छावनी के बाहर निकल जाना
जैफरसनविले, इन्डियाना, यू. एस. ए
64-0719E
1आइये, हम बस एक क्षण के लिए खड़े रहें। प्रिय परमेश्वर, हम परमेश्वर के घर में खड़े होने और जीवते परमेश्वर की आराधना करने के इस एक और सौभाग्यके लिए आपके अति आभारी हैं। हम अत्याधिक आभारी हैं, कि अभी तक हमारे देश में इसका सौभाग्य प्राप्त है।
प्रभु, और अब हम इन सत्यानिष्ठ लोगों के लिए भी धन्यवादित हैं, जो कई मील से आये हैं, उनमें से कुछ तो सैकड़ों मील से आये हैं। और उनमें से कुछ तो आज रात्रि ही वापस अपने मार्ग पर राजमार्गों से होते हुए – राजमार्गों को पार करते हुए जायेंगे। परमेश्वर, मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप उनके साथ होंगे और उनकी सहायता करेंगे।
हे पिता, आप उनका मार्ग दर्शन करें।हम बारिश की इस हल्की सी बौंछार के लिए जिसने वातावरण को हमारे लिए अस्थायी रूप से ठंडा किया है, आपके धन्यवादित ९ पता, हम प्रार्थना करते हैं कि आप आज रात्रि हम से अपने वचन में हो होकर भेंट करेंगे, क्योंकि प्रभु हम इसीलिए ही तो यहाँ पर एक हैं, कि आप हम से वचन में से होकर भेट करें। प्रभु हमारी सहायता कीजिए, कि हमारा यह एकत्र होना आपके राज्य के लिए अत्य लाभकारी हो, और यह हमारी इतनी अधिक सहायता करे, कि हम ढसरों की सहायता कर सकें।
आप इन बातों को प्रदान करें, क्योंकि हम यह ‘यीशु’ के नाम में होकर माँगते हैं। आमीन। कृपया, आप बैठ जायें।2मैंने अभी हाल ही में कुछ व्यक्तिगत साक्षात्कार लिये। और इससे पहले कि सभा आरम्भ होती, बिली ने मुझे उनका इतना अधिक बोझ दिया, कि मैं यह मुश्किल से ही जानता था, कि उन्हें कहाँ से आरम्भ करें। परन्तु हम प्रार्थना कर रहे हैं, कि परमेश्वर आपके शाम की सभा में रुकने के प्रयास को आशीषित करे।अब देखिए; यदि परमेश्वर ने चाहा, तो अगले रविवार की प्रात: मैं यहाँ पर फिर से एक सभा कर रहा होऊँगा। मैंने अभी हाल ही मैं पास्टर से बात की है, और उनके लिए यह ठीक है।
3और, अब, मैं चाहता हूँ, कि काश मेरे पास समय होता कि मैं यहाँ पर उपस्थित अपने प्रत्येक भले मित्र को पहचानता; मगर मैं जानता हूँ कि आप प्रतीक्षा कर रहे हैं। यहाँ गम है। और मैं बस उस समय को छोड़ते हुए बस यही कहूँगा : “परमेश्वर, आपको आशीष दे।”आप जानते हैं, कि मैं नहीं जानता हूँ कि कोई मुझसे ”परमेश्वर, आपको आशीष दे” के अतिरिक्त कोई और महान बात कहने के लि कहे। समझे? यदि वह ऐसा ही करता है, तो बस यही है वह जिसका मुझे आवश्यकता है। मैं सोचता हूँ, कि किसी भी बोली में महानतम् शब्द यही है, कि “परमेश्वर, आपको आशीष दे।” और अब…मैं जान हूँ कि वह ऐसा करता है।
4और जैसा कि कुछ देर पहले ही मैं अपनी पत्नी से कह रहा था; मैं नहाने का यत्न कर रहा था, और मैं सूख नहीं पा रहा था। मैं पसीने पसीने हो गया था, और मैं फिर से गीला हो गया था। मैं पसीने पसीने हो गया था, और मैं अपनी कमीज़ तक पहन नहीं सकता था। और ट्यूसान में वातावरण में थोड़ी सी भिन्नता है। वहाँ पर इससे लगभग दुगनी गर्मी है, लेकिन वहाँ आपको पसीने नहीं आते हैं। वहाँ पर वायु में कोई आढ़ता नहीं है, अत: ज्यों ही आप बाहर निकलते हैं यह सूख जाता है। आप वहाँ पर पानी से भरी कड़ाही रख दें और वह उड़ जाता है। वहाँ पर आपको पसीने नहीं आ सकते हैं, क्योंकि इससे पहले कि आपको पसीने आ सकें यह उसे अलग कर देती है। वहाँ पर आप पसीने तो ठीक से ही लेते हैं, लेकिन आप इसे कदापि नहीं देखते हैं। अत: …यहाँ पर मैं पसीना सुखाने में काफ़ी अधिक समय ले रहा था…और ठीक इस समस मैं इसे आवशोषित कर रहा हूँ।मैं वहाँ पिछले कक्ष में था, और वहाँ पर सात या आठ लोग आपतकालीन स्थिति में थे, और हमें उन्हें तुरन्त ही देखना था।5अब देखिए, जिस कारण मैं ….आप यहाँ के हैं और मैंने आपसे यहाँ आने के लिए कहा है, यह है : क्योंकि मैं अनुभव करता हूँ, कि यह हमारे लिए लाभकारी है। मित्रों, यदि ऐसा न होता, तो मैंने यह न किया होता। मैं आपके विषय में बहुत अधिक सोचता हूँ, कि आप यह करें कि आप बस किसी को सुनने के लिए आयें या आप उसे सुने जो मुझे कहना है या किसी बात को सुनें। यदि ऐसा करना ठीक नहीं होता, तो मैंने ऐसा नहीं किया होता। बस इस प्रकार आने के लिए, मैं आपको अपना प्रेम नहीं दिखाऊँगा।
1और मेरा यह विश्वास नहीं है, कि आप इसीलिए आये हैं, यद्यपि मैं जानता हूँ कि आप मुझसे वैसे ही प्रेम करते हैं जैसे मैं आप से प्रेम करता हूँ…और अतः मैं-मैं ऐसा ही जानता हूँ; अन्यथा आप वे काम नहीं करते जो आप करते हैं। सो मैं आपके विषय में काफी सोचता हूँ, कि मैंने आपको ऐसी धूप और ऐसी ही चीजों में बैठाया होता, यदि मैं यह न सोचता कि यह आपके लिए कुछ सहायक होगा।6फिर यह है कि इससे पहले कि मैं यहाँ पर आऊँ, मैंने परमेश्वर के सम्मुख सदैव ही कोई छोटी सी बात; या किसी बात पर कोई वचन का लेख लेने का यथासम्भव प्रयत्न किया है, और उसका मार्ग दर्शन माँगा है और इससे पहले कि मैं चलू मैं अन्तिम शब्द कहता हूँ, “प्रभु, परमेश्वर, सहायता कीजिए। और कैसे भी हो आप उन प्रिय लोगों को वह सब दीजिए जो आप दे सकते हैं।”
और मैं आशा करता हूँ और विश्वास करता हूँ, कि मैं सदा आपके साथ रहूँगा। मैं विश्वास करता हूँ कि जबकि हम एक साथ इस प्रकार खड़े होते हैं, तो यह तो सर्वाधिक कम समय है। लेकिन हम अनन्तता में एक साथ होंगे। समझे? मैं इसका विश्वास करता हूँ। मैं यह विश्वास करता हूँ। और मैं आपकी सहायता करना चाहता हूँ।
और मैं …यदि मैं कोई गलत बात कहता हूँ, तो स्वर्गीय पिता जानता है कि मैं वह जान बूझकर नहीं कहता हूँ, वरन ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि मैं उसे नहीं जानता हूँ, मैं उसे करने। में अनभिज्ञ रहता हूँ।7इसीलिए, यह जानकर कि आप मेरा दायित्व हैं और सुसमाचार के द्वारा मुझे सौंपे गये हैं, मैं सदैव ही आपको इस बाइबिल के पृष्ठों में सही बनाकर बँगा।
और-और मैं ..बहुत सी बार लोग मेरे पास आते हैं, और कहते हैं, “भाई ब्रन्हम; यदि आप बस बाहर निकलकर, मेरे बीमार बच्चे के लिए ”यहोवा यूँ कहता है” वाला वचन कह दें, तो मेरा बच्चा चंगा हो जाएगा। आप वहाँ बाहर जायें, औप बस इसे कही. और वह चंगा हो जायेगा। केवल बस यही है जो मैं आप से चाहता हैं कि आप करें।”अब देखिए, यह बात निष्ठाभरी प्यारी है, और मैं इसकी कितना अधिक सरहाना करता हूँ।
परन्तु आप जानते हैं, मैं ऐसा तब तक नही कर सकता हूँ जब तक कि वह मुझे पहले न बता दे। समझे? मैं बच्चे के लिए प्रार्थना कर सकता हूँ; और वह सब कर सकता हूँ जो मैं कर सकता हूँ, परन्तु आप देखिएगा…कि क्या हो यदि मैं वहाँ उमंग या उत्साह के अन्तर्गत चला जाऊँ और उसे कह दें? देखिए, यदि तब मैं “यहोवा यूँ कहता है” कह दें, तो यह वास्तव में ”मेरा उत्साह यूँ कहता है”होगा। देखा? और फिर हो सकता है कि ”ह हो जाये और यह भी हो सकता है कि वह न हो। परन्तु तब क्या हो; यदि ठीक वही व्यक्ति मेरे उत्साह के अन्तर्गत हो, और यह घटित न हो? तब वह व्यक्तिहो सकता है, कि किसी समय जीवन और मृत्यु की रेखा के बीच के मामले में हो। तब उनका भरोसा कहाँ होगा? उन्हें यह डर होगा कि कहीं। मैं फिर से उत्साह के अन्तर्गत तो नहीं हूँ? समझे? अतः जब मैं इसे कहता हूँ, तो मैं पूर्णरुपेण पक्का हो जाना चाहता हूँ कि जितना मैं जानता हूँ यह ठीक है। फिर जब वह मुझसे बोलता है, तो मैं बस वह कह सकता हूँ जो उसने मुझे दिखाया है। चाहे यह भला हो या बुरा मुझे तो इसे कहना होता है।
और कभी कभी लोगों को उन बातों को बताना कोई सुखद बात नहीं होती है; परन्तु फिर भी मैं लोगों को उन बुरी बातों को जो घटित होगी, बताने के लिए ठीक वैसे ही कर्त्तव्यबद्ध हूँ, जैसे मैं उन भली बातों को जो घटित होंगी, बताने के लिए कर्तव्यबद्ध हूँ।और कुछ भी हो, हम प्रभु की इच्छा ही चाहते हैं। कभी कभी प्रभु की मर्जी हमारी इच्छाओं के विपरीत होती है। परन्तु फिर भी यह है, कि यदि हम प्रभु की मर्जी चाहते हैं, तो यह जानना वैसे ही अनमोल बात है, जैसे यदि प्रभु की इच्छा है तो हमारे साथ बुरा हटिन होगा ही। चाहे यह भला हो या बुरा; यह प्रभु की मर्जी ही है जो हम चाहते हैं कि पूरी हो। और मैं जानता हूँ कि हम इसे ठीक इसी प्रकार देखते हैं।8अब, मैं जानता हूँ; कि रविवार रात्रि को भाई लोग यहाँ पर अक्सर तीस मिनट का – बीस या तीस मिनट का सन्देश प्रचारते हैं। और मैं नहीं जानता हूँ कि मैं वैसा कर सकता हैं या नहीं; अतः मैं वह अच्छा से अच्छा करउँगा जो मैं कर सकता हूँ।
अब, मैं सोचता हूँ, कि ठीक इसके उपरान्त बपतिस्मे की सभा होनी है। मैंने सुना है कि इस सुबह उन्होंने लोगों के एक बड़े झुण्ड को बपतिस्मा दिया है। यहाँ पर सभी समय नियत रुप से बपतिस्मे हो रहे हैं। प्रचारक, मैथोडिस्ट, बैपटिस्ट, प्रेसबीटेरियन, चर्च ऑफ गोड़ के लोग, लूथरन तथा व जो कोई हैं आ रहे हैं और प्रभु यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा ले। रहे हैं। और जब मुझे न्याय के कटघरे में परमेश्वर के सम्मुख खड़ा होना होगा, तो मुझे इसके लिए उत्तर देना होगा। और यदि मैं अपने विचारों में वैसा ही न्याोचित हो जाता हैं जैसे मैं अपने जीवन की हर एक बात में हूँ; जैसे मैं उसके सम्बन्ध में हैं, तो मैं ठीक इसी समय रेपचर के लिए तैयार हो गया होता।
क्योंकि मैं जानता हूँ कि यह सुसमाचार का सत्य है। समझे? यह सत्य है।9बाइबिल में कोई ऐसा वचन का लेख नहीं है जहाँ कभी किसी व्यक्ति को किसी और रीति से बपतिस्मा दिया गया हो; वरन यीशु मसीह के नाम में ही बपतिस्मा दिया गया है। पिता, पुत्र और पवित्रआत्मा की। केवल यही आज्ञा है, कि “इसलिए तुम जाओ, और सभी जातियों को, शिक्षा दो, और उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम में बपतिस्मा ढो।’ यह नहीं, कि उनके ऊपर उपाधियों का उचाचरण करो, वरन उन्हें पिता, पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम में बपतिस्मा दो, और वह नाम प्रभु यीशु मसीह है।बाइबिल में हर एक व्यक्ति का यीशु मसीह के नाम में ही बपतिस्मा हुआ था; और बाइबिल में कहा गया है जो कोई इसमें से एक भी शब्द निकाले या किसी भी रीति से इसमें एक भी शब्द जोड़े, तो उस पर हाय। अत: मुझमें …वह मेरी सुरक्षा है।
इसने मुझे मेरे बहुत से मित्रों से अलग कराया है। वे मुझसे उसी के कारण अलग हो गये। परन्तु जब तक मैं इस मित्र, प्रभु यीशु को यहाँ पर रखता हूँ…और वह वचन है। इससे कोई मतलब नहीं है, कि चाहे मार्ग ऊबड़ खाबड़ हो, चाहे मार्ग कठिन हो, वह ठीक उसी मार्ग से आता है। और यदि उन्होंने घर के स्वामी को ही बालजबूल कहा, तो वे उसके शिष्यों को वह कितना अधिक कहेंगे।10अब; प्रभु आप सभों के साथ हो, और आपको सप्ताह के दौरान आशीषित करे, और आपको वह वे उत्तम से उत्तम वस्तुएं दे जो मैं परमेश्वर से अपनी प्रार्थना में आपको देने के लिए विनती कर सकता हूँ।और अब हम बहुमूल्य वचन में से पढ़ने जा रहे हैं। और अब, आप फिर से बुद्धवार रात्रि स्मरण रखें….(भाई ब्रन्हम भाई नेविल से सभाओं के विषय में बात करते हैं – सम्पा.)
