। “मैं काम करूंगा…मैं ही काम करूंगा। वे बस अपने आपको दीनऔर नम्र कर लें। वे बस अपने आपको खाली कर डाले। मैं बस उन में से होकर अपने बैरीको मात दे डालूंगा।” यही वह है। अब आप ऐसा खुद अपने आप नहीं कर सकते हैं; आप बैरी का बिलकुल भी मुकाबला नहीं कर सकते हैं।परन्तु अगर आप सिर्फ परमेश्वर को ही ऐसा करने दें, किवचन ही आप के अंदर आ जाये, तोवही आपका सारा ध्यान रखेगा।। ध्या76अब, परमेश्वरने अपनी सेना की किलाबंदी की। उसने ऐसा किस से किया? खुदअपने से ही; भविष्यद्वक्ताओं, प्रेरितो, शिक्षकों, याजकों के रूप में! उसने क्या किया? परमेश्वर क्या कर रहा था? सुनिए, क्याकभी आपने सोचा था, किकलीसिया की वह क्या कार्यस्थितियाँ हैं? प्रेरित, भविष्यद्वक्ता, भविष्यदर्शी…. यह परमेश्वर की ही पोशाक है; यह एक अन्दरूनी पोशाक है। इससे पहले कि शैतान कुछ करे, उसेपहले से ही देख लिया जाता है और बता दियाजाता है। यह क्या है? परमेश्वरही अपनी कलीसिया को वस्त्र पहनाता है। ये कार्यस्थितियाँ परमेश्वर के ही वस्त्रहैं। जब आप उन कार्यस्थितियों को देखते हो, जबआप पास्टर-याजकों, शिक्षकों, प्रचारकों को देखते हो, तो यह क्या है? यहपरमेश्वर के ही पोशाक-वस्त्र हैं, परमेश्वरकी उपस्थिति है, परमेश्वरका आत्मा है, औरयह मनुष्य में से होकर काम कर रहा होता है।और अगर वही कार्यस्थिति परमेश्वर के किसी भी वचन काइंकार करे, तोयह परमेश्वर की पोशाक-वस्त्र नहीं है। नहीं, वहनहीं है। वह तो भेड़ की खाल में भेड़िया ही है। आप उस व्यक्ति को ध्यान से देखें।आप उस से सावधान रहें। परन्तुजब वह वो ग्रहण करता है जो परमेश्वर का वचन कहता है, तोयाद रखे, कि यह परमेश्वर ही है जो बोल रहा है, क्योंकि परमेश्वर अपना वचन बोल रहा होता है। समझे? परन्तु अगर वह कहता है, “ठीक है, यहवह नहीं है….”ओह, ओह, ओह, ओह, उसे बस जाने दो, भेड़, उसे बस छोड़ दो।77उसने ऐसा किस लिए किया? अब, संसार ने विश्वास नहीं किया, कि वह मनुष्य फिर से जी उठा है। उन्होंने इसकापहली बार में ही विश्वास नहीं किया। उन्होंने तो कह दिया था, “क्यों, क्योंवे…वे तो उसे चुरा ले गये थे। उसके चेले आये और उसे चुरा ले गये।” जी हाँ, उन्होने इसका विश्वास नहीं किया था। उन्होंने इसेदेख लिया था। औरपरमेश्वर बोला, “अब, ज़रा थोड़ा सा ठहरो; मैंखुद ही आ रहा हूँ, औरयह मैं खुद ही होऊँगा। मैं अपने बैरी से अपनी कलीसिया में मुलाकात करने जा रहाहूँ। मैं उसे उसके अपने अखाड़ों . में ही चित कर डालूंगा।”उसने ऐसा एक बार किया था। जी हाँ! क्या आप जानतेहैं, कि उसने क्या किया था? उसने मूसा को लिया और उसने उसे दुश्मन की नाक केठीक नीचे रखा, किदुश्मन ही उसे खिलाये-पिलाये, औरउसका उस तरह से बहुत बढ़िया लालन-पालन करे। वह गया और उसने जाकर दुश्मन को हरायाऔर उसे लाल सागर की तलहटी में डूबा डाला। समझे? यहबिलकुल ठीक बात है। निश्चय ही वह ऐसा ही करता है। इसके बाद यह सोचा जाये, “ओह, वहतो अनन्त परमेश्वर है।” हमें किसी बात की क्यों चिन्ता करनी है? वह तो परमेश्वर है, बसउस पर विश्वास करें और आगे बढ़ते रहें। यकीनन!78अब देखिए! उसने कहा था, किवह करेगा… वह क्या करेगा? वहअपनी कलीसिया में आएगा और वह अपनी कलीसिया में खुद अपनी पहचान करायेगा, पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गयाऔर वे उसके पुनरूत्थान की पहचान उसके कामों के द्वारा करायेंगे। समझे? जी हाँ, यूहन्ना14:12! मैं सोचता हूँ, कियह बिलकुल ठीक है, यहयूहन्ना 14:12 ही है। यीशु ने कहा था, “वह जो मुझ पर विश्वास करता है, ये काम जो मैं करता हूँ, वह भी करेगा।”देखिए, यहक्या है? अब, आपकहते हैं, “मैं विश्वास करता हूँ।” यह तो बस एक बात हीहै। परन्तु अगर आप सचमुच में विश्वास करते हैं, तोयह ऐसा ही होता है। अगर वह वचन है, तोआपको सारे के सारे वचन का ही विश्वास करना होगा। वह जो मेरा सारा का सारा विश्वासकरता है(यह नहीं कि केवल इसका अंश-भाग ही विश्वास करता है, बल्कि मेरे सारे के सारे वचन का विश्वास करता है)तो जो काम मैं करता हूँ, वहभी करेगा“; क्योंकिवह अभी भी ठीक वही वचन है। अतः अगर वह ठीक वही वचन है तो वह ठीक उन्हीं कामों कोकरेगा।अगर यह पवित्र आत्मा जो आज यहाँ पर है, अगर यह ठीक वही वचन नहीं है जो आरम्भ में था…अगरयह वही है, तोयह ठीक उन्हीं कामों को करेगा। यही कारण था, कियीशु ने कहा था, “वहजो मुझ पर विश्वास करता। है, येकाम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा।” ओह, मैंचाहता हूँ, किमैं थोड़ी देर इसी पर ठहरा रहूँ, परन्तुहमें बहुत देरी हो रही है।क्यों? ठीकवही वचन, ठीक वैसे ही काम होते हैं, (समझे?)क्योंकियीशु परमेश्वर के काम था; हमयह जानते हैं।

79मती28 में उसने कहा था,“मैं अपनी सेना के साथ होऊँगा। केवल यही नहीं, वरन मैं अपनी सेना के अंदर जा रहा होऊँगा।”ओह! ज़रा इसके बारे में सोचिए! हमारा महान योद्धा, हमारीमहान विजय, हमारावचन-सेनानायक हमारे अंदर है। वह वचन जो देहधारी हुआ और जिसने हर एक शैतान पर, हर एक बीमारी पर, यहाँतक कि मृत्यु, अधोलोकऔर कब्र पर भी जय पायी, ठीकवही सेनानायक हमारे अंदर है, वहीहमारे साथ है। वह कब तक हमारे साथ है?“जगत के अंत तक”; ठीक आगे तक। ज़रा इसके बारे में सोचिए; वही एक ऐसा है जो हमारी युद्ध में अगुवाई कर रहाहै।दुश्मन की हर एक ताकत को पराजित किया जा चुका है।जब वह यहाँ पृथ्वी पर था; तोउसने वचन लिया, औरउसने उस हर एक चीज पर जय पायी जो शैतान के पास थी ।उसने मृत्यु पर जय पायी थी।उसने अधोलोक पर जय पायी थी। उसने कब्र पर जय पायी थी। वह तीसरे दिन फिर से जी उठाथा, और वह वापस आता है, औरइस समय वही अर्थात् यह महान वचन-योद्धा अपनी कलीसिया में रह रहा है; वह जो महान योद्धा था वह वचन ही था। और ठीक वहीयोद्धा जो वचन है हमारे अंदर है, वहखुद हमारे अंदर रह रहा है, औरअपने पुनरूत्थान और अपने आगमन के हर एक चिन्ह पर पूर्ण विराम लगा रहा है। आमीन! वहऐसा आज इस सांझ के समय में कर रहा है, जबसांझ के महान उजियाले चमकने लगे हैं। हाल्लिलूय्याह! वह महान योद्धा अर्थात् मसीहपहले से ही विजयी हो चुका है। मुझे तो कुछ भी नहीं करना है, मुझे तो सिर्फ उसके पीछे पीछे ही चलना है। आमीन!हर एक ताकत को हराया जा चुका है। (मैं यहाँ पर पवित्र वचन के लेखों का विभिन्नजगहों से हवाला दे रहा हैं) मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है।80मैं उसके बारे में सोचता हूँ….कुछ समय पहले यहजैफरसनविले में एक बार ऐसा हो गया था, कि“दा पैफू ऑयल कम्पनी” में आग लग गई थी। और वहाँ पर आग बुझानेवाले लोगोंका एक छोटा सा झुंड़ “आग बुझाने वाले कुछ छोटे इंजन” लेकर आये; और वे वहाँ पर चारों ओर आ गये और वे ऐसे दिखाई देरहे थे जैसे एक छोटा बच्चा आंगन में अपने हाथ में पाइप लिये खड़ा हो। आप जानते हैं, कि आग बुझानेवालों का मुखिया यहाँ-वहाँ दौड़कर जारहा था, और कह रहा था,“थोड़ा पानी यहाँ पर छिड़को।”(टेप में रिक्तस्थान-सम्पा.) वह सिगार चबाता हुआ ऐसा लग रहा था जैसे टैक्सस का सींग उखड़ा हुआआवारा’ सांड़ होता है। वह यहाँ जाकर कहता, “थोड़ा पानी यहाँ पर छिड़को।” सारे फायरमैन उसपाइप को खींचते हुए चारों ओर दौड़ते और कहते,“जी हाँ, श्रीमान; यॉर होनर, श्रीमान!”(भाईब्रन्हम इसे करके दिखाते हैं-सम्पा.)मगर आग जलती ही चली जा रही थी; वह आग तो जलती ही चली जा रही थी।