सोमवार और मंगलवार को कोटेज प्रार्थना सभाएं होंगी। मैं सोचता हूँ कि लोग जानते हैं।11भाई जूनियर जैकसन; क्या वे इस भवन में हैं? मैं …आई जैकसन, मैं नहीं…वे यहाँ हैं, भाई जैकसन यहाँ पर हैं। ठीक है, मैं-मैं …यहाँ पर एक और भाई जैकसन हैं। मैं …और भाई डॉन डेल, क्या वे आज रात्रि इस भवन में हैं? भाई डॉन? वे वहाँ पर हैं। और बहुत से दूसरे आई….मैं यहाँ पर अरकानसस और लुइसयाना, और देश के चारों ओर से विभिन्न स्थानों से आये हुए भाइयों को देखता हूँ।और मेरे पास कुछ ……….है,
आज रात्रि यहाँ पर एक वयोवृद्ध भाई भी है। मेरे पास यहाँ पर भाई थॉमस किड़ हैं, जो ठीक यहाँ पर बैठे हुए हैं, जो कुछ ही दिनों में चौरासी वर्षीय हो जायेंगे। और लगभग तीन या चार वर्ष पहले उनकी एक अस्सहाय तलकीफ के लिए शल्य चिकित्सा हुई थी, और वे कैन्सर में मर रहे थे, और चिकित्सक ने बस उन्हें मरने के लिए पीठ के सहारे लेटा हुआ छोड़ दिया था। और मैं चाहता था कि ओहियों में उनके पास पहुँचने के लिए अपनी पुरानी कार को अति प्रचण्ड गति से चला डालें। और प्रभु यीशु ने उन्हें पूणरुप से चंगा और अच्छा किया; और आज रात्रि वे और उनकी संगनी यहाँ पर हैं…और आप में से बहुतेरे उन्हें जानते हैं, और हो सकता है, कि कुछ उन्हें न जानते हों। परन्तु यहाँ पर एक पुरुष व स्त्री हैं जो मेरा जन्म होने से पहले से प्रचार कर रहे थे। आप ज़रा इसके विषय में सोचिएं, और अब मैं एक बूढ़ा व्यक्ति हूँ। समझे? और मैं उन पर दृष्टि डालता हैं, और मैं उन्हें प्रचार कार्य पर जाते हुए देखता हूँ; मुझे उनसे साहस मिलता है।हम में से हर कोई भाई बिल डाऊच को जो यहाँ कोने में बैठे हुए हैं जानता है।
12और ओह, हम परमेश्वर की इन सब महान आशीषों के लिए कितने धन्यवादित हैं। होने पाये कि ये हमारे साथ तब तक हों जब तक कि अन्तिम तुरही फेंकी जाती है। और आप जानते हैं, कि हमें एक साथ ऊपर उठा लिया जायेगा, ताकि हम हवा में प्रभु से मिलें। आप इसके विषय में सोचें। जो लोग भटक गये हैं वे आपको और अधिक नहीं देख सकते हैं, परन्तु आप शेष झुण्ड़ के साथ मिल रहे। हैं। वे जो जीवित हैं और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे, तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेगे” (या पीछे न रुकेंगे; यही शब्द यहाँ पर है)। ये मरे हुए नहीं हैं, जी नहीं; मसीही मरते नहीं हैं। वे तो बस विश्राम कर रहे हैं (समझे?) उनके विषय में तो बस यही है। “और परमेश्वर की तुरही फेंकी जायेगी; और जो मसीह में मरे हैं, वे पहले जी उठेगे, और बहुतेरों को दिखायी देंगे…”
और एकाएक ऐसा होगा कि आप खड़े होंगे और देखेंगे, और कहेंगे, “अच्छा, वहाँ एक भाई…”और आप जानते हैं। कि ऐसा होने में बहुत अधिक देरी नहीं है। हम क्षणभर में पलक झपकते ही बदल जायेंगे, और उनके साथ पृथ्वी पर से ओझल हो जायेंगे और ऊपर उठा लिये जायेंगे ताकि प्रभु से हवा में मिले।13और जो कुछ भी हमने वचनों में से देखा है उस सब पर विचार २; और जिस समय में हम रह रहे हैं उसकी स्पष्ट पहचाने हैं, कि ऐस सभा के समाप्त होने से पूर्व भी हो सकता है। आप इस रात्रि जरा इसके विषय में सोचें। फिर इसके बाद हम उसके वचन की ओर चलते हैं। जबकि हम इब्रानियों का १३ वाँ अध्याय निकाल रहे हैं, हम इब्रानियों १० के १० वें पढ़ से १३ वें पद तक पढ़ने जा रहे हैं – मुझे क्षमा कीजिए; हम इब्रानियों १३:१०-१४ पढ़ने जा रहे हैं।अब देखिए; जैसा कि मैंने कहा था, जब हम अपने ध्वज को सम्मान देते हैं, तो हम खड़े हो जाते हैं (जो कि एक अच्छी बात है) जब हम अपने ध्वज को सम्मान देते हैं, तो हम सदैव खड़े हो जाते हैं। और इसी प्रकार और दूसरी सभी घटनाओं पर ऐसा होता है – कि हम अपनी सलामी के आदर में और अपने देश के लिए इसी प्रकार का कुछ और करने के लिए खड़े हो जाते हैं।
और जब वे “The star Spangled Banner” की धुन बजाते हैं, तो हम सावधान खड़े हो जाते हैं। और जबकि हम परमेश्वर का वचन पढ़ते हैं, तो आइये हम मसीही सिपाही के जैसे सावधान खड़े हो जाएं।14आप वचन का पढ़ा जाना बड़े ही ध्यानपूवर्क सुनें। मैं इसे इसलिए पढ़ना पसन्द करता हूँ; क्योंकि इसका कारण यह है कि हो सकता है। कि मेरे वचन विफल हो जायें, लेकिन उसके वचन विफल नहीं होंगे। अत: यदि मैं केवल उसका वचन पढ़ता हूँ, तो आप धन्य होंगे। आइये हम इबानियों के १३ वें अध्याय के १० वें पद से पढ़ना आरम्भ करेंहमारी एक ऐसी वेदी है, जिस पर से खाने का अधिकार उन लोगों को नहीं, जो तम्बू की सेवा करते हैं।क्योंकि जिन पशुओं का लहू महायाजक पाप-बलि के लिए पवित्रस्थान में ले जाता है,
उनकी देह छावनी के बाहर जलायी जाती है।इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू के द्वारा पवित्र करने के लिए फाटक के बाहर दुख उठाया।सो आओ, उसकी निन्द्रा अपने ऊपर लिये हुए छावनी के बाहर उसके पास निकल जायेंक्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थिर रहनेवाला नगर नहीं, वरन हम एक आनेवाले नगर की खोज में हैं।15वह प्रभु परमेश्वर जो इस वचन के लिए उत्तरदायी है, और वही सभी कालों में इसकी देखभाल करने के लिए उत्तरदायी था, ताकि देखें। कि यह हमारे पास मिलावट रहित आये…यह परमेश्वर का शुद्ध व पवित्र वचन है। इस क्षण हम इसे अपने हृदय में संजोये हुए हैं। प्रभु, इस मूलपाठ को आज एक विषय में विभक्त करें, ताकि हम मनुष्य की सन्ताने परमेश्वर की बोली समझ सकें। क्योंकि हम इसे ‘यीशु’ के नाम में माँगते हैं। आमीन16इस संध्या के लिए मेरा विषय है “छावनी के बाहर निकल जाना” यह एक छोटा सा ही विषय है, लेकिन यह थोड़ा विचित्र सा विषय है।
परन्तु आप जानते हैं कि हम परमेश्वर को बहुदा विचित्र चीजों में ही पाते हैं। संसार रीति-रिवाजों में इतना अधिक जकड़ जाता है, कि कोई भी बात नियमित स्वरुप से अनियमित स्वरुप धारण कर लेती है, और वही विचित्र बन जाती है; जैसा कि मैंने यहाँ पर कुछ ही दिन पूर्व टेबरनिकल में ”विचित्र प्राणी” नाम विषय प्रचारा था। और एक किसान किसी व्यापारी के लिए विचित्र प्राणी होता है, और एक व्यापारी किसी किसान के लिए विचित्र प्राणी होता है, और एक सच्चा मसीही अविश्वास तथा इसी प्रकार के दूसरे लोगों के लिए विचित्र-प्राणी होता है।
आपको तो किसी न किसी के लिए पागल होना होता है।अतः जो कोई भी असमान्य बात होती है, वह आपको किर नियमित विचारधारा के प्रति एक प्रकार से मूर्ख बना देती है। आ कारण है कि परमेश्वर के लोग, और उसके भविष्यद्वक्ता, आर भविष्यदक्ता, और उसके। वे सुसमाचारठूत जो सभी कालों में वचन से उसका सन्देश लेकर आगे चले बाह्य जगत के लिए मूर्ख समझे गये।नूह अपने उस महान बौद्धिक जगत के लिए जिसे उसने प्रचार किया था मूर्ख था। नूह …निश्चित रूप से वह फ़िरौन के लिए मूर्ख ही था। जबकि उसका पांव सिंहासन पर था,
और फिर भी उसने वह उन लोगों के लिए जिन्हें वे मिट्टी रौंदनेवाला सोचते थे त्याग दिया था। और यीशु लोगों के लिए मूर्ख ही तो था। और वे शेष सभी लोग जिन्होंने परमेश्वर के लिए कार्य किया और जीवन व्यतीत किया, मूर्ख ही समझे गये थे। उन्हें उस छिवानी से जो उनकी थी बाहर निकलकर जाना ही था।17मुझसे अधिक से अधिक यह विश्वास कराया जाता है, कि लोग मसीह के पास नहीं आ रहे हैं। अब, मैं यहाँ पर प्रत्येक उस रीति से जिस रीति से मैं सहायता कर सकता हूँ सहायता करने, के लिए और अपनी बात को उतना स्पष्ट करने के लिए हूँ जितना कि मैं उन्हें स्पष्ट करना जानता हूँ। और यदि आप चाहें तो मेरे साथ रुके रहें।जैसा कि मैं देखता हूँ और देशभर में प्रचार करता हूँ और लोगों को देखता हूँ,
मैं पूरी तौर से यह स्वीकार करता हूँ, कि लोग मसीह के पास नहीं आ रहे हैं। और मैं विश्वास करता हूँ, कि यह बैरी ही है जिसने यह अवरोध डाला हुआ है, क्योंकि …मैं इसका इस कारण विश्वास करता हूँ, कि वह वो चीज नहीं है जिसकी ओर लोगों का निर्देशन किया गया है। उन्हें या तो किसी धार्मिक मत या किसी सिद्धान्त या किसी पार्टी या अनुभव या किसी संवेदना या ऐसी ही किसी चीज़ की ओर फेरा हुआ है, बजाये इसके कि उन्हें परमेश्वर के वचन की ओर फेरा जाये। यही कारण है, कि मैं सोचता हूँ कि लोग ने अपनी अनन्त मंजील को किसी। धार्मिक मत या किसी सवेंढना पर टिकाया हुआ है, जैसा कि कुछ लोग। कहते हैं, ”मैं तो आत्मा में नाँचा हूँ।””मैंने तो अन्यान्य भाषा बोली हैं।””मैंने अनुभव किया कि आग मुझा में से होकर दौड़ गयी।”और क्या आप जानते हैं कि इन सभी बातों की शैतान के द्वारा नकल जा सकती है?18केवल एक ही चीज़ है जिसकी वह नकल नहीं कर सकता है,
और वह है वचन।जब यीशु और उसके बीच वाद-विवाद हुआ, तो यीशु ने हर एक बार उसे इसके व्दारा-अर्थात् वचन के व्दारा हराया – कि “लिखा है।” और मैं विश्वास करता हूँ कि जिस कारण लोग मसीह के पास नहीं आ रहे हैं, वह यह है कि उनका (उनमें से अनेक का) निर्देशन नामधारी कलीसिया की ओर किया गया है। उनसे कहा जाता है, “आप आकर हमारी कलीसिया में शामिल हो जाओ।” या ‘तुम हमारा कैटेकिज़म पढ़ो।” या ‘तुम हमारी शिक्षा का विश्वास करो।” या उनका निर्देशन किसी प्रकार के तन्त्र की ओर किया गया है। उनका गलत मार्ग पर निर्देशन किया गया है। और उनके अपने कार्य कलाप और उनका अपना जीवन जो वे बिना मसीह के व्यतीत करते हैं इसे सिद्ध करता है; ठीक उसी बात से यह प्रामणित होता है।19उदाहरण के लिए देखिए; मैं किसी की भावानाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता हूँ;
परन्तु देश में चारों ओर सभी जगह मैंने स्त्रियों को छोटे छोटे बाल रखने के लिए लताड़ा है। यह बाइबिल है। मैंने स्त्रियों को नीकरें पहनने व श्रृंगार करने के लिए लताड़ा है, लेकिन हर एक वर्ष उनकी हालत और भी बढ़त्तर होती चली जाती है। यह ये दिखाता है, कि कहीं एक और ऊंगली है जो उनका किसी और मार्ग की ओर संकेत कर रही है। और वे पूरी तौर से मसीह के पास नहीं आ रहे हैं।और वे कहते हैं, ”हम तो एक (नामधारी) कलीसिया के सदस्य हैं, हमारी कलीसिया …नहीं है….” इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, कि आप किस नामधारी कलीसिया के सदस्य हैं, परमेश्वर ने कहा है, “वह तो गलत ही है।” और यदि वे पूरी तौर से मसीह के पास ” गये होते, तो उन्होंने इसे रोक दिया होता, और न केवल यही अपितु यदि कोई मनुष्य पूरी तौर से मसीह के पास आ गया होता और इसके (नामधारी कलीसिया के) विरुध्द होता, तो उसने अपना स्थान ग्रहण कर लिया होता। पति अपनी पत्नियों को उस प्रकार के कार्य कलाप न करने देतें। एक सच्चा व विशुद्ध पुरुष नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी उस प्रकार अचारण करे।20किसी दिन यहीं इसी शहर में एक युवक दो युवा लड़कों को मार डालना चाहता था। वे किसी पेट्रोल पम्प (filling station) पर थे (जैफरसनविले के लोगों ने इसे समाचार पत्र में देखा होगा)
और यह युवा लड़की मुश्किल से ही कुछ पहने हुए पेट्रोल पम्प पर दौड़ती आयी। और जो दो युवा लड़के वहाँ पर बैठे हुए थे उन्होंने उस लड़की पर कटाक्ष किया, और जो व्यक्ति वहाँ पर उपस्थित था वह उन दोनों लड़कों को मार डालना चाहता था; और उसे इसके लिए गिरफ्तार कर लिया गया; और न्यायालय में लाया गया। और न्यायाधीश ने उससे पूछा, “क्यों तुमने किया…क्या उसने ऐसे कपड़े पहने हुए थे?”उसने कहा, “मैं सोचता हूँ कि वह बहुत प्यारी सी लगती है।”अब देखिए, उस व्यक्ति के साथ कहीं कुछ गड़बड़ है। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ, चाहे वह कोई हो…यदि वह एक पापी है, तो उसके साथ कहीं कुछ गड़बड़ है। उसका प्रेम या रुक्षान उस स्त्री के लिए है। जो एक सच्ची स्त्री नहीं हो सकती है, और जो कुत्ते के लिए चारा जैसा फेंक रही है। उसमें कहीं कुछ गड़बड़ है। क्या ऐसा मनुष्य ऐसे एहसास तक आया है कि वे भले और बुरे की परख कर सकते हैं?21क्या आपने वह bathing सूट देखा है जिसे वे निकालकर लाये हैं? क्या आप मेरी वह भावी जानते हैं जो मैंने ३२ वर्ष पूर्व की थी, कि अन्त में स्त्रियों के वस्त्र अंजीर की पत्ती के सरीखे हो जायेंगे, और अब उन्होंने उन्हें ऐसी वेशभूषा दे दी है कि वे अंजीर की पत्ती के जै वस्त्र पहनें, वे पारदर्शी स्कर्ट पहनें। प्रभु का वचन कभी विफल नहीं होता है। और यही था वह जो अन्त समय से ठीक पहले घटित होना था कि स्त्रियों के वस्त्र अंजीर के पत्तों के जैसे छोटे छोटे हो जाएं। इसे ”लाइफ” पत्रिका में पढ़ रहा था। इससे पहले कि स्त्रियों का पतन हो इसे तैंतीस वर्ष पूर्व ही बताया जा चुका था। यह तो बताया जा चका था कि वे इस दिन में कैसा करेंगी; और अब वे ठीक वैसा ही कर रही हैं; और कैसे वे पुरुषों के जैसे वस्त्र पहनेंगी, और कैसे इस देश में स्त्रियों का नैतिक स्तर गिर जायेगा। संसार में सभी देशों से सर्वाधिक नैतिक पतन इस अमेरीका में ही है। यह तो सर्वाधिक भ्रष्ट लोगों का झुण्ड है। यह बात आंकडों के अनुसार ही है।इस देश में विवाह और तलाक की दरें संसार के किसी भी स्थान से कहीं अधिक हैं। और दूसरे देश नकल करते हैं…हम फ्रांस की भ्रष्टता व गन्दगी की नकल किया करते थे, परन्तु अब वे हमारी वेशभूषाओं की नकल कर रहे हैं। हम तो उनकी सीमाओं से भी बाहर निकल चुके हैं।22मैं जानता हूँ कि कोई कारण है जिसकी वजह से लोग पूरी तौर से मसीह के पास नहीं आ रहे हैं। यदि वे मसीह के पास पूरी तौर से आ गये होते, तो वे इस प्रकार के कार्य कलाप न करते। यीशु ने फाटको के बाहर दुख उठाया, ताकि वह अपने लोगों को अपने ही लहू से शुद्ध करे। पवित्रीकरण शब्द ग्रीक के एक संयुक्त शब्द से आया है जिसका अर्थ होता है, ”शुद्ध करना, और सेवकाई के लिए अलग रखना।” और जब परमेश्वर अपने लोगों को यीशु के लोह से शुद्ध करता है, तो वह उन्हें संसार की गन्दगी से शुढ़ (अलग) करता है, और उन्हें सेवकाई। के लिए अलग रखता है।इसी कारण यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू से पवित्र करने के लिए फाटक के बाहर दुख उठाया।यहाँ तक कि फुल गोस्पल के लोग भी वापस उसी लीक पर आ गये हैं जिससे वे बाहर निकलकर आये थे। चालीस चा पच्चास वर्ष पूर्व पिन्तेकोस्तल कलीसिया क्या थी? उन्होंने उन कलीसियाओं को – उन नामधारी कलीसियाओं को लानत दी थी; और धिक्कारा था और उसकी खिल्ली उड़ायी थी जिनमें से वे बाहर निकलकर आये थे। उन्होंने क्या किया? जैसे कुत्ता अपनी छाँट की ओर तथा सूअरी कीचड़ की ओर लौट जाती है, वैसे ही वे ठीक उसी स्थान की ओर वापस लौट गये जिसमें से वे बाहर निकलकर आये थे। और अब उनकी कलीसियाएं ठीक वैसी ही भ्रष्ट है जैसी और दूसरी हैं।23यह कुछ ऐसा ही है जैसा मैंने इस प्रात: कहा था; …लोग पतरस के जैसे हैं – जैसा कि उसने मत्ती १७:४८ में कहा था, “हमारा यहाँ रहना अच्छा है, हम तीन मण्डप बनायें।’परन्तु आत्मा ने उन्हें ऐसा न करने की आज्ञा दी, और कहा, “यह मेरा प्रिय पुत्र है; तुम उसकी सुनो।” और वह वचन है; और यही है। वह जिसे हमें देखना है; हमें अपना उत्साह या अन्य कुछ नहीं, वरन वचन ही देखना है। ”यह मेरा वचन है; तुम उसकी सुनो” और जब यह शब्द उनसे बोल चुका, तो इसके बाद उन्होंने क्या देखा? यहाँ तक कि मूसा और एलिय्याह भी तब वहाँ मौजूद नहीं थे; ना ही कोई धार्मिक मत वहाँ पर था; वहाँ और कुछ नहीं वरन केवल यीशु ही बाकी रह गया था। और वह वचन है। और उन्होंने केवल उसे ही देखा।अब देखिए; बिना मण्डप या खेमे के जा रहे हैं,24हम यह पाते हैं। कि उनके खेमे में जहाँ यह महान घटना घटी- यह महान घटना रुपान्तरणवाले पर्वत पर हुई, जैसा कि पतरस ने बाद में इसे ”पवित्र पर्वत’ कहा, जहाँ उसने उनसे भेंट की थी — अब देखिए, मैं विश्वास नहीं करता हूँ कि इससे प्रेरित का यह अभिप्राय हो कि वह पवित्र पर्वत था। उसका अभिप्राय तो यही था कि पवित्र परमेश्वर उस पर्वत पर था। यह कोई कलीसिया नहीं है जो पवित्र हो, ये लोग नहीं हैं जो पवित्र हो। पवित्रआत्मा है जो लोगों में है, वही पवित्र है। पवित्र आत्मा ही है। वही आपका निर्देशक और अगुवा है।और जब यीशु मसीह के रुपान्तरण वाले पर्वत’ के इस छोटे खेमे पर उन्हें सुनने की आज्ञा दी गयी….उन्हें करने के लिए एक ही ‘कार्याधिकार दिया गया था कि वे वचन की सुनें। वह एकमात्र चीज जो उन्होंने देखी थी कोई धार्मिक मत नहीं था, उन्होंने और कुछ नहीं वरन यीशु को ही देखा था; और वह देहधारी वचन है। यह कितना सुन्दर है कि ठीक उसी खेमे की ओर फिर जाये जो अदन की वाटिका में था। जब परमेश्वर ने अपनी कलीसिया की – अपने लोगों की किलाबन्दी की तो एक ही दीवार थी जिसके पीछे उन्हें रहना था, और वह वचन था। उनके पास एक ही ढाल, एक ही अस्त्र, एक ही चीज़ थी; क्योंकि परमेश्वर जानता था कि शैतान को क्या हरायेगा, और वह वचन था।यीशु ने ठीक यही कार्य किया था। यह वचन है,यह लिखा हुआ। है।” और शैतान ने इसका पुचारा फेरने की चेष्टा की थी; उसने इसका हवाला देने की नहीं, वरन उसके लिए इसका पुचारा फेरने की चेष्टा की थी। और यीशु ने कहा था, “और यह भी लिखा है।” अब, हमें उसी वचन पर अटल बने रहना चाहिए।25और इस छोटे से खेमे में जो वहाँ पर उनका पतरस, याकूब और यूहन्ना का था; और यीशु; मूसा, और एलिय्याह …और उन्होंने अपने खेमे में स्वर्गीयढल की छाया या उस बादल में जिसने प्रभु यीशु का रुपान्तरण किया था प्रकाश का खम्भा खड़े हुए देखा था। और जब वे एक नामधारा कलीसिया बनाने के लिए तैयार थे, जब वे एक नामधारी कलीसिया व्यवस्था के लिए, और एक नामधारी कलीसिया भविष्यद्वक्ताओं व ६० प्रकार के दूसरे लोगों के लिए बनाने के लिए तैयार थे, तो उस शब्द कहा, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, तुम उसकी सुनो।’ तब उन्हें…ठीक वही आज्ञा मिली थी जैसी अढन की वाटिका में मिली थी, कि ”वचन के साथ बने रहो।” और यही परमेश्वर की अपने लोगों के लिए छावनी है।26आज ऐसा प्रतीत होता है कि मानो यही वह दिन है जब लोग हर एक बात में छावनी से बाहर जा रहे हैं। वे बाहर जा रहे हैं।आप जानते हैं, कि कुछ समय पूर्व मुझे बताया गया था कि उनके पास अब एक ऐसा जेट विमान है जो कर सकता है….वे जैट विमान हऐसी आवाजें करते हैं जिन्हें हम यहाँ चारों ओर सुनते हैं; और वे आवाजें खिड़कियाँ हिला देती हैं। ऐसा तब होता है जब कोई विमान अपनी ही उस ध्वनि को जिसे ध्वनि अवरोध कहा जाता है, पार कर जाता है।
और जब वह अपने ही ध्वनि अवरोध को पार कर जाता है, तो यह लगभग असीमित होता है कि वह क्या करेगा। और मैं सोचता हूँ कि हमें इस से एक शिक्षा मिलती है। जब हम परमेश्वर के वचन में अपने ही ध्वनि अवरोध से बाहर निकल जाते हैं, तो इसका अन्दाजा नहीं लगाया जा सकता है, कि परमेश्वर उस मनुष्य के साथ क्या करेगा जो छावनी से। बाहर जाने के लिए – मनुष्य की छावनी से बाहर जाने के लिए तैयार है27अब हम छावनी से बाहर निकल जाना देख रहे हैं – इससे बाहर निकल जाना देख रहे हैं…मैं देखता हूँ कि शैतान अपने लोगों को तर्क वितर्क की छावनी से बाहर (परे) ले जा रहा है, वह उन्हें आम समझ से बाहर ले जा रहा है। शैतान ने अपने लोगों को छावनी के पार किसी दूसरी ओर ले लिया है; और परमेश्वर ने अपने लोगों को इस ओर लिया है। शैतान तो उन्हें आम शिष्टचार की छावनी से बाहर ले जा चुका है…यह मेरी सोच से कहीं परे है कि कैसे कोई पुरुष अपनी पत्नी को उस प्रकार के वस्त्र में बाहर जाने देता है और फिर उसकी बेइज्जती करने पर किसी व्यक्ति को थप्पड़ जड़ देता है। यह बात तो आम समझ से बाहर है। उसे तो इससे बेतहर जानना चाहिए। यह बात तो आम शिष्टाचार से परे है।कहाँ पर रुकने के स्थान है?28कुछ पुरुष व स्त्री जो मेरी ही अवस्था की हैं,
मैं आप में से यह पूड़ें? क्या होता यदि मेरी या आपकी माँ लगभग पचास वर्ष पूर्व उन छोटे छोटे वस्त्रों में से एक जोड़ा वस्त्र या बिकनी या जो कुछ भी इसे कहा जाता है पहनकर सड़क पर निकलती? कानून ने उन्हें तुरन्त ही पकड़ लिया होता, और उन्हें पागलखाने में डाल दिया। होता। एक स्त्री जो अपने घर से शरीर का ऊपरी भाग नव्त रखकर बाहर जाती है, उसे तो पागलखाने के अन्दर ही होना चाहिए, क्योंकि मानसिक रुप से उसमें कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। और यदि इस प्रकार का कोई काम करना मानसिकता है, तो यह निश्चित रूप से इस बात का चिन्ह है कि कोई पागल हो गया है। यह अभी भी मानसिक (दुर्बलता) मरी ही है। वे तर्क के पार जा रहे हैं, यह भ्रष्टता ही तो है।29और जब कोई पुरुष सिगरेट पी सकता है, और चिकित्सक उसे यह सिद्ध कर रहे हैं कि हज़ारों लोग इसकी वजह से मरते हैं, और फिर भी वह सिगरेट पी सकता है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि उस मनुष्य के दिमाग में कहीं कुछ गड़बड़ है।
और जब किसी मुनष्य को मानसिक रुप से कोई झटका लगता है, और वह कुल मिलाकर अपने आप में नहीं आ सकता है, तो वह यह कर रहा होता है, कि वह देश के हर चिकित्सक का कार्यालय खोज रहा होता है, और वह यह ज्ञात करना का यत्न करने में कि उसके साथ क्या गड़बड़ है अपनी प्रत्येक कौड़ी व्यय कर देगा। यह बात कोई समझदारी की तो नहीं लगती है।30यदि कोई चिकन हाँक (बाज) शहर में उड़ता हुआ आ जाता है और मैं अपनी बन्दूक लेकर अपने पिछवाड़े चला जाऊँ और उस। को गोली मार दें; तो उसके दस मिनट के अन्दर ही मैं बर्दगृह होऊँगा। वे मुझे कानून व्यवस्था तोड़ने के लिए, शहर में हथियार व के लिए, और लोगों के जीवन को बन्दूक से डराने के लिए, आ में उस बाज पर गोली मारने के लिए गिरफ्तार कर लेंगे। उनका होगा कि मैं किसी को मार सकता था। उसे तो बन्दीगृह में डाल देना चाहिए। और फिर वे किसी मनुष्य को पीने के लिए इतनी अधिक शराब बेचते हैं और उसे एक कार में ही चिपका देते हैं, कि हो सकता है कि वह एक पूरे परिवार को ही मार दे; और जब वह पकड़ लिया जाता है, तो उसे 5.00$ तथा पूरी कीमत देनी पड़ती। यह तो पहले से ही विचार करके जा बुझ कर की गयी हत्या है। संसार के साथ क्या गड़बड़ है? कहीं न कहीं तो कुछ गड़बड़ है।31अब देखिए; वह छवानी के बाहर जा रहा है, शिष्टता के बाहर जा रहा है, तर्क के बाहर जा रहा है।
आप ध्यान दें, कि आज हमारे राजनयिक विद्यालयों में बाइबिल पढ़े जाने के विषय में कुछ नहीं कहेंगे। वे डरते हैं; वे नहीं जानते हैं कि हवा किधर से चलती है। वे नहीं जानते हैं कि अपना वोट गवांयेंगे या नहीं।हमें एक और अब्राहम लिंकन की आवश्यकता है। हमें एक और जोन क्वीजिसे एड्म्स की आवश्यकता है, हमें किसी भी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो इस बात से बेपरवाह होकर कि हवा किधर को चलती है, खड़ा हो और अपनी सत्यनिष्ठ दृढ़ धारणा दे। आज के नामधारी। कलीसिया के प्रचारक ऐसे हैं कि यद्यपि आप उन्हें वचन में सच्चाई दिखायें, तौभी वे उसे नहीं करना चाहते हैं। वह डरता है कि उसे अपने भोज टिकट गंवाना पड़ेगा। आज हमें ऐसे स्त्री व पुरुष की आवश्यकता है। जो सुसमाचार से प्रज्वलित हो रहे हों, किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो खड़ा हो और अपनी ढूढ़ धारणा बताये, और स्पष्ट रूप से दिखाये कि क्या सही है और गलत है; दिखाये कि परमेश्वर का वचन सही है।
या नामधारी कलीसिया सही है।32यीशु ने कहा था, “हर एक मनुष्य की बात झूठी और मेरा वचन सच्चा ठहरे। आकाश और पृथ्वी टल जायेंगी, परन्तु मेरा वचन कभी नहीं टलेगा।” अत: आप देखिए; वे अपना उत्तर ढूढ़ने के लिए परमेश्वर के वचन की छावनी से बाहर जाते हैं।हमें आवश्यक है…किसने उनका मन परमेश्वर के वचन की छावनी से फेरा था…जैसा शैतान ने अढन की वाटिका में हव्वा के साथ किया था; ठीक वैसा ही उसने आज किया है। यह सही बात है। हम ऐसा ही देखते हैं। लोगों का मन उनके छावनीरहित धार्मिक मतों व अवधारणों के खेमे की ओर फेरा जाता है। उनके पास भी एक छावनी है,
और वह उन्हें शैतान की छावनी में लाती है। उसकी छावनी, शिक्षा धार्मिक ज्ञान, काम, डाक्टर डिग्री, शैक्षिक व्यक्तित्व की है, जो कि परमेश्वर के वचन की छावनी के विरुद्ध है। परमेश्वर की अपने लोगों के लिए एक छावनी है। नामधारी कलीसियाओं की भी अपनी निज छावनी है33तीन हजार वर्ष पूर्व कोई भी मनुष्य कहीं भी परमेश्वर से बहुतायत में भेंट कर सकता था। मनुष्य के लिए परमेश्वर से भेंट करना एक साधारण सी बात थी। परन्तु आज वे क्यों उससे भेंट नहीं करते हैं? आज उससे भी अधिक लोग हैं, आज हज़ारों हज़ारों गुना और लाखों गुना लोग हैं जितने कि तीन हजार वर्ष पूर्व थे। और फिर भी अभी भी परमेश्वर को प्राचीन बात है, कोई प्राचीन इतिहास है जिसके विषय में बताया जाता है। वे परमेश्वर से एक व्यक्ति के रुप में वैसे ही भेंट नहीं करते हैं जैसे वे कई वर्ष पूर्व किया करते थे जैसा कि मैंने कहा था, कि वे तीन हजार वर्ष पूर्व किया करते थे। वे नहीं करते हैं …मनुष्य के लिए परमेश्वर से भेंट करना कोई आम बात नहीं है। यदि कोई मनुष्य इसके विषय में बात करता है, तो वह सनकी समझा जाता है, वह कोई ऐसा व्यक्ति समझा जाता है जिसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी है। यह उनके लिए अत्यन्त असाधारण बात है।
34अब्राहीम और उसकी छावनी के प्रसंग में यह है, कि प्रतिदिन हो। ऐसा अवसर हुआ करता था कि अब्राहीम परमेश्वर से भेंट करता था। वह उससे बातें किया करता था। केवल यही नहीं था, अपितु यहाँ तक था कि जब वे परदेशी हो कर गरार में गये; तो हम यह देखते हैं कि अजीमेलेक जो कि एक पलती था, उसकी छावनी (खेमे) में भी परमेश्वर था। यह एक बहुत ही आम बात थी । वे उसकी उपस्थिति में छावनी में रहा करते थे । और आज लोग अपनी ही छावनी में रहते हैं, और उन्हें परमेश्वर की छावनी से कुछ लेना देना नहीं होता है । वे इससे सम्बन्ध नहीं रखना चाहते हैं, क्योंकि यह संसार के लिए मतान्धता है। यह उनके लिए मतान्धता है। परन्तु स्मरण रखिए, कि जब परमेश्वर ने लोगों के लिए सर्वप्रथम छावनी ठहरायी, तो उसने उनकी किलाबन्दी (या मोर्च बन्दी) वचन से की । वह सदैव ऐसा ही करता है।
परन्तु आज लोग आपकी छावनी में ऐसा नहीं करते हैं। यही कारण है, कि वे परमेश्वर के विषय में बहुत अधिक नहीं सुनते हैं ।अब देखिए, कि मैं विश्वास करता हूँ, कि छावनी….35जैसे मूसा ने …उसने मूसा से जंगल में कैसे भेंट की थी…मूसा की वहाँ बाहर एक छावनी थी जहाँ वह अपने सुसालियों …के रेगिस्तान के पिछवाड़े भेड़ चरा रहा था । और एक दिन इस अस्सी वर्षीय वृद्ध गड़रिये ने एक प्रकाश या आग का खम्भा जलती हुई झाड़ी में देखा। और उसने परमेश्वर से भेंट की – एक मनुष्य जो परमेश्वर से भागा फिर रहा था उसने परमेश्वर से भेंट की। अगले दिन…परमेश्वर से भेंट करना कभी कभी आप से अत्याधिक गैरमामूली (असामान्य) कार्य कराता है। अगले दिन मूसा बहुत ही गैरमामूली था । उसने अपनी पत्नी की गोद में अपना बच्चा देकर गदेह की काठी पर बैठाया; और उसकी लम्बी दाढ़ी नीचे झूल रही थी और वह अपने हाथ में एक लाठी लेकर मिस्र जा रहा था, ताकि राष्ट्र को अपने अधिकार में ले लें। अब, देखिए यह क्या ही विचित्र दृश्य था ! “मूसा, तुम कहाँ जा रहे हो ?’“मैं मिस्र जा रहा हूँ।”“तुम वहाँ किस लिए जा रहे हो?””ताकि उसे अपने अधिकार में ले लें।” उसने परमेश्वर से भेंट की थी।
यह एक मनुष्यी आक्रमण था। यह बहुत ही विचित्र सा प्रतीत होता है। परन्तु इसकी मुख्य बात यह थी, कि उसने ऐसा किया था, क्योंकि उसने परमेश्वर से भेंट की थी। जैसे कोई एक व्यक्ति रूस पर अधिकार करने के लिए जाता है; इसके लिए आपको तो केवल एक ही बात की आवश्यकता है, कि कोई व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा के अन्दर हो। मूसा परमेश्वर की इच्छा के अन्दर था, और उसके हाथ में एक मुड़ी हुई लाठी ही थी, उसके हाथ में कोई तलवार नहीं, अपितु एक लाठी थी। परमेश्वर तो गैरमामूली कार्य ही करता है36परन्तु स्मरण रखिए, कि मूसा को तो उस छावनी में से बाहर निकलना था जिस छावनी में वह इसे करने के लिए रह रहा था, क्योंकि वहाँ पर वह सारी सेना के साथ था, लेकिन वह इसे नहीं कर सका था। मिस्र की सारी सेना के साथ भी वह इसे नहीं कर सका था। परन्तु एक दिन परमेश्वर ने उसे अपनी छावनी में आमन्त्रित किया। उसने कहा, “तू कौन है?”उसने कहा, “मैं जो हूँ सो हूँ!”