थोड़ी देर के बाद उन्होंने लुइसविले वाले कोबुलाया। वे पुल पर से एक बहुत बड़ा फायर इंजन लेकर आये। जैसे ही वे रूके उनके पासएक फोल्डिंग सीढ़ी थी। कौन खड़ा हुआ था…इससे पहले कि सीढ़ी ऊपर चढ़ायी जाती उसपरसबसे आगे मुखिया खड़ा हुआ था। जब सीढ़ी ऊपर पहुँची, तोउस पर सबसे ऊपर चीफ अर्थात् मुखिया था। जब वह खिड़की पर पहुँचा, तो वह वहीं पर यह कहने के लिए खड़ा ना रहा, कि “थोड़ा सा पानी यहाँ पर छिड़को; थोड़ा सा पानी वहाँ पर छिड़को।” परन्तु उसनेक्या किया? उसनेएक कुल्हाड़ी ली पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया और उसे खिड़कीमें से अंदर फेंका, औरबोला, “लड़कों, आजाओ…”ठीक ऐसा ही हमारे चीफ ने किया है। हाल्लिलूय्याह! उसने मृत्यु, अधोलोक और कब्र तक अगुवाई की और बोला, “लड़को, आजाओ।” उसने किसी धार्मिक मत-सार पर हमारी अगुवाई नहीं की। ओह, आ जाओ; वहहमारी मार्ग पर अगुवाई करता है। हाल्लिलूय्याह! और कुछ ही मिनटों में आग बुझ गईथी।81होने पाये, किवह आपके धार्मिक मत-सारों की खिड़कियों और दीवारों को तोड़ कर एक बार अंदर आ जाये।सारे अंधविश्वास और सारी दुष्टात्माएं दूर भाग जायेंगी…महिमा होवे! बदलाव आजायेगा। हमें बुद्धि-ज्ञान से भरे बड़े बड़े दानवों की कोई जरूरत नहीं है; हम तो बस उस महान चीफ-मुखिया के पीछे पीछे ही चलतेरहें। वह चीफ ही नीचे आता है और उसने ही परमेश्वर का वचन लिया, और उससे चकनाचूर करके बोला, “ये रहे तुम!”आप जानते हैं, किमुझे जेट विमान के बारे में ऐसा बताया गया है, जबवह अति तीव्रता से जाता है, तोउसके बाद ही वह ध्वनि अवरोधक तक पहुँचता है। और इसके बाद उसे अति प्रचंड़ गति सेचलना होता है और गड़गड़ाहट करनी होती है, जबतक कि वह उस ध्वनि अवरोधक को पार नहीं कर जाता है। और जब वह उस जगह को पार कर जाताहै, तो उसके बाद वह मुक्त रूप से गति करता रहता है।ठीक है, भाई, बिलकुलठीक ऐसा ही यह है। आप हर एक चीज के लिए मर जाये, जबतक कि आप पाप-अवरोधक से पार नहीं हो जाते हैं। वही तो अविश्वास है। आप बस उससे पारहो जाये, और सब कुछ बहुत बढ़िया रीति से गति करेगा।जब आपपरमेश्वर को उस के वचन पर ग्रहण कर लेते हैं, तोआप हर एक दुष्टात्मा को तथा ऐसी ही और दूसरी सारी चीजों को झंझोड़ कर अपने से दूरभगा सकते हैं, औरमुक्त रूप से गति करते रह सकते हैं। आमीन! परमेश्वर के सारे हथियार पहन लो। जी हाँ, श्रीमान! ।82चीफ ही हमारी अगुवाई कर रहा है, वही हमारी घर की ओर अगुवाई कर रहा है। आमीन!“घर आ जाओ। मेरे पिता के घर में बहुत से राजभवन हैं। अगर ऐसा ना होता, तो मैंने तुम से कह दिया होता। मैं तुम्हेंबेआरामअनाथ ना छोडूंगा; मैंफिर से आऊँगा और तुम्हारे संग होऊँगा, यहाँतक कि जगत के अंत तक तुम में होऊँगा। ये काम जो मैं करता हूँ, उन्हें तुम भी करोगे। थोड़ी देर और रह गई है, कि संसार मुझे फिर नहीं देखेगा; पर तुम मुझे देखोगे; क्योंकिमैं तुम्हारे संग होऊँगा; यहाँतक कि जगत के अंत तक तुम्हारे अंदर होऊँगा।” चीफ ही अगुवाई कर रहा है। आमीन!मेरा प्रभु निर्जन प्रदेश में से होकर जाने वालीराह जानता है। वह सब कुछ जो मुझे करना है, वहयह है, कि मैं उसी के पीछे पीछे चलता रहूँ। आमीन! सेना कीखट खट करती हुई विजय-ध्वनि सुनता रहूँ, औरविजय की ओर बढ़ता चला जाऊँ, इनसारे अविश्वासों पर और इन पुराने कौवों और शिकरों के शोरगुल पर जो वे इधर उधर मचारहे हैं, कोई ध्यान ना दें। हम तो उकाब हैं। आइये इन सबसेबाहर उड़े। आमीन83यहाँकुछ समय पहले सेना में…जब राष्ट्र ने पहली बार हैलमेट प्रदान किये थे, तो वह छोटा फौलादी इंसान उसे पहनना नहीं चाहता था; उसे लगता था, यहतो एक अनावश्यक चीज है। परन्तु जब वह युद्ध में गया, तोउसे उसकी जरूरत हुई। परमेश्वर तब तक कुछ भी प्रदान नहीं करता है जब तक कि उसकीजरूरत ही ना हो। हर एक वह चीज जो उसने आपको प्रदान की है, बेहतर है, किआप उसे ले लें, क्योंकिआपको उसकी जरूरत पड़ेगी।वहछोटा फौलादी इंसान जिसने प्रशिक्षण के दौरान अपनी पीठ पर नब्बे पौंड़ का बोझा लादाहुआ है…आप जानते हैं, किवह नई वर्दी पहने हुए होता है; औरतब उसे वह नब्बे पौंड़ वाला बोझ जिसमें ये सारे हथियार हैं, जिसमें हथगोले, औरशाबल (Shovels) तथा ऐसी ही और दूसरीचीजें हैं, लदाकर उठाकर ले जाने में कोई भी खास बात नज़र नहीं आती है। पर एक बार वह जंग में तोचला जाये। एक समय आता है जब आप के पास यह अवश्य ही होना चाहिए। यह सही बात है।84यही कारण है, किसर्व बुद्धि सम्पन्न परमेश्वर ने अपनी सेना को पवित्र आत्मा के बपतिस्मे से लेसकिया। वह जानता था, किइन अंत के दिनों में ये बुद्धि-ज्ञान से भरे हुए दानव उठ खड़े होंगे।हाल्लिलूय्याह! वह जानता था, किवे खड़े होंगे; औरवे अपनी बड़ी बुद्धि, शैतानकी ताकतों के द्वारा व्याख्या करने में सक्षम होंगे। पतरस ने कहा था, कि वे दहाड़ते सिंह के जैसे हैं, कि जिसे चाहे फाड़ खायें। जी हाँ।परन्तु उसने कहा था,“मैं तुम्हें बेआराम नहीं छोडूंगा। मैं फिर से आरहा हूँ। मैं तुम्हारे साथ होऊँगा।” उसने अपनी सेना को पवित्र आत्मा केबपतिस्मे से लेस किया। बोला, “तुमवहाँ ऊपर जाओ, तुममें से हर एक वहाँ ऊपर पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया जाये औरठहरा रहे। (लूका 24:49) देखो, मैं उस प्रतिज्ञा को तुम्हारे ऊपर भेजूंगा जिसकीप्रतिज्ञा मेरे पिता ने की थी; परतुम यरूशलेम नगर में ही ठहरे रहना, जबतक कि तुम स्वर्ग से सामर्थ ना पाओ। जब पवित्र आत्मा तुम पर उतर आयेगा, तो इसके बाद तुम यरूशलेम, यहूदिया, औरसंसार के छोर तक मेरे गवाह होगे।”(प्रेरितों के काम1:8) ।85जब पवित्र आत्मा उतरा और आग उन पर उतरने लगी, तो वे पवित्र आत्मा से भर गये। और वे सारे के सारेएक साथ बाहर सड़कों पर दौड़ कर गये। लोग बोले,“यह सब यहाँ पर क्या हुआ चाहता है? क्यों हम में से हर एक को यही सुनायी देता है, कि ये मेरी ही जन्मभूमि की ही भाषा में बोले रहेहैं?” वे आगे बढ़े और उन विभिन्न भाषाओं का नाम बताया जोवे बोल रहे थे।और दूसरे लोगों ने उनका ठट्टा उड़ाते हुए कहा, “ये तो नई मदिरा के नशे में हैं।”परन्तु पतरस उनके मध्य में उठकर खड़ा हुआ, और बोला,“हे यहूदियों और हे यरूशलेम के सब रहने वालों, यह जान लो, औरकान लगाकर मेरी बातें सुनो। जैसाकि तुम समझ रहे हो, येनशे में नहीं हैं, क्योंकिअभी तो पहर ही दिन चढ़ा है। अभी तो सुबह के नौ ही बजे थे, और सलून अभी तक खुला हुआ नहीं होता। समझे? बोला,”ये तो वह बात है।“ जी हाँ, श्रीमान! बोला,”परन्तु यह वह बात है जो योएल नबी के द्वारा कही गईहै।“ वापस वचन की ओर ही फेरा जा रहा था। और उसने इसे काटा, और उसने इसे कोने कोने से काटा। आमीन!86और उन प्रचीनों के ह्रदय छिद गये, और वे बोले,“पुरूषों और भाइयों, हमक्या कर सकते हैं?वहबोला, “तुम में से हर एक मन फिराये, और अपने अपने पापों की । क्षमा के लिए यीशु मसीहके नाम से बपतिस्मा ले, औरतुम पवित्र आत्मा का । दान पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी संतानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिए भी है जिनकोप्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।”जी हाँ, श्रीमान! यही तो नमूना(पेटर्न) है-यही तो करने केलिए यीशु मसीह ने कहा था। आप ज़रा एक बार इसका पालन तो करें और देखें, कि यह सही है या नहीं। आमीन! जी हाँ, श्रीमान, मुझेयह बात अच्छी लगती है, क्योंकियह एक प्रतिज्ञा है।87पुरानेनियम में जब मन्ना बरसता था….जब पहली बार मन्ना गिरा था, तो परमेश्वर ने उन्हें बताया था, कि वे बाहर जाकर कटोरे भर मन्ना कटोरे में भर करपवित्र अति पवित्र स्थान में रख दे। अगर वे उसी गिरने वाले मन्ने को बचा कर रखनेकी कोशिश करते थे, तोउसमें छोटे छोटे कीड़े, छोटेछोटे कीटपतंगे, कीड़े-मकोड़े(wiggle-tails) पड़ जाते थे। आप जानतेहैं, कि ये छोटे छोटे कीड़े-मकोड़े क्या होते हैं, दक्षिण में हम उन्हें यही कहते हैं। आप जानते हैं, कि वे हौद में तथा ऐसी ही सभी चीजों में पड़ जातेहैं, और…और वे छोटे छोटे कीड़े ही होते हैं।यही हैवह जो बहुत से लोगों के अनुभव के मामले में हुआ है। उसमें कीड़े-मकोड़े पड़ गयेहैं; वे उसी को थाम कर रखने की कोशिश कर रहे हैं जोउनके पास दो साल पहले था। आइये अब हम इसे फिर से सुधार डालें।वह मन्ना जो हर रात गिरता था, वह मसीह था। देखिए, आपबीते कल के अनुभव को थाम कर रख नहीं सकते हैं। आपको तो ठीक इस समय एक और अनुभवहासिल करना होता है। समझे? यहसच है, आपको आज के लिए अनुभव हासिल करना होता है। परन्तुवहाँ पर ऐसा था, किउस में से कुछ पवित्र अति पवित्र स्थान में रख दिया गया था, और वही विद्यमान रहा। था। उसने कहा था, “तेरे बाद जितनी भी पीढ़ी आयेगी, और जब वे याजकपद पर एक याजक बने, तो वे उस मूल मन्ने में से जो सबसे पहले दिन गिराथा, एक टुकड़ा लेकर खा सकते हैं।” समझे? ।88देखिए, अबपतरस ने बिलकुल ठीक ऐसी ही बात कही थी। वह..वे बोले…वह बोला, “ये वह बात है; येवह बात है।” वह बोला, “अब, तुम सब प्रायश्चित करो, और अपने अपने पापों की क्षमा के लिए यीशु मसीह केनाम से बपतिस्मा लो, तोतुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे, क्योंकियह प्रतिज्ञा तुम…(अब हम शाही याजक हैं)…और तुम्हारी संतानों, और दूर दूर के उन सब लोगों के लिए है जिन्हेंप्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।”हर कोई इसी से…इसी मूलमंत्र से होकर आएगा…ऊपर आओ औरसचमुच में प्रायश्चित करो, औरबपतिस्मा लो; परमेश्वरकी ओर दृष्टि लगाये रखो; वहतुम्हें मुँह भर नहीं, वरनहृदय भर देगा। वह आपको कोई ऐसी-वैसी चीज नहीं देगा, वहआपको संवेदना-भावुकता, याकोई मनोवैज्ञानिक चीज नहीं देगा, परन्तुवह तो आपको असली पवित्र आत्मा देगा, आपकोवही मूल पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया पवित्र आत्मा देगा जोपिन्तेकुस्त के दिन उतरा था; जीहाँ; वह तो आपको सिर्फ ठीक वही चीज देगा,

अगर आप उस नुसखे का पालन करते हैं।जैसा कि दवा देने के मामले में आज बहुत सेडॉक्टर…क्या हो अगर आप किसी औषधि-विक्रेता के पास जाये, और वह नुसखे को ठीक ठीक वैसे ना भरे जैसा डॉक्टरने लिखकर दिया है। क्या आप जानते हैं, किक्या होगा? वहआपको जान से मार देगा। यही कारण है, किआज आपके पास मरी हुई कलीसिया के बहुतेरे सदस्य हैं। महिमा होवे! भाई, आप उस नुसखे के साथ छेड़खानी ना करें। यह तो वहनुसखा है जो डॉक्टर ने लिखा है। इसे बिलकुल ठीक वैसा ही लें जैसा वह है। उसके साथयही सारा का सारा काम करना है। बहुत सारे नकली औषधि-विक्रेता है। जी हाँ, श्रीमान! ।89वह जानता था, किउसकी फौज़ को क्या चाहिए। यही कारण है, किउसने उन्हें पवित्र आत्मा से लैस किया। वे जानते थे, किउन्हें करना होगा…उसे उन्हें इसी से लैस करना होगा…उनके पास वह होना होगा। जीहाँ, श्रीमान! वह जानता था, ताकि वे उसके पुनरूत्थान के गवाह…प्रभावकारीगवाह हो, उनके पास पवित्र आत्मा होना ही चाहिए।अब, उसनेमरकुस 16 में कहा था,“तुम सारे जगत में जाओ और सुसमाचार का प्रचारकरो।(दूसरे शब्दों में सामर्थ का साक्षात् प्रकटीकरण करो) और ये चिन्ह उनके होंगेजिन्होंने सुसमाचार ग्रहण किया है।” समझे? उनकेनहीं जिन्होंने सिर्फ बुद्धि-ज्ञान से भरी हुई बातें ग्रहण की हैं। नहीं, जी नहीं! वे वैसा बुद्धि-ज्ञान से भरी हुई बातोंके द्वारा नहीं कर सकते थे। उस वचन को तो देहधारी होकर साक्षात् प्रकट होना होताहै। समझे? “ये चिन्ह उनके होंगे जो विश्वास करते हैं-वे मेरेनाम से दुष्टात्माओं को बाहर निकालेंगे, नईनई भाषाएँ बोलेंगे, सांपोंको उठा लेंगे, नाशकवस्तु पी जायेंगे, बीमारोंपर हाथ रखेंगे और बीमार चंगे हो जायेंगे।” यही तो पवित्र आत्मा की सामर्थ काप्रकटीकरण, वचनका साक्षत् प्रकटीकरण है। “ये बातें जो मैं तुम्हें बता रहा। हूँ, घटित होंगी….ये वचन का जीवंत होने जैसा ही होताहै। तुम्हारे पास तुम्हारे भीतर पवित्र आत्मा होता है। ये तुम नहीं होते हो, ये तो पवित्र आत्मा ही है। जो काम कर रहा होता है।समझे?90अब देखिए, जिससेआप परमेश्वर के प्रभावकारी गवाह हो, आपकेपास अवश्य ही पवित्र आत्मा हो, क्योंकिबिना पवित्र आत्मा के आप उसे जीवंत नहीं बना सकते हैं। और आप जानते हैं, कि ऐसा ना हो, तोआप क्या करेंगे? आपइसके बारे में बुद्धि-ज्ञान से भरे हुए किसी दानव के विचार ही ग्रहण कर लेंगे औरइसे छोड़कर आगे बढ़ जायेंगे, और कहेंगे, “यह तो सिर्फ प्रेरितों के लिए ही था।”ओह, लगभग सभी जगह है लोग जलते रहते हैंजिनके मन उस आगसे उतरीजो पिन्तकुस्त के दिन पर कियाउसी ने उन्हें पाक-साफओह, वही आग जल रही है मेरे मन में सारीमहिमा उसी के नाम को पहुँचे!मैं खुश हूँ, कि मैं कह सकता हूँ, मैं उन में से एक हैं।(क्या आप उसके लिए खुश नहीं हैं?)चाहेये लोग अन पढ़-कूबढ़ होया दुनिया के यश से भरे हुए ना होउन सभों ने अपना पिन्तेकुस्त पायाउन्होंने यीशु के नाम से बपतिस्मा पायाबता रहे हैं लोगों को दूर और पास हैउसकी सामर्थ एक समान मैं खुश हूँ,मैं कह सकता हूँ। मैं उन में से एक हैं।91ओह, मैंइस बात के लिए खुश हैं। जी हाँ, श्रीमान!जी हाँ, श्रीमान! इन सांझ के उजियालों को साक्षात् प्रकटकरने के लिए अवश्य ही आपके पास पवित्र आत्मा हो। यह सच है। मरकुस—इब्रानियों 13:8, कि यीशु मसीह कल, आजऔर युगानुयुग एक सा है, कोहकीकत बनाने के लिए आप के पास यह हो। यह सच बात है। परमेश्वर के सारे हथियार पहनलो। आप इसे सिर्फ एक पोशाक के रूप में या सिर्फ परेड में आगे-पीछे चलने के लिएइस्तेमाल ना करें। परन्तु यह है क्या? परमेश्वरके सारे हथियार पहन लें, औरअतः जब आप परमेश्वर के हथियार पहन लेते हैं, तोआप विश्वास से परमेश्वर की तलवार ले सकते हैं, औरकिसी भी उस प्रतिज्ञा से होकर जो परमेश्वर ने की है, काटकर अपना मार्ग बना सकते हैं। पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गयाअगर बीमारी आपके मार्ग में खड़ी हो जाती है, तो उसे काट कर अपने मार्ग से हटा डाले; परमेश्वर की प्रतिज्ञा में से होकर अपना मार्ग बनाडालें। अगर पाप आपकी राह में खड़ा होता है, तोउसे काटकर अपने मार्ग से बाहर कर दे। यह सच है। सम्पूर्ण हथियार….अगर शैतान आपकेऊपर बर्थी फेंक कर मारता है, तोउसपर वार करके उसे गिरा डालो और बस काटते रहो। यह सच है। “मसीही सिपाही आगेबढ़े चले जाते हैं….क्रूस यीशु का लिये हुए आगे बढ़े चले जाते हैं।”हाल्लिलूय्याह!मैं खुश हूँ, किमैं कह सकता हूँ,मैं उन में से एक हैं, मैंउन में से एक हैं।उन में से एक हैं, उनमें से एक हैं।मैं खुश हूँ मैं कह सकता हूँमैं उन में से एक हैं, मैं उन में से एक हैं.वे ऊपर को ठरी में जमा थे ।वे सब के सब उसके नाम मेंदुआ कर रहे थे उन्होंने पवित्र आत्मा का बपतिस्मा था पायासेवा करने का बल था उन्होंने पाया ।जो किया थाउसने उनके लिएउस दिन करेगा वही वह हमारे लिए इस दिन मैं खुश हूँ,कि मैं कह सकता हूँ, मैंउन में से एक हैं,मैं उन में से एक हैं। उन में से एक हैं,उनमें से एक हैं। मैं खुश हूँ,मैं कह सकता हूँ मैं उन में से एक हूँ, मैं उन में से एक हैं।92एक दिन मैमफिस में….मैं सोचता हूँ, किआप मुझे इसे बताते हुए सुन । चुके हैं। यह बात बस मेरे दिमाग में कौंधी है। मैं उसछोटे से गीत को गाते हुए चला आ रहा था। हवाई जहाज रूक चुका था। उससे एक रात पहलेही तूफान आया था। और मैं डेलेस, टैक्ससआ रहा था, और यह मैमफिस में ही रूक गया था। तूफान की वजह सेइसे उतरना पड़ा था। उन्होंने मुझे एक बड़े होटल में ठहराया था, और उन्होंने मुझे बताया था, कि वे मुझे कल सुबह सात बजे बुलायेंगे। और मैंअपनी कुछ चिट्टियों को डाकपेटी में डालने के लिए तड़के लगभग पाँच बजे ही चले जारहा था। मुझे बहुत ज्यादा नींद नहीं आयी थी। और मार्ग में पवित्र आत्मा ने कहा था, “मुडो और वापस उस ओर जाओ।”