उसने यह नहीं कहा था, ”मैं था“ या ”मैं होऊँगा”, परन्तु उसने तो वर्तमानकाल में ही कहा था, “मैं हूँ। मैं अब्राहीम, इसाहक, और याकूब का परमेश्वर हूँ। मैंने अपने लोगों की चिल्लाहट सुन ली है, और मुझे अपनी प्रतिज्ञा स्मरण है। और यही वह समय है जब वह पूरी हो। मूसा, मैं ही इस लाठी को तेरे हाथ में थाम कर तुझे नीचे भेज रहा हूँ।”37यह क्या था? वह…अब, लोगों ने सोचा कि वह सनकी है; लेकिन उसने क्या किया था? वह अपनी ही छावनी में से बाहर निकला, फिरौन ने उसे स्कूली छावनी में चालीस वर्ष के लिए शिक्षित किया था, और वह विफल हुआ था। और परमेश्वर ने उसमें से उसे बाहर निकालने के लिए एक और चालीस वर्ष लिये थे। वह सारी शिक्षा और वह सारा धार्मिक ज्ञान जो उसे सिखाया गया था; उसमें से बाहर निकालने के लिए चालीस वर्ष लगे थे, और फिर परमेश्वर ने उसका चालीस वर्ष तक उपयोग किया।परमेश्वर अपने लोगों को तैयार करने में एक अच्छा खासा समय लेता है। परन्तु आप देखते हैं, कि वह मूसा को तब तक कभी नहीं ले सका था – वह मूसा को अपनी पकड़ में तब तक कभी नहीं ले सका था जब तक कि मूसा अपनी मानव-निर्मित छावनी से, सैनिक रीति से इसे करने के तरीके से,
और इसे करने के स्वाभाविक तरीके से बाहर नहीं निकल आया था; और इसे करने के परम आलौकिक तरीके में नहीं चला गया था। फिर जब वह उस छावनी के अन्दर चला गया था, तो तब परमेश्वर उसका उपयोग कर सकता था।38अब देखिए, हम इस जंगल में देखते हैं ..हम ध्यान देते हैं कि जब उन्होंने अपना मोर्चा लिया, और मिस की छावनी से परमेश्वर की छावनी में आये; तो वे उन सब पुरोहितों व उन लोगों की छावनी में से बाहर निकलकर आये जो कहते थे, “तुम शेष समय के लिए अपने को गुलाम ही बनाये रखो।”…जब मूसा भविष्यद्वक्ता वहाँ नीचे आया, और यह प्रमाणित किया कि परमेश्वर का वचन अति निकट है, कि जिस परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है वह लोगों को छुड़ाने के लिए वहाँ पर है, तो वह उस छावनी से जिसमें वे थे परमेश्वर के उस समय के लिए प्रतिज्ञा किये वचन की छावनी के अन्दर आ गये। उन्होंने उस भविष्यदक्ता पर विश्वास किया था, क्योंकि प्रकटीकरण का चिन्ह यह प्रमाणित कर रहा था कि वह बिलकुल ठीक परमेश्वर का वचन था। और जो बातें उसने प्रमाणित की थी ठीक थीं;
और आग का खम्भा उसके साथ उसके पीछे चल रहा था; और यह सिद्ध हुआ था कि वह परमेश्वर का वचन था।39अब, देखिए इस छावनी में.. इस छावनी में आश्चर्यकर्म, चिन्ह और अद्भुत काम थे। उन्होंने उन्हें जंगल में आगे बढ़ाया। उन्होंने अपनी स्वाभाविक छावनी छोड़ दी थी, उन्होंने मिट्टी की छावनी छोड़ दी थी; उन्होंने भूसे और ईट की बनी छावनी को, कि वे तम्बूओं में जंगल में। वास करें जहाँ कोई अन्न का दाना या अन्य कुछ नहीं था; छोड़ दी। थी। परमेश्वर कभी कभी हम से हमारी अपनी समझ के लिए मूर्खतापूर्ण कार्य करने के लिए कहता है। और यदि कभी आप अपनी निज समझ की छावनी को छोड़ देते हैं, तो यही वह स्थान है जहाँ आप परमेश्वर को पायेंगे।अब ध्यान दीजिए, जब वे जंगल में आये, जब वे इस छावनी के अन्दर चले आये, तो वहाँ अद्भुत काम व चिन्ह हुए। अब स्मरण रखिए, कि उन्होंने मिस की छावनी छोड़ दी थी और वे जंगल में परमेश्वर की छावनी के अन्दर आ गये थे।
और आप कैसे जानते हैं कि ऐसा ही था? परमेश्वर ने कहा था, “तेरे लोग चार सौ वर्ष तक परदेशी होकर रहेंगे, परन्तु मैं एक शाक्तिशाली हाथ से उन्हें बाहर निकाल लाऊँगा, और मैं उन्हें यहाँ यह भूमि दूंगा”। और वे एक प्रमाणित प्रकाश के दारा, एक प्रमाणित भविष्यदक्ता के द्वारा अपने मार्ग पर थे, और चिन्हों व अद्भुत कामों के द्वारा प्रमाणित हुआ था कि परमेश्वर छावनी में था। और वे अपने मार्ग पर थे। उनके पास आग का खम्भा था, उनके पास एक भविष्यद्वक्ता था; उनके पास मन्ना था, उनके पास जीवता जल था। आमीन। उनके पास अवसर था – उन्होंने भूमि-सरीखी अपनी बदली थी। उन्हें तो ऐसा ही करना था; वे इन बातों को मिस्र में नहीं देख सकते थे। उन्हें तो परमआलैकिक को देखने हेतु अपनी भूमि सरीखी।
छावनी को बदलना ही था।इसी प्रकार से इस दिन में लोगों को अपनी छावनी को उन नामधारी कलीसियाओं से बदलना है जो यह कहती हैं, ”आश्चर्यकर्मों के दिन गुज चुके हैं। पवित्र आत्मा का बपतिस्मा जैसी कोई चीज़ नहीं है, और “ये समस्त वचन गलत है, और वे तो किसी और युग के लिए थे। आपको तो अपनी भूमि सरीखी छावनी बदलनी होगी। आप उस छावण से बाहर निकलकर वहाँ जायें जहाँ सभी कुछ सम्भव है।40उस छावनी में हर कोई उसकी उपस्थिति को प्रमाणित कर रहा था। अब ध्यान दीजिए। इसके बाद उन्होंने…मूसा की मृत्यु के बाद उन्होंने रीति-रिवाजों और धार्मिक मतों की मानव निर्मित छावनी बना ली थीं। और परमेश्वर ने कई वर्षों तक उनसे व्यवहार किया था। परमेश्वर अपनी छावनी में …
उनकी छावनी में और अधिक नहीं था, क्योंकि उन्होंने स्वयं अपनी छावनी बना ली थी।स्मरण रखिए, कि जब उन्हें मिस्र में से बाहर बुलाया गया था, तो परमेश्वर ने उन्हें एक भविष्यद्वक्ता प्रदान किया था, उन्हें एक बलिदानी मेमना प्रदान किया था; उन्हें वह सब प्रदान किया जिसलिए उन्हें एक प्रायश्चित प्रदान किया था, उनका मार्ग दर्शन करने के लिए उन्हें एक आग का खम्भा प्रदान किया गया था; और जब बाहर जंगल में आ गये थे, तो वे अभी भी सन्तुष्ट नहीं थे। वे कुछ ऐसा चाहते थे जो वे स्वयं कर सकें। अनुग्रह ने उन्हें उसे प्रदान किया था; लेकिन अब वे खुद ही कुछ करना चाहते थे, अतः उन्होंने अपनी एक संस्था बनायी, और उनमें वाद-विवाद और लड़ाई झगड़ा हुआ, और इस बात पर विवाद हुआ कि कौन महायाजक बनेगा, और कौन यह, वह या अन्य कोई होगा। एक दिन परमेश्वर ने मूसा से कहा, “मूसा, तू अपने को उनसे अलग कर ले।” और उसने उन्हें बस कोरह के प्रतिवाद (अस्वीकरिता) के लिए निगल लिया था।41अब ध्यान दीजिए;
कि इन सब चिन्हों और आश्चर्यकों ने उसकी उपस्थिति प्रमाणित की थी। फिर मनुष्य ने अपनी ही एक छावनी बनायी; उसने धार्मिक मत और रीति रिवाज़ की छावनी बनायी; परमेश्वर के वचन की छावनी नहीं, वरन अपनी ही एक छावनी बनायी। उसे उन्हें छोड़ देना था, क्योंकि वह वचन है। वह वहाँ नहीं रुक सकता है जहाँ उसके वचन से बाहर शिक्षा दी जाती है। परमेश्वर इस प्रकार की छावनी मैं नहीं रह सकता है। वह ऐसी छावनी में नहीं रह सकता है। वह ऐसी जगह कदापि नहीं रहा है। उसे तो वहीं रहना चाहिये जहाँ उसका वचन है।42फिर जब उसे ऐसी छावनी को छोड़ना था जो उन लोगों के झुण्ड की थी जिसे वह मिस्र से बाहर निकाल कर लाया था, तो उसे केवल अपने उन भविष्यद्वक्ताओं के बीच में वास करना था जिनके पास उसका वचन आया। समय की पहचान कराने के लिये वचन भविष्यद्वक्ता के पास आया।
उसने अपने भविष्यद्वक्ताओं के बीच वास किया और भविष्यद्वक्ता। पर प्रकट किया कि कैसे उन्होंने श्रापित किया – कैसे लोगों ने चीजों को श्रापित किया। और परमेश्वर ने उन्हें अपनी आज्ञाएं और जीवन की रीति सिखायी। और लोग सदैव ही इसके विरुद्ध थे। और उन्होंने भविष्यद्वक्ता को सताया, और अन्त में उस को पत्थरवाह किया या उसे चूर-चूर कर दिया और उससे छुटकारा पाया।यीशु ने कहा था, ”तुम्हारे पिताओं ने भविष्यद्वक्ताओं में से किसको नहीं मारा? जितनों को उनके पास भेजा गया उन्होंने उनके साथ ऐसा ही किया, और अब तुम अपने ही पिता के कामों को करोगे।” वह साम्यवादियों से बातें नहीं कर रहा था वह तो पुरोहितों, फरीसियों, और सढकियों से, नामधारी कलीसिया के लोगों से बातें कर रहा था।
मैं। सोचता है कि उसकी आवाज़ आज रात्रि बहुत अधिक बढली हुई ना हो। हो सकता है कि उसका शब्द उससे थोड़ा सा अधिक भंयकर जो उनके लिये था।43अब देखिये, हम देखते हैं कि इसके बाद उसने अपने भविष्यद्वक्ताओं। में वास किया। फिर वह लोगों के लिये अजनबी बन गया, क्योंकि वह अपने वचन की पुष्टि करने के लिये अपने वचन में वास करता है। बाइबिल कहती है, कि वह अपने वचन पर दृष्टि लगाये रहता है ताकि उसकी पुष्टि हो। वह किसी ऐसे को ढूंढने का प्रयास कर रहा है….. काश वह शिमशोन जैसा बेमन व्यक्ति पा सके। शिमशोन ने अपनी सामर्थ्य परमेश्वर को समर्पित की थी। लेकिन उसने अपना हृदय दलीला को दिया था। ठीक इसी प्रकार आज हम बहुत सी बार करते हैं, हम थोड़ा कुछ तो परमेश्वर को दे देते हैं लेकिन अपना सर्वस्त्र उसे नहीं देते हैं। लेकिन परमेश्वर हमारा सर्वत्र चाहता है।जैसे कोई बीमा-योजना होती है, जब आपको कोई बीमा-योजना मिल जाती है, तो हो सकता है कि आपको उस योजना की सम्पूर्ण राशि मिल जाती हो। और ठीक इसी प्रकार से यह आशीषित आश्वासन हमारे लिये करता है। यह एक पूर्ण विस्तार योजना है। इसके अन्तर्गत वह सब चीजें पायी जाती हैं जिनकी हमें यहाँ इस जीवन में आवश्यकता होती है, हमारा पुनरुत्थान, और अनन्त जीवन इसी में पाया जाता है।
इसी में सब कुछ पाया जाता है।44ध्यान दीजिए! परमेश्वर उनकी छावनी से चार सौ वर्ष तक बाहर रहा। क्यों? क्योंकि उसका कोई भविष्यद्वक्ता नहीं था। मलाकी से लेकर यूहन्ना तक; चार सौ वर्ष तक इस्राएल के चक्र में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था। परमेश्वर उनकी छावनी से बाहर था। उन्होंने उसे अपने धार्मिक मतों और अपनी स्वार्थी भावानाओं और वचन के सम्बन्ध में अपने मतभेदों के व्दारा बाहर कर दिया था। वे चार सौ वर्ष तक बिना वचन के थे। उसने मलाकी तक जो कि(पुराने नियम का) अन्तिम भविष्यद्वक्ता था, एक भविष्यद्वक्ता से दूसरे भविष्यद्वक्ता तक यात्रा की; और इसके बाढे चार सौ वर्षों तक उनके पास कोई भविष्यद्वक्ता नहीं था।और इसके बाद परमेश्वर पुन: दृश्य पर आया। एक दिन वह फिर से उनके मध्य में चला फिरा, लेकिन उन लोगों में उनके अपने रीतिरिवाज़ उसका इतना अधिक स्थान ले चुके थे, कि वह उनके लिए अजनबी था। उनके पितरों के रीति-रिवाज ऐसे थे कि….
बर्तनों को मंजना और कैसे केश सज्जा की जाए, और निश्चित बटन ही उनके अंगरखों में लगाये जायें, और उनके ऊन के निश्चित वस्त्र थे; और एक निष्ठावान् फरीसी होता था, और दूसरा सिलूकी होता था; और ये सब बातें उन लोगों के मध्य वचन को इतना अधिक स्थान ले चुकी थी, कि जब परमेश्वर उनके पास आया, तो वह एक अजनबी था।45मैं इसे प्रेम व आदर सहित कहता हूँ; लेकिन इसे आपके अन्दर बैठाने के लिए कहता हूँ, कि बिलकुल ठीक वही बात आज है। इसमें लेशमात्र भी बदलाव नहीं आया है। जब वह लोगों के मध्य अपनी सामर्थ और प्रकटीकरण के साथ आता है कि अपने वचन को प्रमाणित करे; कि वह कल, आज, और युगानुयुग एकसा है – क्योंकि वह वचन है, तो लोग कहते हैं, “यह तो भावी बतानेवाला है, यह तो बालजबूल है, यह तो ओनली जीजस है।” – या लोग इसी प्रकार की दूसरी बातें कहते हैं। आप को लोग कहीं न कहीं वर्गीकृत कर डालते हैं। परन्तु इसे तो इसी रीति से ही होना है। देखिए, हमारे पास लगभग दो हज़ार वर्षों से कोई भविष्यद्वक्ता नहीं है। आप जानते हैं कि अन्य जातियों को वह नहीं मिला है – जिसकी अन्त में आने की प्रतिज्ञा की गयी है। अब, हम यह वचन से जानते हैं। हम यह इतिहास के द्वारा भी जानते हैं, कि हमसे इसकी प्रतिज्ञा की गयी है।46अब देखिए, चार सौ वर्ष के पश्चात एक दिन परमेश्वर उन के मध्य में चला-फिरा। वचन के अनुसार तो उसे देहधारी होना था और उनके बीच डेरा करना था। उसका नाम अद्वैत पराक्रमी परमेश्वर, शान्ति का राजकुमार, अनन्तकाल का पिता होगा।”
और जब वही लोगों के मध्य में आया, तो उन्होंने कहा, ‘हम इस मनुष्य को अपने ऊपर प्रभुता नहीं करने देंगे। उसके पास संगति करने का क्या प्रमाण पत्र है? किस नामधारी कलीसिया ने उसे भेजा है?” उसे कोई सहयोग नहीं मिला था, जिस किसी कलीसिया के पास वह गया, प्रत्येक ने उसे बाहर निकाल दिया। उन्हें उससे कुछ लेना देना नहीं था, क्योंकि वह उनमें से एक नहीं था। और जैसा यह तब था, ठीक वैसा ही यह अब है। बाइबिल में कहा गया है, कि लौदीकियायी कलीसिया उसे बाहर कर देगी, और वह द्वार पर खटखटा रहा होगा और अन्दर आने का प्रयास कर रहा होगा। कहीं न कहीं तो कुछ गड़बड़ है।47अब देखिए, ऐसा क्यों है? क्योंकि उन्होंने अपनी ही छावनी बना ली है। उन्होंने …यदि उन्होंने वचन जाना होता, तो उन्होंने यह भी जाना होता कि वह कौन था। यीशु ने कहा था, “यदि तुम …तुम पवित्रवचनों में ढूंढों, क्योंकि तुम सोचते हो कि तुम्हें अनन्तजीवन उनसे मिलता है। ये वही हैं जो तुम्हें बताते हैं कि मैं कौन हूँ।”
यही है वह जो वचन ने कहा था। अब देखिए, ‘ये मेरी ही गवाही देते हैं। और यदि मैं उन कामों को नहीं करता हूँ जिनकी प्रतिज्ञा की गयी थी कि मैं करूँगा, यदि मैं अपने पिता को; वचन के कामों को नहीं करता हूँ। …” आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था, और वचन देहधारी हुआ, और उसने हमारे बीच डेरा किया…
अब यदि मैं ही वह व्यक्ति हुँ; तो वचन में ढूंढों, और देखो कि मुझे क्या करना था। यदि मैं उसके योग्य नहीं ठहरता हूँ; यदि मेरे कामों की वचन गवाही नहीं देता है, यदि मेरी पिता गवाही नहीं देता है, यदि वे इसकी पहचान नहीं करते हैं कि मैं कौन हूँ; तो मैं गलत हूँ।” यह सही बात है। “यदि तुम मेरी प्रतीति नहीं कर सकते हो, तो वचन की तो प्रतीति करो – (उसने कहा था) उन कामों की तो प्रतीति करो जो वचन करता है।’48देखिए, वह उनके बीच अजनबी था। वे उसे नहीं जानते थे। हमें इस व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं रखना है।” वह बस एक विचित्र व्यक्ति था जो कहीं पर अस्तबल में (घुड़साल में) जन्मा था, और लोग विश्वास करते थे कि उसकी माँ के यह बालक तो उससे पहले ही उत्पन्न हो गया था – या यह पहले ही उत्पन्न हो गया था – उसके तो यह जायज सन्तान उत्पन्न हो गयी थी, बल्कि इससे पहले कि यह बालक उत्पन्न होता वह भाग गयी थी, और उसने यूसुफ से विवाह कर लि था, और उसने तो ऐसा बस उसपर से उसके चरित्र के काले धब्बे मिटाने के लिए किया था, और वह एक प्रकार से एक विचित्र व्यक्ति बन गया; क्योंकि वह नाजायज रुप से उत्पन्न बालक था, और यही का था कि वह था…और जब वह बाहर आया, तो उसने क्या किया था। उसने उनके धार्मिक मतों को चूर चूर कर दिया था, और उसने कहा था, “यह लिखा है।” आमीन। यही तो है वह जो बताना चाहिए कि वह कौन था। ”यह लिखा है।”49खैर, उन्हें उस जैसे व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं रखना था। परन्तु वे अपने हृदय के भीतर कहीं यह जानते थे, कि वह कौन था, क्योंकि नीकुदेमुस ने स्पष्ट रूप से यह कहा था,
“हे रब्बी हम (फरीसी) जानते हैं, कि तू परमेश्वर की ओर से गुरु होकर आया है, क्योंकि कोई भी इन कामों को जिन्हे तू करता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं कर सकता है।” तो फिर क्यों उन्होंने उसे ग्रहण नहीं किया था? ऐसा इसलिए था क्योंकि उनकी छावनी ने अपनी सीमा निर्धारित की हुई थी, और वे उसे अपनी छावनी में आने नहीं देते थे, और किसी को उसकी छावनी में जाने – नहीं देते थे। उनकी अपनी निज छावनी थी। वह। उसके पास रात्रि में तब आया जब वास्तव में फाटक बन्द हो चुके थे, परन्तु उसने यह पाया कि कैसे भी हो वह उससे भेंट कर सकता है।जी हाँ, ठीक वैसा ही अब है। वे हुए …वह अज़नबी था, वह बेगाना था। वे यह नहीं समझते हैं, कि ”ऐसा क्यों होगा?” और ”वैसा क्यों होगा?“ जबकि वह स्वयं गवाही देता है कि यह बिलकुल ठीक वहीं है जो इस दिन में होना चाहिए था। कैसे…हम इसका बार बार अध्ययन कर चुके हैं, लेकिन यह सत्य है।50वह उनकी अपनी छावनी में उनके लिए मतान्धा, हठधर्मी, उनके रीति-रिवाज़ों को तोड़नेवाला, उनकी कलीसियाओं को छिन्न-भिन्न करनेवाला, वास्तव में बस भावी बतानेवाला, आत्मिक तौर पर बालजबूल कहलाया जानेवाला था। उनके लिए वह यही था। और मैं विश्वास करता हूँ, कि यदि आज वह हमारे बीच में आ जाता है, तो वह हमारे लिए ठीक यही सब होगा, क्योंकि हमारे अपने रीति-रिवाज़ हैं, हमारी अपनी नामधारी कलीसियाएं हैं। यहाँ तक है कि हम तो एक दूसरे के साथ साथ भी नहीं चल सकते हैं।
क्यों? क्योंकि केवल एक ही स्थान है जहाँ मनुष्य एक साथ रह सकता है, और वह है बहाये हुए लहू के तले। और वह लहू जीवन के अंकुर के रुप में बहाया गया था ताकि इस बीज को, इस वचन रुपी बीज को अंकुरित करे। इसके बाहर तो हमारी नामधारी कलीसियाओं के अवरोध सदैव ही लोगों को बाहर ही खेंगे।51परन्तु आज वह अजनबी हुआ होता; उसे ठीक उन्ही नामों से पुकारा गया होता। उसने वैसे ही कार्य-कलाप किये होते…उसे छावनी से बाहर कर दिया गया होता। और क्या आप जानते हैं, कि ठीक वही बाइबिल कहती है, क्योंकि वह लोगों का ठुकराया हुआ था; और वह दुखी मनुष्य था; रोगों से उसकी जान पहचान थी, और उन्होंने उसे त्याग दिया था; और उसे परमेश्वर का मारा कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा”, ठीक वही पवित्र वचन ऐसा ही बताता है…भविष्यद्वक्ता ने यह गाया था, “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है? मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ, वे मुझे देखते और निहारते हैं। वे मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।” जब वे इस गीत को अपनी कलीसिया में गा रहे थे, और सोच रहे थे कि वे परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं तो, उसी परमेश्वर को वे क्रूस पर मार रहे थे; उसी की वे बलि कर रहे थे। और ठीक वैसा ही आज है। वही परमेश्वर….52देखिए जब आमोस भविष्यद्वक्ता सामरिया में आया, तो उसने क्या कहा था। और जब वह वहाँ पर आया तो उसने बारीकी से दृष्टि डाली:
और उस पापमयी नगरी को देखा, स्त्रियाँ पुरुषों के साथ सड़कों पर लेटी हुई थीं…वह एक आधुनिक अमेरिका ही था…जब उसने दृष्टि डाली, तो उसकी आँखें झेंप गयीं…और उसके पास कोई नहीं था जो उसकी सभाओं का आयोजन करता, उसके पास सहभागिता का कोई पत्र नहीं था। परमेश्वर ने ही उसे भेजा था। क्या लोगों ने उसका सन्देश सुना होगा? जी नहीं, उन्होंने उसकी नहीं सुनी होगी। परन्तु उसने भविष्यवाणी की थी कि ”जिस परमेश्वर की सेवा करने का तुम धावा करते हो, ठीक वही परमेश्वर तुम्हारा सर्वनाश कर देगा।” और मैं येशु मसीह के नाम में कहता हूँ, ठीक वही परमेश्वर …यह राष्ट्र जो धार्मिक राष्ट्र होने का दावा करता है – वे जिस परमेश्वर की सेवा करने का दावा करते हैं ठीक वही परमेश्वर उन्हें उनके अधर्म में नाश कर देगा; जिस परमेश्वर की सेवकाई करने का नामधारी कलीसियाएं दावा करती हैं, वही परमेश्वर पृथ्वी की सतह से हर नामधारी कलीसिया को उखाड़ फेंकेगा।अत: ध्यान दीजिए। उसने उन्हें लताड़ा, था और उन्होंने उसे अपनी छावनी से बाहर निकाल दिया था। यीशु ने छावनी के बाहर दुख उठाया था। उन्होंने उसे छावनी से बाहर निकाल दिया था।हम यह देखते हैं कि बाइबिल कहती है,
कि अन्त के दिनों में लौदीकियायी काल के अन्र्तगत लोग ठीक ऐसा ही करेंगे। वे उसे छावनी से बाहर निकाल देंगे (अब, देखिए कि वह अन्त में क्या करने के लिए कहता है)- उसे छावनी से बाहर वहाँ निकाल दिया गया जहाँ बलिदान जलाये जाते थे। यही है वह जहाँ का वह था; वह एक बलिदान ही तो था।53अब देखिए, भाइयों, और बहनों, क्या आप जानते हैं कि आप सभो में से प्रत्येक को बलिदान होना चाहिए; आपको परमेश्वर का बलिदान होना चाहिए; आपको संसार की चीजों को त्याग देना चाहिए। आपको इस संसार के सुख विलास को त्याग देना चाहिए, आपको संसार की चीज़ों को त्याग देना चाहिए? क्या आप वह कारण जानते हैं कि लोग ऐसा क्यों नहीं करेंगे?आप जानते हैं, कि अॅड-एक भेड़ के पास कुछ नहीं, वरन देने के लिए एक ही चीज़ होती है, और वह है ऊन। और अब देखिए, कि उससे इस वर्ष के लिए कुछ ऊन उत्पन्न करने या बनाने के लिए नहीं कहा जाता है, उससे तो ऊन उगाने के लिए कहा जाता है। हमसे कुछ चीज़ बनाने के लिए नहीं, अपितु आत्मा के फल उगाने के लिए कहा जाता है। ऐसा ही, भेड़ के अन्दरवाले भाग में होता है …जो उसके अन्दरवाले भाग में होता है, वही उसके बाहरवाले भाग में ऊन बनाता है। और जब किसी मनुष्य के अन्दर मसीह होता है, तो वह उसे बाहर से भी मसीह के जैसा ही बना देता है, ऐसा बनावटी रुप में नहीं होता है।अच्छा, हम देखते हैं कि जब ऐसा घटित होता है, जब मसीह वापस आता है, तो उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाता है? ठीक जैसा कि उसके साथ आरम्भ में किया गया था। सदैव ऐसा ही हुआ है।
54अत: उसने उन्हें ऐसा लताड़ा, कि उन्होंने उसे उसकी छावनी से ही बाहर कर दिया और उसे एक पापी के जैसा बना डाला; वह हमारे लिए पाप बन गया था।अब, दो सौ वर्ष के पश्चात् – जी हाँ, लगभग दो हजार वर्ष के पश्चात् – वह अपने प्रतिज्ञा किये वचन के अनुसार फिर से उनकी छावनी में भेंट करता है, जैसा कि उसे अन्त के दिनों में करनी है। वह उनकी छावनी में फिर से आता है। आज वह इस वचन को साक्षात् पकट करने लिए उनकी छावनी में ठीक वैसे ही भेट करता हैं। जैसे उसने पूर्वकाल म उस दिन में भेंट की थी, जैसे उसने मूसा के दिनों में भेंट की थी। यह मूसा नहीं था जो वह कर रहा था: यह मसीह ही था जो वह कर रहा था, मूसा तो बस एक मनुष्य ही था।55यूसुफ को देखिए! यूसुफ का जीवन देखिए; वह अपने पिता का प्यारा था; लेकिन उसके भाइयों ने उससे घृणा की, क्योंकि वह एक भविष्यदर्शी था। और उन्होंने उससे अकारण ही घृणा की। केवल यही एक कारण था जिसकी वजह से वे उससे घृणा कर सकते थे। यह आज की बिलकुल बिलकुल सिद्ध तस्वीर है। कलीसिया (नामधारी कलीसि फिर से आत्मिक जन से घृणा करती है। और हम यह पाते हैं कि उसे चाँदी के लगभग बीस सिक्कों में बेच दिया गया था, उसे मरा हुआ समझा लिया गया था, और उसे ऊपर उठाया गया, और उसे बन्दीगृह में डाल दिया गया; (जैसे यीशु क्रूस पर था) एक व्यक्ति नाश हो गया था, और दूसरा बच गया था। और वहाँ से निकालकर उसे फ़िरौन के दायी ओर विराजमान किया गया। उसके साथ बिलकुल ठीक वैसा ही हुआ जैसा यीशु के साथ किया गया था।56यह दाऊद था जो रोता हुआ सड़कों से होता हुआ जा रहा था, वह एक ठुकराया हुआ राजा था, और वह एक पहाड़ पर बैठकर यरुशलेम पर रोया। यह दाऊद नहीं था। कुछ सैकड़ों वर्ष के पश्चात् दाऊद का पुत्र ठीक उसी पहाड़ पर बैठा,