मैं थोड़ा सा आगे चलकर गया, वहाँ पर एक दुकान में कुछ रीलें तथा बंदूकें रखीहुई थीं, और वहाँ पर एक हट्टा-कट्टा आइरिश सिपाही खड़ा हुआथा। मैं उन रीलों के पास तक चलकर गया, औरमैं उन्हें ऊपर से नीचे तक देख रहा था; मैंनेसोचा, “वह मेरी तरफ खूब आँखे गड़ाये देख रहा है।”मैंने कहा, “प्रभु, क्या ये आप ही थे जो बोले थे?” क्या आप विश्वास नहीं करते हैं, कि परमेश्वर के पुत्र परमेश्वर के आत्मा के चलायेचलते हैं? बोला,“मुड़ो और वापस दूसरी राह पर जाओ।” मैं बसचलता चला गया और वापस लौट गया। और मैं पार निकल गया, मैंदक्षिणी मैमफिस में जा पहुँचा, मैंउस जगह के बीच आ पहुँचा जहाँ पर अश्वेत लोग रहते हैं। और मैं वहाँ से होकर चलताचला जा रहा था, मैंनेसोचा, “ओह, मैं…”मैंने अपनी घड़ी पर दृष्टि डाली; यहतो हवाई जहाज के जाने का समय हो गया है। कोई चीज मुझ से कहती रही, “आगे चलता चला जा।” आप जानते हैं, कि सूरज काफी चढ़ चुका था।93मैं वहाँ से होकर चलता चला जा रहा था, और मैंने सीधे ही दृष्टि डाली, और बाहर एक छोटे से गेट पर लटकी हुई सी थी….औरवहाँ पर एक खास किस्म की अश्वेत बहन खड़ी हुई थी, वहजमैका वाली इन आंटी में से एक के जैसी लगती थी, उसकेमोटे मोटे गाल लटके हुए से थे; औरआँसू उस के गालों पर से बह रहे थे। वह बोली,“पारसन (पास्टर), गुडमोर्निग!”मैंने कहा, “गुड मोर्निग!” मैंने कहा, “आंटी, आपकैसे जानती हैं, किमैं एक पारसन हूँ?” अब, वहाँ दक्षिणी में वे प्रचारक को यही कहते हैं।मैंने कहा, “आपकैसे जानती हैं, किमैं एक पारसन हूँ।”वहबोली, “आह, मैंजानती थी, कि तुम हो।” बोली, “सिर्फ एक ही चीज है जिसकी कमी रही है।” बोली, “तुम्हें ग्रे रंग का सूट पहने हुए और सिर पर इसतरफ करके हैट लगाये हुए होना था।” बोली,“पर वह ब्रीफकेस कहाँ पर है जो तुम्हारे पास था ?” मैं बस उसे रख आया था।मैंने कहा, “मैं उसे होटल में ही छोड़ आया हूँ।”वह बोली,“मैं जानती थी, कितुम आ रहे हो।”मैंने कहा, “मेरा नाम ब्रन्हम है। क्या आप जानती थी?”बोली,“जी नहीं, श्रीमान; पारसन ब्रन्हम, मैंआपको नहीं जानती हूँ।” वह बोली,“मगर क्या आपने कभी उस सूनेमी स्त्री के बारे मेंसुना है जो बाइबिल में है?”मैंने कहा, “जी हाँ!”वह बोली,“आप जानते हैं, उसका…उसकाएक बच्चा था। वह उस बालक को पाने के लिए काफी बूढ़ी थी, और तौभी उसने उसे पाया था।” और वह बोली, कि “वह भविष्यद्वक्ता एलिय्याह ही गया था, और उसने ही उस स्त्री को उस बालक के बारे मेंबताया था, क्योंकि वह इस भविष्यद्वक्ता के प्रति भलीथी।”मैंने कहा, “जीहाँ, आंटी, मैंइस कहानी को बहुत अच्छी तरह जानता हूँ।”94वह बोली,“ठीक है, मैंउसी तरह की स्त्री हूँ।” और वह बोली,“मैंने खुदावंद से दुआ की थी, मैंने और मेरे पति से खुदावंद से दुआ की थी, कि वह हमें एक बालक दे दे। मैंने कहा था, कि मैं उसका वैसे ही लालन-पालन करूंगी जैसे उसनेकिया था।”और बोली, “खुदाने हमें एक बहुत अच्छा लड़का दिया।” और बोली,“पर मेरे लड़के ने गलत राह पकड़ ली; वह पापियों तथा ऐसे ही और दूसरे लोगों के बीच मेंपड़ गया, और पाप की राह पर चल पड़ा।” और बोली, “वह वहाँ पर लेटा हुआ मर रहा है। उसे गुप्त अंगोंसे सम्बन्धित भंयकर बीमारी लग गई। वह वहाँ पर पड़ा हुआ मर रहा है।” और बोली, “हम इसे नहीं जानते थे; हम जो यहाँ पर मसीही हैं इसे नहीं जानते थे।”और बोली, और यह बीमारी उसे इतने ज्यादा समय रही, कि वह सिफलिस(उपदंश रोग) में बदल गई है।“ औरबोली, ”वह…वह मर रहा है।“और बोली,“डॉक्टर आया था और उसने तो कह दिया, कि वे उसके लिए कुछ भी नहीं कर सकते हैं। उसका खूनफॉर-प्लस था, औरउन्होंने उसे सेलवर्सन, 606, औरमरकरी तथा सब कुछ दिया; परन्तुइस सब ने कुछ भी भला नहीं किया। और यह…यह बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ गई—इसने इसकेदिल का भक्षण करके उसमें छेद कर दिये हैं।” और बोली, “वह मर रहा है, औरमैं सहन नहीं कर सकती हूँ, पारसन, मैं अपने बच्चे को मरते हुए देख नहीं सकतीहूँ।”95बोली, “उसका पिता इस सुबह काम पर निकल गया। और बोली, ”सारी रात भर मैं ऊपर थी, और मैं प्रार्थना करती रही। मैं बोली, “प्रभु परमेश्वर, आपतो ठीक वही खुदा हैं जो पूर्व समय में एलिय्याह के दिनों में थे। और मैंने कहा, अब, मैं…मैं…एकवैसी ही स्त्री हैं जैसी वह थी और आप ने ही यहाँ पर मुझे मेरा यह बच्चादिया।” और बोली, “और प्रभु, उसने गलत राह पकड़ ली। परन्तु मैंने तो तख्तियोंको हटाया….और आपकी सेवा करने की ही कोशिश की है, औरमैं आपकी कलीसिया में गई और मैंने आपके पारसनों की बात पर कान लगाया।” औरबोली, “मैंने..मैंने कोशिश की और मैंने वह सब किया जो मुझसे करने के लिए कहा गया था।” वह बोली,“मैं अपने बच्चे को इस तरह से मरते हुए देखना नहींचाहती हूँ। वह बोली, ”अगर..और मैंने कहा, प्रभु, मैं क्या कर सकती हूँ।“और बोली,“मैं सो गई, औरमैंने स्वप्न में आपको सड़क पर चलकर आते हुए देखा। और जब मैं जागी, तो उसने मुझ से कहा, ‘वहाँबाहर जा और फाटक के पास खड़ी हो जा।”और अभी भी उसकी पीठ गीली ही थी। उसने अपने सिर पर पुरूषों वाली कमीज़ बांधी हुई थी। और जैसाकि मैंने वहाँ पर नीचेदृष्टि डाली, मैंनेउसे देखा और मैंने सोचा, “ओह, मेरे खुदा! |वह बोली, “क्या आप अंदर नहीं आयेंगे?”96ओह, मेरे खुदा! मैंने उस पुराने गेट को पीछे की ओरखोला—उस पर एक पुराने मोटे डंडे पर कुछ वजन लटका हुआ था जो गेट को सहारा देने केलिए होता है। आप जानते हैं, किवे क्या होते हैं। और इसके बाद हम अंदर गये। आप जानते हैं, कि मैं राजाओं-महाराजाओं के महलों में जा चुका हूँ, परन्तु कभी भी मेरा उससे ज्यादा स्वागत् नहीं हुआजितना कि उस सुबह उस गरीब अश्वेत स्त्री के घर में मेरा स्वागत् हुआ था; उस कमरे का एक छोटा सा पुराना सा फर्श था, और एक कोने में एक पुराना छोटा सा लोहे का पलंगपड़ा हुआ था। परन्तु उस पलंग पर एक विशालकाय बड़ा सा, बढ़िया सा दिखाई देनेवाला लड़का लेटा हुआ था। वहएक सौ नब्बे पौंड़ वज़नी सा दिखाई पड़ने वाला एक हट्टा-कट्टा, मज़बूत लड़का था। और उसने अपने हाथ में चादर पकड़ीहुई थी, या उसने कोई छोटा सा चिथड़ा ओढा हुआ था, और वह कह रहा था,“हू, हू, हू!”मैंनेकहा “गुड, मोर्निग, श्रीमान!”वह बोली,“ओह, पारसन, तीन दिन से या चार दिन से उसकी सुधबुध खोयी हुईहै।” बोली, “वह…वहसोचता है, कि…वह..वह बाहर किसी समुद्र में या किसी बहुतबड़ी जगह में है।” बोली, “वहइसके बारे में बोलता है, किवह अंधेरे में हैं; औरवह नाव में है, औरवह वापस लौटने का अपना मार्ग ढूंढ़ नहीं सकता है।” और बोली, “यही है वह जिससे मेरा दिल टूट जाता है। काश मैंसिर्फ यह सुन सकें, किवह बच गया है।”मैंने कहा, “आंटी, मैं बीमारों के लिए प्रार्थना करता हूँ।”97उसकी इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह तो यहीदेखना चाहती थी, किवह लड़का बच गया है। वह तो सिर्फ यही देखना चाहती थी, कि वह लड़का बच गया है। वह जानती थी, कि वह तब उसे उस दूसरे छोर पर फिर से देखेगी। वहबोली, “अब, इसने गलत राह पकड़ ली थी। क्या आप उस के लिए प्रार्थना नहीं करेंगे?”मैंने कहा,“ठीक है, आइयेहम प्रार्थना करें। मैंने कहा, ”ठीकहै, आइये हम दुआ करें।“अतः हम घुटने हो गये, और मैं बोला,“आंटी, पहलेआप प्रार्थना करें ।” ओह, मेरेखुदा! जब वह प्यारी बुजुर्ग संत प्रार्थना करती चली जाती थी, तो आप…उसके लिए यह कोई नई बात नहीं थी। वह तोपरमेश्वर से वैसे ही बातें करती थी जैसे उसने उससे पहले बातें की थीं। जी हाँ, उसने ऐसे ही किया था। मैंने महसूस किया, मानो ठंड़ी सुरसुराहट मेरे अंदर चारों ओर दौड़ गईहो। मैंने सोचा, “हेपरमेश्वर, आपने कैसे कभी मेरी यहाँ नीचे उस तरह अगुवाई की?” मैंने सोचा,“हे परमेश्वर, आपतो बड़े ही अद्भुत हैं।”मैंतो बस उसे देखता ही रह गया, औरमैं ऊपर उठा और मैंने उस पर दृष्टि डाली। और आँसू उसकी आँखों से बह रहे थे। वहबोली, “प्रभु, येरही मैं। मैंने प्रार्थना की और आप ने मुझे एक स्वप्न दिखाया, और कहा था, कियह पारसन आ रहा है। और मैं ठीक यहीं पर इन्तज़ार करती रही।” मेरा विश्वास ।है, कि परमेश्वर रेखा के दोनों छोर पर ही काम करताहै-वह दोनों तरफ ही काम करता है। वह…बोली,“प्रभु, काशमैं अपने बच्चे को सिर्फ ये कहते हुए सुन सकें, किमैं बच गया हूँ, औरयह बिलकुल ठीक हो जाएगा।” और वह प्रार्थना करती रही, औरउसके बाद उसने प्रार्थना करनी बंद की और बोली, आमीन!“वह बोली, ”पारसन, क्याआप प्रार्थना करेंगे?“मैंनेकहा, “जी हाँ, मैम, बहन!” मैंने अपने हाथ उस लड़के के पाँव पररखे, वे ठंड़े पड़े हुए थे।98वह ऊपर उठी और उसने अपने गालों पर से आँसूओं को उसतरह से पोंछा। उस ने उस लड़के के गाल पर चुम्बन किया। उसे इससे कोई मतलब नहीं था, कि वह गिरी हुई हालत में था, वह तो बोली,“माँ का बच्चा है।”अब देखिए, वह…वह…उसे इससे कोई मतलब नहीं था, कि वह क्या था, वहतो अभी भी उसका बच्चा ही था। समझे? इससेकोई मतलब नहीं है…देखिए, ऐसीही बात होती है।

आप माँ की मोहब्बत के बारे में सोचते हैं। अब, परन्तु परमेश्वर ने कहा था, “एक माँ अपने बच्चे को भूल सकती है, पर मैं तुम्हें नहीं भूल सकता हूँ।” समझे? “मैंने तुम्हारे नाम अपने हाथों की हथेली पर खोदेहुए हैं।” वह आप से प्रेम करता है, आपचिन्ता ना करें। अगर आप उसके वचन ग्रहण कर रहे हैं, तोआप ऐसा करते रहें।वहपीछे को घुटने हो गई। और मैंने अपने हाथ उस लड़के के पाँव पर रखे। वह कहता ही जारहा था, “ओह, ओह, यह पर अंधेरा है। ओह, यहाँ पर अंधेरा है। ओह, मामा!”मैं बोला, “क्या आप उससे बात नहीं कर सकती है?”बोली,“नहीं, वहनहीं जानता है, किवह कहाँ पर है। उसे ऐसी ही हालत में रहते हुए कई दिन हो गये हैं।”99मैंने कहा,“हे स्वर्गीय पिता, मैंनहीं समझता हूँ, किक्यों वह हवाई जहाज नीचे उतर कर आया। अब, मुझेबहुत देरी हो रही है। मैं उसे पकड़ नहीं पाऊँगा। और आप ही मुझे यहाँ पर इस राह परनीचे लेकर आये हैं। और यह बहन यहाँ बाहर खड़ी हुई थी, वह इस छोटे नम्र घर के गेट पर खड़ी हुई। थी। मैंतो यहाँ पर सिर्फ आया…मैं नहीं जानता हूँ, किमैं यहाँ पर क्यों हूँ, प्रभु, मैं तो बस आपकी बात मानकर चलता रहा…”वहबोला, “ओह मामा! ओह, मामा!”|और मैंने कहा….मैंने थोड़ा सा कान लगाकर सुना, वह बोली,“हाँ, मेरेप्यारे बच्चे।” पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया |बोला,“मामा, कमरेमें रोशनी होती चली जा रही है।”कुछ समय बाद…एक साल के बाद मैं फीनिक्स से गुज़र रहाथा। मैं रेलगाड़ी से आया। आप जानते ही हैं जो सैंडविच तथा वे छोटी-मोटीभोजनवस्तुएँ जो रेलगाड़ी में मिलती हैं वे कैसे होती हैं। अतः हम मैमफिस में हीउतर गये थे और मैंने कूद कर अपने एक बड़े लिफाफे भर हैमबर्गर ले लिये थे जो तब तकचल जाये जब तक कि मैं फीनिक्स के आसपास ना पहुँच जाऊँ । और अतः हमें वहीं पर उसदिन और उस रात रहना था। और आप जानते हैं, किवहाँ पर मुझे वे लगभग पन्द्रह सेन्ट में एक पीस के हिसाब से मिल सकते थे। और जबकिमैं अपना लिफाफा भर हैमबर्गर लेने के लिए चला जाता था…और मैं उन्हें अपने लिएलेने के लिए गया…मैं ऐसे बड़ी तेज़ी से दौड़ कर गया। और मैंने किसी को यह कहतेसुना, “हैलो, पारसन ब्रन्हम!”मैंने ठीक उस तरफ दृष्टि डाली और वहाँ पर एक लाल टोपी लगाये हुए एकलड़का था। मैंने कहा, “हैलो।भाई, आप कैसे हैं?”हमारी ऐसी ही बातचीत सी चलती रही। |वह बोला,“जरा एक मिनट रूकिए; क्या आप मुझे नहीं जानते हैं?”और मैंने कहा, “नहीं, भाई, मैं नहीं सोचता हूँ, किमैं आपको जानता हूँ।”वहबोला, “आपको याद होगा, एकबार आप मेरे घर पर आये थे, औरमेरी माँ वहाँ पर गेट पर खड़ी हुई इन्तज़ार कर रही थी, या ऐसा ही कुछ कर रही थी?” |मैंने कहा, “तुम तो वह लड़के नहीं हो ?”वह बोला, “जी हाँ, मैंवही हूँ। मैं… मैं नहीं….मैं भला-चंगा हो गया था। डॉक्टर ने मेरी जाँच करके कहदिया था, कि मैं भला-चंगा हो गया हूँ।” और बोला, “ना केवल वही हुआ, वरनअब मैं बच भी गया हूँ।”100यह क्या है? मित्रों, कान लगाओ। परमेश्वर दोनों तरफ से ही काम करता है। ठीक वह परमेश्वर जो उस सूनैमी स्त्रीसे बात कर सकता था, ठीकवही परमेश्वर उस स्त्री से जो कुंए पर थी,बोलासकता था,“जा, अपनेपति को बुला ला।” वैसे ही यह भी एक स्त्री ही थी जो उसका वस्त्र छू सकती थी, ताकि उन लोगों की भीड़ में उसे पीछे के ओर मोड़ दे; वह ठीक वही परमेश्वर है।मैं आपको कोई बात दिखा दें। मैं… मैंने ध्यानदिया है, कि वहाँ पीछे कुछ अश्वेत भाई बैठे हुए हैं, मैं सोचता हूँ यहाँ पर दो-तीन अश्वेत भाई बैठे।हुए हैं। अब मैं इसे ना ही कहूँ। समझे?…परन्तु देखिए, परमेश्वरकी कोई भी दया… (राजा-महाराजाओं और सम्राटों-बादशाहों पर नहीं), वरन एक गरीब अनपढ़ अश्वेत स्त्री पर हुई जो वहाँपर एक छोटे से झोपड़ीनुमा घर में रह रही थी, यहपरमेश्वर का ही अनुग्रह था जो उस हवाई जहाज को वहाँ पर नीचे थामे रहा….और सुनिए, जबमैं उस घर को छोड़कर बाहर निकला, तोमैंने वापस जानने के लिए एक टैक्सी पकड़ी। मुझे लगभग ढाई घन्टे की देरी हो गयी थी।और मैंने कहा था, “गाड़ीदौड़ाकर मुझे टैक्सी स्टेन्ड़ ले चलो। नहीं टैक्सी…टैक्सी स्टेन्ड़ नहीं, पर मुझे हवाई अड्डे ले चलो।” मैंने कहा, “मुझे हवाई जहाज पकड़ना है जब मैं पकड़ सकताहूँ।” अब, यहवह समय था, जबविश्व-युद्ध होकर खत्म ही हुआ था, औरतब आप बामुश्किल भी हवाई जहाज नहीं पकड़ सकते। थे। जब मैं चलकर अंदर गया, तो उद्घोषणा हो रही थी, “लुइसविले, कन्टैकीजानेवाले यात्रियों के लिए यह लास्ट कॉल है।”101यह क्या था? उसस्त्री के जो शायद अपनी ए. बी. सी. तक भी ना जानती हो, विश्वास की खातिर परमेश्वर ने ऐसा किया हो…फिरभी वह अपनी ए. बी. सी.-हमेशा मसीह पर विश्वास करो (Always Believe Christ), जानती थी। समझे? उसस्त्री के लिए जो कि गरीब अनपढ़-कूबढ़ स्त्री थी, ऐसाथा, कि वह मुश्किल ही जानती थी, कि अगला भोजन कहाँ से आएगा। परन्तु परमेश्वर केप्रति जो उसकी सत्यनिष्ठा थी, औरजो उसने प्रेम किया था, ऐसाथा, कि उसने उस हवाई जहाज को जमीन पर उतरवा दिया था; और उस जहाज को तब तक रोके रखा जब तक कि उस लड़केके लिए विश्वास की प्रार्थना ना हो गई थी; औरवही एक पुरूष को लेकर ऐसा चला सकती थी, किमैं जहाज में नहीं जा सकता था; परमेश्वरका आत्मा ही आपको वापस फेर देता है। इससे कोई मतलब नहीं है, कि आप कितना….आप कैसे जाने का यत्न करते हैं; वह आपको वापस मोड़ देता है। भाई, आप परमेश्वर को अपने अंदर ले लें और फिर आप किसीदूसरी राह पर चल नहीं सकते हैं; कोईचीज होती है जो आपको वापस फेर देती है। उस बात के लिए उसने ही उस हवाई जहाज को वहाँपर रोके रखा था…ठीक वही परमेश्वर आज रात्रि यहाँ इस भवन पहाड़ी पर दिया गया वहउपदेश जिसे भूला दिया गया में है। क्या आप इसका विश्वास करते हैं? परमेश्वरके सारे हथियारों को पहन लें। क्या आप उस पर विश्वास करते हैं?ओह, मैंयीशु से कैसे प्रेम करता हूँ।ओह, मैंयीशु से कैसे प्रेम करता हूँ।ओह, मैंयीशु से कैसे प्रेम करता हूँक्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम किया।