और रोया, क्योंकि वह अपने निज लोगों में ही एक ठुकराया हुआ राजा था। यह सदैव ही मसीह था। और आज जब यह भविष्यवाणी है, कि मसीह को छावनी में आना चाहिए, तो क्या आप जानते हैं कि क्या हुआ है? यह बिलकुल ठीक वैसा ही होगा जैसा यह तब हुआ था। इसे तो ठीक उसी रीति से पूरा होना है जैसी वचन ने यहाँ प्रतिज्ञा की है कि वह इसे करेगा।अब स्मरण रखिए, कि मसीह नूह के युग में था। वह मसीह ही था; और यीशु मसीह कल, आज और युगानुयुग एक सा है। वहीं उस घड़ी का ठुकराया हुआ वचन था।57ध्यान दीजिए; कि प्रकाशितावाक्य ३ में उसकी भविष्यवाणी पायी जाती है, कि जब वह इन अन्त के दिनों में आयेगा – जैसी कि उसने भविष्यवाणी की है, कि वह इस अन्त के दिन में आयेगा…और वह लौदीकियायी काल में कलीसिया को कैसा पाता है? वह धनी है, और उसे किसी चीज़ की कोई आवश्यकता नहीं है, और वह रानी के जैसे विराजमान है, और वह कोई दुख नहीं देख सकती है, और उसने उसे कलीसिया से बाहर किया हुआ है, और उसके लिए कोई काम नहीं है। वह फिर से बिना छावनी के ही बाहर गया है। परन्तु तब वह यह नहीं जानती, कि वह नंगी, अन्धी और कंगाल है; और वह यह नहीं जानती है।फिर यह है, कि यदि वह फिर से उसी रीति से आ जाता है जैसे वह तब आया था, तो उसने हर एक उस स्त्री को जो छोटे छोटे वस्त्र पहनती है फटकारा होता। उस ने हर एक बाल कटी, चेहरे पर रंगों की लिपा पोती करनेवाली हर एक स्त्री को डॉटा होता है; उसने हर एक ऐसे पुरुष को जो अपनी पत्नी को ऐसा काफ़ी करने देता है, डांटा होता। उसने अभी भी वही किया होता…
उसने उस हर नामधारी कलीसिया को जो थी चूर चूर कर दिया होता; और हमारे प्रत्येक नामधारी मत को छिन्न-भिन्न कर दिया होता। क्या आप विश्वास करते हैं कि उसने ऐसा ही कर दिया होता? उसने निश्चय ही ऐसा कर दिया होता। यह सही बात है।लोगों ने उसके साथ क्या कर दिया होता? उसे छावनी से ही बाहर कर दिया होता। उन्होंने निश्चय ही उसके साथ कोई सहयोग नहीं किया होता। जी नहीं, श्रीमान।58अब, हम फिर से उसे इस दिन में देखते हैं जैसा कि बाइबिल कहती कि उसे छावनी से बाहर कर दिया जायेगा। क्योंकि वह तो सर्वदा एकसा ही रहता है, वचन तो कल, आज और युगाननुयुग एकसा ही रहता है।वे उसे नहीं चाहते हैं। उन्होंने आपने संघ के साथ फिर से उसे करा दिया है। वे आज ठीक वैसा ही करना चाहेंगे जैसे उन्होने तब किया था जब वह न्याय के कटघरे में था… और आज जब वचन कटघरे में है, तो क्या हुआ है? उन्होंने उसे फिर से वैसे ही ठुकरा दिया है जैसे उन्होंने उसे तब ठुकरा दिया था; और मसीह को ग्रहण करने के बजाये बरा अब्बा को, एक हत्यारे को स्वीकार किया था। आज गिरजों का संघ ठीक वैसा ही करेगा। और आज चूंकि उन्होंने वचन और इस समय की सिद्ध पहचान को ठुकरा दिया है; और उसे बेच दिया है और वे बरा अब्बा चाहते है, गिरजों का विश्व संघ, अथात् वचन का है चाहते हैं।59वे उसके वचन का इन्कार करते हैं। उसके बपतिस्मे का इन्कार करते हैं, उसकी सामर्थ का इन्कार करते हैं, उसके चिन्हों का इन्कार करते हैं, और अपने धार्मिक मत या रीति-रिवाज़ पी कॉलरों को ऊपर की ओर मोड़कर ऐसा ही सब कुछ कर रहे हैं,
और अपनी अवधारणा और धार्मिक मत तथा इत्यादि इत्यादि बना रहे हैं, वे भले कामों पर ऐसा करने की चेष्टा कर रहे हैं …वे तो आरम्भ से ही (अनन्त) जीवन के लिए ठहराये नहीं गये थे। उनके पास कुछ ऐसा है ही नहीं कि वे विश्वास करें। यीशु ने कहा था, “वह जो मुझे जानता है, मेरे पिता को जानता है। जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं तुम्हें भेजता हूँ।” जिस परमेश्वर ने यीशु को भेजा वही यीशु के अन्दर गया; और वह यीशु जो तुम्हें भेजता है तुम्हारे अन्दर जाता है। वह जो मुझ पर विश्वास करता है ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा। तुम सारे जगत में जाओ और सभी लोगों को (चाहे वह काला, पीला, सफेद, भूरा हो, या वह चाहे कोई हो) सुसमाचार का प्रचार करो। ये चिन्ह उनके होंगे जो विश्वास करते हैं। …किसको सुसमाचार का प्रचार किया जाये? सारे जगत को और सारे लोगों को।60अधिक समय नहीं हुआ कि टयूसान में एक बैपटिस्ट प्रचार मेरे पास आया, और उसने मुझसे कहा, “भाई ब्रहम, यहाँ पर आपक समस्या है। आप इसे प्रेरितों का युग बनाने की चेष्टा कर रहे हैं। प्रेरितों का युग समाप्त हो चुका है।”मैंने कहा, “क्या ऐसा ही है? मैं तो यह नहीं जानता था?”फिर उसने कहा, “जी हाँ, ऐसा ही है।
”मैंने कहा, “क्या आप इस बात में सुनिश्चित हैं?”उसने कहा, “निश्चय ही; मैं सुनिश्चित हूँ। यह बिलकुल ठीक है।”मैंने पूछा, “आप कैसे सोचते हैं कि वह समाप्त हो चुका है?”उसने कहा, “वह तो केवल प्रेरितों के लिए ही था।”मैंने कहा, “पतरस ने पिन्तकुस्त के दिन कहा था…क्या आप उसकी बात का विश्वास करते हैं?”“जी हाँ; श्रीमान।”उसने कहा था, “मन फिराओ, और तुम में से हर एक यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले; क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम; और तुम्हारी सन्तानों, और तुम्हारी सन्तानों की सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिए भी है जिन्हें प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।”61यह ठीक वही प्रतिज्ञा है; हमें तो वापस इसी पर आना है।डॉकर शिमौन पतरस ने एक नुसखा लिखा था। बाइबिल कहती है, कि “क्या गिलाद में कोई बालाम नहीं है? क्या कोई वैध नहीं हैं?” खैर, आप जानते है, कि यदि आप किसी चिकित्सक का कोई नुस्खा लेते हैं …जब कोई वैध उस बीमारी को जो आपके शरीर में होती ज्ञात कर लेता है, तो वह एक नुस्खा लिखता है और आपके लिए उचित यही है कि आप उसे पूरा करें, आप किसी ऐसे असली औषधि-विक्रेता के पास जाये जो उसे बिलकुल ठीक वैसा ही तैयार करे जैसा वह लिखा हुआ है, क्योंकि उसे उसमें इतना अधिक विष और इतना अधिक प्रति-विष मिलाना होता है, कि आपका तन्त्र उसे ले सके। आप देखिए, …वह तो पहले ही जाँचा परखा जा चुका है और सिद्ध किया जा चुका है, आपको तो उस नुसखे को ले लेना चाहिए। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप किसी अनाड़ी वैध के पास चले जाते हैं जो आपको मूर्ख बनाये; और जो यह नहीं जानता है कि औषधि की ठीक ठीक माप क्या होनी चाहिए, और वह तो आप को मार ही देगा।
और यदि वह इसमें बहुत अधिक क्षीणता भर देता है, तो इससे आपका कुछ भला न होगा।62और ठीक यही मामला तुम में से बहुतेरे चिकित्सकों के साथ है। तुम उस नुसखे से उल्लू बना रहे हो। पतरस ने तो कहा था, “मैं तुम्हें और तुम्हारी सन्तानों और उन दूर दूर तक के लोगों के लिए जिन्हें प्रभु हमारा परमेश्वर बुलायेगा एक अनन्तकालीन नुसखा दूंगा।” यह वह नहीं है, कि ”आओ और शामिल हो जाओ।” वरन यह तो ये है, कि ‘तुम में हर एक एक मन फिराये, और अपने अपने पाप की क्षमा (मोचन) के लिए यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा ले, (आमीन। इसका परिणाम यह होगा, कि) तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे, क्योंकि यह प्रतिज्ञा; यह नुसखा तुम और तुम्हारी सन्तानों के लिए है।” अब, तुम में से जो अनाड़ी वैध हैं. वे उन नकली नुसखों को लिखना बन्द कर दें, तुम अपने लोगों की हत्या कर रहे हो,
यही कारण है कि असली चीज़ उनके पास तक नहीं पहुँच रही है। जी हाँ।63आप जानते हैं कि ठीक इसी नुसखे पर कोई चिकित्सक (वैध) कैसे अपनी औषधि पाता है। वे सदैव लेते हैं और …वैज्ञानिक कुछ चीज़ बनाने की चेष्टा करते हैं, और फिर वे उसे गाय सुअर को देते हैं, और देखते हैं कि वह उसे मारती है या नहीं। और फिर आप जानते हैं कि उस औषधि को लेने का जोखिम उठाया जा सकता है। हो सकता है। कि आप उससे ठीक हो जायें; और हो सकता है कि यह किसी दूसरे को मार डाले, क्योंकि हो सकता है, कि सभी लोग गायना सुअर के जैसे न हो। अतः ….परन्तु इस नुसखे के विषय में एक बात है, कि यह सब के लिए है।और फिर, कोई भी अच्छा वे असली वैध जो नहीं करता है…जिसे अपनी औषधि पर बहुत अधिक विश्वास होता है, वह अन्य किसी से नहीं लेगा. उनमें से कुछ तो इतने अधिक डरपोक होते हैं कि कहीं उन्हें जीवन कारावास न हो जाये, और यदि वह इस पर जीवित रहता है। से छोड़ दिया जाता है, कि वह वो नुसखा ले। परन्तु इस प्रसंग हमारे पास एक असली वैध है; वह आता है, और स्वयं नुसखा लेता है।64’मैं हूँ ना कि ‘मैं होऊंगा” परमेश्वर कहता है, “मैं ही पुनरुत्थान और जीवन हूँ, वह जो मुझ पर विश्वास करता है यदि वह मर भी जायें तो भी जीवित रहेगा, और जो जीवित है, और मुझपर विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा।’ मारथा ने कहा – उसने मारथा से कहा, ”क्या तू इसका विश्वास करती है?”उसने कहा, “हाँ, प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ, कि तू मसीह है जो जगत में आनेवाला था। इससे कोई मतलब नहीं है, कि और दूसरे लोग तुझे क्या कहते हैं, मैं तो इसे होते हुए देख चुकी हूँ।”उसने कलवरी पर स्वयं ही वह डंक लिया था। और इस्टर की सुबह मृत्यु उसे जकड़ कर न रख सकी थी:
“मैं पुनरुत्थान, और जीवन हैं।” उन्होंने उसके अन्दर मृत्यु घुसा दी थी, परन्तु वह मृत्यु, अधोलोक, और कब्र पर विजयी होकर फिर से जी उठा था। उसने स्वयं अन्तः क्षेप (इन्जेकशन) लिया, और उसने कुछ वैधों को जिनके पास यह प्रकाशन था कि वह कौन है एक नुसखा लिखने के लिए भेजा : ”लोग क्या कहते हैं, कि मनुष्य का पुत्र कौन है?”पतरस ने कहा, “तू जीवते परमेश्वर का पुत्र, मसीह है।”उसने कहा, “हे शिमौन, तू धन्य है। अब तू यह जान गया है। मैं तुझे स्वर्ग राज्य की कुंजियाँ देता हूँ। जो कुछ तू पृथ्वी पर बान्धेगा उसे स्वर्ग में बन्धूंगा। जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, मैं उसे स्वर्ग में खोलूँगा।”65और पिन्तकुस्त के दिन जब उन्होंने देख लिया कि यह सब चल रहा है, तो उसने कहा, उन्होंने कहा, “हम इस टीके को लेने के लि क्या कर सकते हैं?”यहाँ पर वह नुसखा पढ़ता है; वह कहता है; ”मैं तुम्हें, और तुम्हारी सन्तानों, और उन दूर दूर तक के लोगों के लिए, जिन्हें प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा अनन्तकालीन नुसखा दूंगा” आप किसी दूसरे नुसखे से उल्लू न बनें. आप उससे तो मर जायेंगे। आज वे इसे इतना अधिक क्षीण बनाते हैं, कि यह और कुछ नहीं वरन् नामधारी कलीसियायी जल ही है (यह सही बात है।)
यह तो ऐसा कोई संरक्षक द्रव्य है जो किसी मृत मनुष्य को मृत बनाये रखने के लिए घूसा दिया जाता है। ओह भाई, लेकिन एक सच्चा व विशुध्द अभिषेक है। गिलाद में एक बालाम है, यह अभिषेक प्राण की चंगाई के लिए है। आप किसी और नुसखें से उल्लू न बनें। आप उस नुसखे को ठीक वैसे ही लें जैसा वह लिखा हुआ है, और परमेश्वर तो वचन के लिए ही प्रतिज्ञाबद्ध है, वह किसी धार्मिक मत या किसी अवधारणा या नामधारी कलीसिया के प्रति प्रतिज्ञाबद्ध नहीं है, अपितु वह तो अपने वचन के प्रति ही प्रतिज्ञाबद्ध है। आप नुसखे का पालन करें, वही पहला आधार है। आप उसे आरम्भ करें; और फिर आप पर छाप हो जाती है, और आप कार्य पर जाने के लिए तैयार होते हैं।अब, आप छावनी के बाहर ध्यान दें।66आज उन्होंने एक बराअब्बा चुन लिया है।
जब सुसमाचार विश्व भर में सभी जगह जा चुका है, और चिन्ह व अद्भुत काम बेदारी के पीछे पीछे हो रहे हैं, तो लोग अन्दर आज और इसे करने का यत्न करने के बजाए बराअब्बा के साथ सम्मिलित हो रहे हैं। “इससे पहले कि हमारी कलीसिया में ऐसी बेहूदगी हो व इस प्रकार के कार्य कलाप हों….हम और दूसरे के जैसे उच्च श्रेणी के हो जायेंगे।” अब, उनके पास रोम है, और वे सब एक साथ हो गये हैं, उनके पास एक बराअब्बा है।ध्यान दीजिए, कि फिर हम उस महान छावनी के अन्दर हैं।67हमें आमन्त्रित किया गया है कि हम छावनी के बाहर निकल जायें। इसी कारण, यीशु ने भी लोगों को अपने ही लहू द्वारा पवित्र करने के लिए, फाटक के बाहर दुख उठाया सो आओ…(ध्यान दीजिए) …उसकी निन्दा अपने ऊपर लिये हुए …छावनी के बाहर उसके पास निकल चलें…उसकी क्योंकर जिन्दा हुई थी? इसलिए नहीं हुई, क्योंकि वह मैथोडिस्ट या बैपटिस्ट था; मैं आपको इस बात में सुनिश्चित करता हूँ; उसकी इसलिए निन्दा नहीं हुई, क्योंकि वह फरीसी या सलूकी था; वरन उसकी इसलिए निन्दा हुई, क्योंकि वह प्रमाणित वचन था।“उसकी निन्दा लिये हुए…” उसकी किसलिए निन्दा हुई? क्योंकि वह एक प्रमाणित वचन था। वह सही बात है। यही है वह जो उसने किया था। उसने कहा था, “यदि मैं अपने पिता के कामों को नहीं करता हूँ, तो तुम मेरी प्रतीति न करो। यदि मैं वचन के सभी सवालों का उत्तर नहीं हूँ,
तो…”68नये नियम का यीशु ही पुराने नियम का यहोवा था। यह बिलकुल ठीक है। मैं विश्वास करता हूँ, (जैसा कि मैं आपको इस समय या किसी समय बता रहा था या किसी सभा में बता रहा था, हो सकता कि मैंने इसे यहाँ न बताया हो)” “पुराने नियम का यहोवा ही नये नियम का यीशु है। आप स्मरण कीजिए, कि…जब उस सुबह मैं गिलहरियों के शिकार के लिए जा रहा हूँ; तो यह वहाँ था, वहाँ पर वे तीन बड़े बड़े तने लुढ़क कर पहाड़ पर एक ही में चले गये थे; और मैं वहाँ खड़ा हुआ इसे देख रहा था। और मैं उसके समीप गया, और मैंने अपनी टोपी उतारी, अपनी बन्दूक नीचे रखी। मैं वहाँ ऊपर गया; और एक शब्द ने जंगल हिलाकर रख दिया, कि ”नये नियम का यीशु ही पुराने नियम का यहोवा है। तुम ईमानदार बने रहो।” ठीक उसके नीचे ही हुआ था जहाँ इसके बाद गिलहरियाँ दृष्टिगोचर हुई थी, जहाँ गिलहिश्या अस्तित्व में आयी थीं जबकि वहाँ कोई गिलहरी नहीं थी। समझे? यह सत्य है। समझे? यह सच है। ….?…वह परमेश्वर जिसके सम्मुख मैं खड़ा होता हूँ जानता है, कि यह सत्य है। यह सच है। यह सत्य है।कन्टकी मैं ठीक नीचे ….और आज रात्रि यहाँ पर वे लोग बैठे हुए हैं जो वहाँ पर तब उपस्थित थे जब ऐसा ही फिर से हुआ था। जी हाँ; हम जानते हैं कि यह सत्य है। पुराने नियम का यीशु …69जैसे कि चीनी लोग जब पहली पहली बार यहाँ आये थे, तो वे ना तो हमारी भाषा पढ़ सकते थे और ना ही हमारी भाषा लिख सकते थे। परन्तु वे बड़े ही निपुण धोबी थे। और वे यह करते….आप किसी चीनी लौंड़री में जाते;
तो उसके पास बस कुछ पुराने व साफ सुथरे सफेद कागज़ के टुकड़े होते थे। वह एक भी बात पढ़ नहीं सकता था; और वह जानता था कि यदि वह कुछ लिख दे तो आप उसे नहीं पढ़ सकते थे। अत: जब आप उसके पास जाते, तो वह बस सफेद कागज़ के इस टुकड़े को बाहर निकालता, – इस प्रसंग के विषय में हम कुछ यूँ कहें, कि वह उस कागज़ के टुकड़े को किसी निश्चित ढ़ग से इस प्रकार फाड़ता। अब, देखिए, वह आपको उसी कागज़ का एक टुकड़ा दे देता, और एक टुकड़ा अपने ही पास रख लेता। और फिर जब आप अपने धुले हुए कपड़े वापस लेने के लिए आते, तो वह कहता, ‘मैं कागज़ का आपका टुकड़ा तो देख लूं।” और वह उन टुकड़ों को लेता, और यदि वह उससे मिल जाता, तो यह टुकड़ा वही होता, और तब तब आपको अपने धुले हुए साफ कपड़े वापस मिल जाते।और यीशु हर एक भविष्यवाणी से, और इस प्ररुप से कि पुराने नियम का यहोवा ही नये नियम का यीशु है’ मेल खाता था।
वह हर एक बात से मेल खाता था। अब मुझे इस बात को ईश्वरीय भय और आदर सहित व प्रेम व सत्यनिष्ठा सहित कहने दें, और मैं जानता हूँ कि मैं खड़ा हुआ हूँ, इस घड़ी के सन्देश ने बाइबिल में इस घड़ी के लिए कहीं प्रत्येक बात से मेल खाया है। अब, यदि आपके पास कुछ गन्दे कपड़े हैं, तो उन्हें अन्दर बदल लें। क्या आप मेमने के लहू में शुद्ध हुए हैं?70ध्यान दीजिए, कि उसकी निन्दा अपने ऊपर उठा लें, क्योंकि वह एक प्रमाणित वचन था। जैसा यह तब था ठीक वैसा ही यह अब है। इब्रानियों १२-१३ और १३ में – इब्रानियों १३:८ में हम यह भी देखते हैं, कि वह कल, आज और युगानुयुग एक सा है।सुसमाचार की उसकी निन्दा को उठा रहे हैं, उसके नाम की निन्दा को उठा रहे हैं …उसने कहा था, “मैं अपने पिता के नाम में आया हूँ।” पिता का क्या नाम है? वह अपने पिता के नाम में आया था। उसने कहा था, “मैं अपने पिता के नाम में आया हूँ और तुम मुझे ग्रहण नहीं करते हो।” अच्छा, पिता का क्या नाम है? मैं सोचता हूँ कि आपको यह जानना चाहिए। समझे? वह वचन की आपकी निन्दा को सहन कर रहा था। उसे तो सदैव ही उनकी छावनियों से बाहर किया गया है, उन्होंने इसे बाहर ही निकाला है। तुम्हारा उपहास उड़ाया जायेगा – और खिल्ली उड़ायी जायेगी.71और आज, जहाँ एक बार मैंने देश के पार सेवकाई आरम्भ की; मैं यह स्वयं अपने लिए नहीं कह रहा हूँ, कृपया आप यह न सोचें कि यह कोई मेरी निजी बात है। परन्तु मेरा समय समाप्त हो चुका है, और मेरे पास यहाँ पर लगभग दस पृष्ठ हैं। आप देख सकते हैं कि इन लेखों में से कितनी बातें बची हैं (देवा, समझे? ठीक है।)परन्तु सुनिए! जब सेवकाई आरम्भ की…क्या आपने ध्यान दिया, व उसने पहले पहल सेवकाई आरम्भ की, तो लोगों ने कहा, “ओह, वह युवा रब्बी! ओह, वह तो बहुत ही अद्भुत व्यक्ति है। हमारे मार्ग पर आ। आकर हमें प्रचार कर।”परन्तु एक दिन उसने उनके लिए यह तय कर दिया, और कहा,
”जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लोह न पीयो, तुममें जीवन नहीं है।”आप क्या सोचते हैं, कि भीड़ के डॉक्टरों, और बुद्धिजीवियों ने क्या सोचा होगा? “यह मनुष्य तो पिशाच है।” देखा? ”वह तो यह चाहता है कि तुम मानव लहू पियो। यह तो हमारे लिए बहुत अधिक है। अलग हो जाओ…उन्होंने – उन पुरोहितों ने कहा था, कि “वह सनकी है; मैं इसका विश्वास करता हूँ!” और बाइबिल बताती है कि वे दूर चले गये थे।72तब उसके पास नियुक्त किये हुए सत्तर प्रचारक थे। उसने कहा, “मैं उन्हें नहीं रख सकता हूँ।” अत: उसने उनकी ओर मुड़कर देखा, और कहा, ”ठीक है, जब तुम मनुष्य के पुत्र को स्वर्ग पर चढ़ते हुए जहाँ से वह उतरा है, देखोगे, तो क्या कहोगे?” अब देखिए, उसने इन बातों को कभी नहीं समझाया था। उसने तो बस उन्हें अकेले जाने दिया। था। समझे?और उन्होंने कहा, ‘क्या यह मनुष्यु का पुत्र? क्या? हमने इस मनुष्य के साथ खाना खाया, उसके साथ मछली पकड़ी। हम उसके साथ तटों पर लेटे। हमने वह खोर देखी है जहाँ वह पैदा हुआ था। हम इसकी माँ को जानते हैं, हम इसके भाई को जानते हैं। कौन इस प्रकार की बात ग्रहण कर सकता है?” और बाइबिल बताती है, कि वे फिर उसके साथ और अधिक न चले।73फिर वह पतरस तथा उस शेष की ओर मुडा, और कहा, “मैंने बारह को, तुम बारहों को चुना है …” अब देखिए; वह हज़ारों से घटकर केवल बारहों पर आ जाता है। वह कहता है, ”मैंने तुम बारहों को चुना है, फिर भी तुममें एक शैतान है। मैं इसे आरम्भ से ही जानता था। अब, या तुम सब उनके साथ चले जाना चाहते हो?” उसे उन्हें बहलाने फूसलाने की – उनकी लल्लो-चप्पो करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. कि कहें, “यदि तुम मेरी कलीसिया में शामिल हो जाओगे,
तो मैं तुम्हें डीकन बना दूंगा।” यहाँ तक कि उसने इसे कभी समझाया भी नहीं था। ना ही चेले इसे समझा सकते थे, परन्तु आप स्मरण रखिए, कि उसने उन्हें बस यही बताया था, ‘मैंने तुम्हें जगत की उत्पत्ति से पहले ही जाना है। मैंने ही तुम्हें अपने साथ आनन्द ग्रहण करने के लिए नियुक्त किया है।” समझे? वे वहाँ था; वे जगत की उत्पत्ति से पहले ही ठहराये गये थे।74वे प्रेरित वहीं निश्चल से खड़े रहे। वे यह नहीं समझा सकते थे कि वे कैसे उसका माँस खाने जा रहे हैं और कैसे उसका लहू पीने जा रहे हैं। वे यह नहीं समझ सकते थे कि वह कभी कैसे नीचे आया जबकि वह तो सभी समय उनके साथ ही था। वह इसे नहीं समझा सकता था। वे लोग इसे नहीं समझा सकते थे, कोई भी इसे नहीं समझा सकता था। परन्तु पतरस ने उन असाधारण शब्दों को कहा। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि उसने उसे कुंजियाँ दी थीं। उसने कहा, ”हे प्रभु, हम किसके पास जायें? हम विश्वास कर चुके हैं, और हम जानते हैं कि तू और केवल तू ही आज प्रतिज्ञा किये वचन की पहचान है। हम जानते हैं, कि केवल तेरे पास ही जीवन का वचन है। हम उन बातों को समझा नहीं सकते हैं, परन्तु कुछ भी हो हम इसका विश्वास करते हैं।”75छोटी मारथा ने कहा था, “मेरा भाई मर चुका है। वह कब्र में पड़ा हुआ है, वह सड़गल चुका है, उसमें से दुर्गन्ध आ रही है। प्रभु, यदि तू यहाँ होता; तो मेरा भाई न मरा होता। परन्तु अभी भी जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर वह तुझे देगा।” ओह; मेरे परमेश्वर।उसने कहा, ”पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ। वह जो मुझ पर विश्वास करता है, यदि वह मर भी जाये, तौभी जीवित रहेगा। वह जो जीवित है, और मुझपर विश्वास करता है, कभी नहीं मरेगा। क्या तू इसका विश्वास करती है?”उसने कहा, ‘हाँ, प्रभु! मैं इसे समझा नहीं सकती हैं, लेकिन मैं इसका विश्वास करती हूँ। मैं विश्वास करती हूँ कि तू मसीह है जो जगत में आनेवाला था। मैं उल्लेखनीय पवित्रवचनों के द्वारा विश्वास करती हूँ कि तू उस योगयता पर ख़रा बैठता है।”उसने कहा, ‘तुमने उसे कहाँ दफनाया है?”ओह, मेरे परमेश्वर! कुछ घटित होना था। सारे के सारे चक्र ठीक समय पर एक साथ आ रहे थे। समझे? वह कब्र तक चलकर गया।
बाइबिल कहती है, उसकी न तो कुछ सुन्दरता थी कि हम उसको देखते।” हो सकता है कि शायद वह झुके हुए कन्धों का व्यक्ति हो, ऐसा व्यक्ति हो जिसके कन्धे झुके हुए हो; वह थकित था और चलने के कारण टूटा हुआ सा था; लेकिन उसने कहा, “लाजर, बाहर निकल आ।!” और एक व्यक्ति जो कि चार दिन से मुर्दा था अपने पैरों पर उठ खड़ा हुआ।76क्रिसचियन साइन्स की एक महिला…यदि आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचती है, तो आप मुझे क्षमा करें, लेकिन मेरा ऐसा करने का तात्पर्य नहीं है। एक दिन इसी गिरजे के बाहर क्रिसचियन साइन्स की एक महिला ने मुझसे मुलाकात की, और उसने कहा, ‘श्रीमान ब्रहम, मुझे आपका प्रचार तो पसन्द है; लेकिन एक बात है जिसपर आप बहुत अधिक जोर देते हैं।मैंने पूछा, “वह क्या है?उसने कहा, “आप यीशु पर बहुत अधिक जोर देते हैं।”मैंने कहा, ‘मुझे आशा है कि यही सब मेरे विरुद्ध उसके पास है।” देखा, समझो?उसने कहा, ”आप उसे आलौकिक बनाते हैं।” देखिए, वे विश्वास नहीं करते हैं कि वह आलेकिक था। वे विश्वास करते हैं, कि वह मात्र एक साधारण व्यक्ति था; वह मात्र एक अच्छा शिक्षक, और दार्शनिक था। उसने कहा, “आप उसे आलौकिक बनाते हैं, और वह आलौकिक नहीं था।”मैंने कहा, “ओह, हाँ, वह आलौकिक ही था।”उसने कहा, “यदि मैं आपकी अपनी बाइबिल के व्दारा यह सिद्ध कर दें कि वह आलौकिक नहीं था, तो क्या आप इसका विश्वास करेंगे?”मैंने कहा, “मेरी बाइबिल तो कहती है कि वह आलौकिक ही था। मैं वचन का विश्वास करता हूँ। और वह यही है।”और उसने कहा, ”सन्त यूहन्ना के ११ वें अध्याय में बाइबिल कहती है, कि जब यीशु लाजर की कब्र पर गया, तो वह रोया।”मैंने कहा, इसका उस बात से क्या सम्बन्ध है?“उसने कहा, “ठीक है, यह ये दिखाता है कि वह आलौकिक नहीं था।”मैंने कहा, “आप वह तो देखने में चूक कर गयी है कि वह मनुष्य कौन था। वह परमेश्वर और मनुष्य दोनों ही था।
जब वह रो रहा था तो वो एक मनुष्य था, जब वह दुख के साथ रो रहा था तो वह एक मनुष्य था; परन्तु जब वह खड़ा हुआ, वह खड़ा हुआ, और कहा, ”लाजर, बाहर निकल आ!” और एक मनुष्य जो चार दिन से मूढ था अपने पैरों पर फिर से खड़ा हो जाता है। तो वह (यीशु) मनुष्य से कहीं बढ़कर था!“ जी हाँ, श्रीमान! जी हाँ, निश्चय ही, ऐसा ही है।77और मैंने बहुदा यह अभिव्यक्ति की है, कि जब वह उस रात्रि पहाड़ पर से उतरकर आया, तो वह एक मनुष्य था। परन्तु जब उसने दो रोटी और पाँच मछलियाँ लेकर पाँच हजार लोगों को भोजन खेलाया और फिर भी सात टोकरे भर गये थे, तो वह मनुष्य से बढ़कर था। जी हाँ, श्रीमान! जब वह क्रूस पर था और ऊँचे शब्द से कहता था, “है मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है?” तो वह एक मनष्य था। जब वह चिल्लाया, ”मुझे पीने को जल दो,” और लोगों ने उसे पित्त और सिरका दिया; तो वह एक मनुष्य जब वह चिल्ला रहा था, तो वह एक मनुष्य था, लेकिन ईस्टर की सुबह जब उसने मृत्यु,
अद्योलोक और कब्र की हर एक मोहर को तोड़ डाला था, और पुन: जी उठा था, तो वह मनुष्य से बढ़कर था।78उस रात्रि जब वह उस छोटी सी नाव में पीछे लेटा हुआ था, और उसके चेले उसके साथ थे, और समुद्र तट की दस हज़ार ढुष्टात्माओं ने उसे जलमग्न कर दिया था, तो वह एक मनुष्य था। वहाँ बाहर उस छोटी सी पुरानी नाव में जो कि बोतल स्टोपर जैसी थी जब वह था, तो वह इतना अधिक थका हुआ था; कि वे उसे जगा भी न सके थे। जब वह सो गया था, तो वह एक मनुष्य था; परन्तु जब उसने नाव के सिरे पर पाँव खा, और दृष्टि डाली, और कहा, ‘शान्ति, शान्त हो जा।“ और आंधी और लहरों ने उसकी आज्ञा का पालन एक मनुष्य से बढ़कर था; वह एक परमेश्वर था। नहीं है कि भविष्यद्वक्ता ने कहा था:जिन्दे पर उसने मुझसे प्रेम किया;मरने पर उसने मेरा उद्धार किया;दफन होने पर वह मेरे पाप उठा ले गया।पुनःजी उठने पर स्वतन्त्रतापूवर्क मुझे हमेशा के लिए न्यायोचित ठहरायाकिसी दिन वह आ रहा है ओह किसी महिमामय दिन वह आ रहा है।छावनी के बाहर निकल जाओ। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ,