यहाँ पर कितने ऐसे लोग हैं जो मसीही हैं, आप अपने हाथों को ऊपर उठायें। इसके बाद यह कहेंमैं उसे कभी ना तजूंगामैं उसे कभी ना तजूंगामैं उसे कभी ना तजूंगाक्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम किया102सांझ के समय में उजियाला होगा; यीशु मसीह कल, आजऔर युगानुयुग एक सा है। दुल्हन रूपी वृक्ष पिन्तेकुस्त के दिन बढ़ना शुरू हुआ। यहीवह वृक्ष है जिसे दाऊद ने देखा था। यही वह वृक्ष है जो नदी के जलों के किनारेलगाया गया, एकही नदी अर्थात् पवित्र आत्मा; येसारे जल उसके अंदर बहते चले आ रहे हैं, सारेवरदान, आत्मिक वरदान उसके अंदर बहते चले आ रहे हैं। इसकेपत्ते मुरझा नहीं सकते। स्मरण रखिए, वहअपने ही मौसम में फले-फूलेगा। वह सिद्ध वृक्ष अर्थात् मसीह आया। और जब वह आया, तो क्या हुआ था? उन्होंनेउसे काट कर गिरा दिया था और उसे लटका दिया था…(शायद मैं यहाँ पर किसी बात से चूकजाऊँ….यहाँ पर मैंने कोई काम किया था। भाई बेन, मैंसोचता हूँ, किठीक यहाँ पर मैंने इसे किया था)…उन्होंने उसे काट डाला था, उन्होंनेउसे रोमन वृक्ष पर टांग दिया था। परन्तु वह फिर से जी उठा था। यह सच है। वह आजयहाँ पर है। यह सही बात है। जब वह यहाँ पृथ्वी पर था, तो वह खड़ा हुआ और उसने भीड़ पर दृष्टि डाली। एकदिन एक छोटी स्त्री उसके पास से होकर गुजरी, जबकिवह लोगों की भीड़ में से होकर चला जाता था। वे कहते थे, उस दिन के दाशर्निक और…और याजक-पुरोहित कहते थे, “वह तो दिमाग पढ़ने की कला में माहिर है। वह तोबालजबूल है, वहतो भावी बतानेहारा है।” वे अभी भी रहती हैं, वहआत्मा अभी भी रहती है। लेकिन परमेश्वर का आत्मा भी अभी भी रहता है।

समझे? वह दुल्हन के लिए आ रहा है। उस ने कहा था, “ये काम जो मैं करता हूँ, उन्हें तुम भी करोगे।”103कितने लोग यहाँ पर ऐसे हैं जो बीमार हैं और मुझेनहीं जानते हैं; औरआप यह जानते हैं, किमैं आपके बारे में कुछ नहीं जानता हूँ? आपअपने हाथ ऊपर उठाए। सभी जगह चारों ओर हाथ ऊपर उठे हुए हैं, बस सभी जगह हाथ ऊपर उठे हुए हैं। अगर यह किसी उसव्यक्ति के पास आती है जो जैफरसनविले से है, याकोई और ऐसा है जिसे मैं जानता हूँ, तोवह इसे भूल जाए; इससेअलग हो जाए। अपना हाथ ऊपर उठाएं और कहें,“नहीं!” अलग हो जाएं।मेरे पास नहीं है….मैं बस उसकी उपस्थिति अनुभव करता हूँ। मैं जानता हूँ वह यहाँ परहै। सुनिए! यीशु ने कहा था, “जैसासदोम के दिनों में हुआ था, वैसाही मनुष्य के पुत्र के आने के समय होगा। समझे? यहक्या था? एक ऐसा ही समय जैसा यह सदोम में था। आप उसदूषितपने (दोगलेपने) पर दृष्टि करें जैसाकि यह सदोम में था, आप सदोम के पाप पर दृष्टि करें। इस देश पर दृष्टिकरें। और दूसरे देशों पर दृष्टि करें।कुछ समय पहले मैं यहीं पर लॉस ऐंज्लस में एक अखबार पढ़रहा था। इस सदोमी हालत में पिछले साल की अपेक्षा चालीस प्रतिशत की वृद्धि हुई है।क्यों? स्त्रियों ने अपने आपको इतना ज्यादा उघड़ा हुआ पेशकिया है, और ऐसे ही कामों को किया है, कि पुरूषों का कुदरती स्रोत ही बदल गया है— वेसदोमी हो चले हैं। जैसा सदोम के दिनों में था…देखिएगा! लूत जो कि एक धर्मी जन था, जब वो और उसका परिवार वहाँ पर था, तो वह उस शहर का मेयर बन जाता है, या वह उस शहर के फाटक में बैठता था, और वह एक न्यायी था, वहएक बड़ा ही बौद्धिक जन था। परन्तु हर दिन उसका प्राण पापों के कारण खेदित होता था।104एक दिन अंत से ठीक पहले अब्राहम को, चुनी हुई कलीसिया को बाहर बुलाया गया था। वहकलीसिया सदोम में नहीं गई थी; वहतो सदोम से बाहर ही थी। अब, आपदेखिए, कि हमेशा ही तीन तरह के लोग रहे हैं। लोगों केमध्य में हमेशा ही एक ऐसा वर्ग रहा है जो विश्वासी होता है, और जो ढोंगी पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसेभूला दिया गया विश्वासीहोता है, और जो अविश्वासी होता है। ये क्रमशः अब्राहम, लूत और सदोमी थे। अब देखिए, हर एक के पास एक सन्देश था। तीन दूत अब्राहम केपास अर्थात् चुनी हुई कलीसिया के पास आये थे। उन में से दो सदोम चले गये थे औरउन्होंने लूत को और उसकी पत्नी और उसकी पुत्रियों को बाहर निकाला था। वह पीछेमुड़ी थी। सदोमियों को जलाया गया था।उन में से दो…एक आधुनिक बिली ग्राहम और एक ऑरल रोबटर्सअपने सन्देश सदोम में लेकर गये, औरवे वहाँ पर वचन का प्रचार कर रहे थे, वेउन्हें वचन से अंधा किये चले जा रहे थे। जब आप वचन पर अविश्वास करते हैं, तो आप अंधे हो जाते हैं। सुसमाचार का प्रचारअविश्वासियों को अंधा कर डालता है। और बिलकुल ठीक यही है वह जो बिली ग्राहम तथा वेबड़े बड़े प्रचारक कर रहे हैं। अंधा कर रहे हैं!105परन्तु एक था जो अब्राहम के पास ही, चुने हुए के पास ही रूक गया। था। उसने अब्राहम कोएक चिन्ह दिया था। आप याद रखें, उससेएक या दो दिन पहले तक वह अब्राम था; औरसारा (Sarah) सारै (S-a-r-r-a)थी। परन्तु अब वह अ-ब्रा-ह-म (A-b-r-a-h-a-m) औरसा-रा (S-a-r-a-h) थे। समझे? अतः यह वाला जो वहाँ पर बैठा हुआ था, उस वक्ता ने कहा,“अब्राहम, तेरीपत्नी सारा, अर्थात्राजकुमारी कहाँ पर है?”बोला, “वह तम्बू के अंदर है।” और वह तम्बू स्वर्गदूतके पीछे था।वहबोला, “अब्राहम!” अब आप याद रखें, तब सारा नब्बे बरस की थी और अब्राहम एक सौ बरसका…निन्नाड़वें बरस का था। वह बोला,“मैं तुझ से भेंट करूंगा।(यहाँ पर यह”मैं“ एक व्यक्तिवाचक सर्वनाम है) मैं जीवन के समय के अनुसार तुझ सेभेंट करने जा रहा हूँ, मैंउस वायदे को पूरा करने जा रहा हूँ जो मैंने तुझ से किया है। दूसरे शब्दों में यहहै, कि सारा इस बालक को जन्म देने जा रही है।और वह अपने तम्बू के भीतर हंसी। देखिए, वह बूढ़ी थी। वह बोली, क्या मुझे अपने स्वामी से यह सुख प्राप्त हो सकताहै?…अब्राहम उसका पति था। और वह बोली, “वह तो काफी बूढ़ा है।” क्यों, वह तो…वे…हो सकता है, कि वे बीस सालों से पति और पत्नी के जैसा ना रहरहे हों। समझे? वेतो उतने वृद्ध थे, वेउस समय को पार कर चुके थे। बोली, “क्यामुझे?” और वह हंसी।और जो स्वर्गदूत अपनी पीठ किये हुए बैठा था, बोला,“सारा क्यों हंसी?”इसके बारे में क्या है? क्यावह दिमाग को पढ़नेवाली कला थी? बोला, सारा क्यों हंसी?“सारा दौड़कर बाहर आयी और बोली, “मैं तो नहीं हंसी…क्योंकि वह डर गई थी।वह बोला, “तू हंसी तो थी।”106वह ठीक वहीं पर ढेर हो गई होती, अगर अब्राहम जो कि उसका पति था, उसके खातिर ऐसा न किया गया होता। वह अब्राहम काभाग थी। और कलीसिया ठीक इस समय अपने अविश्वास के कारण नाश हो गई होती, अगर वह मसीह का भाग ना होती। ऐसा किया नहीं जासकता है। वह अब्राहम क वजह से सारा का खातमा नहीं कर सकता था। वह मसीह की वजह सेकलीसिया का खातमा नहीं कर सकता है। लोहू अभी भी वहाँ पर है(समझे? यह सही बात है।)..वह उसका भाग है।107अब ध्यान दीजिए। यीशु…और देखिए, अब्राहम ने इस पुरूष को क्या कहकर पुकारा था।लूत..या बहुत…उन दूतों ने लूत की बाहर निकलने में अगुवाई की। दृष्टि डालिए!अब्राहम इस स्वर्गदूत को दंडवत करने के लिए बाहर गया,और उसने उसे एलोहीम (Elohim) कहकर पुकारा। यह क्या था? उस पुरूष ने बछड़े का मांस खाया, एक मेमने या बछडे का मांस खाया। और उसने दूध पियाऔर रोटी खायी…शायद उसने मक्का की रोटी खायी, होसकता है, कि वे मोटे आटे की बनी रोटी हों जिन्हें अंगीठीमें सेका गया हो। परन्तु सारा ने उन्हें बनाया था। और उसने रोटी खायीं, गाय का दूध पिया, औरगाये के बछड़े का मांस खाया (यह सही बात है)…और वह वहाँ पर खड़ा हुआ था। अब्राहमने…और अब्राहम ने उसे एलोहीम कहा था। उसे जान जाना चाहिए था…अब्राहम एक ऐसा थाजिसने उससे बातें की थी। देखिए, क्यायह सही बात नहीं है। वह एलोहीम था, वहप्र-भु था, वहअंग्रेजी के बड़े अक्षर वाला (L-o-f-d) था; वह ठीक वैसा ही था जैसा वह आरम्भ में था।