कि इसका क्या मूल्य चुकाना पड़ता है।इस पुनीत क्रूस को मैं उठाऊँगामृत्यु तक मुझे यह आज़ाद रखेगाफिर ताज पहनने घर मैं जाऊँगावहाँ पर मेरे लिए एक ताज है।79अन्त में, मैं यही कहूँगा…कुछ समय पहले मैं एक न्यायाधीश पर एक कहानी पढ़ रहा था। वह एक धर्मी मनुष्य था, वह एक भला मनुष्य था; और बहुत ही प्यारा मनुष्य था। और वहीं शहर में लोगों का एक झुण्ड था जिसने यह सोचा था, कि वे कुछ भी करके आगे बढ़ सकते हैं – अत: उन्हें इसका दण्ड़ मिला…अत: उन्होंने एक बदनामी का भवन खोला, उन्होंने शराबखाना चलाया – और इसी प्रकार का वह सब कुछ किया जो गैर कानूनी था। और उन्हें कानून के द्वारा एक कानूनी व्यक्ति ने गिरफ्तार कर लिया, और उन्हें न्यायालय में लाया गया। और तब उस छोटे से शहर के सभी लोग वहाँ जमा हो गये …वे जानते थे कि इस मनुष्य ने यहाँ आस पास ऐसा बहुत कुछ किया है – यह व्यक्ति बदनाम भवन चलाता है …और उन्होंने …और न्यायपीठ ने इस व्यक्ति को दोषी पाया, क्योंकि वह रंगे हाथों पकड़ा गया था। अत: तब न्यायाधीश ने उन्हें दोषी पाया, और उन्हें कई वर्षों की सजा सुनायी। उन्हें बिना किसी बॉड के, बिना किसी अपील के, या बिना किसी चीज़ के बन्दीगृह में भेज दिया गया; क्योंकि यह था वह जो कानून कहता था।80और लोग जो कि न्यायालय के बाहर खड़े हुए थे; उसके पास दौड़कर आये, और कहा, “तुम क्या जानते हो? इस शहर का हर एक व्यक्ति तुमसे नफ़रत करेगा। उस निर्णय को उन पर करने के कारण लोग तुम से घृणा करते हैं।” वे सभी स्वयं जुआरी थे। और उन्होंने कहा, “हम-हम सभी तुम से घृणा करेगे। हम तुम्हें फिर कभी नहीं चुनेंगे। हममें से कोई भी तुम्हें कभी मत नहीं देगा।” और सड़क पर गया तो वे उसपर ही छी-छी कर रहे थे।और वह न्यायधीश रुका, और कहा,
“ज़रा एक मिनट मुझे अपनी बात कहने दो। मैंने बिलकुल ठीक वही किया है जो मेरा कर्त्तव्य था। वह व्यक्ति दोषी था, और इससे कोई मतलब नहीं है कि वह था। मुझे तो उसे उसी कानून के अनुसार सज़ा सुनानी थी जिसकी मर्यादा को बनाये रखने की मैंने शपथ खायी थी।”उसने कहा, “तुमसे इस नगर में घृणा की जाती है।”उसने कहा, “परन्तु घर पर मेरे लोगों द्वारा मुझे बहुत अधिक प्यार किया जाता है।”यदि आप इस अभव्यिक्ति के लिए मुझे क्षमा करें; हम भी ठीक ऐसी ही बात सोचते होंगे। मैं तो उसी के लिए खड़ा हुआ हूँ जो करने के लिए मैं बचाया गया हूँ; मैं परमेश्वर के इस वचन को ऊपर उठाए रखने के लिए दृढ़ बना रहता हूँ। मैं जानता हूँ कि नामधारी कलीसियाए मुझसे उन बातों के लिए घृणा करती हैं जो मैं कहता हूँ, परन्तु मुझसे उसके भवन में, उसके लोगों के मध्य बहुत अधिक प्यार किया जाता है। आइये हम प्रार्थना करें।81प्रभु यीशु, हो सकता है कि संसार हमसे घृणा करता हो, लेकिन हम पिता के प्रिय हैं। प्रिय परमेश्वर, हमारी सहायता कीजिए; प्रभु इन लोगों की – इन में से प्रत्येक की सहायता कीजिए, कि आप की आशीषें इनके ऊपर ठहरें। आइये अब हम छावनी के बाहर निकल जायें। हम अपनी सोच से बाहर निकल जायें। हम परमेश्वर की सोच के चलाये चलें। बाइबिल यह कहती है, ”तुम में वह बुद्धि हूँ जो मसीह मैं थी।” अत: हम उसके विचारों को सोचें, हमारी अपनी समझ न हो, क्योंकि बहुत सी बार हम गलत ही होते हैं। अत: ताकि हम सुनिश्चित हो, उसकी समझा हमारे अन्दर हो, और उसकी समझ पिता की इच्छा पूरी करने के लिए थी; और पिता की इच्छा तो उसका प्रतिज्ञा किया हुआ वचन है।प्रभु, होने पाये कि हम आज रात्रि छावनी के बाहर निकल जायें, और यीशु को पायें। हम कलीसिया में सम्मिलित होने के व्दारा उसे कदापि नहीं पायेंगे, हम किसी प्रचारक से हाथ मिलाने के द्वारा उसे कदापि नहीं पायेंगे –
या हम उसे किसी धार्मिक मत या किसी उस बात के व्दारा जिसकी हमने प्रतिज्ञा की थी हम वर्ष के कई दिन सन्डे स्कूल जायेंगे और इसी प्रकार के काम करेंगे, कदापि नहीं पायेंगे। हम तो उसे केवल वचन में ही पायेंगे, क्योंकि वह वचन है।और जैसा कि हम देखते हैं कि इस दिन के लिए प्रतिज्ञा की गयी है, कि उसे तो छावनी के बाहर होना है, उसे फिर से बाहर किया जाना है, तो अब हम छावनी के बाहर जायें, और उसकी निन्दा उठाने को तत्पर रहें; इस संसार ने उससे घृणा की, परन्तु वह उसका प्रिय था जिसने हमें छावनी में आमान्त्रित किया है। प्रभु, इस प्रार्थना को ग्रहण कीजिए।82यदि यहाँ पर कोई ऐसा है जो उसे नहीं जानता है, और किसी नामधारी कलीसिया के सम्बन्ध रुपी छावनी से कभी बाहर निकलकर नहीं गया है; तौभी आप एक मसीही होने का स्वांग करते हो… परन्तु जब आप इन बातों को कहते हैं, कि ”मैं विश्वास करता हूँ, कि यह तो किसी दूसरे दिन के लिए था, तो यह यही दिखाता है कि यह पवित्र आत्मा नहीं हो सकता है। कैसे एक व्यक्ति जो पवित्र आत्मा से परिपूर्ण है, पिता, पत्र और पवित्र आत्मा का नाम का उपयोग करते हुए बपतिस्मा लिए हुए हो सकता है, जबकि पौलुस ने, महान प्रेरित ने यह कहा था, “यदि स्वर्ग से कोई ढत आता है…” हो सकता है कि आपने बिना कोई अन्तर जाने ही एक बार ऐसा कर लिया हो। प्रेरितों के काम के १९ वे अध्यार में, वे लोग कोई अन्तर नहीं जानते थे। परन्तु उसने कहा था, कि यदि कोई दूत इससे अलग कोई बात प्रचारे, तो वह स्रापित हो। कैसे आप कोई धार्मिक मत या कोई वादा या ऐसी ही कोई दुसरी बात ग्रहण कर सकते हैं जबकि बाइबिल कहती है, कि प्रतिज्ञा आप के लिए है; यह ठीक वही चीज़; पवित्र आत्मा का असली बपतिस्मा आपके लिए है ….
कैसे ऐसा हो सकता है कि जिस पवित्र आत्मा ने वचन लिखा वही आप में होकर वचन का इन्कार कर रहा हो? कैसे वह इससे इन्कार कर सकता है, जबकि वही पवित्रआत्मा स्वयं यह कहता है, “यहि कोई मनुष्य इसमें एक भी शब्द जोड़े या इसमें से एक भी शब्द निकाले, तो मैं जीवन की पुस्तक में से उसका भाग निकाल लँगा।” कैसे भला पवित्र आत्मा वचन में से कुछ भी निकाल सकता है या उसमें कुछ भी जोड़ सकता है ?83मेरे मित्रों, आप जो यहाँ हैं तथा जो उन अनदेखी जगह में हैं जहाँ टेप जायेंगे – इस समय जो हमारे लिए ऊन देखे हैं; यह हो कि सुबह के इस सन्देश के ऊपर जो शिक्षा है उससे यह आपके दोनों के हृदय में गहराई से बैठ जाये, और आप यह देखें कि हम कहाँ पर हैं .. यदि कभी आपने अभी तक कभी भी उस नुसखे को नहीं लिया है जिसके विषय में मैंने अभी थोड़ी देर पहले बोला था, तो क्या आप उसे ग्रहण नहीं करेंगे? हम यहाँ पर वह सब करने के लिए हैं जो हम आपकी सहायता के लिए कर सकते हैं।मैं ही इन सब बातों का एक मात्र गवाह हूँ; मैं केवल चुनाव में दौड़ धूप करनेवाला वैसे ही एक कर्त्ता हूँ जैसे हमारे पास लुइसविले,केन्टकी कब्र में डेमोक्रेट कन्वेंशन में “एक चुनाव में दौड़-धूप करनाला कर्त्ता” है- वे उस मनुष्य के लिए मंच बना रहे हैं जो चुना जाना है। मैं भी अपना प्रभु के लिए एक मंच बना रहा हूँ। क्या आप आज रात्रि उसे अपना निज प्रभु करके ग्रहण नहीं करेंगे?84इस क्षण जबकि तुमने अपने सिरों को झुकाया हुआ है और अपने हृदयों को भी झुकाया हुआ है, क्या आप अपने हाथों को ऊपर नहीं उठायेंगे और परमेश्वर से नहीं कहेगे….आप मेरी ओर हाथ न उठायें. मैं तो केवल मनुष्य ही हैं. –
आप परमेश्वर की ओर ही अपने हाथ उठायें, और कहें. ‘परमेश्वर, आप मुझ पर अनुग्रहकारी होइएगा। मुझे सचमुच ये सब चीजें चाहिये जिनके विषय में मैंने सुना है। मैं छावनी के बाहर निकल जाना चाहता हूँ। मैं इसकी परवाह नहीं करता हूँ, कि कोई क्या कहता है।” परमेश्वर आप को आशीष दे। वे जिनके हाथ ऊपर उठे हुए हैं परमेश्वर आपको आशीष दे। आप कहें, ”मैं बिना छावनी के ही जाना चाहता हूँ। मुझे इससे कोई मतलब नहीं है, कि मुझे क्या मूल्य चुकाना पड़ता है, मैं अपना क्रूस लूंगा और उसे प्रतिदिन उठाऊंगा। मैं छावनी के बाहर निकल जाऊँगा। इससे कोई मतलब नहीं है, कि लोग मेरे विषय में क्या कहते हैं, मैं तो छावनी के बाहर उसके पीछे पीछे चलना चाहता हूँ। मैं जाने को तैयार हूं।”85स्वर्गीय पिता, आप उन हाथों को देखते हैं। हो सकता है कि इस भवन में सौ या उससे अधिक लोगों ने अपने हाथ ऊपर उठाये हुए हों। प्रभु; अब वहाँ कोई उनके समीप है, कोई दूसरा व्यक्ति, मसीह का वह व्यक्ति उनके समीप है जो स्वाभाविक नेत्र के लिए अढूश्य है. और उसी ने इनसे एक निर्णय दिलवाया है। जबकि ये दर्पण में देखते हैं, तो ये अपने जीवन में जानते हैं – तो ये देखते हैं, कि इनके जीवन में किसी चीज़ का आभाव पाया जाता है, और ये अपने जीवनों को परमेश्वर की प्रतिज्ञा के अनुसार रुप में ढालना चाहते हैं। और उन्होंने गहन सत्यनिष्ठा के साथ अपने हाथों को ऊपर उठाया है।
प्रभुः आप आज रात्रि भेड़शाला के उस महान व्दार की ओर इनकी सहायता करें होने पाये कि वे मधुरतापूर्वक व नम्रतापूर्वक अन्दर आयें। यह प्रदान कीजिए। प्रभु, वे आपके हैं, आप उनसे व्यवहार करें।86अब, वे बिना किसी परमआलौकिक किसी चीज़ के वह निर्णय नहीं ले सकते थे, और अपने हाथों को ऊपर नहीं उठा सकते थे। विज्ञान के अनुसार ये यह दिखाता है, कि कहीं कोई जीवन है; अन्यथा गुरुत्वार्षण ने तो हमारे हाथ नीचे गिरा दिये होते। परन्तु कहीं कोई ऐसी चीज़ थी जिसने इनके दिमाग को स्पर्श किया, ताकि ये गुरुत्वार्षण के इन्कार करते, और अपने हाथों को अपने उस रचियेता की ओ उठाते जिन्हें वह लेकर आया है। ”हाँ मैं सारे रास्ते चलकर जाना हूँ। मैं आज रात्रि छावनी के बाहर निकल जाना चाहता हूँ।“प्रभुः प्रायश्चित के बाढ़ के पहले चरण के लिए जलाश्य तैयार कि उसके बाद बपतिस्मा लिया जाये, और फिर पवित्र आत्मा पाने की एक प्रतिज्ञा है। अन्त के दिनों में मूल विश्वास की ओर, मूल नुसखे की ओर फेरने के लिए एक बुलाहट होनी है…हम देखते हैं कि बहुतेरे लोग मसीह से दूर हैं, और मानव-निर्मित और दूसरे नुसखों के अन्तर्गत मर रहे हैं। हो सकता है कि वे अपनी नामधारी कलीसिया में बहुत भले हों, परन्तु प्रभु, मैं तो आपका ही नुसखा चाहता हूँ। आप ही हमारे वैध हैं; गिलाद में बालाम है, यहाँ पर आज रात्रि पाप से रोगी प्रत्येक प्राण को, प्रत्येक शारीरिक बीमार को चंगा करने के लिए एक वैध है। सभी समय के महान वैध, स्वर्ग और पृथ्वी के महान सृष्टिकर्ता अब आप हमारे मध्य आयें, और हम से बात करें। क्या आप आयेंगे? हम इसे यीशु के नाम में माँगते हैं।87जबकि हर एक व्यक्ति अपने हृदय में प्रार्थना करता है, “प्रभु यीशु, अब आप मेरी सहायता कीजिए।”….
और यदि आपका कभी बपतिस्मा नहीं हुआ है, और आप कायल हो चुके हैं – मैंने बपतिस्मे पर प्रचार नहीं किया है – परन्तु आप स्वीकार कर चुके हैं कि आपका मसीही बपतिस्में से बपतिस्मा होना चाहिए; यही केवल एक तरीका है जिससे किसी मसीही। का भी कभी बपतिस्मा हुआ ….क्या हो यदि आप आयें, और आप किसी और रीति से बपतिस्मा लें; और वही यीशु जिसने यह कहा है, “जो कोई इसमें एक शब्द भी जोड़े या या एक भी शब्द निकाले – उसका भाग जीवन की पुस्तक में से निकाल दिया जायेगा” —-यीशु ने ही यही कहा था, और वही कहता है, ”सभी वचन ढिव्य प्रेरणा से ओत प्रोत हैं और पूरे होने चाहिए।” अब, आप भिन्नता जानते हैं। आप इसके विषय में क्या करेंगे?88यदि आपको केवल कोई संवेदना या अन्य कुछ हुआ था…मैं संवेदना में विश्वास करता हूँ। यदि आपने आत्मा में नृत्य किया है, यदि आपने गैर जुबान बोली हैं….मैं भी उनमें विश्वास करता हूँ। परन्तु यदि यही सब कुछ ही आगे चलता रहता है, और आपकी आत्मा आपके अन्दर बताती है, कि आप वचन का पालन नहीं करते हैं जबकि आप जानते हैं कि वचन सच्चा है, तो आपकी उस आत्मा के साथ कुछ गड़बड़ है। वह पवित्र आत्मा नहीं है। यह पवित्र आत्मा नहीं हो सकता है। समझे? आप जानते हैं कि वह तो स्वयं अपने वचन की पहचान कराता है। अब जबकि हम प्रार्थना कर रहे हैं, आप आने के लिए लिए तैयारी कर सकते हैं।नाज़रत के यीशु; अब आप समीप आयें और प्रत्येक हृदय से बात करें। मैं इन्हें आपको सौंपता हूँ; होने पाये कि वे…ये हाथ सन्देश के विजय रत्न हैं; प्रभु; अब आप व आपकी प्रतापी महान उपस्थिति हमारे साथ है। कोई भी वह व्यक्ति जो आत्मा के प्रति संवेदनाशील है बता सकता है, कि आप यहाँ पर हैं, पवित्रता की यह महान अनुभूति बता सकती है, कि आप यहाँ पर हैं।
प्रभु, अब बस अभी इसे प्रदान करें। हम इसे यीशु मसीह के नाम में माँगते हैं।अब, जबकि हमारे सिर झुके हुए हैं,89यदि यहाँ पर कोई ऐसा व्यक्ति है, जो यीशु मसीह के नाम में बपतिस्मा लेना चाहता है, जो प्रायश्चित करना चाहता है, पवित्रआत्मा के बपतिस्मे के लिए खोज करना चाहता है, तो उसके लिए मेरी बायी ओर स्थान है। स्त्रियों के लिए मेरे दायी ओर स्थान है। वहाँ पर कोई होगा जो आपको निर्देश दें। वहाँ पर बपतिस्मे के वस्त्र व अन्य सभी चीजें प्रतीक्षा कर रही हैं। अब, जबकि हम अपने सिरों को झुकाये रहते हैं, हम यह गायें:मैं अपने उद्धारकर्ता की बुलाहट सुन सकता हूँ…