यह क्या था? यीशुने कहा था, “जैसालूत के दिनों में था, वैसाही मनुष्य के पुत्र के आने के समय होगा।” एलोहीम, अर्थात् वचन जो आरम्भ में था मानव देह में ठीकवैसे ही प्रकट होगा जैसा वो वहाँ पर था। हाल्लिलूय्याह! यह एलोहीम होगा, यह मैं था, नहीं, मैं हूँ होगा। समझे? पहाड़ीपर दिया गया वह उपदेश जिसे भूला दिया गया108ठीक वही आज रात्रि यहाँ पर ठीक वैसे ही है। क्या आप इसकाविश्वास करते हैं? क्याआप सचमुच में इसका विश्वास करते हैं? अगरइस भवन में कोई ऐसा है जिसे मैं नहीं जानता हैं, मगरयदि पवित्र आत्मा ही ऐसा करता है, किअगर आप बस…कितने लोग इस बात का विश्वास करते हैं, जिसस्त्री ने यीशु मसीह को छूआ था, उसनेयीशु को शारीरिक तौर पर नहीं छूआ था, उसनेतो यीशु को विश्वास से ही छूआ था? समझे? वह क्या था? निश्चयही, उसने उसका वस्त्र छूआ था। अंधे बरतिमाई के मामलेमें ठीक ऐसा ही है। समझे? उसस्त्री के विश्वास ने यीशु को रोक दिया था। और अब, अगरप्रभु ने चाहा, तोमैं इस जगह से जाने से पहले इस पर प्रचार करना चाहता हूँ, तब यीशु निश्चल खड़ा हो गया।109यह बड़ा सा अंगरखा, पलिशतीनियोंवाला अंगरखा….वह भीड़ में से होकर ज़ोर लगाती रही, यहछोटी कमजोर स्त्री ज़ोर लगाती रही, औरउसने उसका अंगरखा छू लिया। वह कहती थी,“अगर मैं ऐसा कर सकी…” और वे सब कह रहे थे,“रब्बी!” (नबी, धोखेबाज़, इससे ज्यादा जो । कुछ भी वे कह सकते थे, वे उसे कह रहे थे)… और यह एक मिली-जुली भीड़ थीजिसमें लोग ऐसा कह रहे थे।अतःवह वहाँ पर आगे बढ़ा चले जा रहा था, औरवह रुका और बोला, किसनेमुझे छूआ है?किसनेमुझे छूआ है?“ बोला, ”किसी ने मुझे छूआ है।“कहा,“ओह, हरकोई तुझे छू रहा है।” पतरस ने उसे छिड़क कर कहा, तुझ जैसा गुणसम्पन्न व्यक्ति ऐसा कहता है, किसने मुझे छूआ है?“बोला,“परन्तु मुझे ज्ञात होता है, कि मैं क्षीण हो गया हूँ।” सामर्थ उस में सेनिकल कर गई थी। और उसने भीड़ पर दृष्टि डाली और उसने उस छोटी स्त्री को ढूंढ़ निकालाथा, और उसने उससे कहा था, “तेरे विश्वास ने तुझे बचा लिया है।”110अब देखिए, बाइबिलइब्रानियों की पुस्तक में कहती है, कि“यीशु मसीह ठीक इस समय वह महायाजक है..(क्या यह सही है?) जिसे हम अपनी दुर्बलताओं की भावनाओं सहित छू सकतेहैं। क्या यह सही है? वहएक ऐसा महायाजक है जिसे हम अपनी दुर्बलताओं की भावनाओं सहित छू सकते। हैं….और वहआज किस तरह काम करेगा, अगरवह कल, आज, औरयुगानुयुग एक सा है?अगरवह ठीक एक सा रहनेवाला महायाजक है, तोवह ठीक एक सा काम करेगा। बाइबिल कहती है, किवह एक सा है। क्या आप इसका विश्वास करते हैं? ठीकहै, तब तो आप उसका वचन नज़रादांज करके आगे नहीं बढ़सकते हैं। वचन ही ऐसा बतलाता है।अब, क्याहमारे पास है…क्या आपके पास उसे छूने के लिए पर्याप्त विश्वास है? अगर आप उसे छू सकते हैं, तो मैं खुद अपने को उसे पूरी तरह से अर्पित करदूंगा, और होने पाये वह मेरा उपयोग करे, और आपका उपयोग करे, ताकिबाकी सभा के पास भी विश्वास हो जाये। यह एक चुनौती है, क्या यह चुनौती नहीं है? क्या आप इसका विश्वास करते हैं? क्या आप इसका विश्वास करते हैं? क्या यह आप…..क्या यह आपके विश्वास को इतनीमजबूती प्रदान करेगा, किआप एलोहीम को देख ले, मुझेनहीं, खुद अपने को नहीं, वरनउसी को देख ले? यहक्या है? वचन! यह क्या है? सुरक्षा, हथियारों का ज़खीरा, परमेश्वरका हथियार, परमेश्वरका वचन जो मानव देह में, आपकीदेह में, मेरी देह में प्रकट हुआ है, ताकि लोग परमेश्वर के कामों को देखें। आमीन! मैंइसका विश्वास करता हूँ।111हेस्वर्गीय पिता, होसकता है, मैंने गलत किया हो। हो सकता हो, मैंने गलत ललकारा हो। प्रभु, अगर मैंने ऐसा किया है, तो आप मुझे क्षमा करें। मेरा ऐसा करने का तात्पर्यनहीं था। परन्तु मुझे ऐसा प्रतीत होता है, किऐसा करने के लिए कोई चीज ने मेरी अगुवाई करती है। और अगर पिता, आप ने ही ऐसा किया है, जिसके लिए सुनिश्चित हैं, कि यह ठीक ऐसा ही है, तो आप खुद अपने को प्रकट करेताकि लोग यह जान जायें, कि ये बातें जो मैंने बोली हैं, वे सत्य हैं; वेआपका ही वचन है; हालांकिमैं पढ़ा-लिखा भी नहीं हैं। पिता, यहप्रदान कीजिए।( एक भविष्यवाणी की जाती है-सम्पा.) आमीन! क्या आप ने उस पर कान लगाया?याद रखिए, जब…एकबार सेना आगे बढ़ती चली आ रही थी, औरपरमेश्वर का आत्मा एक मनुष्य पर उतरा, औरउसे बताया कि कैसे…कैसे वहाँ नीचे जाना है और मार्ग में कैसे तैयारी कर लेनी है, और वे उस सेना को कैसे परास्त कर देंगे। औरउन्होंने ऐसा ही किया था। मेरा मानना है, कियह दाऊद ही था जो बोल रहा था? याक्या यह उन में से कोई एक था? औरआत्मा उन पुरूषों में से एक पर उतरा और उन्हें बताया, कि किस तरह से बच निकलना है। सुनिए, उसने क्या कहा था….“मुझे ढूँढ़ो।” वहवचन है। आप वचन के संग ही टिके रहें। वचन इसकी पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसेभूला दिया गया प्रतिज्ञा करता है। अब, मैंक्या करने की चेष्टा कर रहा हूँ? परमेश्वरको उसके वचन पर लेने की112अब, मैं नहीं….आप लोग जो यहाँ पर हैं मैं आप में सेकुछ को जानता हैं, मगरआप प्रार्थना करते रहें।

अगर यह आप लोगों में से किसी उस व्यक्ति पर आ जाता हैजिसे मैं जानता हूँ…वे लोग जो जैफरसनविले से यहाँ पर हैं, जो आपपास के हैं जिन्हें मैं जानता हूँ, वे मेहरबानी करके ऐसी प्रार्थना ना करें। बस इसबार जाने दें। ऐसा किसी उस व्यक्ति के साथ हो जिसे मैं नहीं जानता हूँ। देखिए, आप बस मेरे लिए दुआ करते रहें। मुझे आपकीप्रार्थना की जरूरतजरा एक मिनट, वह जल्दीही आ जाता है। आप भक्तिभाव के साथ बैठे रहें। यहाँ पर ठीक मेरे दांयी ओर एक महिलाबैठी हुई है, जिसने रूमाल पकड़ कर अपने मुँह पर रखा हुआ है। मैं सोचता हूँ, कि हम एकदूसरे के लिए अजनबी है। मैं आपको नहीं जानता हूँ। वही आपको जानता है। यह बिलकुलठीक बात है। यहाँ पर एक महिला है जिसे मैं नहीं जानता हूँ, वह ।परमेश्वर के सम्पर्क में आयी है। अब, वह मुझे नहीं जानती है, और मैंउसे नहीं जानता हूँ। परन्तु पवित्र आत्मा ही हम दोनों को जानता है। आप किसी चीज केलिए दुआ कर रही थी। अगर पवित्र आत्मा ही मुझ पर यह प्रकट कर देता है, कि आप किसबात के लिए दुआ कर रही थी, जैसे उसने उस स्त्री के साथ किया था जिसे लोहू बहने का रोग था, तो क्याआप विश्वास करेंगी, कि आप आज़ाद हो जायेंगी? समझे?यह एक आत्मिकसमस्या है जो आपको परेशान कर रही है। क्या यह सच नहीं है? अगर यह सचहै, तो आपअपना हाथ ऊपर उठायें? यह समस्या आपको आगे से फिर कभी परेशान नहीं करेगी। क्या आपविश्वास करती है, कि परमेश्वर जानता है, कि आप कौन है। क्या वह आपकी मदद करेगा? माइल्डरेडरोज़, आपपरमेश्वर पर भरोसा रखें। देखिए, आप बस प्रतीति करें। यहाँ तक कि आप यहाँ की भी रहनेवाली नहींहै। आप दक्षिणी कैरोलिना से आयी हैं। यह सच है। आप सन्देह न करें, बसविश्वास करती रहें। समझे?113ठीक उसके पीछे जो महिला बैठी हुई है, पवित्रआत्मा ने उसे छूआ है। वह भी मेरे लिए अजनबी है। परन्तु परमेश्वर ही हम दोनों कोजानता है। आप मुसीबत में हैं; उस महिला के ऊपर एक काली छाया है। मैं उस महिला को नहीं जानताहूँ; वह मेरेलिए एक अजनबी है। उससे जो अगली महिला है, उसने अपने हाथों को इस तरह से ऊपर उठायाहुआ है; परन्तु जीहाँ, क्या आपविश्वास करती है, कि परमेश्वर मुझ पर प्रकट कर सकता है, कि आपकीक्या परेशानी है? क्या आप पर मुझ पर विश्वास करेगी, कि मैंउसका नबी या उसका दास-सेवक हूँ?क्या आप करेगी? आपकी परेशानी तन्त्रिका से सम्बन्धितरोग (Nervous condition) है। यह सच है। अगर यह सच है, तो आप अपना हाथऊपर उठायें। अब यह आपको और ज्यादा तकलीफ नहीं देगा। आपके विश्वास ने ही आपको बचालिया है। आप इसी प्रांत की रहनेवाली है। आप उस जगह से है जो फेयेटेविले कहलाती है।यह सच है। क्या आप मुझपर विश्वास करती हैं, कि मैं उसका भविष्यद्वक्ता हूँ? श्रीममतीहैरीसन, तब तो आपअपने घर जा सकती हैं और भली-चंगी हो सकती हैं। क्या आप विश्वास करती हैं?114ठीक यहाँ पर दांयी ओर एक महिला बैठी हुई है जो मुझे देख रहीहै। मैं इस महिला के लिए अपरिचत हूँ। बहन, क्या आप मेरे लिए एक अपरिचित हैं? बिलकुलठीक है। क्या आप मुझ पर परमेश्वर के नबी या परमेश्वर के दास-सेवक के रूप मेंविश्वास करती हैं? क्या आप इसका विश्वास करती हैं? अगर परमेश्वर मुझपर यह प्रकट कर देगा, कि आपकी क्या तकलीफ है, तो क्या आप अपने सारे दिल से विश्वासकरेंगी? आपके संगबहुत सी गड़बड़ियाँ हैं। आपको किसी एक बात के लिए तो उच्च रक्तचाप (high blood pressure) है। आपको किसी दूसरी बात के लिए दिल की तकलीफ है। और किसी औरबात के लिए आपको लगभग पूरी तरह से नाड़ी रोग है। और आप पवित्र आत्मा का बपतिस्मापाने के लिए प्रार्थना कर रही हैं। यह सच है। अगर यह सच है, तो आपअपना रूमाल ऊपर उठायें। क्या आप विश्वास करती हैं, कि परमेश्वर आपकोजानता है? श्रीमान, यह बिलकुलठीक बात है। श्रीमती जैकसन, बिलकुल ठीक है, आप घर जाइये और भली-चंगी होइए।115क्या आप इसका विश्वास करते हैं? यहाँ पर एक छोटीमहिला बैठी हुई रोती हुई परमेश्वर की दुहाई दे रही है। वह कुछ भरी-भरकम सी है, उसने अपनेबाल कुछ ऐसे से बनाये हुए हैं, और वह सफेद पोशाक पहने हुए बैठी हुई है। यह सच है। वह महिलाजो वहाँ पर है, मैं आपके लिए एक अजनबी हूँ। मैं आपको नहीं जानता हूँ।परमेश्वर ही आपको जानता है। क्या आप मुझ पर उसके नबी या उसके दास-सेवक के रूप मेंविश्वास करती हैं? क्या आप अपने सम्पूर्ण पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेश जिसे भूलादिया गया ह्रदय से विश्वास करती हैं? आप भली चंगी हो कर वापस चार्लोटी जानाचाहती हैं? जी हाँ! क्या ऐसा ही है, श्रीमती हाइन्स? और आप एकबच्चा चाहा रही हैं, क्या आप नहीं चाहा रही हैं? आप इसका अपनेसम्पूर्ण हृदय से विश्वास करें, आपको अपना बच्चा मिल सकता है। यह बिलकुल ठीक बात है।क्या आपअपने सम्पूर्ण हृदय से विश्वास करती हैं? कितने हैं जो विश्वास करते हैं?उन में से एक हैं, उन में सेएक हैंमैं खुश हूँ, मैं कह सकता हूँ, मैं उन में से एक हैं, मैं उनमें से एक हैं।116क्या आप इस कारण खुश हैं? ओह, मेरे खुदा! यह क्या है? पवित्रआत्मा! यह यहाँ पर आपके साथ है। ऐसा फिर से है। आइये—आइये हम बस विश्वास करें। आपएक दूसरे के हाथ पकड़े। आप हाथ पकड़े, एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित करें, एक दूसरेके हाथ पकड़े; आप बस ऐसा करके यह जान जायेंगे, कि पवित्र आत्मायहाँ पर है।अब सुनिए, मित्रों, यहाँ पर कोई भी ऐसा इंसान नहीं है, जिसके पासयह आत्मिक समझ ना हो, जो यह ना जानता हो, कि यह छोटी सी अजीब सी अनुभूति है जो आपमें से होकर जा रही है। यह है क्या? यह परमेश्वर का वचन है। यह परमेश्वर हीहै जो आत्मा के रूप में है, यह वचन ही है, यह वचन ही है जिससे परमेश्वर आपकी किलाबंदी कर रहा है। समझे?अब आप अविश्वास ना करें। विश्वास करें।117मैंने देखा है, कि अभी हाल ही में वहाँ पीछे एक पुरूषगद्दू की तकलीफ से भला-चंगा हुआ है। भाई, परमेश्वर आपको आशीष दे। ऐसा सभीजगह….वो महिला, उस मधुमेह के बारे में भूल जाये। आप घर जायें, आप भलीचंगी हो गई हैं। ऐसा इस भवन में सभी जगह हो रहा है। क्या आप विश्वास करते हैं?अब, बाइबिल में कहा गया है…कान लगाकर सुनिएं। ठीक वही बाइबिल इसबात की प्रतिज्ञा करती है, “ये काम जो मैं करता हूँ उन्हें तुम भी करोगे।” ऐसे हीकाम तो उसने किये थे। ठीक है, ठीक वही बाइबिल ऐसा कहती है, यदि वे….जोविश्वास करते हैं उनके ये चिन्ह होंगे, वे अपने हाथ रखेंगे….“आप सबविश्वासी हैं। आपने एक दूसरे पर अपने हाथ रखे हुए हैं। और बाइबिल कहती है, ”यदि वे अपने हाथ बीमारों पर रखेंगे, तो वेचंगे हो जायेंगे।118स्वर्गीय पिता, हम जानते हैं, कि शैतानहारा हुआ है। हमारा प्रधान सेनानायक, यीशु मसीह यहाँ पर मौजूद हैं। यहाँ परउसके वचन की पहचान करायी गई है। उसकी पवित्र आत्मा की उपस्थिति के द्वारा पहचानकरायी गई है। यह पवित्र आत्मा जो हम में काम कर रहा है ठीक वही पवित्र आत्मा है।जो हमारे पास पिन्तेकुस्त वाली आग को नीचे लेकर आया, जो पिन्तेकुस्तवाली जीभों को हमारे पास लेकर आया, जो हमारे पास पिन्तेकुस्त वाले अनुवादको लेकर आया, उसी ने ही कलीसिया में प्ररितों को, भविष्यद्वक्ताओंको, शिक्षकोंको, प्रचारकोंको ठहराया। और यहाँ इस बड़ी कनवैन्शन में ऐसा ही हो रहा है जहाँ शिक्षक हैं, प्रचारकहैं और सब जगह वरदान काम कर रहे हैं…प्रभु, हम आपको देखतेहैं। हम जानते हैं, कि हम अंत समय में हैं, और लोगों को सामर्थ की जरूरत है। शैतानउन पर हमला बोल रहा है। और मैं ठीक इस समय उनके हाथों में, उन केह्रदयों में परमेश्वर का वचन दे रहा हूँ। हम इवसी वचन से शैतान को हराते हैं।शैतान, यीशु मसीहके नाम में इन लोगों में से बाहर निकल आ। हे परमेश्वर, लोगों केहाथों पर दृष्टि कीजिए; उनके विश्वास पर दृष्टि कीजिए। शैतान तू हारा हुआ है। यीशु केनाम में उन्हें छोड़कर चला जा। बाहर निकल आ। मैं तुझे जीविते परमेश्वर के जरियेललकार कर कहता हूँ।मैं उससे प्रेम करता हूँ, मैं उससे प्रेम करता हूँ।क्योंकि उसनेमुझ से पहले प्रेम किया,(क्या आप इसका विश्वास करते हैं? क्या आप विश्वासकरते हैं, कि वह आपसे प्रेम करता है? आप अपने हाथों को ऊपर उठायें, अगर आप…)….और खरीद लिया मेरा उद्धारकलवरी क्रूस पर ।मैं उससे प्रेम करता हूँ मैं उससेप्रेम करता हूँ (ओह, उसकी स्तुति बढ़ाई करो)क्योंकि उसने मुझ से पहले प्रेम किया औरखरीद लिया मेरा उद्धारकलवरी क्रूस पर पहाड़ी पर दिया गया वह उपदेशजिसे भूलादिया गया कर सकता हूँ मैंविश्वास, करूँगा मैं विश्वास करता हूँ मैंविश्वास,(शैतान, दूर हो)कर सकता हूँ मैं विश्वास करूंगा मैं विश्वास,करता हूँ मैं विश्वास करता हैयीशु मुझे अभी भला-चंगा।119किसी और दिन एक भाई ने बताया, कि उसने एकस्वप्न देखा है। उसने उस पुराने छोटे शैतान को बाहर खड़े हुए देखा था। और वह छोटाशैतान ऊपर-नीचे कूद-फाँद रहा था। वह बोला, “बूहू!” और वह भाई पीछे को कूद गया।हर बार जब भी वह भाई कूद कर पीछे को हटता, तो वह थोड़ा छोटा होता चला जाता था, और वहशैतान थोड़ा सा बड़ा होता चला जाता था। और हर बार शैतान “बुहू” करकेज़ोर से चिल्लाता और यह भाई कूद कर पीछे को हो जाता है, और शैतानहर बार और बड़ा होता चला जाता । वह भाई जानता था, कि उसे उससेलड़ना है।अतः उसने सोचा, “मुझे कोई कुर्सी या कोई और चीज ढूंढलेनी चाहिए।” और उसे एक बाइबिल मिल गई। और जब शैतान बूहू करके चिल्लाता, तो वह भी“बूहू” करके शैतान पर चिल्ला पड़ता था, और शैतान ।

थोड़ासा छोटा हो गया। और वह “बूह, बूह, बूह” करके शैतान पर चिल्लाता रहा, और उसनेशैतान को चित कर डाला। यही है वह जो ऐसा करता है;120यह परमेश्वर का वचन ही है जो ऐसा करताहै। जब शैतान “बूहू” करके चिल्लाये, तो आप भी उस पर “बूहू” करकेचिल्लाये। जब वह कहे, “तुम तो बीमार ही हो, तो आप कहें, ”यह लिखा है, उसके कोड़े खाने से मैं चंगा हो गया था।“ आमीन! महिमाहोवे! मुझे धार्मिकता की अनुभूति हो रही है। अभी तो आधी रात भी नहीं हुई है, और मुझेअभी भी धार्मिकता की अनुभति हो रही है। आमीन!मैं उन में से एक हैं,मैं उनमें से एक हैं।मैं खुश हूँ, कि मैं उन में से एक हैं।मैं उन में से एक हैं, मैं उनमें से एक हैं।मैं खुश हूँ, कि मैं उन में से एक हैं।

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